अकेली पर कभी त्यागी हुई नहीं
ऐडा लूइस द्वारा बताया गया
मैं हमेशा से ही अकेले रहने को प्रवृत्त रही हूँ। मैं जो भी कार्य करती हूँ उसमें मैं पूरी तरह से दृढ़संकल्प भी हूँ—दूसरे लोग कभी-कभी इसे ज़िद्दीपन कहते हैं। मैं यह भी जानती हूँ कि मुँहफट होना कितना आसान है, और इस आदत ने मेरे लिए सालों से समस्याएँ उत्पन्न की हैं।
फिर भी, मैं कृतज्ञ हूँ कि यहोवा परमेश्वर ने मेरे व्यक्तित्व की त्रुटियों की वजह से मुझे ठुकराया नहीं है। उसके वचन के अध्ययन के द्वारा मैं अपने व्यक्तित्व में परिवर्तन करने में समर्थ हुई हूँ और इस प्रकार कुछ ६० सालों से उसके राज्य हितों के लिए कार्य कर पायी हूँ। बचपन से ही, मैं घोड़ों की प्रेमी रही हूँ, और अपने थोड़े-बहुत ज़िद्दी मिजाज़ को क़ाबू में रखने में परमेश्वर की मदद ने मुझे अकसर याद दिलाया है कि एक घोड़े को क़ाबू में रखने के लिए एक लगाम का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है।
मेरा जन्म १९०८ में दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में माऊन्ट गैम्बियर की एक खूबसूरत नीली झील के पास हुआ था। मेरे माता-पिता का एक डेरीफ़ार्म था, और मैं आठ बच्चों में सबसे बड़ी बेटी थी। जब हम सब बहुत छोटे थे तब हमारे पिता गुज़र गए। इससे मुझ पर फ़ार्म सँभालने की काफ़ी ज़िम्मेदारी आयी, चूँकि मेरे दो बड़े भाइयों को परिवार की ख़ातिर पैसे कमाने के लिए घर से बाहर काम करना पड़ता था। फ़ार्म का जीवन कठोर था और कठिन परिश्रम की माँग करता था।
बाइबल सच्चाई के साथ पहला संपर्क
हमारा परिवार प्रॆस्बिटेरियन चर्च को जाता था, और हम नियमित, अभ्यासी सदस्य थे। मैं सन्डे-स्कूल की शिक्षिका बन गयी और मैं जिसे आध्यात्मिक और नैतिक रूप से सही मानती थी, वह बच्चों को सिखाने की ज़िम्मेदारी को मैंने गम्भीरता से लिया।
१९३१ में मेरे दादा गुज़र गए, और उनकी संपत्ति में उस वक़्त वॉच टावर संस्था के अध्यक्ष, जे. एफ. रदरफर्ड द्वारा लिखी गयी कई पुस्तकें थीं। मैं परमेश्वर की वीणा (अंग्रेज़ी) और सृष्टि (अंग्रेज़ी) पढ़ने लगी, और जितना ज़्यादा पढ़ती गयी उतना ज़्यादा यह जानकर मुझे आश्चर्य होता गया कि अनेक बातों का, जिन पर मैं विश्वास करती थी और बच्चों को सिखाती रही थी, बाइबल समर्थन नहीं करती।
यह सीखना स्तब्ध करनेवाला था कि मानव प्राण अमर नहीं है, कि अधिकांश लोग मरने पर स्वर्ग नहीं जाएँगे, और कि दुष्टों के लिए नरकाग्नि में कोई अनन्त यातना नहीं है। मैं यह जानकर भी परेशान हुई कि साप्ताहिक रविवार सब्त का पालन करना मसीही माँग नहीं है। सो मुझे एक गम्भीर निर्णय करना था: मसीहीजगत की परम्परागत शिक्षाओं से लगे रहना या बाइबल सच्चाई को सिखाना आरम्भ करना। प्रॆस्बिटेरियन चर्च के साथ अपनी सारी संगति छोड़ने का निर्णय करने में मुझे देर नहीं लगी।
