उन्होंने यहोवा की इच्छा पूरी की
पतरस पिन्तेकुस्त के दिन प्रचार करता है
वर्ष सा.यु. ३३ की यह हल्की बहार की सुबह थी। वातावरण उत्तेजना से भरा हुआ था! यरूशलेम की सड़कें यहूदियों और यहूदी-मतधारकों की हलचल कर रही भीड़ से भर गई। वे ऐसी जगहों से आए थे जैसे एलाम, मेसोपोटामिया, कप्पदूकिया, मिस्र, और रोम। उनको अपनी स्थानीय पोशाकों में देखना और उनकी विभिन्न भाषाओं को सुनना कितना ही रोमांचकारी था! कुछ लोगों ने इस ख़ास अवसर पर उपस्थित होने के लिए क़रीब दो हज़ार किलोमीटर तक का सफ़र तय किया था। वह क्या था? पिन्तेकुस्त—यहूदियों का एक आनन्दमय पर्व जो जौ की कटनी की समाप्ति को चिन्हित करता था।—लैव्यव्यवस्था २३:१५-२१.
मन्दिर की वेदी पर की भेंटों से धुआँ उठा, और लेवियों ने हालेल गाया (भजन ११३ से ११८)। प्रातः ९ से कुछ ही पहले, एक विस्मयकारी घटना हुई। स्वर्ग से, “आंधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ।” इसने उस पूरे घर को भर दिया जिसमें यीशु मसीह के लगभग १२० चेले इकट्ठा हुए थे। शास्त्रीय अभिलेख कहता है: “उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं; और उन में से हर एक पर आ ठहरीं। और वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे।”—प्रेरितों २:१-४.
हरेक अपनी ही भाषा सुनता है
जल्द ही, अनेक चेले उस घर से बाहर निकल रहे थे। आश्चर्यजनक रूप से, वे भीड़ की विभिन्न भाषाओं में बोल सकते थे! कल्पना कीजिए कि यह कितना ही आश्चर्यजनक था जब फारस से एक भेंटकर्ता और मिस्र के एक निवासी ने गलीलियों द्वारा अपनी भाषा बोला जाना सुना होगा। स्वाभाविक रूप से, भीड़ अचम्भे में थी। उन्होंने पूछा “यह क्या हुआ चाहता है?” यह कहते हुए, कुछ लोगों ने चेलों की खिल्ली उड़ाई: “वे तो नई मदिरा के नशे में हैं।”—प्रेरितों २:१२, १३.
उसके बाद प्रेरित पतरस खड़ा हुआ और भीड़ को सम्बोधित किया। उसने समझाया कि भाषाओं की यह चमत्कारिक भेंट भविष्यवक्ता योएल द्वारा की गई परमेश्वर की उस प्रतिज्ञा की पूर्ति में थी: “मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उंडेलूंगा।” (प्रेरितों २:१४-२१; योएल २:२८-३२) जी हाँ, परमेश्वर ने अभी यीशु के चेलों पर पवित्र आत्मा उंडेली थी। यह प्रत्यक्ष प्रमाण था कि यीशु को मरे हुओं में से जिलाया जा चुका था। “सो,” पतरस ने कहा, “अब इस्राएल का सारा घराना निश्चय जान ले कि परमेश्वर ने उसी यीशु को जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, प्रभु भी ठहराया और मसीह भी।”—प्रेरितों २:२२-३६.
सुननेवालों ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई? “सुननेवालों के हृदय छिद गए,” वृत्तान्त कहता है, “और वे पतरस और शेष प्रेरितों से पूछने लगे, कि हे भाइयों, हम क्या करें?” पतरस ने उत्तर दिया: “मन फिराओ, और तुम में से हर एक . . . बपतिस्मा ले।” लगभग ३,००० ने ठीक वही किया! उसके बाद, “वे प्रेरितों से शिक्षा पाने . . . में लौलीन रहे।”—प्रेरितों २:३७-४२.
इस स्मारकीय अवसर पर अगुवाई करने के द्वारा, पतरस ने अपनी पहली ‘स्वर्ग के राज्य की कुंजी’ का प्रयोग किया जिसे यीशु ने उसे देने की प्रतिज्ञा की थी। (मत्ती १६:१९) इन कुंजियों से विभिन्न समूहों के लोगों को ख़ास विशेषाधिकार मिलने शुरू हुए। इस पहली कुंजी ने यहुदियों के लिए आत्मा-अभिषिक्त मसीही बनना संभव बनाया। बाद में, दूसरी और तीसरी कुंजी ने इसी समान अवसर को क्रमशः सामरियों और अन्यजातियों के लिए उपलब्ध कराया।—प्रेरितों ८:१४-१७; १०:४४-४८.
हमारे लिए सबक़
हालाँकि यहूदियों और यहूदी-मतधारकों के इस समूह का परमेश्वर के पुत्र की हत्या का सामुदायिक उत्तरदायित्व था, पतरस ने उन्हें “भाइयो” कहकर आदर के साथ सम्बोधित किया। (प्रेरितों २:२९) उसका उद्देश्य उन्हें पश्चाताप करने के लिए प्रेरित करना था, उनकी भर्त्सना करना नहीं। इस प्रकार, उसकी पहुँच सकारात्मक थी। उसने तथ्य प्रस्तुत किए और अपने मुद्दों को शास्त्र उद्धरणों से समर्थन किया।
आज सुसमाचार का प्रचार करनेवाले लोग पतरस के उदाहरण का अनुसरण करने में अच्छा करते हैं। उन्हें अपने सुननेवालों के साथ समान आधार स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए और उसके बाद कुशलतापूर्वक शास्त्र से उनके साथ तर्क करना चाहिए। जब बाइबल सच्चाई एक सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत की जाती है, तो सत्हृदयी लोग प्रतिक्रिया दिखाएँगे।—प्रेरितों १३:४८.
पिन्तेकुस्त के दिन पतरस का जोश और साहस क़रीब सात सप्ताह पहले यीशु के उसके इनकार की भारी विषमता में स्पष्ट दिखता है। उस अवसर पर पतरस मनुष्यों के डर से पंगु हो गया था। (मत्ती २६:६९-७५) लेकिन यीशु ने पतरस के लिए याचना की थी। (लूका २२:३१, ३२) निःसन्देह, पतरस को पुनरुत्थान-पश्चात् यीशु के प्रकटन ने उस प्रेरित को ढाढ़स दिया। (१ कुरिन्थियों १५:५) परिणामस्वरूप, पतरस का विश्वास टूटा नहीं। थोड़े ही समय में, वह निडरतापूर्वक प्रचार कर रहा था। सो तब उसने न केवल पिन्तेकुस्त के दिन बल्कि अपने बाक़ी जीवन-भर प्रचार किया।
यदि हमने किसी तरह से ग़लती की है तब क्या, जैसे पतरस ने की थी? आइए हम पश्चाताप दिखाएँ, क्षमा के लिए प्रार्थना करें, और आध्यात्मिक सहायता पाने के लिए क़दम उठाएँ। (याकूब ५:१४-१६) तब हम इस विश्वास के साथ आगे बढ़ सकते हैं कि हमारी पवित्र सेवा हमारे दयालु स्वर्गीय पिता, यहोवा को स्वीकृत है।—निर्गमन ३४:६.