पृथ्वी की छोर तक साक्षी
इटाह
टूली
गोटहॉवन
गोटहोब
जूलियनेहॉब
एंग्मैगस्सलिक
टूली उस नाम का अंश है जो प्राचीन समयों से एक अन्तिम लक्ष्य, चाहे भौगोलिक या अन्यथा, का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आज टूली, दुनिया के सबसे बड़े द्वीप, ग्रीनलैंड के सुदूर उत्तर के एक छोटे-से गाँव का नाम है। इस गाँव को १९१० में इस प्रकार नाम दिया गया, जब डैनिश अन्वेषक नूट रॉसमुस्सन ने इसे ध्रुवीय खोजयात्राओं के लिए चौकी के तौर पर इस्तेमाल किया। अब भी, टूली जाना सुखद सैर से ज़्यादा एक खोजयात्रा है।
फिर भी, टूली में खोजयात्राओं की अत्यावश्यक ज़रूरत है। यीशु के आदेश: ‘तुम पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होओ,’ की अनुक्रिया में, यहोवा के साक्षी इस जगह तक, जो पृथ्वी के सुदूर उत्तरी स्थायी मानव निवासों में से एक है, परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार लाने को उत्सुक हैं।—प्रेरितों १:८; मत्ती २४:१४.
‘हम टूली कब जा सकते हैं?’
१९५५ में दो डैनिश साक्षी जो “पृथ्वी की छोर तक” प्रचार करने में हिस्सा लेना चाहते थे ग्रीनलैंड पहुँचे। अन्य लोग बाद में आए, और रत्नता-रत्नता उनके प्रचार कार्य से मॆलविल खाड़ी तक दक्षिणी और पश्चिमी तट और पूर्वी तट का कुछ भाग पूरा हो गया। लेकिन टूली जैसे ज़्यादा दूर के भागों तक केवल चिट्ठियों या टेलिफ़ोन द्वारा पहुँचा जाता था।
१९९१ में एक दिन, दो पूर्ण-समय सेवक, बो और उसकी पत्नी हॆलॆन, एक ऐसी चट्टान पर खड़े थे जहाँ से नीचे मॆलविल खाड़ी दिखती है। उत्तर की ओर देखते हुए उन्होंने सोचा, ‘टूली को जाकर वहाँ के लोगों तक राज्य सुसमाचार पहुँचाने के लिए हम कब समर्थ होंगे?’
१९९३ में, एक और पूर्ण-समय सेवक, वरनर ने अपनी ५.५ मीटर की द्रुतगामी मोटर-नौका क्वामानॆर्क (हल्का) में मॆलविल खाड़ी पार करने का ख़तरा मोल लिया। वह पहले ही गोटहोब से यूपरनावीक क्षेत्र तक १,२०० किलोमीटर जलयात्रा कर चुका था। फिर भी, मॆलविल खाड़ी—४०० किलोमीटर का खुला ध्रुवीय सागर—पार करना कुछ और ही बात है। साल का अधिकांश समय, खाड़ी बर्फ़ से भरी रहती है। खाड़ी को पार करने में वरनर क़ामयाब हुआ, हालाँकि उसे बर्फ़ के कारण एक इंजन खोना पड़ा। और वापस आने से पहले वह कुछ प्रचार कार्य करने में समर्थ हुआ।
टूली जाना
