सभी का परमेश्वर को लेखा देना अवश्य है
“हम में से हर एक परमेश्वर को अपना अपना लेखा देगा।”—रोमियों १४:१२.
१. आदम और हव्वा की स्वतंत्रता पर कौन-सी सीमाएँ लगायी गयी थीं?
यहोवा परमेश्वर ने हमारे प्रथम माता-पिता, आदम और हव्वा को स्वतंत्र इच्छाधारियों के रूप में सृजा। हालाँकि वे स्वर्गदूतों से निम्न थे, वे बुद्धिमान प्राणी थे जो बुद्धिमत्तापूर्ण फ़ैसले करने के योग्य थे। (भजन ८:४, ५) फिर भी, वह परमेश्वर-प्रदत्त स्वतंत्रता आत्म-निर्धारण करने के लिए एक छूट नहीं थी। वे अपने सृष्टिकर्ता के सामने जवाबदेह थे, और यह जवाबदेही उनके सभी वंशजों पर भी लागू हुई है।
२. यहोवा जल्द ही क्या लेखा लेगा, और क्यों?
२ अब क्योंकि हम इस दुष्ट रीति-व्यवस्था की चरम के निकट आ रहे हैं, यहोवा पृथ्वी पर लेखा लेगा। (रोमियों ९:२८ से तुलना कीजिए।) जल्द ही, अधर्मी लोगों को पृथ्वी के साधनों की बरबादी, मानव जीवन के नाश, और ख़ासकर उसके सेवकों की सताहट के लिए यहोवा परमेश्वर को लेखा देना पड़ेगा।—प्रकाशितवाक्य ६:१०; ११:१८.
३. हम किन प्रश्नों पर विचार करेंगे?
३ क्योंकि हमारे सामने यह गंभीर परिदृश्य है, तो बीते समय में अपने प्राणियों के साथ यहोवा के धर्मी व्यवहार पर विचार करना हमारे लिए लाभदायक है। हमारी ओर से, अपने सृष्टिकर्ता को एक स्वीकार्य लेखा देने में शास्त्र हमारी मदद कैसे कर सकता है? कौन-से उदाहरण सहायक हो सकते हैं, और किन की नक़ल करने से हमें दूर रहना चाहिए?
स्वर्गदूत जवाबदेह हैं
४. हम कैसे जानते हैं कि परमेश्वर स्वर्गदूतों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराता है?
४ स्वर्ग में यहोवा के स्वर्गदूतीय प्राणी उसके सामने उतने ही जवाबदेह हैं जितने कि हम। नूह के दिनों के जलप्रलय से पहले, कुछ स्वर्गदूतों ने स्त्रियों के साथ लैंगिक सम्बन्ध रखने के लिए आज्ञा तोड़कर भौतिक देह धारण की। स्वतंत्र इच्छाधारी होने के कारण, ये आत्मिक प्राणी यह फ़ैसला कर सकते थे, लेकिन परमेश्वर ने उन्हें जवाबदेह ठहराया। जब अवज्ञाकारी स्वर्गदूत आत्मिक क्षेत्र में लौटे, तब यहोवा ने उन्हें अपना मूल पद फिर से पाने की अनुमति नहीं दी। शिष्य यहूदा हमें बताता है कि उन्हें “उस भीषण दिन के न्याय के लिये अन्धकार में जो सदा काल के लिये है बन्धनों में रखा” गया है।—यहूदा ६.
५. शैतान और उसके पिशाचों ने किस पतन का अनुभव किया है, और उनके विद्रोह का हिसाब कैसे चुकता किया जाएगा?
