सांत्वना और प्रोत्साहन अनेक पहलुओं वाले रत्न
हम में से अधिकांश लोग ऐसे समयों से गुज़रे हैं जब हमने बहुत ही दरिद्र महसूस किया—आर्थिक रूप से दरिद्र नहीं बल्कि हताश। हम उदास थे, और गंभीर रूप से हताश भी। फिर भी, ऐसे समयों में हमारे पास अपनी पहुँच में शायद कुछ ऐसी बहुमूल्य वस्तु रही हो जो हमारा बहुत भला कर सकती है। वह “रत्न” है प्रोत्साहन।
बाइबल में, “प्रोत्साहन” और “सांत्वना” के लिए एक ही यूनानी शब्द इस्तेमाल किया गया है। दोनों शब्द ढाढ़स, शक्ति, या आशा देने का अर्थ देते हैं। तो फिर, स्पष्टतः, जब हम निर्बल या उदास महसूस कर रहे हैं, तब सांत्वना और प्रोत्साहन ही वे बातें हैं जिनकी हमें ज़रूरत है। वे कहाँ पाए जा सकते हैं?
बाइबल हमें आश्वस्त करती है कि यहोवा “सब प्रकार की शान्ति [“सांत्वना,” NW] का परमेश्वर है।” (२ कुरिन्थियों १:३) वह हमें यह भी कहती है कि “वह हम में से किसी से दूर नहीं!” (प्रेरितों १७:२७) सो सांत्वना और प्रोत्साहन उपलब्ध हैं। आइए हम चार सामान्य क्षेत्रों पर विचार करें जिनके द्वारा यहोवा प्रोत्साहन प्रदान करता है।
परमेश्वर के साथ एक व्यक्तिगत सम्बन्ध द्वारा
यहोवा परमेश्वर के साथ एक व्यक्तिगत सम्बन्ध सांत्वना का महत्तम स्रोत है। यह बात प्रोत्साहक है कि एक ऐसा सम्बन्ध सम्भव भी है। आख़िरकार, संसार का कौन-सा शासक हमसे फ़ोन पर बात करता या हमारी समस्याओं में एक व्यक्तिगत दिलचस्पी व्यक्त करता? यहोवा ऐसे मनुष्यों से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली है। फिर भी वह नम्र है—दीन, अपरिपूर्ण मनुष्यों के संग व्यवहार करने में बहुत ही इच्छुक है। (भजन १८:३५) यहोवा ने हमें प्रेम दिखाने में पहल भी की है। पहला यूहन्ना ४:१० कहता है: “प्रेम इस में नहीं, कि हम ने परमेश्वर से प्रेम किया; पर इस में है, कि उस ने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा।” इसके अतिरिक्त, यहोवा हमें प्रेमपूर्वक अपने पुत्र की ओर खींचता है।—यूहन्ना ६:४४.
क्या आपने प्रतिक्रिया दिखायी है और परमेश्वर के साथ मित्रता में सांत्वना तलाशी है? (याकूब २:२३ से तुलना कीजिए।) उदाहरण के लिए, अगर आपका कोई प्यारा, क़रीबी मित्र है, तो क्या उसके साथ कुछ समय अकेले बिताना, अपनी चिन्ताओं और परेशानियों, अपनी आशाओं और ख़ुशियों के बारे में खुलकर बात करना एक सुखद अनुभव नहीं है? यहोवा अपने साथ वही करने के लिए आपको आमंत्रित करता है। वह इस बात पर कोई सीमाएँ नहीं लगाता है कि आप उसके साथ प्रार्थना में कितनी देर बात कर सकते हैं—और वह वास्तव में सुनता है। (भजन ६५:२; १ थिस्सलुनीकियों ५:१७) यीशु ने नियमित रूप से और भावप्रवण प्रार्थना की। दरअसल, अपने १२ प्रेरितों को चुनने से पहले उसने एक पूरी रात प्रार्थना में बितायी।—लूका ६:१२-१६; इब्रानियों ५:७.