उस यात्रा के बाद, वरनर नयी योजनाएँ बनाने लगा। उसने ऑर्ना और कॉरीन से—जिनके पास भी एक सात-मीटरवाली नाव थी जिसमें चार शायिकाएँ और सबसे बढ़कर, आधुनिक नौ-संचालनीय उपकरण थे—टूली तक संयुक्त यात्रा करने के बारे में बातें की। नाव आवास का प्रबन्ध करतीं, और दो नावों के साथ-साथ यात्रा करने से, मॆलविल खाड़ी को पार करना कम जोखिम-भरा होता। इसके ६०० निवासियों वाले मुख्य नगर और क्षेत्र के छः गाँवों में साक्षी देने के लिए उन्हें और मदद की ज़रूरत थी। सो उन्होंने बो और हॆलॆन तथा योर्न और इंगा—सभी अनुभवी सेवक इस देश में यात्रा करने से वाक़िफ़—को साथ आने के लिए आमंत्रित किया। इस समूह के पाँच लोग ग्रीनलैंडिक भाषा भी बोलते हैं।
उन्होंने बाइबल साहित्य की सप्लाई को आगे भेज दिया। नावों में भी साहित्य, साथ ही साथ खान-पान की आवश्यक सामग्री, इंधन, एक अतिरिक्त इंजन, और एक रबर डिंगी से भरा गया। फिर ५ अगस्त, १९९४ के दिन, कई महीनों की तैयारी के बाद, टीम को इकट्ठा किया गया और दोनों नाव इलुलिस्सॉट के बन्दरगाह में तैयार और माल से लदी खड़ी थीं। उत्तर के लिए यात्रा शुरू हुई। वरनर, बो, और हॆलॆन ने दोनों में से छोटीवाली नाव में यात्रा की। “एकमात्र काम जो आप कर सकते थे वह था कि अपनी शायिका पर बैठना या लेटना और किसी चीज़ को थामे रहना,” बो लिखता है। आइए हम सफ़र के लिए जहाज़ की अभिलेख-पुस्तिका को देखें।
“शान्त सागर दूर-दूर तक फैला हुआ था। शानदार परिदृश्य हमारी नज़रों के सामने खुल रहे थे—झिलमिलाता हुआ सागर, घने कोहरे के क्षेत्र, उजली धूप और नीला गगन, अत्यधिक मन्त्रमुग्ध करनेवाले आकार और अलग-अलग रंगों के हिमशैल, बर्फ़ की तैरती चादर पर धूप सेंकता हुआ एक भूरा वालरस, काली पहाड़ी ढलानों और छोटे मैदानों की तट-रेखा—दृश्य का बदलना अन्तहीन था।
“निश्चय ही, सबसे दिलचस्प भाग था रास्ते पर गाँवों में भेंट करना। पोतघाट पर यह देखने के लिए कि मेहमान कौन हैं और उनका स्वागत करने के लिए हमेशा लोग, साधारणतया बच्चे, रहते। हमने बाइबल साहित्य वितरित किया और लोगों को हमारे संगठन के बारे में वीडियो देखने को दिया। हमारे वहाँ से जाने से पहले अनेक लोग इसे देखने में समर्थ हुए। दक्षिण यूपरनावीक में, हमारे प्रवेश करने से पहले ही कई लोग अपनी नावों में हमारी नावों तक आए। सो एक पूरी शाम के लिए, हमारी नाव में मेहमान थे और हमने अनेक बाइबल सवालों के जवाब दिए।”
अब, सफ़र के पहले ७०० किलोमीटर तय करने के बाद, दोनों नाव मॆलविल खाड़ी पार करने के लिए तैयार थीं।
ख़तरनाक चुनौती
“इसे व्यापक रूप से सफ़र का सबसे ख़तरनाक हिस्सा समझा जाता था। और हमें एक ही बार में पार करना था क्योंकि सविसिविक गाँव तक का रास्ता (जहाँ से क्षेत्र शुरू होता है और जहाँ भिन्न परिस्थितियों में हम पनाह पा सकते थे) अब भी बर्फ़ से भरा हुआ था।