५ इन अवज्ञाकारी स्वर्गदूतों, या पिशाचों का सरदार शैतान अर्थात् इब्लीस है। (मत्ती १२:२४-२६) इस दुष्ट स्वर्गदूत ने अपने सृष्टिकर्ता के विरुद्ध विद्रोह किया और यहोवा की सर्वसत्ता के औचित्य को चुनौती दी। शैतान हमारे प्रथम माता-पिता को पाप में ले गया, और इसके फलस्वरूप अंततः उनकी मृत्यु हुई। (उत्पत्ति ३:१-७, १७-१९) हालाँकि उसके बाद यहोवा ने शैतान को कुछ समय तक स्वर्गीय अदालत में आने की अनुमति दी, बाइबल की प्रकाशितवाक्य नामक पुस्तक ने पूर्वबताया कि परमेश्वर के नियत समय पर इस दुष्ट जन को पृथ्वी के परिवेश में फेंक दिया जाता। प्रमाण संकेत देता है कि यह १९१४ में यीशु मसीह के राज्य अधिकार प्राप्त करने के कुछ ही समय बाद हुआ। आख़िर में, इब्लीस और उसके पिशाचों का अनन्त विनाश होगा। सर्वसत्ता के वाद-विषय को अंततः निपटाए जाने पर, विद्रोह का हिसाब न्यायतः चुकता किया गया होगा।—अय्यूब १:६-१२; २:१-७; प्रकाशितवाक्य १२:७-९; २०:१०.
परमेश्वर का पुत्र जवाबदेह है
६. अपने पिता के सामने स्वयं अपनी जवाबदेही को यीशु किस दृष्टि से देखता है?
६ परमेश्वर के पुत्र, यीशु मसीह ने क्या ही उत्तम उदाहरण रखा है! आदम के समतुल्य एक परिपूर्ण मनुष्य के रूप में, यीशु ईश्वरीय इच्छा पूरी करने में प्रसन्न था। वह यहोवा की व्यवस्था के अनुपालन के लिए जवाबदेह ठहराए जाने में भी ख़ुश था। उसके विषय में, भजनहार ने उचित ही भविष्यवाणी की: “हे मेरे परमेश्वर मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्न हूं; और तेरी व्यवस्था मेरे अन्तःकरण में बनी है।”—भजन ४०:८; इब्रानियों १०:६-९.
७. अपनी मृत्यु से कुछ ही समय पहले प्रार्थना करते समय, यीशु यूहन्ना १७:४, ५ में अभिलिखित शब्द क्यों कह सका?
७ यीशु ने जिस घृणापूर्ण विरोध का अनुभव किया उसके बावजूद, उसने परमेश्वर की इच्छा पूरी की और यातना स्तंभ पर मृत्यु तक खराई बनाए रखी। इस प्रकार उसने मानवजाति को आदम के पाप के मृत्युदायी परिणामों से छुड़ाने के लिए छुड़ौती मूल्य चुकाया। (मत्ती २०:२८) अतः, अपनी मृत्यु से कुछ ही समय पहले, यीशु विश्वस्त होकर प्रार्थना कर सका: “जो काम तू ने मुझे करने को दिया था, उसे पूरा करके मैं ने पृथ्वी पर तेरी महिमा की है। और अब, हे पिता, तू अपने साथ मेरी महिमा उस महिमा से कर जो जगत के होने से पहिले, मेरी तेरे साथ थी।” (यूहन्ना १७:४, ५) यीशु अपने स्वर्गीय पिता को ये शब्द कह सका क्योंकि वह सफलतापूर्वक जवाबदेही की कसौटी पर खरा उतर रहा था और परमेश्वर को स्वीकार्य था।
८. (क) पौलुस ने कैसे दिखाया कि हमें यहोवा परमेश्वर को अपना लेखा देना है? (ख) परमेश्वर की स्वीकृति पाने में कौन-सी बात हमारी मदद करेगी?