समय-समय पर, हम में से हरेक व्यक्ति यहोवा के साथ अकेले होने में समर्थ हो सकता है। एक खिड़की के पास चुपचाप बैठना या एक शान्तिपूर्ण सैर पर जाना, प्रार्थना में यहोवा के सामने अपने हृदय को खोलने का एक अच्छा अवसर प्रदान कर सकता है। ऐसा करना अत्यधिक राहत और सांत्वना का स्रोत हो सकता है। मनन करते समय अगर हमारे पास देखने के लिए यहोवा की सृष्टि का कोई पहलू है—चाहे एक छोटा-सा आकाश, कुछ पेड़ या पंछी—तो हम उनमें अपने लिए यहोवा के प्रेम और उसकी चिन्ता के कुछ सांत्वनादायक अनुस्मारक पा सकते हैं।—रोमियों १:२०.
परमेश्वर के वचन के एक व्यक्तिगत अध्ययन द्वारा
लेकिन, यह बाइबल के व्यक्तिगत अध्ययन के द्वारा है कि यहोवा के गुण वास्तव में हमारे लिए स्पष्ट होते हैं। बाइबल बारंबार प्रकट करती है कि यहोवा “ईश्वर दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करुणामय” है। (निर्गमन ३४:६; नहेमायाह ९:१७; भजन ८६:१५) अपने पार्थिव सेवकों को सांत्वना देने की इच्छा, यहोवा के व्यक्तित्व का अभिन्न अंग है।
उदाहरण के लिए, यशायाह ६६:१३ में यहोवा के शब्दों पर ग़ौर कीजिए: “जिस प्रकार माता अपने पुत्र को शान्ति [“सांत्वना,” NW] देती है, वैसे ही मैं भी तुम्हें शान्ति [“सांत्वना,” NW] दूंगा।” यहोवा ने अपने बच्चों के लिए एक माता के प्रेम को आत्म-बलिदानी और निष्ठावान होने के लिए बनाया। अगर आपने कभी एक प्रेमी माँ को अपने घायल बच्चे को सांत्वना देते हुए देखा है, तो आप जानते हैं कि यहोवा का क्या अर्थ है जब वह कहता है कि वह अपने लोगों को सांत्वना देगा।
अनेक बाइबल वृत्तान्त ऐसी सांत्वना को कार्यों में दिखाते हैं। जब भविष्यवक्ता एलिय्याह को दुष्ट रानी इज़ेबेल ने मौत की धमकी दी, तो उसका हियाव टूट गया और वह अपनी जान बचाने के लिए भागा। वह इतना उदास था कि उसने वीराने में एक संपूर्ण दिन पैदल यात्रा की, और प्रत्यक्षतः अपने साथ पानी या कोई भोजन-सामग्री नहीं ली। व्यथित होकर एलिय्याह ने यहोवा से कहा कि वह मरना चाहता है। (१ राजा १९:१-४) यहोवा ने अपने भविष्यवक्ता को सांत्वना और प्रोत्साहन देने के लिए क्या किया?
अकेला, व्यर्थ, और घबराया हुआ महसूस करने के लिए यहोवा ने एलिय्याह को फटकारा नहीं। इसकी विषमता में, भविष्यवक्ता ने “एक दबा हुआ धीमा शब्द” सुना। (१ राजा १९:१२) अगर आप १ राजा अध्याय १९ पढ़ेंगे, तो आप देखेंगे कि कैसे यहोवा ने एलिय्याह को सांत्वना दी, उसे शान्त किया, और उसका विश्वास बढ़ाया। यह सांत्वना सतही नहीं थी। यह सीधे एलिय्याह के अशान्त हृदय तक पहुँची, और इसने आगे बढ़ने के लिए भविष्यवक्ता को प्रोत्साहित किया। (यशायाह ४०:१, २ से तुलना कीजिए।) जल्द ही वह अपने काम पर लग गया।
उसी तरह यीशु मसीह अपने निष्ठावान अनुयायियों को सांत्वना और प्रोत्साहन देता है। दरअसल, यशायाह ने मसीहा के बारे में भविष्यवाणी की: “यहोवा ने . . . मुझे इसलिये भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूं; . . . सब विलाप करनेवालों को शान्ति [“सांत्वना,” NW] दूं।” (यशायाह ६१:१-३) अपने जीवन-काल के दौरान, यीशु ने कोई शक की गुंजाइश नहीं छोड़ी कि ये शब्द उसपर लागू होते थे। (लूका ४:१७-२१) अगर आप सांत्वना की ज़रूरत महसूस करते हैं, तो उन लोगों के साथ यीशु के कोमल, प्रेमपूर्ण व्यवहार पर मनन कीजिए जिन्हें ठेस पहुँची थी और जो ज़रूरतमंद थे। वाक़ई, बाइबल का एक ध्यानपूर्ण अध्ययन सांत्वना और प्रोत्साहन का बड़ा स्रोत है।
कलीसिया के द्वारा
मसीही कलीसिया में, सांत्वना और प्रोत्साहन के रत्न अपने अनेक पहलुओं में चमकते हैं। प्रेरित पौलुस यह लिखने के लिए उत्प्रेरित हुआ था: “एक दूसरे को शान्ति [“सांत्वना,” NW] दो, और एक दूसरे की उन्नति के कारण बनो।” (१ थिस्सलुनीकियों ५:११) कलीसिया सभाओं में सांत्वना और प्रोत्साहन कैसे पाया जा सकता है?
निःसंदेह, हम मसीही सभाओं में मूलतः “परमेश्वर की ओर से सिखाए” जाने के लिए, उसके तथा उसके मार्गों के बारे में निर्देश पाने के लिए उपस्थित होते हैं। (यूहन्ना ६:४५) ऐसे निर्देशन को प्रोत्साहक और सांत्वनादायक होना है। प्रेरितों १५:३२ में हम पढ़ते हैं: “यहूदा और सीलास ने . . . बहुत बातों से भाइयों को उपदेश देकर स्थिर [“प्रोत्साहित,” NW] किया।”
क्या आपको कभी अनुभव हुआ है कि आप एक मसीही सभा में जाते समय उदास थे और घर लौटते समय आपने काफ़ी बेहतर महसूस किया? शायद एक भाषण, टिप्पणी, या प्रार्थना में कही गयी किसी बात ने आपके हृदय को छू लिया और ज़रूरी सांत्वना और प्रोत्साहन प्रदान किया। सो मसीही सभाओं से दूर मत रहिए।—इब्रानियों १०:२४, २५.
सेवकाई में और अन्य अवसरों पर अपने भाई-बहनों के साथ संगति करने का समान प्रभाव हो सकता है। इब्रानी में अनेक क्रियाएँ जिनका अर्थ है “एक साथ बान्धना,” “शक्ति” या “शक्ति देना” के लिए भी सूचित होने लगीं—इसका स्पष्ट अर्थ यह था कि वस्तुएँ अधिक शक्तिशाली हो जाती हैं जब उन्हें एकसाथ बान्धा जाता है। यही सिद्धान्त कलीसिया में सच है। हम एकसाथ संगति करने से सांत्वना पाते, प्रोत्साहित होते, जी हाँ, शक्ति प्राप्त करते हैं। और हम प्रेम से एकसाथ बन्धते हैं, जो बन्धनों में सबसे मज़बूत है।—कुलुस्सियों ३:१४.
कभी-कभी यह हमारे आध्यात्मिक भाइयों या बहनों की वफ़ादारी होती है जो हमें प्रोत्साहित करती है। (१ थिस्सलुनीकियों ३:७, ८) कभी-कभी यह प्यार होता है जो वे दिखाते हैं। (फिलेमोन ७) और कभी-कभी यह दूसरों के साथ परमेश्वर के राज्य के बारे में बात करते समय, कंधे से कंधा मिलाकर सिर्फ़ एकसाथ काम करना। जब सेवकाई की बात आती है, तब अगर आप कमज़ोर और प्रोत्साहन की ज़रूरत महसूस करते हैं तो क्यों न एक वृद्ध या अधिक अनुभवी राज्य प्रकाशक के साथ कार्य करने के लिए प्रबन्ध करें? ऐसा करने में सम्भवतः आप बहुत सांत्वना पाएँगे।—सभोपदेशक ४:९-१२; फिलिप्पियों १:२७.
“विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के द्वारा
हमारी उपासना के सांत्वनादायक पहलुओं को कौन आयोजित करता है? यीशु ने “समय पर” आध्यात्मिक “भोजन” देने के लिए एक वर्ग नियुक्त किया जिसे उसने “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” नाम दिया। (मत्ती २४:४५) सामान्य युग पहली शताब्दी में आत्मा-अभिषिक्त मसीहियों का यह निकाय पहले से कार्य कर रहा था। यरूशलेम में प्राचीनों के शासी निकाय ने कलीसियाओं को निर्देश और मार्गदर्शन की पत्रियाँ लिखीं। इसका परिणाम क्या हुआ? बाइबल अभिलिखित करती है कि कैसे कलीसियाओं ने एक ऐसी पत्री के प्रति प्रतिक्रिया दिखायी: “वे पत्र पढ़ चुके तो उस से प्रोत्साहन पाकर अति आनन्दित हुए।”—प्रेरितों १५:२३-३१, NHT.
उसी तरह, इन कठिन अंतिम दिनों में, विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास वह आध्यात्मिक भोजन प्रदान कर रहा है जो यहोवा के लोगों को बहुत सांत्वना और प्रोत्साहन देता है। क्या आप वह भोजन खाते हैं? यह उस छपे हुए साहित्य में आसानी से उपलब्ध है जो दास वर्ग संसार-भर में उपलब्ध कराता है। प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ और साथ ही उन पुस्तकों, ब्रोशरों और ट्रैक्टों ने, जो वॉच टावर संस्था प्रकाशित करती है, अनगिनत पाठकों को सांत्वना दी है।
एक सफ़री ओवरसियर ने लिखा: “हमारे अधिकांश भाई-बहन सही कार्य करना चाहते हैं, परन्तु वे प्रायः मायूसी, डर, और इस भावना से संघर्ष करते हैं कि वे स्वयं अपनी मदद करने में शक्तिहीन हैं। हमारी पत्रिकाओं के लेख अनेक लोगों को अपनी ज़िन्दगी और भावनाओं पर फिर से क़ाबू पाने के लिए मदद कर रहे हैं। ये लेख प्राचीनों को भी सतही प्रोत्साहन से बढ़कर कुछ और पेश करने के लिए विषय प्रदान करते हैं।”
विश्वासयोग्य दास वर्ग के साहित्य का पूरा-पूरा लाभ उठाइए। समयोचित पत्रिकाएँ, पुस्तकें, और अन्य प्रकाशन हमें तब सांत्वना पाने में मदद कर सकते हैं जब समय कठिन होते हैं। दूसरी ओर, अगर आप एक हताश व्यक्ति को प्रोत्साहन देने की अवस्था में हैं, तो इन पत्रिकाओं की शास्त्रीय जानकारी का प्रयोग कीजिए। लेखों को बहुत सावधानीपूर्वक लिखा जाता है, प्रायः कई सप्ताहों या महीनों के परिश्रमी अनुसंधान, अध्ययन, और प्रार्थना के पश्चात्। यह सलाह बाइबल-आधारित, परखी हुई और सत्य होती है। कुछ लोगों ने ऐसे व्यक्ति के साथ एकाध उपयुक्त लेख को पढ़ना बहुत ही सहायक पाया है जो हताश है। इसके परिणामस्वरूप बहुत सांत्वना और प्रोत्साहन मिल सकता है।
अगर आपको बहुमूल्य रत्न मिले, तो क्या आप उन्हें अपने पास छिपाकर रखेंगे, या क्या आप उसमें से कुछ धन को दूसरों के साथ उदारतापूर्वक बाँटेंगे? कलीसिया में अपने भाई-बहनों के लिए सांत्वना और प्रोत्साहन का एक स्रोत होने का लक्ष्य बनाइए। अगर आप बिगाड़ने के बजाय बनाते हैं, आलोचना के बजाय सराहना करते हैं, अगर आप ‘उतावली में तलवार की नाईं छेदने’ के बजाय, “सीखनेवालों की जीभ” से बोलते हैं, तो दूसरों के जीवन पर आपका प्रभाव पड़ता है। (यशायाह ५०:४; नीतिवचन १२:१८, NW) वाक़ई, संभवतः स्वयं आपको भी एक रत्न समझा जाए—असली सांत्वना और प्रोत्साहन का एक स्रोत!
[पेज 20 पर तसवीरें]
ज़रूरतमंद लोगों के लिए सांत्वना
अनेक लोगों ने टिप्पणी की है कि कैसे कुछ प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! लेखों ने यहोवा के साथ उनके व्यक्तिगत सम्बन्ध को गहरा किया है। एक व्यक्ति ने कहा: “इस लेख को पढ़ने के बाद, मुझे महसूस हुआ कि यहोवा अपनी सारी सामर्थ और वैभव के साथ यहाँ बिलकुल मेरे पास था। मुझे महसूस हुआ कि वह एक वास्तविक व्यक्ति है।” एक और पत्र ने कहा: “यहोवा के बारे में हमारे दृष्टिकोण में हमारे दिल और दिमाग़ इतने उल्लेखनीय रूप से बदल गए हैं कि हम पहले जैसे व्यक्ति नहीं रहे। यह ऐसा है मानो किसी ने हमारे चश्मे साफ़ किए हों, और अब हम सब कुछ बहुत स्पष्टता से देख सकते हैं।”
कुछ लोग यह कहने के लिए लिखते हैं कि कैसे पत्रिकाओं ने उन्हें विशिष्ट समस्याओं या चुनौतियों से निपटने में मदद की, और इस प्रकार उनमें यहोवा की व्यक्तिगत दिलचस्पी के बारे में उन्हें आश्वस्त किया। एक पाठक ने उसे इस प्रकार कहा: “हमें फिर एक बार यह दिखाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद कि यहोवा अपने लोगों की कितनी चिन्ता करता है और उनसे कितना प्रेम करता है।” जापान की एक स्त्री ने, जिसने अपने एक बच्चे को मृत्यु में खोया था, इस विषय पर सजग होइए! लेखों के बारे में कहा: “परमेश्वर की दया की गहराई इन पन्नों से उमड़ पड़ी, और मैं जी भरकर रोयी। मैंने इन लेखों को ऐसी जगह रखा है कि जब भी मैं दुःखी और अकेली महसूस करती हूँ तो मैं उन्हें फ़ौरन पढ़ सकती हूँ।” शोक करनेवाली एक अन्य स्त्री ने लिखा: “प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! के लेख तथा ‘जब आपका कोई प्रिय जन मर जाता है’ ब्रोशर ने मुझे वह शक्ति दी है जिसकी मुझे अपने दुःख के समयों में धीरज धरने के लिए ज़रूरत थी।”
पवित्र शास्त्र सांत्वना का प्रमुख स्रोत है। (रोमियों १५:४) प्रहरीदुर्ग बाइबल को मान्य-ग्रंथ मानकर उससे मिली रहती है, और वैसे ही उसकी सहयोगी पत्रिका, सजग होइए! भी। इस कारण, ये पत्रिकाएँ अपने पाठकों के लिए सांत्वनादायक और प्रोत्साहक साबित हुई हैं।
[पेज 23 पर तसवीरें]
सब प्रकार की सांत्वना का परमेश्वर प्रार्थनाओं का सुननेवाला भी है