“सो हम निकल पड़े। चूँकि वहाँ बहुत बर्फ़ थी, हम और दूर खुले सागर की ओर गए। ख़ुशी की बात है कि सागर शान्त था। शुरूआत के कई घंटे बिना किसी घटना के बीते—समुद्र में मीलोंमील आगे बढ़ते हुए। शाम तक हमें केप यॉर्क दिखा और हम आहिस्ते-आहिस्ते उत्तर की ओर मुड़े, और ज़मीन के नज़दीक आए। अब फिर से बर्फ़ थी—जितनी दूर तक नज़र जा सकती, उतनी दूर तक पुरानी, सघन, और विघटित होनेवाली बर्फ़ की तैरती चादरें। हम काफ़ी दूर तक बर्फ़ के किनारे-किनारे होकर चले, कभी-कभी संकीर्ण रास्तों के बीच से निकलते हुए। फिर कोहरा था, गाढ़े धूसर-से सूप की तरह जो डूबते सूरज के प्रकाश में अनोखे रूप से खूबसूरत लग रहा था। और लहरें! कोहरा, लहरें, और बर्फ़ सभी एक ही समय पर—इन में से कोई भी एक साधारणतया काफ़ी चुनौतीपूर्ण होता है।”
हमारा स्वागत
“जैसे-जैसे हम पिटुत्निफक के पास पहुँचे, हमने शान्त सागर में प्रवेश किया। सृष्टि ने हमें अभिभूत करनेवाला स्वागत दिया: ऊपर नीले-नीले अम्बर के बीच सूरज; हमारे सामने, ऊँची चट्टानों के बीच समुद्र का लम्बा भाग जो चौड़ा, चमकदार था, और जो बर्फ़ के तैरते पहाड़ों से बिन्दुकित था; और दूर डनडॆस—पुराने टूली—पर चट्टान की विशिष्ट छाया!” आगे उत्तर की ओर लगभग १०० किलोमीटर आगे, यात्री अपनी अन्तिम मंज़िल पर पहुँचे।
अब वे घर-घर प्रचार शुरू करने के लिए लालायित थे। उनमें से दो को उनके पहले घर पर रूखी प्रतिक्रिया मिली। “हमें ऐसे ठुकराया गया जैसे मानो हम डॆनमार्क में थे,” उन्होंने कहा। “लेकिन अधिकांश लोगों ने हमारा हार्दिक स्वागत किया। वे लोग विचारशील और जानकारी-प्राप्त थे। कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने हमारे बारे में सुना था और वे ख़ुश थे कि हम अंततः आए। हम कुछ असाधारण लोगों से मिले, जैसे सील का शिकार करनेवाले लोग जो उत्तर-ध्रुव को खोजयात्राओं पर जा चुके थे, और स्थानीय लोग, जो संतुष्ट तथा किफ़ायती थे और आधुनिक सभ्यता के बारे में उनका दृष्टिकोण कुछ-कुछ संशयवादी था।”
उसके अगले कुछ दिनों में सभी को बढ़िया अनुभव मिले। सभी जगह मूल्यांकन के साथ बाइबल साहित्य प्राप्त किया गया। कई घरों में साक्षियों ने उसी वक़्त बाइबल अध्ययन शुरू किया। इंगा एक ऐसे घर के बारे में वर्णन करती है जहाँ उसने दिलचस्पी पायी: “वह एक साफ़ और आरामदेह एक-कमरेवाला मकान था। लगातार तीन दिनों तक, हमने उस नम्र व्यक्ति से भेंट की जो वहाँ रहता था और वह हमें बहुत प्रिय लगने लगा। वह एक असल सील का शिकारी था और उसके घर के बाहर उसकी डोंगी थी। उसने कई ध्रुवीय रीछ, वालरस, और निश्चय ही सील मार गिराए थे। हमारी आख़री भेंट में, हमने उसके साथ एक प्रार्थना की, और उसकी आँखों से आँसू छलक उठे। अब हमें सब कुछ यहोवा के हाथों छोड़ना होगा और लौटने के लिए समय और अवसर की आशा करनी होगी।”