८ परिपूर्ण मनुष्य यीशु मसीह से भिन्न, हम अपरिपूर्ण हैं। फिर भी, हम परमेश्वर के सामने जवाबदेह हैं। प्रेरित पौलुस ने कहा: “तू अपने भाई पर क्यों दोष लगाता है? या तू फिर क्यों अपने भाई को तुच्छ जानता है? हम सब के सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के साम्हने खड़े होंगे। क्योंकि लिखा है, कि प्रभु कहता है, मेरे जीवन की सौगन्ध कि हर एक घुटना मेरे साम्हने टिकेगा, और हर एक जीभ परमेश्वर को अंगीकार करेगा। सो हम में से हर एक परमेश्वर को अपना अपना लेखा देगा।” (रोमियों १४:१०-१२) हम जो कहते और करते हैं उसमें हमें मार्गदर्शित करने के लिए उसने प्रेमपूर्वक हमें एक अंतःकरण और अपना उत्प्रेरित वचन, बाइबल, दोनों चीज़ें दी हैं ताकि हम ऐसा कर सकें और यहोवा की स्वीकृति पाएँ। (रोमियों २:१४, १५; २ तीमुथियुस ३:१६, १७) यहोवा के आध्यात्मिक प्रबन्धों का पूरा लाभ उठाना और अपने बाइबल-प्रशिक्षित अंतःकरण के अनुसार चलना हमें परमेश्वर की स्वीकृति पाने में मदद देगा। (मत्ती २४:४५-४७) यहोवा की पवित्र आत्मा, या सक्रिय शक्ति, बल और मार्गदर्शन का अतिरिक्त स्रोत है। यदि हम आत्मा के निर्देशन और अपने बाइबल-प्रशिक्षित अंतःकरण की अगुवाई के सामंजस्य में कार्य करते हैं, तो हम दिखाते हैं कि हम “परमेश्वर को तुच्छ” नहीं जानते, जिसको हमें अपने सभी कार्यों का लेखा देना है।—१ थिस्सलुनीकियों ४:३-८; १ पतरस ३:१६, २१.
जातियों के रूप में जवाबदेह
९. एदोमी कौन थे, और इस्राएल के साथ उनके व्यवहार के कारण उनका क्या हुआ?
९ यहोवा जातियों से लेखा लेता है। (यिर्मयाह २५:१२-१४; सपन्याह ३:६, ७) प्राचीन राज्य एदोम पर विचार कीजिए, जो मृत सागर के दक्षिण में और अकाबा की खाड़ी के उत्तर में स्थित था। एदोमी सामी लोग थे, जिनका इस्राएलियों के साथ निकट का सम्बन्ध था। जबकि इब्राहीम का पोता एसाव एदोमियों का पूर्वज था, फिर भी प्रतिज्ञात देश जाते समय इस्राएलियों को एदोम में “सड़क-सड़क” से होकर यात्रा करने की अनुमति नहीं दी गयी। (गिनती २०:१४-२१) सदियों के दौरान इस्राएलियों के प्रति एदोमियों का बैर कठोर घृणा में विकसित हो गया। अंततः, सा.यु.पू. ६०७ में यरूशलेम को नाश करने के लिए बाबुलियों को उकसाने के लिए एदोमियों को लेखा देना पड़ा। (भजन १३७:७) सामान्य युग पूर्व छठवीं शताब्दी में, राजा नेबोनाइडस के अधीन बाबुलीय टुकड़ियों ने एदोम पर विजय पा ली, और वह उजाड़ हो गया, जैसा यहोवा ने घोषित किया था।—यिर्मयाह ४९:२०; ओबद्याह ९-११.
१०. मोआबियों ने इस्राएलियों के प्रति कैसा व्यवहार किया, और परमेश्वर ने मोआब से कैसे लेखा लिया?
