ऐसा हो कि यहोवा आपका लेखा स्वीकार्य पाए
“हे मेरे परमेश्वर! मेरे हित के लिये यह . . . स्मरण रख . . . हे मेरे परमेश्वर! मेरे हित के लिये मुझे स्मरण कर।”—नहेमायाह १३:२२, ३१.
१. यहोवा को एक उत्तम लेखा देने के लिए कौन-सी बात परमेश्वर के समर्पित लोगों की मदद करती है?
यहोवा के सेवकों के पास उसको एक उत्तम लेखा देने के लिए ज़रूरी सभी मदद है। क्यों? क्योंकि परमेश्वर के पार्थिव संगठन के भाग के रूप में उनका उसके साथ एक घनिष्ठ सम्बन्ध है। उसने उन पर अपने उद्देश्य प्रकट किए हैं, और उसने अपनी पवित्र आत्मा के माध्यम से उन्हें मदद और आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि दी है। (भजन ५१:११; ११९:१०५; १ कुरिन्थियों २:१०-१३) इन ख़ास परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, यहोवा अपने पार्थिव सेवकों से प्रेमपूर्वक यह माँग करता है कि उसको अपना लेखा दें, इसका कि वे क्या हैं और इसका भी कि वे उसकी शक्ति में और उसकी पवित्र आत्मा की मदद से क्या निष्पन्न करते हैं।
२. (क) किन तरीक़ों से नहेमायाह ने परमेश्वर को अपना एक अच्छा लेखा दिया? (ख) किस निवेदन के साथ नहेमायाह ने अपने नाम की बाइबल पुस्तक की समाप्ति की?
२ फारसी राजा अर्तक्षत्र (लॉन्जीमेनस) का पियाऊ, नहेमायाह एक ऐसा व्यक्ति था जिसने परमेश्वर को अपना एक अच्छा लेखा दिया। (नहेमायाह २:१) नहेमायाह यहूदियों का अधिपति बना और शत्रुओं और ख़तरों का सामना करते हुए यरूशलेम की शहरपनाह फिर से बनायी। सच्ची उपासना के लिए जोश के साथ, उसने परमेश्वर की व्यवस्था प्रभावी की और उत्पीड़ितों के लिए चिन्ता दिखायी। (नहेमायाह ५:१४-१९) नहेमायाह ने लेवियों से आग्रह किया कि नियमित रूप से अपने आपको शुद्ध करें, फाटकों की रखवाली करें, और विश्रामदिन को पवित्र मानें। इसलिए वह प्रार्थना कर सका: “हे मेरे परमेश्वर! मेरे हित के लिये यह भी स्मरण रख और अपनी बड़ी करुणा के अनुसार मुझ पर तरस खा।” यह भी उपयुक्त था कि नहेमायाह ने अपनी ईश्वरीय रूप से उत्प्रेरित पुस्तक की समाप्ति इस निवेदन के साथ की: “हे मेरे परमेश्वर! मेरे हित के लिये मुझे स्मरण कर।”—नहेमायाह १३:२२, ३१.
३. (क) आप उस व्यक्ति का वर्णन कैसे करेंगे जो भलाई करता है? (ख) नहेमायाह के मार्ग पर विचार करना हमें अपने आपसे कौन-से प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित कर सकता है?
३ भलाई करनेवाला व्यक्ति सद्गुणी होता है और ऐसे खरे काम करता है जिनसे दूसरों को लाभ पहुँचता है। नहेमायाह एक ऐसा ही व्यक्ति था। उसे परमेश्वर का श्रद्धामय भय और सच्ची उपासना के लिए बड़ा जोश था। इसके अलावा, वह परमेश्वर की सेवा में अपने विशेषाधिकारों के लिए कृतज्ञ था और उसने यहोवा को अपना एक उत्तम लेखा दिया। उसके मार्ग पर विचार करना हमें उचित ही अपने आपसे यह पूछने के लिए प्रेरित कर सकता है, ‘मैं अपने परमेश्वर-प्रदत्त विशेषाधिकारों और ज़िम्मेदारियों को किस दृष्टि से देखता हूँ? यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह को मैं अपना किस क़िस्म का लेखा दे रहा हूँ?’