टूली पर कनाडा के एस्किमो निरन्तर भेंट करते रहते थे। इंगा रिपोर्ट करती है: “हॆलॆन और मैंने कनाडा से आए कई एस्किमो लोगों से मुलाक़ात की। यह दिलचस्पी की बात है कि वे ग्रीनलैंडवासियों के साथ संचार कर सकते हैं; ऐसा लगता है कि ध्रुवीय क्षेत्र के लोग सम्बन्धित भाषाएँ बोलते हैं। हालाँकि कनाडा के एस्किमो लोगों के पास अपनी ख़ुद की लिखित भाषा है, वे ग्रीनलैंडिक भाषा में हमारा साहित्य पढ़ने में समर्थ थे। यह शायद उनके लिए उत्तेजक अवसर खोले।”
नाव से ५० से ६० किलोमीटर दूर के गाँवों की भी भेंट की गयी। “किकिरटैट के गाँव को जाते वक़्त, हम नारवॉलों का शिकार करने के लिए निकले लोगों को पाने की आशा में तट-रेखा के साथ-साथ गए। ठीक जैसे हमने आशा की थी, एक चट्टान के कगार पर हमें एक कैम्प मिला, जो लोम पहने तीन या चार परिवारों से बना था और जिसमें तम्बू और डोंगी थे। हाथ में काँटेदार बर्छी लिए, पुरुष बहुत ही वांछित नारवॉलों की ताक में बारी-बारी से चट्टान पर बैठते थे। कई दिनों तक व्यर्थ इन्तज़ार कर चुके होने के कारण, वे हमें देखकर ज़्यादा प्रसन्न नहीं थे क्योंकि हम शायद व्हेल को डराकर भगा दें! वे पूरी तरह से अपनी ही दुनिया में मशग़ूल लग रहे थे। स्त्रियों ने कुछ साहित्य स्वीकार किया, लेकिन अतिरिक्त वार्तालाप के लिए वह सही वक़्त नहीं था। आख़िरकार हम रात के ११ बजे किकिरटैट पहुँचे और गाँव में हमने अपनी आख़री भेंट सुबह २ बजे ख़त्म की!”
“अंततः हम ग्रीनलैंड के सुदूर उत्तरी गाँव, सियारॉबॉलुक पहुँचे। यह एक अन्यथा बंजर वातावरण में कुछ हरी-हरी घास से ढकी चट्टानों की तलहटी पर रेतीले समुद्र-तट पर स्थित है।” साक्षी अपने प्रचार कार्य में शाब्दिक तौर पर पृथ्वी की छोर तक पहुँच गए हैं, कम-से-कम उत्तरीय दिशा में।
सफ़र समाप्त
साक्षियों ने अपना कार्य समाप्त कर लिया है। उन्होंने घर-घर और तम्बू-तम्बू प्रचार किया है, साहित्य बाँटा है, अभिदान प्राप्त किए हैं, वीडियो दिखाया है, अनेक ग्रीनलैंडवासियों से बातचीत की है, और बाइबल अध्ययन संचालित किए हैं। अब घर जाने का वक़्त आ गया है। “उस शाम मॉरियुसॉर्क गाँव से जाने के लिए जब हम अपनी डिंगी में बैठे, तो कई एक लोग समुद्र-तट पर हमें विदा करने के लिए आए थे, और वे उन पुस्तकों या ब्रोशरों को हिला रहे थे जो उन्होंने प्राप्त किए थे।”
बाद में, तट के एक सुनसान भाग में, साक्षी एक चट्टान से एक व्यक्ति को हाथ हिलाते हुए देखकर चकित हुए—उस अत्यधिक एकान्त जगह से! “निश्चय ही, हम उससे मिलने तट पर गए। ऐसा हुआ कि वह बर्लिन, जर्मनी का एक युवक निकला, जो अपनी डोंगी में तट के साथ-साथ यात्रा कर रहा था और वह एक महीने से यात्रा कर रहा था। जर्मनी में यहोवा के साक्षी उससे नियमित रूप से भेंट करते थे और उसके पास उनकी कई पुस्तकें थी। हमने उसके साथ दो-एक घंटे बिताए, और वह एक ऐसी जगह में साक्षियों से मिलकर सचमुच प्रभावित था।”