१० मोआब का भी यही हाल हुआ। मोआबी राज्य एदोम के उत्तर में और मृत सागर के पूरब में था। इस्राएलियों के प्रतिज्ञात देश में प्रवेश करने से पहले, मोआबियों ने उनके साथ पहुनाई का व्यवहार नहीं किया, प्रत्यक्षतः उन्हें केवल आर्थिक लाभ के लिए रोटी और पानी दिया। (व्यवस्थाविवरण २३:३, ४) मोआब के राजा बालाक ने इस्राएल को शाप देने के लिए मेहनताने पर भविष्यवक्ता बिलाम को बुलाया, और इस्राएली पुरुषों को अनैतिकता और मूर्तिपूजा में लुभाने के लिए मोआबी स्त्रियों को प्रयोग किया गया। (गिनती २२:२-८; २५:१-९) लेकिन, इस्राएल के प्रति मोआब की घृणा को यहोवा ने अनदेखा नहीं जाने दिया। जैसे भविष्यवाणी की गयी थी, मोआब ने बाबुलियों के हाथों बरबादी सही। (यिर्मयाह ९:२५, २६; सपन्याह २:८-११) जी हाँ, परमेश्वर ने मोआब से लेखा लिया।
११. मोआब और अम्मोन किन नगरों के समान बन गए, और वर्तमान दुष्ट रीति-व्यवस्था के बारे में बाइबल भविष्यवाणियाँ क्या सूचित करती हैं?
११ न केवल मोआब को परन्तु अम्मोन को भी परमेश्वर को लेखा देना पड़ा। यहोवा ने पूर्वबताया था: “निश्चय मोआब सदोम के समान, और अम्मोनी अमोरा की नाईं बिच्छू पेड़ों के स्थान और नमक की खानियां हो जाएंगे, और सदैव उजड़े रहेंगे।” (सपन्याह २:९) जैसे परमेश्वर ने सदोम और अमोरा के नगरों को नाश किया था, वैसे ही मोआब और अम्मोन के देश बरबाद कर दिए गए। लंदन भौगोलिक संस्था के अनुसार, अनुसंधायक मृत सागर के पूर्वी तट पर ध्वस्त सदोम और अमोरा के स्थलों का पता लगा लेने का दावा करते हैं। इस सम्बन्ध में कोई भी विश्वसनीय प्रमाण जो शायद आगे चलकर प्रकाश में आए, बाइबल भविष्यवाणियों का समर्थन ही कर सकता है जो सूचित करती हैं कि वर्तमान दुष्ट रीति-व्यवस्था से भी यहोवा परमेश्वर लेखा लेगा।—२ पतरस ३:६-१२.
१२. हालाँकि इस्राएल को अपने पापों के लिए परमेश्वर को लेखा देना पड़ा, फिर भी एक यहूदी शेषवर्ग के बारे में क्या पूर्वबताया गया था?
१२ जबकि इस्राएल पर यहोवा का अत्यधिक अनुग्रह था, फिर भी उसे अपने पापों के लिए परमेश्वर को लेखा देना पड़ा। जब यीशु मसीह इस्राएल जाति में आया, तब अधिकांश लोगों ने उसे अस्वीकार किया। मात्र एक शेषवर्ग ने विश्वास किया और उसके अनुयायी बन गए। पौलुस ने अमुक भविष्यवाणियाँ इस यहूदी शेषवर्ग पर लागू कीं जब उसने लिखा: “यशायाह इस्राएल के विषय में पुकारकर कहता है, कि चाहे इस्राएल की सन्तानों की गिनती समुद्र के बालू के बराबर हो, तौभी उन में से थोड़े ही बचेंगे। क्योंकि प्रभु अपना वचन पृथ्वी पर पूरा करके, धार्मिकता से शीघ्र उसे सिद्ध करेगा। जैसा यशायाह ने पहिले भी कहा था, कि यदि सेनाओं का प्रभु हमारे लिये कुछ वंश न छोड़ता, तो हम सदोम की नाईं हो जाते, और अमोरा के सरीखे ठहरते।” (रोमियों ९:२७-२९; यशायाह १:९; १०:२२, २३) प्रेरित ने एलिय्याह के समय में ७,००० का उदाहरण दिया जो बाल के आगे नहीं झुके थे, और फिर उसने कहा: “ठीक उसी तरह वर्तमान समय में भी परमेश्वर के अनुग्रहमय चुनाव के अनुसार कुछ लोग शेष हैं।” (रोमियों ११:५, NHT) वह शेषवर्ग उन लोगों से बना हुआ था जो व्यक्तिगत रूप से परमेश्वर के सामने जवाबदेह थे।
व्यक्तिगत जवाबदेही के उदाहरण
१३. जब परमेश्वर ने कैन से अपने भाई हाबिल की हत्या करने का लेखा लिया तब उसका क्या हुआ?