ज्ञान हमें जवाबदेह बनाता है
४. यीशु ने अपने अनुयायियों को कौन-सी कार्य-नियुक्ति दी, और जो “अनन्त जीवन के लिए उचित मनोभाव” के थे उन्होंने क्या किया?
४ यीशु ने अपने अनुयायियों को यह कार्य-नियुक्ति दी: “तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें . . . बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ।” (मत्ती २८:१९, २०) लोगों को सिखाने के द्वारा उन्हें शिष्य बनाया जाना था। जिन्हें इस प्रकार सिखाया जाता और जो “अनन्त जीवन के लिए उचित मनोभाव” के होते वे बपतिस्मा लेते, जैसे यीशु ने लिया। (प्रेरितों १३:४८, NW; मरकुस १:९-११) वे सब बातें जो उसने आज्ञा दी थी मानने की उनकी इच्छा हृदय से आती। वे परमेश्वर के वचन का यथार्थ ज्ञान लेने और लागू करने के द्वारा समर्पण की हद तक पहुँचते।—यूहन्ना १७:३.
५, ६. हमें याकूब ४:१७ को कैसे समझना है? उसके अनुप्रयोग को सचित्रित कीजिए।
५ जितना गहरा हमारा शास्त्रीय ज्ञान है, उतनी ही बेहतर हमारे विश्वास की बुनियाद है। साथ ही, परमेश्वर के सामने हमारी जवाबदेही बढ़ जाती है। याकूब ४:१७ कहता है: “जो कोई भलाई करना जानता है और नहीं करता, उसके लिये यह पाप है।” यह कथन प्रत्यक्षतः उसका निष्कर्ष है जो शिष्य याकूब ने पूरी तरह परमेश्वर पर निर्भर रहने के बजाय डींग मारने के बारे में अभी-अभी कहा था। यदि एक व्यक्ति जानता है कि यहोवा की मदद के बिना वह कोई स्थायी कार्य नहीं कर सकता फिर भी उसके अनुसार कार्य नहीं करता, तो यह पाप है। लेकिन याकूब के शब्द चूक के पापों पर भी लागू हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, भेड़ और बकरियों के बारे में यीशु की नीतिकथा में, बकरियों को दोषी ठहराया जाता है, बुरे कामों के लिए नहीं, बल्कि मसीह के भाइयों की मदद नहीं करने के लिए।—मत्ती २५:४१-४६.
६ एक व्यक्ति जिसके साथ यहोवा के साक्षी बाइबल अध्ययन कर रहे थे शायद ही कोई आध्यात्मिक प्रगति कर रहा था, प्रत्यक्षतः इसलिए कि उसने धूम्रपान नहीं छोड़ा, हालाँकि वह जानता था कि उसे छोड़ना चाहिए। एक प्राचीन ने उससे याकूब ४:१७ पढ़ने को कहा। इस शास्त्रवचन के महत्त्व पर टिप्पणी करने के बाद, प्राचीन ने कहा: “जबकि आपने बपतिस्मा नहीं लिया है, आप जवाबदेह हैं और आपको अपने फ़ैसले की पूरी ज़िम्मेदारी उठानी पड़ेगी।” ख़ुशी की बात है कि उस पुरुष ने प्रतिक्रिया दिखायी, धूम्रपान छोड़ दिया, और जल्द ही यहोवा परमेश्वर के प्रति अपने समर्पण के प्रतीक के रूप में बपतिस्मे के लिए योग्य हो गया।
अपनी सेवकाई के लिए जवाबदेह
७. ‘परमेश्वर के ज्ञान’ के लिए अपना आभार दिखाने का एक तरीक़ा क्या है?
७ अपने सृष्टिकर्ता को प्रसन्न करना हमारी हार्दिक अभिलाषा होनी चाहिए। ‘परमेश्वर के ज्ञान’ के लिए अपना आभार व्यक्त करने का एक तरीक़ा है उसके पुत्र, यीशु मसीह के शिष्य बनाने की कार्य-नियुक्ति को पूरा करना। यह परमेश्वर के लिए और अपने पड़ोसी के लिए अपना प्रेम दिखाने का भी एक तरीक़ा है। (नीतिवचन २:१-५; मत्ती २२:३५-४०) जी हाँ, परमेश्वर का हमारा ज्ञान हमें उसके सामने जवाबदेह बनाता है, और हमें अपने संगी मनुष्यों को संभव शिष्यों के रूप में देखने की ज़रूरत है।
८. हम क्यों कह सकते हैं कि पौलुस ने अपनी सेवकाई के लिए परमेश्वर के सामने जवाबदेह महसूस किया?