सविसिविक गाँव में, जहाँ जाते वक़्त बर्फ़ की वजह से भेंट नहीं दी गयी थी, सफ़री सेवकों को बहुत अच्छा स्वागत मिला। वहाँ के कुछ लोगों ने पिछले साल साहित्य पाया था और उसे पढ़ा था, और वे और आध्यात्मिक भोजन के लिए भूखे थे।
लौटते वक़्त मॆलविल खाड़ी को पार करने में १४ घंटे लगे। “हमने एक सूर्यास्त देखा, जो यहाँ पर कई घंटों का अनुभव होता है, और इसके दरमियान सम्मोहनी रंगों में निरन्तर परिवर्तन होते रहते हैं। इसके तुरन्त बाद होनेवाले सूर्योदय ने भी काफ़ी समय लिया। जबकि पंखे की आकृति में सूर्यास्त के लाल और किरमिजी रंग अब भी उत्तर-पूर्वी आकाश पर फैले हुए थे, सूरज कुछ-कुछ दक्षिण की ओर उदय हुआ। यह ऐसा दृश्य है जिसका पूरी तरह से वर्णन करना—या यहाँ तक कि इसकी तस्वीर खींचना—असंभव है।” दल पूरी रात जगा रहा।
“जैसे-जैसे हम कुलॉरसुऑर्क पहुँचे, हम बहुत थक गए थे। लेकिन हम ख़ुश और संतुष्ट थे। हमने सफलतापूर्वक सफ़र पूरा किया था! शेष यात्रा के समय, हमें तट के साथ-साथ लगे नगरों और गाँवों में काफ़ी दिलचस्पी मिली। यह सवाल अकसर दोहराया गया, ‘आप में से कुछ लोग हमारे साथ क्यों नहीं रह सकते? हम आपको इतनी जल्दी जाते हुए देखकर दुःखी हैं!’”
क्वॉरसुट में एक दोस्ताने परिवार ने पाँच मेहमानों को उनके साथ भोजन करने के लिए आमंत्रित किया। “परिवार चाहता था कि हम उनके साथ रात-भर रहें। लेकिन चूँकि कुछ ४० किलोमीटर दूर में लंगर डालने के लिए बेहतर स्थान थे, हमने इनकार किया और आगे बढ़ चले। बाद में हमने सुना कि जहाँ हम गए थे, वहाँ अगली सुबह एक बड़ा हिमशैल टूटकर गिर गया था, और एक लहर ने १४ छोटी नावों को उलट दिया था!”
आख़िरकार, अपनी टूली खोजयात्रा को समाप्त करने पर समूह इलुलिस्सॉट में वापस आ गया। लगभग उसी समय, दो अन्य प्रकाशक ग्रीनलैंड के पूर्वी तट के पृथक् भागों में गए थे। उन दोनों सफ़र में, प्रकाशकों ने कुल मिलाकर १,२०० पुस्तकें, २,१९९ ब्रोशर, और ४,२२४ पत्रिकाएँ वितरित की थीं, और उन्होंने १५२ अभिदान प्राप्त किए थे। अनेक नयी-नयी दिलचस्पी दिखानेवाले लोगों के साथ अब टेलिफ़ोन और पत्र-व्यवहार द्वारा संपर्क बनाए रखा जाता है।
इसमें सम्मिलित समय, कार्यशक्ति, और पैसे के बावजूद, यहोवा के साक्षी ‘पृथ्वी की छोर तक उसके गवाह होने’ के अपने स्वामी के आदेश को पूरा करने में बड़ा आनन्द पाते हैं।—प्रेरितों १:८.