१३ बाइबल यहोवा परमेश्वर के सामने व्यक्तिगत जवाबदेही के अनेक किस्से बताती है। उदाहरण के लिए, आदम के पहलौठे पुत्र, कैन को लीजिए। दोनों, उसने और उसके भाई हाबिल ने यहोवा को बलिदान चढ़ाए। हाबिल की बलि परमेश्वर को स्वीकार्य थी, परन्तु कैन की नहीं। क्रूरता से अपने भाई की हत्या करने के लिए जब लेखा लिया गया, तब कैन ने निष्ठुरता से परमेश्वर को कहा: “क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूँ?” उसके पाप के लिए, कैन को “अदन के पूरब में [भगोड़ा, फुटनोट] . . . देश” में निर्वासित किया गया। उसने अपने अपराध के लिए कोई निष्कपट पश्चाताप नहीं किया, मात्र अपने योग्य दण्ड का खेद किया।—उत्पत्ति ४:३-१६, NHT.
१४. महायाजक एली और उसके पुत्रों के किस्से में परमेश्वर के सामने व्यक्तिगत जवाबदेही कैसे सचित्रित हुई?
१४ इस्राएल के महायाजक एली के किस्से में भी परमेश्वर के सामने व्यक्ति की व्यक्तिगत जवाबदेही सचित्रित होती है। उसके पुत्र, होप्नी और पीनहास पदधारी याजकों के रूप में सेवा करते थे लेकिन “मनुष्यों के प्रति अन्याय, और परमेश्वर के प्रति अपवित्रता के दोषी थे, और किसी क़िस्म की दुष्टता से दूर नहीं रहे,” इतिहासकार जोसीफ़स कहता है। इन “लुच्चे” पुरुषों ने यहोवा को नहीं पहचाना, अपवित्रता के कार्य किए, और वे घोर अनैतिकता के दोषी थे। (१ शमूएल १:३; २:१२-१७, २२-२५) उनका पिता और इस्राएल का महायाजक होने के नाते, एली का यह कर्तव्य था कि उन्हें अनुशासन दे, लेकिन उसने बस हलके से उन्हें झिड़का। एली ‘अपने पुत्रों का आदर यहोवा से अधिक करता रहा।’ (१ शमूएल २:२९) एली के घराने पर दण्ड आया। जिस दिन दोनों पुत्र मरे उसी दिन उनका पिता भी मरा, और अंततः उनका याजकीय वंश पूरी तरह से समाप्त हो गया। अतः हिसाब चुकता किया गया।—१ शमूएल ३:१३, १४; ४:११, १७, १८.
१५. राजा शाऊल के पुत्र योनातन को क्यों प्रतिफल मिला?
१५ राजा शाऊल के पुत्र योनातन ने एक बिलकुल ही फ़र्क उदाहरण रखा। जब दाऊद ने गोलियत को मारा उसके तुरन्त बाद, “योनातान का मन दाऊद के मन से मिल गया,” और उन्होंने मित्रता की एक वाचा बान्धी। (१ शमूएल १८:१, ३, NHT) संभवतः, योनातन समझ गया कि परमेश्वर की आत्मा शाऊल पर से उठ गयी थी, लेकिन सच्ची उपासना के लिए उसका अपना जोश कम नहीं हुआ। (१ शमूएल १६:१४) दाऊद के परमेश्वर-प्रदत्त अधिकार के प्रति योनातन का मूल्यांकन कभी नहीं घटा। योनातन ने परमेश्वर के सामने अपनी जवाबदेही को समझा, और यहोवा ने यह निश्चित करने के द्वारा कि उसका वंश पीढ़ियों तक चले, उसके खरे मार्ग के लिए उसे प्रतिफल दिया।—१ इतिहास ८:३३-४०.
