मनुष्यजाति को परमेश्वर के ज्ञान की ज़रूरत है
“तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा।”—नीतिवचन २:५.
१. ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि मानव हृदय ईश्वरीय इंजीनियरी की एक श्रेष्ठकृति है?
इस समय पृथ्वी पर कुछ ५,६०,००,००,००० मानव हृदय धड़क रहे हैं। हर रोज़, आपका अपना हृदय १,००,००० बार धड़कता है और आपके शरीर के १,००,००० किलोमीटर लम्बे हृदय-संवहनी तंत्र में क़रीब ७,६०० लीटर खून पम्प करता है। ईश्वरीय इंजीनियरी की इस श्रेष्ठकृति को छोड़, कोई और मांसपेशी इतनी कड़ी मेहनत नहीं करती।
२. आप लाक्षणिक हृदय का वर्णन कैसे करेंगे?
२ पृथ्वी पर ५,६०,००,००,००० लाक्षणिक हृदय भी काम कर रहे हैं। लाक्षणिक हृदय में हमारी भावनाएँ, हमारी अभिप्रेरणाएँ, हमारी अभिलाषाएँ बसती हैं। यह हमारे विचार, हमारी समझ, हमारी इच्छा का केन्द्र है। लाक्षणिक हृदय घमण्डी या नम्र हो सकता है, उदास या प्रफुल्लित हो सकता है, अन्धकारमय या प्रबुद्ध हो सकता है।—नहेमायाह २:२; नीतिवचन १६:५; मत्ती ११:२९; प्रेरितों १४:१७; २ कुरिन्थियों ४:६; इफिसियों १:१६-१८.
३, ४. सुसमाचार के साथ हृदयों तक कैसे पहुँचा जा रहा है?
३ यहोवा परमेश्वर मानव हृदय को पढ़ सकता है। नीतिवचन १७:३ कहता है: “चान्दी के लिये कुठाली, और सोने के लिये भट्ठी होती है, परन्तु मनों को यहोवा जांचता है।” लेकिन, प्रत्येक हृदय को मात्र पढ़ने और न्याय घोषित करने के बजाय, यहोवा सुसमाचार के साथ मानव हृदयों तक पहुँचने के लिए अपने साक्षियों का प्रयोग कर रहा है। यह प्रेरित पौलुस के शब्दों के सामंजस्य में है: “जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा। फिर जिस पर उन्हों ने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम क्योंकर लें? और जिस की नहीं सुनी उस पर क्योंकर विश्वास करें? और प्रचारक बिना क्योंकर सुनें? और यदि भेजे न जाएं, तो क्योंकर प्रचार करें? जैसा लिखा है, कि उन के पांव क्या ही सोहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं!”—रोमियों १०:१३-१५.
४ यह यहोवा को भाया है कि वह अपने साक्षियों को ‘अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाने’ के लिए और ग्रहणशील हृदयवाले लोगों को ढूँढने के लिए पृथ्वी की छोर तक भेजे। अब हमारी संख्या ५०,००,००० से ज़्यादा है—पृथ्वी पर कुछ १,२०० लोगों के लिए १ साक्षी का अनुपात। सुसमाचार के साथ पृथ्वी के अरबों लोगों तक पहुँचना आसान नहीं है। लेकिन परमेश्वर इस कार्य को यीशु मसीह के द्वारा निर्देशित कर रहा है और सत्हृदयी लोगों को खींच रहा है। अतः, यशायाह ६०:२२ में अभिलिखित भविष्यवाणी सच साबित हो रही है: “छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूं; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूंगा।”
५. ज्ञान क्या है, और संसार की बुद्धि के बारे में क्या कहा जा सकता है?
५ वह समय अब है, और एक बात स्पष्ट है—पृथ्वी के अरबों लोगों को ज्ञान की ज़रूरत है। मूलतः, ज्ञान अनुभव, अवलोकन, या अध्ययन से प्राप्त किए गए तथ्यों की अच्छी जानकारी है। इस संसार ने ढेर सारा ज्ञान इकट्ठा किया है। यातायात, स्वास्थ्य-सेवा, और संचार जैसे क्षेत्रों में प्रगति की गयी है। लेकिन क्या यह सांसारिक ज्ञान है जिसकी मनुष्यजाति को सचमुच ज़रूरत है? शायद ही! युद्ध, उत्पीड़न, बीमारी, और मृत्यु मनुष्यजाति को पीड़ित करना जारी रखते हैं। संसार की बुद्धि अकसर परिवर्तनशील, अविश्वसनीय साबित हुई है।
६. लहू के सम्बन्ध में, सांसारिक बुद्धि की तुलना में परमेश्वर का ज्ञान कैसा है?
