“परमेश्वर के पर्वत” के देश में “साक्षी का ढेर”
महाद्वीप के नक़्शे पर, यदि आप पश्चिम अफ्रीका की तटरेखा पर चलते हैं और पूर्व की ओर गिनी की खाड़ी के साथ-साथ बढ़ते हैं, तो उस बिन्दु पर जहाँ तट दक्षिण की ओर मुड़ता है, आपको कैमरून मिलेगा। यदि आप तट पर दक्षिण की ओर बढ़ते जाएँ, तो आप काले रेतीले समुद्र-तटों के एक विशाल विस्तार पर पहुँचेंगे। काली रेत कैमरून पर्वत की ज्वालामुखीय क्रियाओं का परिणाम है।
यह शंकुरूप, ४,०७०-मीटर पर्वत चोटी पूरी तरह से क्षेत्र पर हावी है। जब ढलता सूरज कैमरून पर्वत की ढलानों को प्रकाश से नहलाता है, तब यह चमकीले रंगों का एक प्रभावशाली प्रदर्शन करता है—बैंगनी, नारंगी, सुनहरा, और किरमिजी। समुद्र और पास के दलदल इन सभी आभाओं को आईने की तरह प्रतिबिम्बित करते हैं, और आकाश और पृथ्वी के बीच भेद करना लगभग असंभव बना देते हैं। यह समझना आसान है कि क्यों इस क्षेत्र की जीववादी जनजातियों ने इस पहाड़ को मॉन्गो मा लोबा नाम दिया है, जिसका अनुवाद है “ईश्वरों का रथ,” या अधिक सामान्य रूप से, “परमेश्वर का पर्वत।”
और दक्षिण की ओर, कई किलोमीटर तक सफ़ेद रेतीले समुद्र-तट हैं, जिनके किनारों पर नारियल के पेड़ लगे हुए हैं। रमणीय तटरेखा को छोड़कर, देश का काफ़ी हिस्सा घने भूमध्यवर्तीय जंगल से ढका हुआ है, जो कॉन्गो और केंद्रीय अफ्रीकी गणराज्य की सीमा तक और उत्तर में नाइजीरिया और उप-सहारा चाड तक फैला हुआ है। देश का पश्चिमी भाग पर्वतीय है, और यात्री को यूरोप के कुछ भागों की याद दिलाता है। लेकिन, गर्म मौसम आपको यह नहीं भूलने देगा कि आप भूमध्यरेखा से चार क़दम पर हैं। इसके ग्रामीण क्षेत्रों की विविधता के कारण अनेक पर्यटक मार्गदर्शक कैमरून का वर्णन लघुरूप में अफ्रीका की एक प्रतिकृति के रूप में करते हैं। इस प्रभाव को भिन्न नृजातीय समूह और २२० से अधिक मान्यता-प्राप्त भाषाएँ और बोलियाँ पक्का कर देती हैं।
यदि आप कैमरून जाएँ, तो आप शायद डुआला के बन्दरगाह, या राजधानी, याउन्डी के किसी बड़े होटल में रहें। लेकिन आप लोगों के जीवन के बारे में कुछ जानने के अवसर से चूक सकते हैं, ख़ासकर २४,००० से अधिक यहोवा के साक्षियों के बारे में, जो “परमेश्वर के पर्वत” के इस पूरे देश में “साक्षी का ढेर” खड़ा करने में व्यस्त रहे हैं।a क्यों न उनमें से कुछ लोगों से मिलने के लिए देश-भर की यात्रा करें? इस पश्चिम अफ्रीकी देश की आपकी खोज का निश्चित ही भरपूर प्रतिफल मिलेगा।
डोंगी, बुश टैक्सी, या साइकिल से?
जहाँ कैमरून की सबसे लम्बी नदी, सॉनागा, महासागर पर पहुँचती है, वह एक बड़ा डेल्टा बनाती है। इस विशाल क्षेत्र के सभी निवासियों तक पहुँचने के लिए, यहोवा के साक्षियों को प्रायः डोंगियों से यात्रा करनी पड़ती है। यही एमबीआको में छोटे-से समूह के नौ राज्य प्रकाशक करते हैं। उनमें से दो २५ किलोमीटर दूर, योयो गाँव में रहते हैं। उन्हें एमबीआको पहुँचने के लिए तेज़ी से चप्पू चलाना पड़ता है, फिर भी वे मसीही सभाओं में हमेशा उपस्थित होते हैं। इस समूह से भेंट करते समय, एक सफ़री ओवरसियर ने सुझाया कि वीडियो यहोवा के साक्षी—नाम के पीछे संगठन (अंग्रेज़ी) दिखाया जाए। लेकिन यह कहना आसान है करना मुश्किल। ऐसे दूरस्थ गाँव में, उसे एक वीडियोकैसेट रिकॉर्डर, एक टेलीविज़न, और उन्हें चलाने के लिए बिजली कहाँ मिलती?
भेंट के सप्ताह के दौरान, कुछ प्रकाशक स्थानीय गिरजे के पादरी के पास गए। वे चकित हो गए कि पादरी ने उनका स्नेही स्वागत किया, और उनकी उसके साथ एक उत्साहपूर्ण बाइबल चर्चा हुई। यह देखकर कि पादरी के पास न केवल एक वी.सी.आर था बल्कि एक बिजली का जनरेटर भी था, भाइयों ने यह पूछने का साहस जुटाया कि क्या वे उसके उपकरण उधार ले सकते हैं। क्योंकि पादरी ने पहले बाइबल चर्चा का आनन्द लिया था, वह मदद करने के लिए तैयार हो गया। शनिवार शाम १०२ लोग वीडियो देखने आए, जिनमें वह पादरी और उसके गिरजे के अधिकतर सदस्य सम्मिलित थे। योयो के दो साक्षी दिलचस्पी दिखानेवाले कई लोगों को दो डोंगियों में लाए। उन्होंने उठती ज्वार के बहाव के विरुद्ध चप्पू चलाना बहुत कठिन काम नहीं समझा। वीडियो देखने के बाद, वे बहुत प्रभावित और प्रोत्साहित हुए, और उन्हें गर्व था कि वे एक इतने महान संगठन का भाग हैं जिसका लक्ष्य है यहोवा को सम्मान देना।
वहाँ जाने के लिए जहाँ डोंगी नहीं पहुँच सकती, व्यक्ति बुश टैक्सी प्रयोग कर सकता है। जिन स्थानों पर ये टैक्सियाँ यात्रियों के लिए खड़ी होती हैं वहाँ हमेशा बहुत चहल-पहल रहती है। ठंडे पानी के विक्रेताओं, केले बेचनेवालों, और क़ुलियों के बीच, पूरी तरह से गड़बड़ा जाना आसान है। क़ुलियों का काम है यात्रियों को खड़ी बुश टैक्सियों में बिठाना, जो सब की सब, उनके अनुसार “जाने को तैयार” खड़ी हैं। लेकिन, “तैयार” को केवल मोटे अर्थ में ही समझा जाना चाहिए। यात्रियों को इंतज़ार करते हुए घंटे, कभी-कभी तो दिन बिताने पड़ते हैं। एक बार जब सारे यात्री अन्दर भर दिए गए हैं और चालक ने छत पर सामान, अनाज की बोरियों, कभी-कभी तो ज़िन्दा मुर्गियों और बकरियों को भी लाद दिया है, तब बुश टैक्सी ऊबड़-खाबड़, धूल-भरी राहों पर चल देती है।
एक सफ़री सेवक ने इस प्रकार के यातायात से परेशान होकर स्वतंत्रता का चुनाव किया। अब वह अपनी सभी यात्राएँ साइकिल से करता है। वह कहता है: “जब से मैं ने एक कलीसिया से दूसरी कलीसिया जाने के लिए साइकिल प्रयोग करने का फ़ैसला किया है, मैं भेंट के लिए हमेशा समय पर पहुँचता हूँ। यह सच है कि यात्रा में कई घंटे लग सकते हैं, लेकिन कम-से-कम मुझे बुश टैक्सियों के इंतज़ार में एक-दो दिन तो नहीं बिताने पड़ते। बरसात के मौसम में, कुछ सड़कें तो बाढ़ के कारण लगभग पूरी तरह से ग़ायब हो जाती हैं। आपको मिट्टी और पानी के इन रास्तों को पार करने के लिए अपने जूते उतारने पड़ते हैं। एक दिन मेरा एक जूता बहते पानी में गिर गया और कई सप्ताह बाद मिला, जब एक साक्षी की बेटी ने मछली पकड़ते समय ग़लती से उसे पकड़ लिया! मैं ख़ुश हूँ कि जूतों की इस जोड़ी को मैं फिर से पहन सकता हूँ, उनमें से एक के मछली के साथ कुछ समय बिता लेने के बाद। समय-समय पर मैं ऐसे क्षेत्रों से गुज़रता हूँ जहाँ यहोवा के साक्षियों ने पहले कभी प्रचार नहीं किया है। गाँववाले हमेशा मुझसे पूछते हैं कि मेरे पास क्या है। सो मैं पत्रिकाओं और ब्रोशरों को सुलभ रखता हूँ। हर बार जब मैं रुकता हूँ, मैं ये बाइबल-आधारित प्रकाशन प्रस्तुत करता हूँ और एक संक्षिप्त साक्षी देता हूँ। मेरा विश्वास है कि यहोवा सत्य के इन बीजों को बढ़ाएगा।”
बहुत भीतरी प्रदेश में
यहोवा के साक्षी कैमरून के अति दूरस्थ क्षेत्रों में, जंगल की गहराइयों में छिपे गाँवों में भी, दूसरों के साथ राज्य सुसमाचार बाँटने का प्रयास करते हैं। यह बहुत मेहनत की माँग करता है, लेकिन परिणाम आनन्ददायी हैं।
एक पूर्ण-समय की सेविका, मारी ने आरलॆट नाम की एक छोटी लड़की के साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया। पहले अध्ययन के समाप्त होने पर मारी ने आरलॆट से कहा कि क्या वह उसके साथ दरवाज़े तक चलेगी, जैसा कि अफ्रीका के इस भाग में सामान्य है। लेकिन, उस छोटी लड़की ने समझाया कि वह बड़ी मुश्किल से चल पाती है क्योंकि उसके पैरों में दर्द है। आरलॆट के पैर एक क़िस्म के पिस्सुओं से संक्रमित थे जिनकी मादा माँस में छेद कर देती है, जिससे फोड़े हो जाते हैं। मारी ने साहसपूर्वक एक-एक करके पिस्सू निकाल दिए। बाद में, उसे यह भी पता चला कि रात में इस छोटी लड़की को पिशाच उत्पीड़ित करते थे। मारी ने धैर्यपूर्वक समझाया कि अपना भरोसा यहोवा पर कैसे रखें, ख़ासकर ज़ोर से उसका नाम लेकर प्रार्थना करने के द्वारा।—नीतिवचन १८:१०.
आरलॆट ने तेज़ प्रगति की। शुरू में उसके परिवार को अध्ययन में कोई बुराई नहीं दिखी क्योंकि वह दोनों शारीरिक और बौद्धिक रूप से उल्लेखनीय प्रगति कर रही थी। लेकिन जब उन्हें बोध हुआ कि वह एक यहोवा की साक्षी बनना चाहती है, तब उन्होंने उसे अपना अध्ययन जारी रखने से रोक दिया। तीन सप्ताह बाद आरलॆट की माँ ने यह देखते हुए कि उसकी बेटी कितनी व्यथित है, मारी से संपर्क किया और उसे फिर से अध्ययन शुरू करने के लिए कहा।
जब एक सर्किट सम्मेलन में उपस्थित होने का समय आया, तब मारी ने एक ड्राइवर को पैसा दिया कि दोनों दिन आरलॆट को वहाँ ले जाए। लेकिन, ड्राइवर ने आरलॆट के घर तक जाने से इनकार कर दिया, इस निर्णय पर पहुँचकर कि उसके घर से सड़क तक का रास्ता अगम्य है। सो किसी तरह मारी उस लड़की को सड़क तक ले आयी। यहोवा ने निश्चित ही इन प्रयासों पर आशिष दी। आज आरलॆट सभी कलीसिया सभाओं में उपस्थित होती है। उसे ऐसा करने में मदद देने के लिए, मारी अथक रूप से उसे लेने आती है। दोनों मिलकर ७५-मिनट का एक-एक तरफ़ का रास्ता चलकर तय करते हैं। क्योंकि रविवार की सभा सुबह ८:३० पर शुरू होती है, मारी को ६:३० पर घर छोड़ना पड़ता है; फिर भी वे समय पर पहुँचने में समर्थ होती हैं। आरलॆट जल्द ही पानी के बपतिस्मे द्वारा अपना समर्पण चिन्हित करने की आशा करती है। मारी कहती है: “जिस किसी ने उसे तब नहीं देखा जब उसने अध्ययन करना शुरू किया था वह कल्पना नहीं कर सकता कि वह कितनी बदल गयी है। जिस तरह यहोवा ने उसे आशिष दी है उसके लिए मैं यहोवा का बहुत धन्यवाद करती हूँ।” मारी निश्चित ही आत्म-त्यागी प्रेम का एक उत्तम उदाहरण है।
दूर उत्तर में
उत्तरी कैमरून विषमताओं और आश्चर्यों से भरा हुआ है। बरसात के मौसम में, यह एक बड़े, हरे-भरे बाग़ में बदल जाता है। लेकिन जब झुलसानेवाले सूरज की बारी आती है, तो घास कुम्हला जाती है। दोपहर में, जब सूरज अपने शिखर पर होता है और छाँव ढूँढना मुश्किल होता है, तो भेड़ें घरों की लाल-मिट्टी की दीवारों के पास सिकुड़ जाती हैं। रेत और सूखी घास के बीच, हरियाली का एकमात्र अवशेष गोरक्षी वृक्ष की कुछ पत्तियाँ होती हैं। जबकि ये भूमध्यीय जंगल में अपने रिश्तेदारों के जितने बड़े नहीं होते, परन्तु उतने ही मज़बूत होते हैं। कठोर वातावरण को झेलने की उनकी क्षमता उन गिने-चुने साक्षियों के जोश और साहस को सुचित्रित करती है जो इस क्षेत्र में रहने को गए हैं ताकि सत्य का प्रकाश चमक सके।
इस क्षेत्र की कुछ कलीसियाओं के बीच का फ़ासला ५०० से ८०० किलोमीटर तक है, और पृथकता की भावना अति वास्तविक है। लेकिन दिलचस्पी बहुत है। अन्य क्षेत्रों के साक्षी मदद करने के लिए यहाँ आकर रहते हैं। सेवकाई में प्रभावकारी होने के लिए, उन्हें एक स्थानीय बोली, फ़ूफ़ूल्डा सीखनी पड़ती है।
गरूआ के एक साक्षी ने लगभग १६० किलोमीटर दूर, अपने मूल गाँव में कुछ दिन प्रचार करने का फ़ैसला किया। उसे कुछ दिलचस्पी मिली, लेकिन महँगे यातायात के कारण वह नियमित रूप से नहीं लौट सका। कुछ सप्ताह बाद, उस साक्षी को दिलचस्पी दिखानेवाले एक व्यक्ति का पत्र मिला जिसने उससे निवेदन किया कि आकर फिर से भेंट करे। अभी-भी किराये के लिए पैसे न होने के कारण वह नहीं जा सका। कल्पना कीजिए कि वह साक्षी कितना चकित हुआ जब वह व्यक्ति गरूआ में उसके घर उसे यह बताने आया कि गाँव में दस लोग उसकी भेंट की प्रतीक्षा कर रहे हैं!
एक और गाँव में, चाड की सीमा के पास, दिलचस्पी दिखानेवाले ५० लोगों के एक समूह ने स्वयं अपने बाइबल अध्ययन की व्यवस्था की है। उन्होंने प्रबन्ध किया कि उनके तीन सदस्य चाड में सबसे पास की कलीसिया में सभाओं में उपस्थित हों। वापस आने पर, फिर ये लोग पूरे समूह के साथ बाइबल अध्ययन संचालित करते। सचमुच, यीशु के शब्द यहाँ उचित ही लागू हो सकते हैं: “पक्के खेत तो बहुत हैं पर मज़दूर थोड़े हैं। इसलिये खेत के स्वामी से बिनती करो कि वह अपने खेत काटने के लिये मज़दूर भेज दे।”—मत्ती ९:३७, ३८.
शहरों में साक्षी देना
कई साल की कमी के बाद, लगभग दो साल पहले, प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ कैमरून में खुलकर उपलब्ध हो गयीं। इन पत्रिकाओं के लिए काफ़ी उत्साह और दिलचस्पी है क्योंकि अनेक लोग इन्हें पहली बार पढ़ रहे हैं। एक शहर में नियुक्त एक युवा ख़ास पायनियर दम्पति ने अपने नए क्षेत्र में अपने प्रचार की पहली सुबह ८६ पत्रिकाएँ वितरित कीं। कुछ प्रकाशक एक महीने में २५० पत्रिकाएँ तक वितरित करते हैं! उनकी सफलता का रहस्य क्या है? हर व्यक्ति को पत्रिकाएँ प्रस्तुत कीजिए।
एक साक्षी जो जनता के लिए खुले एक दत्नतर में कार्य करता है हमेशा सामने पत्रिकाएँ रख देता है। एक स्त्री ने पत्रिकाओं को देखा लेकिन कोई ली नहीं। साक्षी ने उसकी दिलचस्पी को भाँपा और उसे एक पत्रिका प्रस्तुत की, जो उसने स्वीकार कर ली। वह उसे अगले दिन वापस आते देखकर चकित हो गया। वह न केवल उस पत्रिका के लिए चंदा देना चाहती थी जो उसने ली थी बल्कि उसने और भी माँगीं। क्यों? क्योंकि वह बलात्कार का शिकार रह चुकी थी, इसलिए उसने उस विषय पर पत्रिका चुनी थी। उसने दी गयी सलाह को बार-बार पढ़ते पूरी रात काटी थी। उसने काफ़ी राहत महसूस की, और वह यहोवा के साक्षियों के बारे में अधिक जानना चाहती थी।
छोटे बच्चे भी बाइबल का आशा का संदेश फैलाने में भाग ले सकते हैं। जब एक छः वर्षीय साक्षी लड़की से उसके शिक्षक ने एक कैथोलिक भजन गाने को कहा, तो उसने इनकार कर दिया, और कहा कि वह एक यहोवा की साक्षी है। तब शिक्षक ने उससे उसके धर्म का एक गीत गाने को कहा ताकि वह उस पर उसे अंक दे सके। उसने “परमेश्वर की परादीस की प्रतिज्ञा” शीर्षक का गीत चुना और अपनी याददाश्त से गाया। शिक्षक ने उससे यह कहते हुए प्रश्न किया: “आप अपने गीत में एक परादीस का उल्लेख करती हो। यह परादीस कहाँ है?” उस लड़की ने पृथ्वी पर बहुत जल्द परादीस स्थापित करने का परमेश्वर का उद्देश्य समझाया। उसके उत्तर से चकित होकर, शिक्षक ने उसके माता-पिता से वह पुस्तक माँगी जिसका वह अध्ययन कर रही थी। धर्म-पाठ के दौरान उसे जो सिखाया जा रहा था उसके बजाय वह उसे इस पुस्तक पर अंक देने के लिए तैयार था। माता-पिता ने शिक्षक को सुझाया कि यदि वह उसे सही तरह से अंक देना चाहता है, तो उसे पहले स्वयं अध्ययन करना चाहिए। उसके साथ एक बाइबल अध्ययन शुरू किया गया।
एक यात्रा की योजना बना रहे हैं?
आज संसार के अनेक भागों में, लोग राज्य सुसमाचार के प्रति उदासीन हैं। उन्हें न परमेश्वर में न ही बाइबल में दिलचस्पी है। दूसरे भय से ग्रस्त हैं और दरवाज़े पर आए किसी अजनबी को प्रतिक्रिया दिखाने से इनकार कर देते हैं। यह सब यहोवा के साक्षियों के लिए उनकी सेवकाई में एक बड़ी चुनौती है। लेकिन कैमरून में कितना भिन्न है!
यहाँ दर-दर प्रचार करना आनन्दप्रद है। खटखटाने के बजाय, “कॉन्ग, कॉन्ग, कॉन्ग” पुकारना सामान्य है। फिर अन्दर से एक आवाज़ आती है, “कौन है?” जिसके बाद हम यहोवा के साक्षियों के रूप में अपना परिचय देते हैं। प्रायः, माता-पिता अपने बच्चों से कहते हैं कि बॆंच ले आएँ और उन्हें एक पेड़ की छाँव में रख दें, संभवतः आम के पेड़ के नीचे। तब यह समझाने में कि परमेश्वर का राज्य क्या है और वह मानवजाति की दुःखमय स्थिति को दूर करने के लिए क्या करेगा, एक सुखद समय बीतता है।
एक ऐसी ही चर्चा के बाद, एक महिला ने अपना हृदय उण्डेल दिया। उसने कहा: “मैं यह देखकर व्यथित हूँ कि जिस सत्य को मैं ढूँढती रही हूँ वह उस धर्म में नहीं है जिसमें मैं जन्मी और जिसमें मैं बूढ़ी हुई हूँ। मैं परमेश्वर का धन्यवाद करती हूँ कि उसने मुझे सत्य दिखाया है। मैं अपने गिरजे में एक डीकन थी। कुँवारी मरियम की मूर्ति हर डीकन के घर में एक सप्ताह रहती है ताकि हरेक उससे निवेदन कर सके। जहाँ तक मेरी बात है, मैं ने हमेशा मरियम से माँगा कि सत्य जानने में मेरी मदद करे। अब परमेश्वर ने मुझे दिखा दिया है कि सत्य मरियम के पास नहीं है। मैं यहोवा का धन्यवाद करती हूँ।”
सो यदि किसी दिन आप उस अत्यधिक आनन्द का अनुभव करने की ज़रूरत महसूस करते हैं जो परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार का प्रचार करने से मिल सकता है, तो क्यों न पश्चिम अफ्रीका के इस भाग की यात्रा करें? चाहे डोंगी, बुश टैक्सी, या साइकिल से, “लघुरूप में अफ्रीका” की खोज करने के अलावा, आप उस “साक्षी के ढेर” में भी योग दे रहे होंगे जो “परमेश्वर के पर्वत” के देश में बनाया जा रहा है।
[फुटनोट]
a “साक्षी का ढेर” “गिलियड” अनुवादित इब्रानी शब्द का संभावित अर्थ है। वर्ष १९४३ से, गिलियड नामक वॉचटावर बाइबल स्कूल संसार-भर में प्रचार कार्य खोलने के लिए मिशनरी भेजता रहा है, जिसमें कैमरून सम्मिलित है।