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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
w96 9/1 पेज 30-31

पाठकों के प्रश्‍न

क्या यह एक मसीही के लिए बुद्धिमानी होगी कि किसी मानसिक-स्वास्थ्य चिकित्सक से सलाह ले?

कुछ देशों से मिली रिपोर्टें सूचित करती हैं कि इन “अन्तिम दिनों” में भावात्मक और मानसिक बीमारियों में वृद्धि हुई है। (२ तीमुथियुस ३:१) जब संगी विश्‍वासियों पर प्रभाव होता है तब मसीही बड़ी करुणा महसूस करते हैं, लेकिन वे मानते हैं कि हर व्यक्‍ति को यह फ़ैसला स्वयं करना है कि क्या उसे अपनी बीमारी का इलाज कराना चाहिए, और यदि हाँ, तो किस क़िस्म का इलाज।a “हर एक व्यक्‍ति अपना ही बोझ उठाएगा।” (गलतियों ६:५) विखण्डित मनस्कता, द्विध्रुवी विकार, गहरी नैदानिक हताशा, मनोग्रस्ति-बाध्यकारी विकार, स्व-छिन्‍नभिन्‍नता, और अन्य दुःखद विकारों से बुरी तरह से पीड़ित कुछ व्यक्‍ति सही पेशेवर मदद पाने के बाद काफ़ी सामान्य जीवन बिताने में समर्थ हुए हैं।

कुछ स्थानों में चिकित्सा कराना काफ़ी प्रचलित हो गया है। कई किस्सों में मरीज़ को एक गंभीर मानसिक विकार नहीं है परन्तु जीवन में किसी स्थिति का सामना करने में कठिनाई होती है। लेकिन, वह बाइबल है जो जीवन की कठिन समस्याओं से निपटने के लिए सबसे प्रभावकारी मदद देती है। (भजन ११९:२८, १४३) बाइबल के माध्यम से, यहोवा बुद्धि, सोचने की क्षमता, और सच्चा ज्ञान देता है—ऐसी चीज़ें जो हमें मानसिक और भावात्मक रूप से मज़बूत करती हैं। (नीतिवचन २:१-११; इब्रानियों १३:६) तीव्र आन्तरिक विक्षोभ के कारण परमेश्‍वर के वफ़ादार सेवक कभी-कभार बिना समझे-बूझे कुछ कह सकते हैं। (अय्यूब ६:२, ३) याकूब ५:१३-१६ ऐसे व्यक्‍तियों को प्रोत्साहित करता है कि मदद और सलाह के लिए प्राचीनों के पास जाएँ। एक मसीही शायद आध्यात्मिक रूप से बीमार हो, या वह शायद किसी अपरिवर्तनीय स्थिति के कारण या दमनकारी दबावों के कारण परेशान हो, या हो सकता है कि वह अपने आपको अन्याय का शिकार समझता है। (सभोपदेशक ७:७; यशायाह ३२:२; २ कुरिन्थियों १२:७-१०) ऐसा व्यक्‍ति प्राचीनों से मदद पा सकता है, जो ‘उस पर तेल मलेंगे’—अर्थात्‌, कुशलतापूर्वक सांत्वनादायी बाइबल सलाह देंगे—और “उसके लिये प्रार्थना” भी करेंगे। परिणाम? “विश्‍वास की प्रार्थना के द्वारा रोगी बच जाएगा और प्रभु उस को [उसकी उदासी से या उसकी इस भावना से कि परमेश्‍वर ने उसे त्याग दिया है] उठाकर खड़ा करेगा।”

लेकिन तब क्या, यदि एक व्यक्‍ति की मानसिक व्यथा और गड़बड़ी आध्यात्मिक चरवाहों की कुशल मदद के बावजूद बनी रहती है? इस स्थिति में कुछ लोगों ने पूर्ण शारीरिक जाँच कराने का चुनाव किया है। (नीतिवचन १४:३०; १६:२४; १ कुरिन्थियों १२:२६ से तुलना कीजिए।) भावात्मक या मानसिक व्यथा के पीछे शायद कोई शारीरिक समस्या हो। ऐसी समस्या का इलाज कराने से कुछ किस्सों में भावात्मक रूप से बीमार व्यक्‍ति को राहत मिली है।b यदि कोई शारीरिक समस्या नहीं पता चलती है, तो निवेदन किए जाने पर, चिकित्सक शायद एक मानसिक-स्वास्थ्य पेशेवर के पास जाने को कहे। तब क्या? जैसा बताया गया है, यह फ़ैसला हर व्यक्‍ति को स्वयं ही माप-तौल कर लेना है। दूसरों को आलोचना नहीं करनी चाहिए अथवा दोष नहीं लगाना चाहिए।—रोमियों १४:४.

फिर भी, व्यावहारिक बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए और ध्यान रखना चाहिए कि बाइबल सिद्धान्तों को न भूलें। (नीतिवचन ३:२१; सभोपदेशक १२:१३) शारीरिक बीमारी के मामले में, मरीज़ों के सामने तरह-तरह के उपचार चुनाव होते हैं, प्रामाणिक चिकित्सा से लेकर प्राकृतिक चिकित्सा, सूचीवेध, और होम्योपैथी जैसी चिकित्साएँ। भिन्‍न-भिन्‍न प्रकार के मानसिक-स्वास्थ्य चिकित्सक भी होते हैं। उनमें विश्‍लेषिक मनश्‍चिकित्सक और अन्य होते हैं, जो असाधारण व्यवहार या पीड़ादायी भावों के कारण जानने की कोशिश में शायद मरीज़ के व्यक्‍तिगत इतिहास का पता लगाएँ। व्यवहार-सम्बन्धी मनश्‍चिकित्सक शायद मरीज़ को नए व्यवहार तरीक़े सीखने में मदद देने की कोशिश करें। कुछ मानसिक-स्वास्थ्य चिकित्सकों का मानना है कि अधिकांश मानसिक बीमारियों का इलाज दवाओं से किया जाना चाहिए।c रिपोर्ट अनुसार, दूसरे आहार और विटामिनों की सलाह देते हैं।

इन विकल्पों पर विचार करते समय मरीज़ों और उनके परिवारों को सावधानी बरतनी चाहिए। (नीतिवचन १४:१५) महत्त्वपूर्ण बात है कि जॉन्स हॉपकिन्स युनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ मॆडिसिन में मनश्‍चिकित्सा और व्यवहार-सम्बन्धी विज्ञान विभाग के निर्देशक, प्रोफ़ॆसर पॉल मॆकह्‍यू ने कहा कि मानसिक-स्वास्थ्य पेशा “एक प्राथमिक चिकित्सा कला है। जबकि यह मानव जीवन के सबसे जटिल पहलुओं—मन और व्यवहार—के विकारों से सम्बन्ध रखता है, इसमें इसके प्रस्तावों के प्रमाण की सुलभता की कमी है।” यह स्थिति अनियमितता और धोखेबाज़ी के लिए, साथ ही ऐसे नेकनीयत इलाजों के लिए द्वार खुला छोड़ती है, जो शायद फ़ायदा कम नुक़सान ज़्यादा करें।

इसका भी उल्लेख किया जाना चाहिए कि, जबकि मनश्‍चिकित्सकों और मनोविज्ञानियों के पास पेशेवर, पोस्टग्रैजुएट डिग्रियाँ होती हैं, अनेक अन्य लोग जिनके पास किसी भी तरह की पेशेवर योग्यताएँ नहीं होतीं, बिना निरीक्षण के सलाहकारों या चिकित्सकों के रूप में अभ्यास करते हैं। कुछ व्यक्‍तियों ने ऐसे अयोग्य लोगों से सलाह लेने में बहुत पैसा ख़र्च किया है।

एक प्रशिक्षित, योग्य मानसिक-स्वास्थ्य पेशेवर के साथ भी, कुछ बातें हैं जिन पर विचार किया जाना चाहिए। एक डॉक्टर या शल्य-चिकित्सक को चुनते समय, हमें निश्‍चित होना है कि वह हमारे बाइबल-आधारित विचारों का आदर करेगा। उसी प्रकार, ऐसे मानसिक-स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह लेना ख़तरनाक होगा जो हमारे धार्मिक और नैतिक विचारों का आदर नहीं करता। अनेक मसीही मानसिक और भावात्मक गड़बड़ी के बावजूद, बड़ी मेहनत कर रहे हैं कि उनकी “वही मानसिक अभिवृत्ति हो जो मसीह यीशु की थी।” (रोमियों १५:५, NW) ये ऐसे किसी भी व्यक्‍ति की मनोवृत्ति के बारे में जो शायद उनके सोच-विचार या व्यवहार को प्रभावित करे, उचित ही चिन्तित होते हैं। कुछ चिकित्सक शास्त्रीय विश्‍वासों द्वारा लगायी गयी किसी भी रोक को अनावश्‍यक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए संभावित रूप से हानिकर समझते हैं। वे शायद ऐसे अभ्यासों की स्वीकृति दें, यहाँ तक कि उनकी सलाह दें, जिनकी बाइबल में निन्दा की गयी है, जैसे कि समलिंगता या वैवाहिक विश्‍वासघात।

