पाठकों के प्रश्न
क्या यीशु अरमगिदोन का समय अब जानता है?
यह विश्वास करना बहुत ही तर्कसंगत लगता है कि वह जानता है।
कुछ लोग शायद सोचें कि यह सवाल उठा ही क्यों। संभवतः यह मत्ती २४:३६ में पायी गयी यीशु की टिप्पणी के कारण उठा हो: “उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता; न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।” वाक्यांश “और न पुत्र” को नोट कीजिए।
यह आयत प्रेरितों के इस सवाल के यीशु के जवाब का भाग है: “ये बातें कब होंगी, और तेरी उपस्थिति का और इस रीति-व्यवस्था की समाप्ति का क्या चिन्ह होगा?” (मत्ती २४:३, NW) उन प्रमाणों के बारे में जिनसे “चिन्ह” बनता है, उसकी वर्तमान की प्रसिद्ध भविष्यवाणी में उसने युद्धों, खाद्य पदार्थों की कमियों, भूकम्पों, सच्चे मसीहियों पर सताहटों, और पृथ्वी पर अन्य बातों के बारे में पूर्वबताया जो उसकी उपस्थिति को सूचित करतीं। इस चिन्ह से उसके अनुयायी समझ सकते कि अन्त निकट था। उसने इसकी निकटता को उस समय के साथ सचित्रित किया जब एक अंजीर के पेड़ पर नए-नए पत्ते आते हैं, जो सूचित करता है कि ग्रीष्मकाल निकट था। उसने आगे कहा: “इसी रीति से जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो, कि वह निकट है, बरन द्वार ही पर है।”—मत्ती २४:३३.
लेकिन यीशु ने यह नहीं बताया कि अन्त ठीक-ठीक कब आएगा। इसके बजाय, उसने वह कहा जिसे हम मत्ती २४:३६ में पढ़ते हैं। वह पवित्र शास्त्र का नया संसार अनुवाद (अंग्रेज़ी) में दी हुई व्याख्या है, और अनेक आधुनिक बाइबलों में हम ऐसी ही व्याख्या पाते हैं। फिर भी, कुछ पुराने भाषान्तरणों में “और न पुत्र” नहीं है।
उदाहरण के लिए, कैथोलिक डुवे वर्शन (अंग्रेज़ी) में यों लिखा है: “परन्तु उस दिन और घड़ी के बारे में कोई नहीं जानता, स्वर्ग के दूत नहीं, परन्तु केवल पिता।” किंग जेम्स् वर्शन (अंग्रेज़ी) में कुछ मिलता-जुलता लिखा है। “और न [या, न ही] पुत्र” को क्यों निकाल दिया गया है जबकि यह मरकुस १३:३२ में पाया जाता है? क्योंकि १७वीं शताब्दी की शुरूआत के समय जब वे दो अनुवाद तैयार किए गए थे, तब जिन हस्तलिपियों से अनुवादक काम कर रहे थे, उनमें यह अभिव्यक्ति नहीं थी। लेकिन, इस दरमियान कई पुरानी यूनानी हस्तलिपियाँ पायी गयी हैं। इनमें, जो मत्ती के मूल पाठ के समय के काफ़ी नज़दीक हैं, मत्ती २४:३६ का “और न पुत्र” है।
दिलचस्पी की बात है कि कैथोलिक जरूसलॆम बाइबल (अंग्रेज़ी) में यह वाक्यांश एक फुटनोट के साथ है, जो कहता है कि लातिन वलगेट ने इस अभिव्यक्ति को “संभवतः धर्मवैज्ञानिक कारणों के लिए” निकाल दिया था। और क्यों नहीं! त्रियेक में विश्वास करनेवाले अनुवादक या प्रतिलिपिक ऐसे एक वाक्यांश को निकाल देने के लिए शायद प्रलोभित हुए होंगे जो सूचित करता है कि यीशु के पास उस ज्ञान की कमी थी जो उसके पिता के पास थी। यीशु कैसे एक अमुक तथ्य को नहीं जानता यदि दोनों वह और उसका पिता एक त्रियेक ईश्वर के भाग थे?
उसी तरह, बी. एम. मॆट्सगर द्वारा लिखी गयी यूनानी नए नियम पर पाठ-सम्बन्धी टिप्पणी (अंग्रेज़ी) कहती है: “शब्द ‘न ही पुत्र’ मत्ती के अधिकांश [हस्तलिपिक] गवाहों में नहीं हैं, जिसमें बाद के बाइज़नटाइन पाठ शामिल है। दूसरी तरफ़, एलेक्ज़ान्ड्रियाई, पश्चिमी, और कैसरियाई प्रकार के पाठों के सर्वोत्तम प्रतिनिधियों में यह वाक्यांश है।” मरकुस १३:३२ “में स्वांगीकरण द्वारा इनके जोड़े जाने कि तुलना में जो सैद्धान्तिक कठिनाई वे प्रस्तुत करते हैं उसका कारण इन शब्दों का निकाला जाना ज़्यादा संभवनीय है।”—तिरछे टाइप हमारे।
प्रारम्भिक हस्तलिपियों के वे ‘सर्वोत्तम प्रतिनिधि’ उस व्याख्या का समर्थन करते हैं जो ज्ञान के सम्बन्ध में एक तर्कसंगत कड़ी प्रस्तुत करते हैं। अन्त की घड़ी के बारे में स्वर्गदूत नहीं जानते थे; ना ही पुत्र; परन्तु केवल पिता। और यह मत्ती २०:२३ में पाए गए यीशु के शब्दों के सामंजस्य में है, जहाँ उसने स्वीकार किया कि उसके पास राज्य में प्रमुख जगह देने के लिए अधिकार नहीं था, लेकिन पिता के पास था।
अतः, ख़ुद यीशु के शब्द दिखाते हैं कि पृथ्वी पर उसे ‘जगत के अन्त’ की तारीख़ पता नहीं थी। तब से क्या उसने इसे जाना है?
प्रकाशितवाक्य ६:२, NW, यीशु का वर्णन एक श्वेत घोड़े पर सवार और “विजय प्राप्त करता हुआ और अपनी विजय पूरी करने” के लिए निकलते हुए के तौर पर करता है। उसके बाद, युद्ध, भुखमरियों, और महामारियों को चित्रित करनेवाले घुड़सवार आते हैं, जैसा हमने १९१४ में शुरू होनेवाले पहले विश्वयुद्ध के समय से अनुभव किया है। यहोवा के साक्षी मानते हैं कि १९१४ में यीशु को परमेश्वर के स्वर्गीय राज्य के राजा के तौर पर सिंहासनारूढ़ किया गया, वह व्यक्ति जो पृथ्वी पर दुष्टता के विरुद्ध होनेवाली लड़ाई में अगुवाई लेनेवाला है। (प्रकाशितवाक्य ६:३-८; १९:११-१६) चूँकि अब यीशु को परमेश्वर के नाम में विजय प्राप्त करनेवाले के तौर पर अधिकृत किया गया है, तो यह तर्कसंगत लगता है कि उसके पिता ने उसे बताया होगा कि कब अन्त आएगा, कब वह “अपनी विजय पूरी” करेगा।
पृथ्वी के हम लोगों को वह तारीख़ नहीं बतायी गयी है, सो यीशु के शब्द अब भी हम पर लागू होते हैं: “देखो, जागते और प्रार्थना करते रहो; क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आएगा। . . . जो मैं तुम से कहता हूं, वही सब से कहता हूं, जागते रहो।”—मरकुस १३:३३-३७.