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ग्रीनलैंड के पूर्वी तट पर
लगभग उसी समय जब प्रकाशकों का वह समूह टूली पहुँचा, एक साक्षी दम्पति, विगो और सोन्या ने एक और क्षेत्र की—ग्रीनलैंड के पूर्वी तट पर इटोकोरतूरमीट (स्कोर्सबायसन्ड)—यात्रा की जहाँ कार्य नहीं किया गया था। वहाँ पहुँचने के लिए उन्हें आइसलैंड तक यात्रा करनी थी, ग्रीनलैंड के तट पर कॉन्सटेबल पॉइन्ट तक वापस एक हवाई-जहाज़ पकड़ना था, और फिर हॆलिकॉप्टर से जाना था।
“यह पहली बार था कि यहोवा के साक्षी यहाँ आए थे,” ये दोनों पायनियर बताते हैं, जिनकी मातृभाषा ग्रीनलैंडिक है। “उनके पृथक् होने के बावजूद, लोग असाधारण रूप से जानकारी-प्राप्त थे। फिर भी, वे नयी-नयी बातों को सीखने में भी ख़ुश थे। प्रतिभाशाली कथा बोलनेवालों के तौर पर, उन्होंने हमें सील के अपने शिकारों और प्रकृति में अन्य अनुभवों के बारे में उत्सुकता से बताया।” उन्होंने प्रचार कार्य के प्रति कैसी अनुक्रिया दिखायी?
“घर-घर प्रचार करते वक़्त हम जे——से मिले, जो एक धर्मप्रचारक है। ‘अपनी भेंटों में मुझे भी शामिल करने के लिए शुक्रिया,’ उसने कहा। हमने उसे अपना साहित्य और उसे कैसे इस्तेमाल करना है यह दिखाया। अगले दिन वह हमारे पास आया और उसने नाम यहोवा के बारे में सीखना चाहा। हमने उसकी ख़ुद की ग्रीनलैंडिक बाइबल में एक फुटनोट में एक व्याख्या दिखायी। जब हम चले गए, तो उसने हमारी भेंट के लिए अपना शुक्रिया व्यक्त करने के वास्ते नुक में हमारे दोस्तों को टेलिफ़ोन किया। हमें इस व्यक्ति की मदद करना जारी रखने की कोशिश करनी चाहिए।
“हम ओ——से भी मिले, एक शिक्षक जो यहोवा के साक्षियों के बारे में जानता है। उसने हमें १४ से १६ वर्षीय बच्चों की अपनी क्लास से बात करने के लिए दो घंटे दिए। सो हमने उन्हें अपना वीडियो दिखाया और उनके सवालों के जवाब दिए। युवाओं के प्रश्न—व्यावहारिक उत्तरa और अन्य पुस्तकें उत्सुकता से और जल्दी स्वीकार की गयीं। हम बाद में उनमें से तीन लड़कियों से मिले। उनके पास ढेर सारे सवाल थे, उनमें से एक विशेषकर दिलचस्पी ले रही थी। उसने पूछा, ‘एक व्यक्ति साक्षी कैसे बनता है? आप लोगों की तरह होना निश्चय ही अच्छा होगा। मेरे पिता भी आपके पक्ष में हैं।’ हमने लिखने का वादा किया।
“एक गाँव में, हम एक और धर्मप्रचारक, एम——से मिले, और हमने एक दिलचस्प चर्चा की। उसने यह निश्चित करने का प्रस्ताव रखा कि शिकार करने के लिए गए हुए लोग, लौटते ही हमारा साहित्य लेंगे। सो उस एकान्त जगह में अब वह हमारा ‘प्रकाशक’ है।”
हालाँकि यह चक्करदार और कठिन यात्रा थी, दोनों पायनियरों ने महसूस किया कि उनके प्रयासों का भरपूर प्रतिफल मिला।
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित