प्रतिज्ञात देश से व्यावहारिक सबक़
बाइबल अभिलेख का प्रतिज्ञात देश निश्चित ही अनुपम था। इस अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्र में, हमें बड़ी विविधता में भौगोलिक लक्षण मिलते हैं। उत्तर में, बर्फ़ से ढके पहाड़ हैं; दक्षिण में, गर्म प्रदेश हैं। उत्पादक निम्न-भूमि प्रदेश हैं, उजाड़ वीरान क्षेत्र हैं, और बाग़ीचों के लिए और जानवरों को चराने के लिए पहाड़ी क्षेत्र हैं।
ऊँचाई, मौसम, और मिट्टी में विविधता के कारण यहाँ बहुत ही भिन्न-भिन्न प्रकार के पेड़, झाड़ियाँ, और अन्य पौधे होते हैं—इनमें कुछ ऐसे भी हैं जो ठंडे पर्वतीय प्रदेशों में पनपते हैं, अन्य जो उष्ण रेगिस्तान में बढ़ते हैं, और भी अन्य जो जलोढ-मैदान या चट्टानी पठार में फलते-फूलते हैं। एक वनस्पति-वैज्ञानिक का अनुमान है कि इस क्षेत्र में कुछ २,६०० पौधा उपजातियाँ पायी जा सकती हैं! जिन पहले इस्राएलियों ने इस देश की छान-बीन की, उन्होंने इसकी क्षमता का प्रस्तुत प्रमाण देखा। वे एक घाटी से दाखों का एक गुच्छा वापस लाए जो इतना बड़ा था कि उसे एक लाठी पर लटकाकर दो मनुष्यों को उठाना पड़ा! उस घाटी को उचित ही नाम दिया गया था एशकोल, अर्थात् “दाखों का गुच्छा।”a—गिनती १३:२१-२४.
लेकिन आइए अब इस अनुपम भूखंड की कुछ भौगोलिक विशेषताओं को ज़्यादा पास से देखें, ख़ासकर दक्षिणी भाग की।
शिपेलाह
प्रतिज्ञात देश का पश्चिमी किनारा उसका भूमध्य सागर का तट है। शिपेलाह सागर से लगभग ४० किलोमीटर दूर है। शब्द “शिपेलाह” का अर्थ है “निम्न-भूमि प्रदेश,” लेकिन असल में यह एक पहाड़ी क्षेत्र है और इसे निम्न केवल तभी कहा जा सकता है जब इसकी तुलना पूर्व की ओर यहूदा के पहाड़ों से की जाती है।
संलग्न अनुप्रस्थ काट नक़्शे को देखिए और शिपेलाह के चारों ओर के क्षेत्रों के साथ उसके सम्बन्ध पर ध्यान दीजिए। पूर्व की ओर यहूदा के पहाड़ हैं; पश्चिम की ओर, फिलिस्तिया का तटीय मैदान। इस प्रकार, शिपेलाह ने एक अंतर्रोधी क्षेत्र का काम किया, एक ऐसी बाड़ जिसने बाइबल समय में परमेश्वर के लोगों को उनके प्राचीन शत्रुओं से अलग किया। पश्चिम से आक्रमण करनेवाली किसी सेना को शिपेलाह को पार करना होता इससे पहले कि वह इस्राएल की राजधानी, यरूशलेम के विरुद्ध बढ़ती।
एक ऐसी ही घटना सा.यु.पू. नौवीं शताब्दी में हुई। बाइबल बताती है कि अराम के राजा हजाएल ने “गत नगर [संभवतः शिपेलाह की सीमा पर स्थित] पर चढ़ाई की, और उस से लड़ाई करके उसे ले लिया। तब उस ने यरूशलेम पर भी चढ़ाई करने को अपना मुंह किया।” राजा योआश हजाएल को रोकने में सफल हुआ, उसने उसे मंदिर और राजभवन से नाना प्रकार की बहुमूल्य वस्तुएँ घूस देकर मना लिया। फिर भी, यह वृत्तान्त सचित्रित करता है कि शिपेलाह यरूशलेम की सुरक्षा के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण था।—२ राजा १२:१७, १८.
इससे हम एक व्यावहारिक सबक़ सीख सकते हैं। हजाएल यरूशलेम को जीतना चाहता था, लेकिन पहले उसे शिपेलाह को पार करना था। उसी प्रकार, शैतान अर्थात् इब्लीस परमेश्वर के सेवकों को ‘फाड़ खाने की खोज में रहता है,’ लेकिन अकसर उसे पहले एक मज़बूत अंतर्रोधी क्षेत्र को पार करना होता है—बाइबल सिद्धान्तों का उनका पालन, जैसे कि जो बुरी संगति और भौतिकवाद के सम्बन्ध में हैं। (१ पतरस ५:८; १ कुरिन्थियों १५:३३; १ तीमुथियुस ६:१०) बाइबल सिद्धान्तों का समझौता अकसर गंभीर पाप करने की ओर पहला क़दम होता है। सो उस अंतर्रोधी क्षेत्र को सुरक्षित रखिए। आज बाइबल सिद्धान्तों का पालन कीजिए, और कल आप परमेश्वर के नियमों को नहीं तोड़ेंगे।
यहूदा का पहाड़ी प्रदेश
शिपेलाह से और भीतर की ओर यहूदा का पहाड़ी प्रदेश है। यह एक पर्वतीय क्षेत्र है जहाँ अच्छा अनाज, जैतून का तेल और दाखमधु उत्पन्न होता था। अपनी ऊँचाई के कारण, यहूदा एक अत्युत्तम शरण-स्थान भी था। इसलिए, राजा योताम ने वहाँ “गढ़ और गुम्मट” बनाए। संकट के समय में, लोग सुरक्षा के लिए भागकर इनमें जा सकते थे।—२ इतिहास २७:४.
यरूशलेम, जिसे सिय्योन भी कहा जाता था, यहूदा के पहाड़ी प्रदेश का एक प्रमुख भाग था। यरूशलेम सुरक्षित प्रतीत होता था क्योंकि वह तीन ओर से गहरी घाटियों से घिरा हुआ था, और उसकी उत्तरी ओर, प्रथम-शताब्दी इतिहासकार जोसीफ़स के अनुसार, तेहरी दीवार से सुरक्षित थी। लेकिन एक शरण-स्थान को उसकी सुरक्षा बनाए रखने के लिए दीवारों और शस्त्रों से अधिक की ज़रूरत होती है। वहाँ पानी भी होना चाहिए। यह घेराव के समय अत्यावश्यक होता है, क्योंकि पानी के बिना, अन्दर फँसे नागरिक जल्द ही हार मानने के लिए मजबूर हो जाएँगे।
यरूशलेम शिलोम के कुंड से कुछ मात्रा में पानी लेता था। लेकिन, सा.यु.पू. आठवीं शताब्दी में, अश्शूरियों द्वारा घेराव की प्रत्याशा में, राजा हिजकिय्याह ने शिलोम के कुंड को बचाने के लिए एक बाहरी दीवार बनायी, और उसे नगर के अन्दर कर लिया। उसने नगर के बाहर के सोते भी पाट दिए, ताकि घेरा डालनेवाले अश्शूरी अपने लिए पानी न ढूँढ पाएँ। (२ इतिहास ३२:२-५; यशायाह २२:११) उसने इतना ही नहीं किया। हिजकिय्याह ने और भी जल भंडार को सीधे यरूशलेम में पहुँचाने का एक रास्ता ढूँढ निकाला!
जिसे प्राचीन समय की एक महान इंजीनियरी उपलब्धि कहा गया है, हिजकिय्याह ने गीहोन के सोते से लेकर शिलोम के कुंड तक एक सुरंग खोदी।b औसतन १.८ मीटर ऊँची, यह सुरंग ५३३ मीटर लम्बी थी। ज़रा कल्पना कीजिए—चट्टान के बीच में से काटी गयी, लगभग आधा किलोमीटर लम्बी सुरंग! आज, कुछ २,७०० साल बाद, यरूशलेम की यात्रा करनेवाले लोग इंजीनियरी के इस उत्कृष्ट-कार्य के बीच से जा सकते हैं, जिसे सामान्यतः हिजकिय्याह की सुरंग कहा जाता है।—२ राजा २०:२०; २ इतिहास ३२:३०.
यरूशलेम के जल भंडार को सुरक्षित रखने और उसे बढ़ाने के हिजकिय्याह के प्रयास हमें एक व्यावहारिक सबक़ सिखा सकते हैं। ‘जीवन-जल का सोता’ यहोवा है। (यिर्मयाह २:१३, NHT) बाइबल में दिए गए उसके विचार, जीवन-पोषक हैं। इसीलिए व्यक्तिगत बाइबल अध्ययन अत्यावश्यक है। लेकिन अध्ययन के लिए अवसर, और उसके फलस्वरूप प्राप्त ज्ञान, आपके पास यूँ ही नहीं बहकर आएगा। उसके लिए जगह बनाने के लिए, आपको शायद ‘सुरंगें खोदनी’ पड़ें, जैसे कि अपनी व्यस्त दिनचर्या के बीच से। (नीतिवचन २:१-५; इफिसियों ५:१५, १६) एक बार जब आप शुरू कर देते हैं, तो अपनी सारणी से लगे रहिए, और अपने व्यक्तिगत अध्ययन को उच्च प्राथमिकता दीजिए। ध्यान दीजिए कि कोई व्यक्ति या वस्तु आपको इस अनमोल जल भंडार से वंचित न करने पाए।—फिलिप्पियों १:९, १०.
वीरान क्षेत्र
यहूदा के पहाड़ों के पूर्व में यहूदा का वीराना है, जिसे यशीमोन भी कहा जाता है, अर्थात् “रेगिस्तान।” (१ शमूएल २३:१९, NW फुटनोट) खारा सागर के पास, इस उजाड़ क्षेत्र की विशेषता है चट्टानी तंग घाटियाँ और नुकीली खड़ी चट्टानें। मात्र २४ किलोमीटर में कुछ १,२०० मीटर गिरते हुए, यहूदा का वीराना पश्चिम की ओर से वर्षा लानेवाली हवाओं से बचा हुआ है, और इस कारण उसे केवल सीमित मात्रा में वर्षा मिलती है। निःसंदेह यह वही वीराना है जिसमें प्रायश्चित्त के दिन अजाजेल का बकरा छोड़ा जाता था। यह वह स्थान भी है जहाँ दाऊद शाऊल से भागकर गया। यहाँ यीशु ने ४० दिन उपवास किया और उसके बाद इब्लीस ने उसकी परीक्षा ली।—लैव्यव्यवस्था १६:२१, २२; भजन ६३, उपरिलेख; मत्ती ४:१-११.
यहूदा के वीराने के लगभग १६० किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में परान का वीराना है। मिस्र से प्रतिज्ञात देश तक की अपनी ४० साल की यात्रा के दौरान इस्राएल ने यहाँ अनेक पड़ाव डाले। (गिनती ३३:१-४९) मूसा ने “उस बड़े और भयानक जंगल . . . , जहां तेज विषवाले सर्प और बिच्छू हैं, और जलरहित सूखे देश” के बारे में लिखा। (व्यवस्थाविवरण ८:१५) यह एक आश्चर्य है कि लाखों इस्राएली बच सके! फिर भी, यहोवा ने उन्हें संभाला।
ऐसा हो कि यह एक अनुस्मारक का काम दे कि यहोवा हमें भी संभाल सकता है, इस आध्यात्मिक रूप से उजाड़ संसार में भी। जी हाँ, हम भी साँपों और बिच्छुओं के बीच चलते हैं, चाहे वे शायद असल के न हों। हमें शायद उन लोगों से हर दिन संपर्क करना पड़ता हो जिन्हें मुँह से विषैली बोली निकालने में कोई हिचक नहीं होती जो हमारे सोच-विचार को आसानी से दूषित कर सकती है। (इफिसियों ५:३, ४; १ तीमुथियुस ६:२०) जो इन बाधाओं के बावजूद परमेश्वर की सेवा करने का प्रयास करते हैं उनकी सराहना की जानी चाहिए। उनकी वफ़ादारी इस बात का ठोस प्रमाण है कि सचमुच यहोवा उनको संभाल रहा है।
कर्मेल की पहाड़ियाँ
कर्मेल नाम का अर्थ है “बाग़ीचा।” उत्तर की ओर यह उपजाऊ प्रदेश, जिसकी लम्बाई कुछ ५० किलोमीटर है, दाख की बारियों, जैतून के बाग़ों, और फलों के वृक्षों से भरा हुआ है। इस पहाड़ी क्षेत्र के सिरे की छूट अपनी मनोहरता और सुन्दरता में स्मरणीय है। यशायाह ३५:२ इस्राएल की पुनःस्थापित भूमि की फलदायी शोभा के प्रतीक के रूप में ‘कर्मेल के तेज’ के बारे में बताता है।
कर्मेल में कई उल्लेखनीय घटनाएँ हुईं। यहीं एलिय्याह ने बाल के नबियों को चुनौती दी और यहोवा की सर्वोच्चता के प्रमाण में “यहोवा की आग आकाश से प्रकट हुई।” साथ ही, कर्मेल की चोटी से एलिय्याह ने छोटे बादल की ओर ध्यान आकर्षित किया जो भारी वर्षा बन गया, और इस प्रकार चमत्कारिक रूप से इस्राएल का अकाल समाप्त हुआ। (१ राजा १८:१७-४६) एलिय्याह का उत्तराधिकारी, एलीशा कर्मेल पर्वत पर था जब शूनेम की स्त्री अपने मृत बच्चे के लिए उसकी मदद माँगती वहाँ आयी, जिसे बाद में एलीशा ने जिलाया।—२ राजा ४:८, २०, २५-३७.
कर्मेल की ढलानों पर अब भी बाग़ीचे, जैतून के बाग़, और दाखलताएँ हैं। वसन्त में, इन ढलानों पर तरह-तरह के सुंदर फूलों का कालीन बिछ जाता है। “तेरा सिर तुझ पर कर्मेल के समान शोभायमान है,” सुलैमान ने शूलेमी कन्या से कहा। वह संभवतः उसके बालों की सुंदरता की ओर या जिस प्रकार उसका सुडौल सिर उसकी गर्दन से प्रतापी रूप से उठा हुआ था उसकी ओर संकेत कर रहा था।—श्रेष्ठगीत ७:५.
जो तेज कर्मेल की पहाड़ियों की विशेषता था हमें उस आध्यात्मिक सुंदरता की याद दिलाता है जो यहोवा ने अपने उपासकों के आधुनिक-दिन संगठन को दी है। (यशायाह ३५:१, २) यहोवा के साक्षी सचमुच एक आध्यात्मिक परादीस में रहते हैं, और वे राजा दाऊद की भावनाओं से सहमत हैं, जिसने लिखा: “मेरे लिये माप की डोरी मनभावने स्थान में पड़ी, और मेरा भाग मनभावना है।”—भजन १६:५.
यह सच है कि ऐसी कठिन चुनौतियाँ हैं जिनका सामना आज परमेश्वर की आत्मिक जाति को करना पड़ता है, वैसे ही जैसे प्राचीन इस्राएलियों को परमेश्वर के शत्रुओं से सतत विरोध का सामना करना पड़ा। फिर भी, सच्चे मसीही उन आशिषों को कभी नहीं भूलते जो यहोवा ने दी हैं—जिसमें बाइबल सत्य का सदा-बढ़ता प्रकाश, एक विश्वव्यापी भाईचारा, और परादीस पृथ्वी पर अनन्त जीवन पाने का अवसर सम्मिलित है।—नीतिवचन ४:१८; यूहन्ना ३:१६; १३:३५.
“यहोवा की बाटिका . . . के समान”
प्राचीन प्रतिज्ञात देश देखने में सुन्दर था। उचित ही कहा गया है कि वहाँ “दूध और मधु की धारा बहती है।” (उत्पत्ति १३:१०; निर्गमन ३:८) मूसा ने उसे “एक उत्तम देश” कहा “जो जल की नदियों का, और तराइयों और पहाड़ों से निकले हुए गहिरे गहिरे सोतों का देश है। फिर वह गेहूं, जौ, दाखलताओं, अंजीरों, और अनारों का देश है; और तेलवाली जलपाई और मधु का भी देश है। उस देश में अन्न की महंगी न होगी, और न उस में तुझे किसी पदार्थ की घटी होगी; वहां के पत्थर लोहे के हैं, और वहां के पहाड़ों में से तू तांबा खोदकर निकाल सकेगा।”—व्यवस्थाविवरण ८:७-९.
यदि यहोवा अपने प्राचीन लोगों को इतना भरपूर, सुन्दर स्वदेश दे सकता था, तो निश्चित ही वह अपने आधुनिक-दिन वफ़ादार सेवकों को एक ऐसा शानदार परादीस दे सकता है जो पूरी पृथ्वी पर फैला हो—जहाँ पहाड़, घाटियाँ, नदियाँ, और झीलें हों। जी हाँ, प्राचीन प्रतिज्ञात देश अपनी सभी विविधताओं सहित उस आध्यात्मिक परादीस की जिसका आनन्द आज उसके साक्षी ले रहे हैं, और नए संसार के भावी परादीस की मात्र एक पूर्वझलक था। वहाँ भजन ३७:२९ में अभिलिखित प्रतिज्ञा पूरी होगी: “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।” जब यहोवा आज्ञाकारी मानवजाति को वह परादीस घर देगा, तब वे उसके सभी “कमरों” का निरीक्षण करने में आनन्दित होंगे। और वे कितने आनन्दित होंगे कि ऐसा करने के लिए उनके पास अनन्तकाल है!
[फुटनोट]
a इस प्रदेश की दाखों के एक गुच्छे का भार १२ किलोग्राम और दूसरे का २० किलोग्राम से अधिक दर्ज किया गया था।
b गीहोन का सोता यरूशलेम की पूर्वी सीमा के बाहर ही स्थित था। वह एक गुफ़ा में छिपा हुआ था; इसलिए संभवतः अश्शूरी उसके अस्तित्व के बारे में नहीं जानते थे।
[पेज 4 पर नक्शे]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
गलील
गलील सागर
कर्मेल पर्वत
शिपेलाह
सामरिया
यहूदा के पहाड़
खारा सागर
[पेज 4 पर नक्शे]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
शिपेलाह परमेश्वर के लोगों और उनके शत्रुओं के बीच एक बाड़ था
मील ० ५ १०
कि.मी. ० ८ १६
फिलिस्तिया का मैदान
शिपेलाह
यहूदा का पहाड़ी प्रदेश
यहूदा का वीराना
विभ्रंश-घाटी
खारा सागर
अम्मोन और मोआब का देश
[पेज 5 पर नक्शे]
हिजकिय्याह की सुरंग: ५३३ मीटर लम्बी, ठोस चट्टान के बीच से काटी गयी
टाइरोपियन घाटी
शिलोम
दाऊदपुर
किद्रोन घाटी
उ
[पेज 6 पर तसवीरें]
यहूदा के वीराने में, दाऊद ने शाऊल से शरण ली। बाद में यहाँ इब्लीस ने यीशु की परीक्षा ली
[चित्र का श्रेय]
Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.
[पेज 7 पर तसवीरें]
कर्मेल पर्वत, जहाँ एलिय्याह ने बाल के नबियों को नीचा दिखाया
[चित्र का श्रेय]
Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.
[पेज 8 पर तसवीरें]
“तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे एक उत्तम देश में लिये जा रहा है, जो जल की नदियों का, और तराइयों और पहाड़ों से निकले हुए गहिरे गहिरे सोतों का देश है।”—व्यवस्थाविवरण ८:७