ये विचार उसमें सम्मिलित हैं जिसे प्रेरित पौलुस ने ‘झूठमूठ कहलाए गए “ज्ञान” के खण्डन’ कहा। (१ तीमुथियुस ६:२०, NW) वे मसीह के बारे में सच्चाई का खण्डन करते हैं और इस संसार के “तत्व-ज्ञान और व्यर्थ धोखे” का भाग हैं। (कुलुस्सियों २:८) बाइबल की कसौटी स्पष्ट है: “यहोवा के विरुद्ध न तो कुछ बुद्धि, और न कुछ समझ, न कोई युक्‍ति . . . है।” (नीतिवचन २१:३०) मानसिक-स्वास्थ्य चिकित्सक जो “बुरे को भला और भले को बुरा” कहते हैं वे “बुरी संगति” हैं। अस्थिर मनों को चँगा होने में मदद देने से कहीं परे, वे “अच्छे चरित्र को बिगाड़” देंगे।—यशायाह ५:२०; १ कुरिन्थियों १५:३३.

सो उस मसीही को जो एक मानसिक-स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह लेना आवश्‍यक समझता है, चिकित्सक की योग्यताओं, मनोवृत्ति, और प्रतिष्ठा का और बताए गए किसी इलाज के संभव प्रभावों का अच्छी तरह पता लगाना चाहिए। यदि एक व्यथित मसीही इसे स्वयं नहीं कर सकता, तो संभवतः एक प्रौढ़, घनिष्ठ मित्र या सम्बन्धी मदद करने में समर्थ हो। एक मसीही जो अमुक इलाज की बुद्धिमत्ता के बारे में अनिश्‍चित है शायद यह पाए कि कलीसिया के प्राचीनों के साथ बात करना सहायक है—हालाँकि अंतिम फ़ैसला स्वयं उसका है (या उसके माता-पिता का, या पति-पत्नी का सह-निर्णय है)।d

दुःख-तकलीफ़ को कम करने के लिए विज्ञान आज पहले से कहीं ज़्यादा कर सकता है। फिर भी, ऐसी अनेक बीमारियाँ हैं—दोनों शारीरिक और मानसिक—जो अभी लाइलाज हैं और इस रीति-व्यवस्था में तो उनको सहना होगा। (याकूब ५:११) इस बीच “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास,” प्राचीन, और कलीसिया में अन्य सभी, बीमार जनों की तरफ़ करुणा और सहारे का हाथ बढ़ाते हैं। और स्वयं यहोवा उनको उस शानदार समय तक धीरज धरने की शक्‍ति देता है जब बीमारी न रहेगी।—मत्ती २४:४५; भजन ४१:१-३; यशायाह ३३:२४.

[फुटनोट]

a कभी-कभी एक व्यक्‍ति से मनोविकार परीक्षण कराने के लिए कहा जा सकता है, संभवतः जब वह उच्च-पद नौकरी के लिए विचाराधीन है। व्यक्‍ति ऐसे परीक्षण के लिए तैयार होता है या नहीं वह एक व्यक्‍तिगत फ़ैसला है, लेकिन यह नोट किया जाना चाहिए कि एक मनोविकार परीक्षण कोई मनोविकार इलाज नहीं है।

b मार्च १, १९९० की प्रहरीदुर्ग के अंग्रेज़ी अंक में “हताशा के विरुद्ध लड़ाई जीतना,” देखिए।

c प्रतीत होता है कि सही दवाओं का कुछ मानसिक बीमारियों पर अच्छा असर होता है। लेकिन इन दवाओं को ध्यान के साथ कुशल और अनुभवी चिकित्सकों या मनश्‍चिकित्सकों की सलाह के अनुसार प्रयोग किया जाना चाहिए, क्योंकि यदि ख़ुराकें सही तरह से नहीं बदली जाएँ तो गंभीर गौण-प्रभाव हो सकते हैं।

d अक्‍तूबर १५, १९८८ की प्रहरीदुर्ग के अंग्रेज़ी अंक में लेख “मानसिक व्यथा—जब एक मसीही इससे पीड़ित होता है” देखिए।

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