६ इसे सचित्रित करने के लिए: दो शताब्दी पहले, कल्पित उपचार के तौर पर रक्त-मोक्षण करना रिवाज़ था। अमरीका के पहले राष्ट्रपति, जॉर्ज वॉशिंगटन का उसके जीवन के अन्तिम क्षणों में बार-बार खून बहाया गया था। एक बार तो उसने कहा: “मुझे चैन से मरने दो; मैं ज़्यादा देर नहीं बच सकता।” वह सही था, क्योंकि वह उसी दिन—दिसम्बर १४, १७९९—गुज़र गया। रक्त-मोक्षण के बजाय, आज मानव शरीर में रक्ताधान करने पर ज़ोर है। दोनों प्रक्रियाएँ प्राण-घातक समस्याओं से भरी हुई हैं। लेकिन, इस सम्पूर्ण समय के दौरान परमेश्वर के वचन ने कहा है: “लोहू से . . . परे रहो।” (प्रेरितों १५:२९) परमेश्वर का ज्ञान हमेशा सही, विश्वसनीय, दिनाप्त है।
७. बच्चों के पालन-पोषण के सम्बन्ध में, सांसारिक बुद्धि की तुलना में यथार्थ शास्त्रीय ज्ञान कैसा है?
७ अविश्वसनीय सांसारिक बुद्धि के एक और उदाहरण पर ग़ौर कीजिए। वर्षों से, मनोवैज्ञानिकों ने बच्चों के अनुज्ञात्मक पालन-पोषण का समर्थन किया, लेकिन उसके एक समर्थक ने बाद में क़बूल किया कि यह एक ग़लती थी। जर्मनी के भाषाशास्त्रीय संघ ने एक बार कहा कि अनुज्ञात्मकता “युवाओं के साथ अब हमें जो समस्याएँ हैं, उसके लिए कम-से-कम अप्रत्यक्ष रूप से ज़िम्मेदार है।” सांसारिक बुद्धि हवा के थपेड़ों से शायद आगे-पीछे झूले, लेकिन यथार्थ शास्त्रीय ज्ञान अटल साबित हुआ है। बाइबल बच्चों के प्रशिक्षण पर संतुलित सलाह देती है। “अपने बेटे की ताड़ना कर, तब उस से तुझे चैन मिलेगा; और तेरा मन सुखी हो जाएगा,” नीतिवचन २९:१७ कहता है। ऐसा अनुशासन प्रेम के साथ दिया जाना है, क्योंकि पौलुस ने लिखा: “हे बच्चेवालो अपने बच्चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो।”—इफिसियों ६:४.
“परमेश्वर का ज्ञान”
८, ९. नीतिवचन २:१-६ उस ज्ञान के बारे में जिसकी मनुष्यजाति को सचमुच ज़रूरत है, जो कहता है, उसे आप कैसे समझाएँगे?
८ हालाँकि पौलुस एक शिक्षित व्यक्ति था, उसने कहा: “यदि तुम में से कोई इस संसार में अपने आप को ज्ञानी समझे, तो मूर्ख बने; कि ज्ञानी हो जाए। क्योंकि इस संसार का ज्ञान परमेश्वर के निकट मूर्खता है।” (१ कुरिन्थियों ३:१८, १९) केवल परमेश्वर वह ज्ञान दे सकता है जिसकी मनुष्यजाति को सचमुच ज़रूरत है। इसके बारे में, नीतिवचन २:१-६ कहता है: “हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े, और बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगाकर सोचे; और प्रवीणता और समझ के लिये अति यत्न से पुकारे, और उसको चान्दी की नाईं ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसकी खोज में लगा रहे; तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा। क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं।”
९ अच्छे हृदयों से प्रेरित किए गए लोग, परमेश्वर-प्रदत्त ज्ञान को सही तरह से लागू करने के द्वारा बुद्धि की ओर ध्यान देते हैं। वे अपना हृदय समझ की ओर लगाते हैं, और जो बातें वे सीख रहे हैं उन पर ध्यानपूर्वक चिन्तन करते हैं। असल में, वे समझ की, या यह देखने की क्षमता की माँग करते हैं कि किस तरह एक विषय के पहलू एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं। सत्हृदयी लोग ऐसे काम करते हैं मानो वे चान्दी के लिए खुदाई कर रहे हों और गुप्त ख़ज़ानों की खोज कर रहे हों। लेकिन ग्रहणशील हृदयवाले लोगों को कौन-सा बड़ा ख़ज़ाना मिलता है? यह “परमेश्वर का ज्ञान” है। यह क्या है? सरल शब्दों में कहें तो, यह परमेश्वर के वचन, बाइबल में पाया जानेवाला ज्ञान है।
१०. अच्छे आध्यात्मिक स्वास्थ्य का आनन्द उठाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
१० परमेश्वर का ज्ञान ठोस, स्थायी, जीवन-दायक है। यह आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। पौलुस ने तीमुथियुस से आग्रह किया: “उन स्वास्थ्यकर शब्दों के नमूने को पकड़े रहो जिसे तुमने मुझसे उस विश्वास और प्रेम के साथ सुना, जो मसीह यीशु के सम्बन्ध में हैं।” (तिरछे टाइप हमारे।) (२ तीमुथियुस १:१३, NW) एक भाषा में शब्दों के नमूने होते हैं। समान रूप से, शास्त्रीय सच्चाई की “शुद्ध भाषा” में “स्वास्थ्यकर शब्दों के नमूने” हैं जो मुख्यतः बाइबल के विषय पर आधारित हैं, अर्थात् राज्य के माध्यम से यहोवा की सर्वसत्ता का दोषनिवारण। (सपन्याह ३:९) हमें स्वास्थ्यकर शब्दों के इस नमूने को मन और हृदय में रखने की ज़रूरत है। यदि हमें लाक्षणिक हृदय की बीमारी से दूर रहना है और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहना है, तो हमें बाइबल को अपने दैनिक जीवन में लागू करना चाहिए, और उन आध्यात्मिक प्रबन्धों का पूरा-पूरा फ़ायदा उठाना चाहिए जो परमेश्वर “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के द्वारा कर रहा है। (मत्ती २४:४५-४७; तीतुस २:२) आइए हम हमेशा याद रखें कि अच्छे आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए हमें परमेश्वर के ज्ञान की ज़रूरत है।
११. मनुष्यजाति को परमेश्वर के ज्ञान की ज़रूरत क्यों है, इसके कुछ कारण क्या हैं?
११ अन्य कारणों पर ग़ौर कीजिए कि क्यों पृथ्वी के अरबों लोगों को परमेश्वर के ज्ञान की ज़रूरत है। क्या वे सब जानते हैं कि पृथ्वी और मनुष्यजाति कैसे अस्तित्व में आई? जी नहीं, वे नहीं जानते। क्या सारी मनुष्यजाति सच्चे परमेश्वर और उसके पुत्र को जानती है? क्या सभी जन उन वाद-विषयों से अवगत हैं जिन्हें शैतान ने ईश्वरीय सर्वसत्ता और मानवी खराई के सम्बन्ध में खड़ा किया था? फिर से जवाब है नहीं। क्या सामान्य तौर पर लोग जानते हैं कि हम क्यों बूढ़े होते और मरते हैं? फिर एक बार हमें कहना होगा, नहीं। पृथ्वी के सभी निवासियों को क्या यह एहसास है कि परमेश्वर का राज्य अब शासन कर रहा है और कि हम अन्तिम दिनों में जी रहे हैं? क्या वे दुष्ट आत्मिक शक्तियों से अवगत हैं? क्या सभी मनुष्यों के पास एक सुखी पारिवारिक जीवन कैसे बनाएँ, के बारे में विश्वसनीय ज्ञान है? और क्या यह जनता जानती है कि आज्ञाकारी मनुष्यजाति के लिए परादीस में आनन्दपूर्ण जीवन हमारे सृष्टिकर्ता का उद्देश्य है? इन सवालों के लिए भी जवाब है, नहीं। स्पष्ट रूप से, तब, मनुष्यजाति को परमेश्वर के ज्ञान की ज़रूरत है।
१२. हम परमेश्वर की उपासना “आत्मा और सच्चाई से” कैसे कर सकते हैं?
१२ अपने पार्थिव जीवन की अन्तिम रात को प्रार्थना में यीशु ने जो कहा, उसकी वजह से भी मनुष्यजाति को परमेश्वर के ज्ञान की ज़रूरत है। उसके प्रेरित उसे यह कहते हुए सुनकर शायद गहराई से प्रेरित हुए होंगे: “अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें।” (यूहन्ना १७:३) ऐसे ज्ञान को लागू करना स्वीकार्य रूप से परमेश्वर की उपासना करने का एकमात्र तरीक़ा है। “परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करनेवाले आत्मा और सच्चाई से भजन करें,” यीशु ने कहा। (यूहन्ना ४:२४) जब हम विश्वास और प्रेम से भरे हृदयों से प्रेरित होते हैं, तब हम परमेश्वर की उपासना ‘आत्मा से’ करते हैं। हम “सच्चाई से” उसकी उपासना कैसे करते हैं? उसके वचन का अध्ययन करने और उसकी प्रकट की गयी सच्चाई—“परमेश्वर के ज्ञान”—के अनुसार उसकी उपासना करने के द्वारा।
१३. प्रेरितों १६:२५-३४ में कौन-सी घटना अभिलिखित है, और हम उससे क्या सीख सकते हैं?
१३ हर साल हज़ारों लोग यहोवा की उपासना करना शुरू करते हैं। फिर भी, क्या दिलचस्पी दिखानेवाले लोगों के साथ लम्बे समय तक बाइबल अध्ययन संचालित किया जाना चाहिए, या क्या सत्हृदयी लोगों को बपतिस्मा के चरण तक अधिक तेज़ी से पहुँचने में मदद करना सम्भव है? दारोगा और उसके घराने के सम्बन्ध में जो हुआ उस पर ग़ौर कीजिए, जिसका ज़िक्र प्रेरितों १६:२५-३४ में किया गया है। पौलुस और सीलास को फिलिप्पी में क़ैद किया गया था, लेकिन आधी रात को एक बड़े भूकम्प ने क़ैदखाने के दरवाज़े खोल दिए। यह सोचकर की सभी क़ैदी भाग गए हैं और उसे कड़ी सज़ा दी जाएगी, वह दारोगा ख़ुदकुशी करने ही वाला था जब पौलुस ने उसे कहा कि वे सब वहीं थे। पौलुस और सीलास “ने उस को, और उसके सारे घर के लोगों को प्रभु का वचन सुनाया।” वह दारोगा और उसका परिवार अन्यजाति के थे, जिनकी पवित्र शास्त्र की कोई पृष्ठभूमि नहीं थी। फिर भी, उसी एक रात में वे विश्वासी बन गए। उससे भी ज़्यादा, “उस ने अपने सब लोगों समेत तुरन्त बपतिस्मा लिया।” वे असाधारण परिस्थितियाँ थीं, लेकिन नए लोगों को मूलभूत सच्चाई सिखायी गई और फिर उन्होंने अन्य बातों को कलीसिया सभाओं में सीखा। आज ऐसा ही कुछ कार्य करना सम्भव होना चाहिए।
कटनी बहुत बड़ी है!
१४. ज़्यादा संख्या में प्रभावकारी बाइबल अध्ययन कम समय में संचालित करने की ज़रूरत क्यों है?
१४ यह बढ़िया होगा यदि यहोवा के साक्षी ज़्यादा संख्या में प्रभावकारी बाइबल अध्ययन कम समय में संचालित कर सकें। इसकी एक वास्तविक ज़रूरत है। उदाहरण के लिए, पूर्वी यूरोप के देशों में, लोगों को बाइबल अध्ययन के लिए प्रतीक्षा सूची पर नाम लिखवाना पड़ता है। अन्य जगहों में भी यही बात है। डॉमिनिकन गणराज्य के एक क़सबे में, पाँच साक्षियों के पास इतने सारे निवेदन थे कि वे सारे अध्ययन संचालित नहीं कर सकते थे। उन्होंने क्या किया? उन्होंने दिलचस्पी रखनेवाले लोगों को राज्यगृह की सभाओं में उपस्थित होने के लिए और बाइबल अध्ययन के लिए प्रतीक्षा सूची पर नाम लिखवाने के लिए प्रोत्साहित किया। पृथ्वी के चारों ओर की अनेक जगहों में समान स्थिति मौजूद है।
१५, १६. परमेश्वर के ज्ञान को और भी जल्दी फैलाने के लिए क्या प्रदान किया गया है, और इसके बारे में कुछ तथ्य क्या हैं?