मसीही कलीसिया में जवाबदेही
१६. तीतुस कौन था, और यह क्यों कहा जा सकता है कि उसने परमेश्वर को अपना एक अच्छा लेखा दिया?
१६ मसीही यूनानी शास्त्र अनेक पुरुषों और स्त्रियों की प्रशंसा करता है जिन्होंने अपना एक अच्छा लेखा दिया। उदाहरण के लिए, तीतुस नाम का यूनानी मसीही था। ऐसा सुझाया गया है कि कुप्रुस को पौलुस की पहली मिशनरी यात्रा के दौरान वह एक मसीही बना। क्योंकि सा.यु. ३३ के पिन्तेकुस्त के दौरान यरूशलेम में शायद कुप्रुस से आए यहूदी और यहूदी मतधारक थे, इसलिए मसीहियत उस द्वीप पर शायद उसके कुछ ही समय बाद पहुँच गयी हो। (प्रेरितों ११:१९) जो भी हो, तीतुस पौलुस के विश्वासयोग्य सहकर्मियों में से एक साबित हुआ। वह लगभग सा.यु. ४९ में पौलुस और बरनबास के साथ यरूशलेम की यात्रा पर गया, जब ख़तना के अति-महत्त्वपूर्ण वाद-विषय को निपटाया गया। इस बात ने कि तीतुस ख़तनारहित था पौलुस के इस तर्क को और ठोस किया होगा कि मसीहियत में धर्मपरिवर्तन करनेवालों को मूसा की व्यवस्था के अधीन नहीं होना चाहिए। (गलतियों २:१-३) तीतुस की उत्तम सेवकाई का प्रमाण शास्त्र में है, और पौलुस ने ईश्वरीय रूप से उत्प्रेरित एक पत्री भी उसके नाम लिखी। (२ कुरिन्थियों ७:६; तीतुस १:१-४) प्रत्यक्षतः अपने पार्थिव जीवन के अन्त तक, तीतुस ने परमेश्वर को अपना एक उत्तम लेखा देना जारी रखा।
१७. तीमुथियुस ने कैसा लेखा दिया, और यह उदाहरण हमें कैसे प्रभावित कर सकता है?
१७ तीमुथियुस एक और जोशीला व्यक्ति था जिसने यहोवा परमेश्वर को अपना एक स्वीकार्य लेखा दिया। जबकि तीमुथियुस को कुछ स्वास्थ्य समस्याएँ थीं, उसने “निष्कपट विश्वास” दिखाया और ‘सुसमाचार के फैलाने में पौलुस के साथ परिश्रम किया।’ इसलिए प्रेरित पौलुस फिलिप्पी में संगी मसीहियों से कह सका: “मेरे पास [तीमुथियुस के] स्वभाव का कोई नहीं, जो शुद्ध मन से तुम्हारी चिन्ता करे।” (२ तीमुथियुस १:५; फिलिप्पियों २:२०, २२; १ तीमुथियुस ५:२३) मानव कमज़ोरियों और अन्य परीक्षाओं का सामना करते समय, हम भी निष्कपट विश्वास रख सकते हैं और परमेश्वर को अपना एक स्वीकार्य लेखा दे सकते हैं।
१८. लुदिया कौन थी, और उसने कैसी आत्मा दिखायी?
१८ लुदिया एक धर्म-परायण स्त्री थी जिसने प्रत्यक्षतः परमेश्वर को अपना एक उत्तम लेखा दिया। लगभग सा.यु. ५० में फिलिप्पी में पौलुस की गतिविधि के कारण वह और उसका घराना यूरोप में मसीहियत अपनाने वाले पहले व्यक्तियों में से थे। थुआथीरा की रहनेवाली, लुदिया संभवतः एक यहूदी मतधारक थी, लेकिन फिलिप्पी में शायद थोड़े ही यहूदी थे और कोई आराधनालय नहीं था। वह और अन्य भक्त स्त्रियाँ एक नदी के पास इकट्ठी हुई थीं जब पौलुस ने उनसे बात की। फलस्वरूप, लुदिया एक मसीही बन गयी और उन्हें अपने यहाँ ठहराने के लिए पौलुस और उसके साथियों को मनाने में सफल हुई। (प्रेरितों १६:१२-१५) जो पहुनाई लुदिया ने की वह अभी भी सच्चे मसीहियों की एक स्पष्ट विशेषता है।
१९. कौन-से भले कामों के द्वारा दोरकास ने परमेश्वर को अपना एक उत्तम लेखा दिया?
१९ दोरकास एक और स्त्री थी जिसने यहोवा परमेश्वर को अपना एक उत्तम लेखा दिया। जब वह मरी, तब पतरस याफा में रहनेवाले शिष्यों के निवेदन पर वहाँ गया। जो दो पुरुष पतरस को मिले वे “उसे उस अटारी पर ले गए; और सब विधवाएं रोती हुई उसके पास आ खड़ी हुईं: और जो कुरते और कपड़े दोरकास ने उन के साथ रहते हुए बनाए थे, दिखाने लगीं।” दोरकास को फिर से जीवित किया गया। लेकिन क्या उसे मात्र उसकी उदार आत्मा के लिए याद रखा जाना चाहिए? जी नहीं। वह एक “शिष्या” (NHT) थी और निश्चित ही उसने शिष्य-बनाने के कार्य में स्वयं भाग लिया। उसी प्रकार आज मसीही स्त्रियाँ ‘बहुतेरे भले भले काम और दान किया करती हैं।’ वे राज्य का सुसमाचार सुनाने और शिष्य बनाने में एक सक्रिय भाग लेने में भी प्रसन्न हैं।—प्रेरितों ९:३६-४२; मत्ती २४:१४; २८:१९, २०.
२०. हम अपने आपसे शायद कौन-से प्रश्न पूछें?
२० बाइबल स्पष्टतया दिखाती है कि जातियों और व्यक्तियों को सर्वसत्ताधारी प्रभु यहोवा को लेखा देना पड़ेगा। (सपन्याह १:७) यदि हम परमेश्वर को समर्पित हैं, तो इस कारण हम शायद अपने आपसे पूछें, ‘मैं अपने परमेश्वर-प्रदत्त विशेषाधिकारों और ज़िम्मेदारियों को किस दृष्टि से देखता हूँ? यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह को मैं अपना किस क़िस्म का लेखा दे रहा हूँ?’
आपके उत्तर क्या हैं?
◻ आप कैसे साबित करेंगे कि स्वर्गदूत और परमेश्वर का पुत्र यहोवा के सामने जवाबदेह हैं?
◻ यह दिखाने के लिए कौन-से बाइबल उदाहरण हैं कि परमेश्वर जातियों को जवाबदेह ठहराता है?
◻ परमेश्वर के सामने व्यक्तिगत जवाबदेही के बारे में बाइबल क्या कहती है?
◻ बाइबल अभिलेख के कुछ व्यक्ति कौन थे जिन्होंने यहोवा परमेश्वर को एक उत्तम लेखा दिया?
[पेज 10 पर तसवीरें]
यीशु मसीह ने अपने स्वर्गीय पिता को अपना एक उत्तम लेखा दिया
[पेज 15 पर तसवीरें]
दोरकास के समान, आज मसीही स्त्रियाँ यहोवा परमेश्वर को अपना एक अच्छा लेखा देती हैं
[पेज 13 पर चित्र का श्रेय]
The Death of Abel/The Doré Bible Illustrations/Dover Publications, Inc.