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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
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पाठकों के प्रश्‍न

इफिसियों ३:१४, १५ कहता है कि परमेश्‍वर से “स्वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है।” क्या स्वर्ग में परिवार हैं, और क्या किसी रीति से हर मानव परिवार को अपना नाम यहोवा से मिलता है?

स्वर्ग में ऐसे कोई परिवार नहीं हैं जैसे पृथ्वी पर हैं, जिसमें एक पिता, एक माता, और बच्चे होते हैं—सभी का एक दूसरे से खून का रिश्‍ता होता है। (लूका २४:३९; १ कुरिन्थियों १५:५०) यीशु ने स्पष्ट रूप से सूचित किया कि स्वर्गदूत विवाह नहीं करते, और कोई भी बात यह नहीं सुझाती कि वे किसी भी तरह संतान उत्पन्‍न करते हैं।—मत्ती २२:३०.

लेकिन, लाक्षणिक रूप से बाइबल कहती है कि यहोवा परमेश्‍वर अपने स्वर्गीय संगठन से विवाहित है; वह एक आत्मिक अर्थ में विवाहित है। (यशायाह ५४:५) वह स्वर्गीय संगठन संतान उत्पन्‍न करता है, जैसे कि स्वर्गदूत। (अय्यूब १:६; २:१; ३८:४-७) तो इस अर्थ में, स्वर्ग में एक आश्‍चर्यजनक आत्मिक परिवार है।

इसके अलावा, स्वर्ग में एक नया लाक्षणिक परिवार बन रहा है, जिसमें यीशु मसीह और १,४४,००० जनों की उसकी कलीसियाई दुल्हन है। (२ कुरिन्थियों ११:२) स्वर्गीय जीवन की आशा में, इनमें से अधिकांश अभिषिक्‍त जन मर चुके हैं। कुछ जन अभी-भी पृथ्वी पर जीवित हैं। सभी उत्सुकता से स्वर्गीय ‘मेम्ने के ब्याह’ की आस देखते हैं। बाइबल उस विवाह का सम्बन्ध आनेवाले बड़े क्लेश के समय के साथ जोड़ती है—बड़े बाबुल का विनाश, और फिर शैतान की बाक़ी की व्यवस्था का उन्मूलन।—प्रकाशितवाक्य १८:२-५; १९:२, ७, ११-२१; मत्ती २४:२१.

पार्थिव परिवारों के सम्बन्ध में, इफिसियों ३:१५ में प्रेरित पौलुस यह नहीं सूचित कर रहा है कि हर व्यक्‍तिगत पारिवारिक समूह अपना नाम सीधे यहोवा से पाता है। इसके बजाय, प्रत्यक्षतः पौलुस के मन में विस्तृत वंशावलियाँ हैं जो एक नाम को सुरक्षित रखती हैं। यहोशू ७:१६-१९ एक उदाहरण प्रदान करता है। यहोवा वहाँ आकान का पाप उघार रहा था। पहले, दोष यहूदा के गोत्र पर केंद्रित या उस तक सीमित किया गया। फिर उसे संकेंद्रित करते हुए जेरहवंशियों के परिवार तक लाया गया। अंततः, आकान का घराना प्रकाश में लाया गया। आकान को उसके बीवी-बच्चों सहित आकान के दादा, जब्दी के घराने (या, परिवार) का भाग समझा गया, अथवा वैसे पुकारा गया। क्रमशः, यह परिवार वह विस्तृत समूह था जिसने अपने पूर्वज जेरह का नाम सुरक्षित रखा था।

इब्रानियों के बीच, ऐसी पारिवारिक वंशावलियाँ अति महत्त्वपूर्ण थीं, जिनमें से अनेक बाइबल में सूचीबद्ध हैं। जहाँ ज़रूरी हुआ, निःसंतान विधवा भाभी से विवाह, या देवर-अधिकार विवाह के ज़रिए वंशजों का परिवार के नाम को आगे बढ़ाने का प्रबन्ध करने के द्वारा परमेश्‍वर ने उनके संरक्षण का समर्थन किया।—उत्पत्ति ३८:८, ९; व्यवस्थाविवरण २५:५, ६.

ऐसे अधिक बड़े या विस्तृत परिवारों के एक और उदाहरण के रूप में, दाऊद के पुत्र के रूप में यीशु पर विचार कीजिए। वह स्पष्टतः राजा दाऊद की अपनी संतान नहीं था, वह दाऊद की मृत्यु के सदियों बाद तक नहीं जन्मा। फिर भी, मसीहा का एक पहचान चिन्ह यह था कि वह दाऊद के परिवार से होता, जैसा यहूदी सामान्यतः जानते थे। (मत्ती २२:४२) यीशु अपनी माता और अपने दत्तकी पिता दोनों की ओर से दाऊद के वंश का था।—मत्ती १:१; लूका २:४.

लेकिन ऐसे परिवारों को अपना नाम यहोवा से कैसे मिलता है? सच्चाई यह है कि कुछ अवसर थे—जैसे इब्राहीम और इसहाक के मामले में—जब यहोवा ने शब्दशः एक पारिवारिक मुखिया का नाम रखा। (उत्पत्ति १७:५, १९) वे अपवाद थे। सामान्यतः, यहोवा हर व्यक्‍तिगत परिवार का नाम नहीं रखता जिसे वे बच्चों को आगे देते हैं।

लेकिन, यहोवा ने मानव पारिवारिक इकाई का आरम्भ अवश्‍य किया जब उसने आदम और हव्वा को आज्ञा दी कि “फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ।” (उत्पत्ति १:२८) और यहोवा ने अपरिपूर्ण आदम और हव्वा को संतान उत्पन्‍न करने की अनुमति दी, इस प्रकार सभी मानव परिवारों के लिए बुनियादी कार्य किया। (उत्पत्ति ५:३) सो अनेक अर्थ में, परमेश्‍वर पारिवारिक नामों का आरम्भक कहा जा सकता है।

अनेक संस्कृतियों में आज यह ज़रूरत नहीं समझी जाती कि पीढ़ियों तक पारिवारिक नाम को जीवित रखना चाहिए। फिर भी, सभी देशों में मसीही लोग पारिवारिक प्रबन्ध के लिए यहोवा का धन्यवाद करते हैं और अपनी व्यक्‍तिगत पारिवारिक इकाई को सफल बनाने के लिए मेहनत करने के द्वारा उसको सम्मान देते हैं।

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