अब वास्तव में अकेली
जब मैं ने चर्च छोड़ने और सन्डे-स्कूल में और न सिखाने के अपने इरादे की घोषणा की, तब मेरा परिवार, मेरे मित्र, और चर्च के पूर्व-परिचित जन प्रसन्न नहीं हुए। और जब उन्हें पता चला कि मैं तथा-कथित जज रदरफर्ड के लोगों के साथ शामिल हो रही थी, तो इस बात ने केवल आग लगानेवाली गपशप को हवा देने का काम किया। मुझे वास्तव में बहिष्कृत नहीं किया गया, लेकिन कम-से-कम कहें तो, मेरे परिवार और पहले के मित्रों में से अधिकांश जनों का मेरे प्रति रूखा व्यवहार था।
मैं जो पुस्तकें पढ़ रही थी, उनमें सूचीबद्ध शास्त्रवचनों का जितना ज़्यादा मैं ने अध्ययन किया और जितना उनको जाँचा, उतना ही ज़्यादा मैं सार्वजनिक रूप से प्रचार करने की ज़रूरत को समझने लगी। मैं ने सीखा कि यहोवा के साक्षी अपनी जन सेवकाई के भाग के रूप में घर-घर जाते थे। लेकिन उस समय हमारे ज़िले में कोई साक्षी नहीं था। इसलिए, किसी ने मुझे ना ही प्रोत्साहित किया ना ही यह दिखाया कि परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार कैसे प्रचार करना है। (मत्ती २४:१४) मैं ने बहुत ही अकेला महसूस किया।
फिर भी, दूसरों को प्रचार करने के बारे में बाइबल का आदेश मेरे कानों में गूँजता रहा, और मैं ने निर्णय किया कि मुझे किसी तरह प्रचार करना आरम्भ करना ही है। काफ़ी प्रार्थना करने के बाद, मैं ने अपने पड़ोसियों के घरों में, उन्हें केवल यह बताने के लिए कि मैं ने अपने अध्ययन से क्या सीखा है और यह बातें उन्हें उनकी बाइबल से दिखाने की कोशिश करने के लिए भेंट करने का निर्णय किया। मेरा पहला घर मेरे पिछले सन्डे-स्कूल के निरीक्षक का था। मेरे चर्च को छोड़ देने के बारे में उसकी रूखी प्रतिक्रिया और नकारात्मक टिप्पणियाँ निश्चय ही एक प्रोत्साहक शुरूआत नहीं थीं। लेकिन जब मैं ने उसके घर को छोड़ा और दूसरे घरों में भेंट करना जारी रखा, मैं ने हार्दिक ख़ुशी और एक अनोखी आंतरिक शक्ति महसूस की।
वास्तव में कोई स्पष्ट विरोध नहीं था, लेकिन जब मैं ने चर्च के पूर्व-साथियों के घर पर भेंट की, तब मुझे उनकी आम उदासीनता पर अचरज हुआ। मुझे आश्चर्य और निराशा हुई जब मैं ने सबसे कठोर विरोध का अनुभव अपने सबसे बड़े भाई से किया, जिससे मुझे यीशु के शब्द याद आए: “तुम्हारे माता पिता और भाई और कुटुम्ब, और मित्र भी तुम्हें पकड़वाएंगे; . . . और मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे।”—लूका २१:१६, १७.
जब मैं काफ़ी छोटी थी, तभी मैं एक अनुभवी घुड़सवार बन चुकी थी, सो मैं ने निर्णय किया कि लोगों के घरों तक जल्दी पहुँचने का तरीक़ा होगा घोड़े पर जाना। इससे मैं आस-पास के देहाती क्षेत्र में ज़्यादा दूर जगहों तक जाने में समर्थ हुई। लेकिन, एक दोपहर को मेरा घोड़ा लड़खड़ाया और फिसलनवाली सड़क पर गिर पड़ा, और मेरी खोपड़ी बुरी तरह से फ्रैक्चर हो गयी। कुछ समय के लिए, ऐसा डर था कि मैं बचूँगी नहीं। उस घटना के बाद, यदि सड़कें गीली या फिसलनवाली हों, तो मैं घोड़े के बजाय टमटम पर यात्रा करती थी।a
संगठन के साथ संपर्क
मेरी दुर्घटना के कुछ समय बाद, पूर्ण-समय के प्रचारकों, जो अब पायनियर कहलाते हैं, का एक समूह माऊन्ट गैम्बियर ज़िले को भेंट करने आया। अतः, पहली बार, मैं संगी विश्वासियों के साथ आमने-सामने बात करने में समर्थ हुई। जाने से पहले, उन्होंने मुझे वॉच टावर संस्था के शाखा दफ़्तर को लिखने के लिए प्रोत्साहित किया और इस बारे में पूछने को कहा कि मैं एक ज़्यादा व्यवस्थित तरीक़े से जन प्रचार कार्य में हिस्सा कैसे ले सकती हूँ।
संस्था को लिखने के बाद, मैं ने पुस्तकें, पुस्तिकाएँ, और दरवाज़ों पर अपना परिचय देने में इस्तेमाल करने के लिए एक मुद्रित गवाही पत्र प्राप्त किया। शाखा दफ़्तर के साथ डाक-संपर्क की वजह से मैं ने ख़ुद को अपने आध्यात्मिक भाई-बहनों के और नज़दीक महसूस किया। लेकिन जब पायनियर समूह दूसरे नगर को चला गया, मैं ने पहले से भी ज़्यादा अकेला महसूस किया।
मेरे हर रोज़ के नियमित गवाही दौरों—मुख्यतः टमटम से—के परिणामस्वरूप मैं ज़िले में सुप्रसिद्ध हो गयी। साथ ही साथ, मैं अपने फ़ार्म के कार्यों को भी सँभालने में समर्थ हुई। तब तक मेरे परिवार ने इस नित्यक्रम का विरोध करना बन्द कर दिया था और दख़ल देने का कोई प्रयास नहीं किया। चार साल तक मैं ने इसी तरह, सुसमाचार के एक पृथक्, बपतिस्मा-रहित उद्घोषक के तौर पर सेवा की।
अधिवेशन और, आख़िरकार, बपतिस्मा
अप्रैल १९३८ में, भाई रदरफर्ड ऑस्ट्रेलिया आए। पादरियों के सख़्त विरोध की वजह से सिडनी नगर-भवन का समझौता रद्द हो गया। लेकिन, अन्तिम क्षण में, खेल-मैदान को इस्तेमाल करने की अनुमति मिल गयी। योजनाओं में मजबूरी में किया गया परिवर्तन वास्तव में लाभकारी सिद्ध हुआ, चूँकि और कई हज़ार लोग बड़े खेल-मैदान में एकत्रित हो सके। तक़रीबन १२,००० लोग आए, प्रत्यक्षतः अनेक लोगों की दिलचस्पी हमारी सभा के प्रति पादरी-उत्प्रेरित विरोध द्वारा जगी थी।
भाई रदरफर्ड की भेंट के सम्बन्ध में, कई दिनों का एक अधिवेशन भी पास के सिडनी उपनगर में आयोजित किया गया था। यहीं पर मैं ने आख़िरकार यहोवा परमेश्वर के प्रति अपने समर्पण को पानी में बपतिस्मे के द्वारा चिन्हित किया। क्या आप उस आनन्द की कल्पना कर सकते हैं जिसे मैं ने विशाल ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप की चारों तरफ़ से आए अपने भाई-बहनों के साथ आख़िरकार एकत्रित होने पर अनुभव किया?
माऊन्ट गैम्बियर को लौटना
घर लौटने पर, मैं ने बहुत ही अकेला महसूस किया, फिर भी मैं राज्य कार्य में अपना भरसक करने के लिए पहले से कहीं ज़्यादा दृढ़-संकल्प थी। कुछ ही समय में मैं एग्न्यू परिवार—ह्यू, उसकी पत्नी, और उनके चार बच्चों—से परिचित हो गयी। वे मिलिसॆन्ट नगर में रहते थे, जो माऊन्ट गैम्बियर से केवल ५० किलोमीटर दूर था, और मैं उनके साथ नियमित बाइबल अध्ययन संचालित करने के लिए ५०-५० किलोमीटर टमटम से आती-जाती थी। जब उन्होंने सच्चाई को स्वीकार किया, तो मेरा अकेलापन कम हो गया।
जल्द ही, हम संगठित गवाही के लिए एक समूह बन चुके थे। फिर, ख़ुशी की बात है, मेरी माँ ने दिलचस्पी लेनी शुरू की और नए-नए बने समूह के साथ अध्ययन करने के लिए मेरे साथ आने लगीं जिसकी आने-जाने की दूरी १०० किलोमीटर थी। तब से, माँ हमेशा प्रोत्साहक और सहायक रहीं, हालाँकि उन्हें बपतिस्मा प्राप्त करने में कुछ साल लगे। अब और अकेलापन नहीं!
हमारे छोटे समूह से चार पायनियर उत्पन्न हुए, तीन एग्न्यू लड़कियाँ—क्रिस्टल, एसटल, तथा बॆटी—और मैं। बाद में, १९५० के दशक के आरम्भ में, तीनों लड़कियों ने वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड में भाग लिया। उन्हें मिशनरियों के तौर पर भारत और श्रीलंका में नियुक्त किया गया, जहाँ वे अब भी वफ़ादारी से सेवा करती हैं।
जनवरी १९४१ में, ऑस्ट्रेलिया में यहोवा के साक्षियों की गतिविधियों पर प्रतिबन्ध लगाया गया, सो हमने जल्दी से उसके अनुसार कार्य किया। हमने उन सब चीज़ों को जिन्हें हम सेवकाई में इस्तेमाल करते थे—साहित्य, सुवाह्य फ़ोनोग्राफ़, रिकार्ड किए गए बाइबल भाषण इत्यादि—एक बड़े टिन के संदूक में डाल दिया। फिर हमने उस संदूक को एक छप्पर में रखा और उसे छिपाने के लिए कई गाड़ी-भर सूखी घास लाए।
प्रतिबन्ध के बावजूद, हमने अपना घर-घर का प्रचार कार्य जारी रखा, लेकिन सावधानी से, और गृहस्वामियों के साथ बात करते वक़्त केवल बाइबल का ही इस्तेमाल करते थे। मैं पत्रिकाओं और पुस्तिकाओं को मेरे घोड़े के ज़ीन के नीचे छिपा देती और उन्हें केवल तभी बाहर निकालती जब राज्य संदेश में सच्ची दिलचस्पी पायी जाती। अंततः, जून १९४३ में, प्रतिबन्ध हटाया गया, और हम एक बार फिर साहित्य को खुल्लम-खुल्ला पेश करने में समर्थ हुए।
नयी नियुक्तियाँ
१९४३ में, मैं ने अपने आपको पायनियर के तौर पर उपलब्ध कराया, और उसके अगले साल मैं ने दूसरी नियुक्ति के लिए माऊन्ट गैम्बियर छोड़ा। पहले, मुझे स्ट्राथफ़ील्ड में संस्था के शाखा दफ़्तर में कुछ समय के लिए सेवा करने को आमंत्रित किया गया। इसके बाद, क्रमशः मुझे दक्षिणी न्यू साउथ वेल्स और पश्चिमी विक्टोरिया के छोटे नगरों में नियुक्तियाँ मिलीं। लेकिन, मेरी आध्यात्मिक तौर पर सबसे लाभप्रद नियुक्ति मॆलबर्न शहर में एक बड़ी कलीसिया के साथ थी। क्योंकि मैं एक छोटे क़स्बे से आई थी, मैं ने वहाँ सेवा करते वक़्त बहुत कुछ सीखा।
विक्टोरिया के निम्नतर क्षेत्र गिपस्लैंड ज़िले की मेरी नियुक्ति के दौरान, मेरी पायनियर साथी, हैलॆन क्रोफर्ड और मैं ने अनेक बाइबल अध्ययन संचालित किए और, कुछ ही समय में एक कलीसिया को बनते देखा। उस ज़िले में एक बड़ा ग्रामीण क्षेत्र था, और यातायात के लिए हमारे पास एक पुरानी मोटर गाड़ी थी, जिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता था। कभी-कभी हम इस गाड़ी को चलाकर ले जाते थे, लेकिन बहुत बार हमें इसे ढकेलना पड़ता था। एक घोड़े के लिए मैं कितना तरसती थी! कभी-कभी, मैं सच-सच कह सकती थी: “मैं एक घोड़े के बदले में कुछ भी (राज्य के सिवा) दे दूँगी!” उस ज़िले के अधिकांश नगरों में आज मज़बूत कलीसियाएँ और उत्तम राज्यगृह हैं।
१९६९ में, मुझे ऑस्ट्रेलिया की राजधानी, कैनबरा में नियुक्ति मिली। यह गवाही देने के लिए एक चुनौतीपूर्ण और रंगीन जगह थी, क्योंकि हम अकसर अनेक विदेशी दूतावासों में कार्यकर्ताओं से संपर्क करते थे। मैं आज भी यहीं सेवा करती हूँ, लेकिन हाल के वर्षों में मैं ने अपनी गवाही को शहर के औद्योगिक क्षेत्र में केंद्रित किया है।
१९७३ में, मुझे अमरीका में बड़े अधिवेशनों में उपस्थित होने का विशेषाधिकार मिला। मेरे जीवन की एक और झलकी थी, १९७९ में अधिवेशन प्रतिनिधि होना और इस्राएल तथा जॉर्डन की यात्रा करना। बाइबल में उल्लिखित वास्तविक स्थानों को जाना और वहाँ हुई घटनाओं पर मनन करना वाक़ई एक हृदयस्पर्शी अनुभव था। मृत सागर के बहुत खारे पानी में तैरना कैसा लगता है, मुझे इसका अनुभव करने को मिला, और जॉर्डन के पेट्रा में हमारी यात्रा के दौरान, मुझे एक बार फिर घोड़े पर सवारी करने का मौक़ा मिला। इससे मुझे वे प्रारंभिक दिन याद हो आए जब घोड़ों ने मुझे बिखरे और ग्रामीण क्षेत्रों तक राज्य संदेश के साथ पहुँचने में समर्थ किया था।
जारी पूर्ण-समय सेवा
बढ़ती उम्र के बावजूद पायनियर सेवा स्कूल और सर्किट सम्मेलनों के समय होनेवाली पायनियर सभाओं के जैसे ख़ास प्रबन्धों, साथ ही साथ सफ़री ओवरसियरों से मुझे प्राप्त होनेवाले निरन्तर प्रोत्साहन द्वारा पूर्ण-समय सेवा को जारी रखने की मेरी इच्छा सजीव रही है। मैं सचमुच कह सकती हूँ कि यहोवा ने कृपापूर्वक यह देखा है कि अकेले रहने के मेरे दिन एक बीती हुई बात है।
मैं अब ८७ साल की हूँ, और कुछ ६० साल यहोवा की सेवा करने के बाद, ऐसे लोगों को भी प्रोत्साहन के चन्द शब्द कहना चाहती हूँ जो शायद मुँहफट और अत्यधिक स्वतंत्र हों: यहोवा के निर्देशन को हमेशा स्वीकार कीजिए। ऐसा हो कि यहोवा हमें मुँहफट होने की अपनी आदत को नियंत्रण में रखने में सहायता करे, और ऐसा हो कि वह निरन्तर हमें याद दिलाता रहे कि जबकि शायद हम अकसर अकेला महसूस करें, वह कभी हमें त्यागेगा नहीं।
[फुटनोट]
a टमटम एक हल्की दो पहियोंवाली घोड़ागाड़ी है।