१५ परमेश्वर के लोगों के लिए विशाल क्षेत्र—कटनी के लिए बड़े-बड़े खेत—खुल रहे हैं। हालाँकि ‘खेत का स्वामी,’ यहोवा और मज़दूरों को भेज रहा है, अब भी काफ़ी कुछ करने को है। (मत्ती ९:३७, ३८) इसलिए, परमेश्वर के ज्ञान को और भी जल्दी फैलाने के लिए ‘विश्वासयोग्य दास’ ने कुछ ऐसी वस्तु प्रदान की है जो संक्षिप्त में विशिष्ट जानकारी प्रस्तुत करती है ताकि बाइबल विद्यार्थी प्रत्येक पाठ के साथ आध्यात्मिक प्रगति कर सकें। यह एक नया प्रकाशन है जिसे गृह बाइबल अध्ययनों में अपेक्षाकृत शीघ्रता से पूरा किया जा सकता है—शायद कुछ ही महीनों में। और यह हमारे बैग, हमारे हैंडबैग, या हमारी जेबों में भी आसानी से साथ ले जाया जा सकता है! यहोवा के साक्षियों के “आनन्दित स्तुतिकर्ता” ज़िला अधिवेशनों में एकत्रित हुए लाखों लोग ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है शीर्षक की इस नयी १९२-पृष्ठवाली पुस्तक को पाने में आनन्दित हुए थे।
१६ विभिन्न देशों के लेखकों ने विषय को तैयार किया जिसे ज्ञान पुस्तक के लिए ध्यानपूर्वक अन्तिम रूप दिया गया। इसलिए इसका अन्तर्राष्ट्रीय आकर्षण होना चाहिए। लेकिन क्या इस नए प्रकाशन को संसार-भर के लोगों की भाषाओं में रिलीज़ करने में काफ़ी समय लगेगा? जी नहीं, क्योंकि बड़ी पुस्तकों की तुलना में एक १९२-पृष्ठवाली पुस्तक का अधिक तेज़ी से अनुवाद किया जा सकता है। अक्तूबर १९९५ तक, शासी निकाय की लेखन समिति ने इस पुस्तक को अंग्रेज़ी से १३० से भी अधिक भाषाओं में अनुवाद करने की स्वीकृति दे दी थी।
१७. किन तथ्यों से ज्ञान पुस्तक का इस्तेमाल सरल होना चाहिए?
१७ ज्ञान पुस्तक के प्रत्येक अध्याय की सुस्पष्ट बातों को विद्यार्थियों को अधिक तेज़ आध्यात्मिक प्रगति करने के लिए समर्थ करना चाहिए। यह पुस्तक शास्त्रीय सच्चाइयों को एक प्रोत्साहक तरीक़े से पेश करती है। यह झूठे धर्म-सिद्धान्तों पर ही बात नहीं करती। भाषा की स्पष्टता और तर्कसंगत विकास से, बाइबल अध्ययन संचालित करने के लिए इस पुस्तक का इस्तेमाल करना और लोगों को परमेश्वर के ज्ञान को समझने में मदद देना सरल होना चाहिए। उद्धृत शास्त्रवचनों के अलावा, इसमें उल्लिखित बाइबल पाठ हैं जिन्हें विद्यार्थी चर्चा के लिए तैयारी करते समय देख सकता है। जैसे समय अनुमति दे, इन्हें अध्ययन के दौरान पढ़ा जा सकता है, लेकिन ऐसे बाहरी विषय को सम्मिलित करना बुद्धिमानी नहीं होगी जो मुख्य मुद्दों को अस्पष्ट कर सकता है। इसके बजाय, बाइबल अध्ययन संचालित करनेवालों को इस पुस्तक का प्रत्येक अध्याय जो साबित कर रहा है उसे समझने और विद्यार्थी तक पहुँचाने की कोशिश करनी चाहिए। इसका अर्थ है कि शिक्षक को अध्यवसायी रूप से अध्ययन करना चाहिए, ताकि उसके मन में मुख्य विचार बिलकुल स्पष्ट हों।
१८. ज्ञान पुस्तक के इस्तेमाल के सम्बन्ध में कौन-से सुझाव दिए गए हैं?
१८ ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है पुस्तक शिष्य-बनाने के कार्य को कैसे तेज़ कर सकती है? इस १९२-पृष्ठवाली पुस्तक का अध्ययन तुलनात्मक रूप से कम समयावधि में किया जा सकता है, और “अनन्त जीवन के लिये ठहराए गए” लोगों को इसके अध्ययन से इतना तो सीख लेने में समर्थ होना चाहिए जिससे वे यहोवा को समर्पण कर सकें और बपतिस्मा प्राप्त कर सकें। (प्रेरितों १३:४८) सो आइए हम ज्ञान पुस्तक को सेवकाई में अच्छे इस्तेमाल में लाएँ। यदि एक बाइबल विद्यार्थी किसी दूसरी पुस्तक के काफ़ी भाग का अध्ययन कर चुका है, तो उसे पूरा करना व्यावहारिक होगा। नहीं तो, यह सुझाव दिया जाता है कि बाइबल अध्ययनों को ज्ञान पुस्तक के अध्ययन में बदल देना है। इस नए प्रकाशन को पूरा करने के बाद, उसी विद्यार्थी के साथ किसी दूसरी पुस्तक से अध्ययन संचालित करने का सुझाव नहीं दिया जाता है। जो सच्चाई को ग्रहण करते हैं, वे यहोवा के साक्षियों की सभाओं में उपस्थित होने साथ ही साथ बाइबल और विभिन्न मसीही प्रकाशनों को ख़ुद पढ़ने के द्वारा अपने ज्ञान को विस्तृत कर सकते हैं।—२ यूहन्ना १.
१९. ज्ञान पुस्तक से बाइबल अध्ययन संचालित करने से पहले, अपनी सेवकाई को पूरा करने के लिए संगठित के पृष्ठ १७५ से २१८ तक पुनर्विचार करना क्यों सहायक होगा?
१९ ज्ञान पुस्तक एक व्यक्ति को उन सभी सवालों के जवाब देने में मदद करने के उद्देश्य से लिखी गयी थी जिनका पुनर्विचार प्राचीन यहोवा के साक्षियों के तौर पर बपतिस्मा लेने के लिए इच्छुक बपतिस्मा-रहित प्रकाशकों के साथ करते हैं। इसलिए, अपने वर्तमान बाइबल अध्ययनों को इस नए प्रकाशन के अध्ययन में बदलने से पहले, यह सलाह दी जाती है कि आप अपनी सेवकाई को पूरा करने के लिए संगठितa (अंग्रेज़ी) पुस्तक के पृष्ठ १७५ से २१८ तक दिए गए सवालों पर पुनर्विचार करने में कुछ घंटे बिताएँ। यह आपको ज्ञान पुस्तक से बाइबल अध्ययनों के दौरान ऐसे सवालों के जवाबों पर ज़ोर देने के लिए मदद करेगा।
२०. ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है पुस्तक से आप क्या करने की योजना बनाते हैं?
२० सभी जगह लोगों को सुसमाचार सुनना चाहिए। जी हाँ, मनुष्यजाति को परमेश्वर के ज्ञान की ज़रूरत है, और इसे सुनाने के लिए यहोवा के पास अपने साक्षी हैं। अब हमारे पास विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास के माध्यम से हमारे प्रेममय स्वर्गीय पिता द्वारा प्रदान की गयी एक नयी पुस्तक है। क्या आप सच्चाई को सिखाने और यहोवा के पवित्र नाम को महिमा लाने के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे? निश्चय ही यहोवा आपको आशिष देगा जब आप अनेक लोगों को वह ज्ञान उपलब्ध कराने के लिए हर प्रयास करते हैं जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है।
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ आप लाक्षणिक हृदय का वर्णन कैसे करेंगे?
◻ परमेश्वर का ज्ञान क्या है?
◻ मनुष्यजाति को परमेश्वर के ज्ञान की ज़रूरत क्यों है?
◻ कौन-सी नयी पुस्तक उपलब्ध है, और आप इसे कैसे इस्तेमाल करने की योजना बनाते हैं?
[पेज 10 पर तसवीरें]
अनेक कारण हैं कि क्यों पृथ्वी के अरबों लोगों को परमेश्वर के ज्ञान की ज़रूरत है