८ प्रेरित पौलुस जानता था कि पूरे हृदय से सुसमाचार को स्वीकार करने और उसका पालन करने का परिणाम उद्धार होता है, जबकि उसको अस्वीकार करना विनाश ला सकता है। (२ थिस्सलुनीकियों १:६-८) इसलिए उसने अपनी सेवकाई के लिए यहोवा के सामने जवाबदेह महसूस किया। असल में, पौलुस और उसके साथियों ने अपनी सेवकाई का इतना मूल्यांकन किया कि उन्होंने सावधानी बरती कि उससे आर्थिक लाभ प्राप्त करने का आभास भी न दें। इसके अलावा, पौलुस के हृदय ने उसे यह कहने के लिए प्रेरित किया: “और यदि मैं सुसमाचार सुनाऊं, तो मेरा कुछ घमण्ड नहीं; क्योंकि यह तो मेरे लिये अवश्य है; और यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय।”—१ कुरिन्थियों ९:११-१६.
९. सभी मसीहियों को कौन-सा महत्त्वपूर्ण कर्ज़ चुकाना है?
९ क्योंकि हम यहोवा के समर्पित सेवक हैं, ‘हमारे लिए सुसमाचार सुनाना अवश्य है।’ राज्य संदेश का प्रचार करना हमारी कार्य-नियुक्ति है। जब हमने अपने आपको परमेश्वर को समर्पित किया था तब हमने यह ज़िम्मेदारी स्वीकार की थी। (लूका ९:२३, २४ से तुलना कीजिए।) इसके अलावा, हमें एक कर्ज़ चुकाना है। पौलुस ने कहा: “मैं यूनानियों और अन्यभाषियों का और बुद्धिमानों और निर्बुद्धियों का कर्जदार हूं। सो मैं तुम्हें भी जो रोम में रहते हो, सुसमाचार सुनाने को भरसक तैयार हूं।” (रोमियों १:१४, १५) पौलुस कर्ज़दार था क्योंकि वह जानता था कि प्रचार करना उसका कर्तव्य था ताकि लोग सुसमाचार सुन सकें और उद्धार पाएँ। (१ तीमुथियुस १:१२-१६; २:३, ४) इसलिए उसने अपनी कार्य-नियुक्ति को पूरा करने और संगी मनुष्यों के प्रति अपना कर्ज़ चुकाने के लिए परिश्रम किया। मसीहियों के रूप में, हमें भी एक ऐसा ही कर्ज़ चुकाना है। राज्य प्रचार परमेश्वर, उसके पुत्र, और अपने पड़ोसियों के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने का भी एक मुख्य तरीक़ा है।—लूका १०:२५-२८.
१०. क्या करने के द्वारा कुछ लोगों ने अपनी सेवकाई को विस्तृत किया है?
१० परमेश्वर को स्वीकार्य लेखा देने का एक तरीक़ा है अपनी सेवकाई को विस्तृत करने के लिए अपनी क्षमताओं को प्रयोग करना। सचित्रित करने के लिए: हाल ही के सालों में ब्रिटेन में अनेक राष्ट्रीय समूहों के लोग आए हैं। ऐसे लोगों तक सुसमाचार के साथ पहुँचने के लिए, ८०० से अधिक पायनियर (पूर्ण-समय के राज्य प्रचारक) और सैकड़ों अन्य साक्षी भिन्न-भिन्न भाषाएँ सीख रहे हैं। इसके फलस्वरूप सेवकाई को अच्छा बढ़ावा मिला है। चीनी क्लास को सिखा रही एक पायनियर ने कहा: “मैं ने कभी नहीं सोचा था कि मैं कभी अपनी भाषा दूसरे साक्षियों को इसलिए सिखाऊँगी, कि वे इस रीति से सत्य को दूसरों के साथ बाँटें। यह अति संतोषप्रद है!” क्या आप समान रीति से अपनी सेवकाई को विस्तृत कर सकते हैं?
११. जब एक मसीही ने अनौपचारिक रूप से साक्षी दी तब क्या परिणाम हुआ?
११ संभवतः, एक डूबते व्यक्ति को बचाने के लिए हम में से हरेक जो कुछ कर सकता वह करता। उसी प्रकार यहोवा के सेवक हर अवसर पर साक्षी देने के लिए अपनी क्षमताओं को प्रयोग करने के लिए उत्सुक हैं। हाल ही में एक साक्षी बस में एक स्त्री के पास बैठी और उससे शास्त्र के बारे में बात की। जो उसने सुना उससे प्रसन्न होकर, उस स्त्री ने अनेक प्रश्न पूछे। जब साक्षी बस से उतरने ही वाली थी, तब उस स्त्री ने उससे बिनती की कि क्यों न उसके घर आए, क्योंकि उसके पास अब भी अनेक प्रश्न थे। साक्षी राज़ी हो गयी। परिणाम? एक बाइबल अध्ययन शुरू किया गया, और छः महीने बाद वह स्त्री बपतिस्मा-रहित राज्य प्रकाशक बन गयी। जल्द ही वह स्वयं छः बाइबल अध्ययन संचालित कर रही थी। राज्य सेवा में अपनी क्षमताओं को प्रयोग करने का क्या ही रोमहर्षक प्रतिफल!
१२. क्षेत्र सेवा में सेवकों के रूप में हमारी क्षमताओं का अच्छा प्रयोग कैसे किया जा सकता है?
१२ सेवकों के रूप में हमारी क्षमताओं का क्षेत्र में प्रभावकारी रीति से प्रयोग किया जा सकता है, १९२-पृष्ठवाली पुस्तक ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है जैसे प्रकाशनों का प्रयोग करने के द्वारा। अप्रैल १९९६ तक, यहोवा के साक्षियों के शासी निकाय की लेखन समिति ने १४० से अधिक भाषाओं में ज्ञान पुस्तक के प्रकाशन की अनुमति दे दी थी, और तब तक १११ भाषाओं में इसकी ३,०५,००,००० प्रतियाँ छप चुकी थीं। यह पुस्तक इस लक्ष्य से लिखी गयी थी कि बाइबल विद्यार्थियों को परमेश्वर के वचन और उद्देश्यों के बारे में इतना सीखने में मदद दे दे कि वे यहोवा को समर्पण करें और बपतिस्मा ले लें। क्योंकि राज्य प्रकाशक उसी विद्यार्थी के साथ सालों तक गृह बाइबल अध्ययन नहीं करेंगे, वे अधिक लोगों के साथ अध्ययन कर सकते हैं या घर-घर के कार्य में और सेवकाई के अन्य पहलुओं में अपना हिस्सा बढ़ा सकते हैं। (प्रेरितों ५:४२; २०:२०, २१) परमेश्वर के सामने अपनी जवाबदेही से अवगत, वे ईश्वरीय चेतावनियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं। (यहेजकेल ३३:७-९) लेकिन उनका मुख्य उद्देश्य है यहोवा को सम्मान देना और इस दुष्ट रीति-व्यवस्था के अभी बाक़ी बचे थोड़े-से समय में सुसमाचार के बारे में सीखने में यथासंभव लोगों की मदद करना।
परिवारों के रूप में एक उत्तम लेखा देना
१३. धर्म-परायण परिवारों का एक नियमित पारिवारिक बाइबल अध्ययन क्यों होना चाहिए?
१३ सच्ची मसीहियत अपनाने वाला हर व्यक्ति और परिवार परमेश्वर के सामने जवाबदेह है और इसलिए उसे ‘प्रौढ़ता की ओर बढ़ना’ (NW) चाहिए और “विश्वास में दृढ़” होना चाहिए। (इब्रानियों ६:१-३; १ पतरस ५:८, ९) उदाहरण के लिए, जिन्होंने ज्ञान पुस्तक का अध्ययन किया है और बपतिस्मा लिया है उन्हें नियमित रूप से सभाओं में उपस्थित होने साथ ही बाइबल और अन्य मसीही प्रकाशन पढ़ने के द्वारा अपना शास्त्रीय ज्ञान पूरा करने की ज़रूरत है। धर्म-परायण परिवारों में एक नियमित पारिवारिक अध्ययन भी होना चाहिए, क्योंकि वह ‘जागते रहने, विश्वास में स्थिर रहने, पुरुषार्थ करने, बलवन्त होने’ का एक महत्त्वपूर्ण तरीक़ा है। (१ कुरिन्थियों १६:१३) यदि आप एक घराने के सिर हैं, तो यह निश्चित करने के लिए कि आपका परिवार आध्यात्मिक रूप से अच्छी तरह पोषित है आप परमेश्वर के सामने ख़ासकर जवाबदेह हैं। जैसे पौष्टिक भौतिक भोजन शारीरिक स्वास्थ्य में योग देता है, ठीक वैसे ही भरपूर और नियमित आध्यात्मिक भोजन की ज़रूरत है यदि आप और आपके परिवार को “विश्वास में पक्के” रहना है।—तीतुस १:१३.
१४. एक सुशिक्षित इस्राएली लड़की के साक्षी देने का क्या परिणाम हुआ?
१४ यदि आपके घराने में बच्चे हैं, तो उन्हें ठोस आध्यात्मिक मार्गदर्शन देने के लिए परमेश्वर आपका लेखा स्वीकार्य पाएगा। ऐसी शिक्षा से उन्हें लाभ होगा, जैसे उस छोटी इस्राएली लड़की को हुआ जो परमेश्वर के भविष्यवक्ता एलीशा के दिनों में अरामियों द्वारा बन्दी बनायी गयी थी। वह एक कोढ़ी अरामी सेनापति, नामान की पत्नी की दासी बन गयी। जबकि वह लड़की छोटी थी, फिर भी उसने अपनी स्वामिन से कहा: “जो मेरा स्वामी शोमरोन के भविष्यद्वक्ता के पास होता, तो क्या ही अच्छा होता! क्योंकि वह उसको कोढ़ से चंगा कर देता।” उसकी साक्षी के कारण, नामान इस्राएल गया, यरदन नदी में सात बार डुबकी लगाने के एलीशा के निर्देशन को अंततः माना, और कोढ़ से मुक्त हो गया। इसके अलावा, नामान यहोवा का उपासक बन गया। इस बात से वह छोटी लड़की कितनी प्रसन्न हुई होगी!—२ राजा ५:१-३, १३-१९.
१५. माता-पिताओं के लिए यह क्यों महत्त्वपूर्ण है कि अपने बच्चों को उत्तम आध्यात्मिक प्रशिक्षण दें? सचित्रित कीजिए।
१५ इस नैतिक रूप से खोखले संसार में जो शैतान के वश में पड़ा है परमेश्वर का भय माननेवाले बच्चे बड़ा करना आसान नहीं है। (१ यूहन्ना ५:१९) लेकिन, तीमुथियुस के बालकपन से उसकी नानी लोइस और उसकी माता, यूनीके ने उसे सफलतापूर्वक शास्त्र सिखाया। (२ तीमुथियुस १:५; ३:१४, १५) अपने बच्चों के साथ बाइबल का अध्ययन करना, उन्हें नियमित रूप से मसीही सभाओं में ले जाना, और कुछ समय बाद उन्हें सेवकाई में अपने साथ ले जाना, ये सभी उस प्रशिक्षण पद्धति का भाग हैं जिसके लिए आपको परमेश्वर को लेखा देना पड़ेगा। वेल्स् में एक मसीही, जिसकी उम्र अभी ८५ के आस-पास है, याद करती है कि दशक १९२० के आरंभ में, उसका पिता उसे अपने साथ ले जाता था जब वह अगली घाटी में गाँववालों को बाइबल ट्रैक्ट बाँटने के लिए पहाड़ पर से दस किलोमीटर चलकर जाता था (आने-जाने की यात्रा २० किलोमीटर)। “उन यात्राओं के दौरान मेरे पिता ने मेरे हृदय में सत्य बिठाया,” वह आभार के साथ कहती है।
प्राचीन लेखा देते हैं—कैसे?
१६, १७. (क) प्राचीन इस्राएल में आध्यात्मिक रूप से प्रौढ़ पुरनियों ने कौन-से विशेषाधिकारों का आनन्द लिया? (ख) प्राचीन इस्राएल में स्थिति की तुलना में, आज मसीही प्राचीनों से उससे अधिक की माँग क्यों की जाती है?
१६ “पक्के बाल शोभायमान मुकुट ठहरते हैं; [जब] वे धर्म के मार्ग पर चलने से प्राप्त होते हैं,” बुद्धिमान पुरुष सुलैमान ने कहा। (नीतिवचन १६:३१) लेकिन मात्र शारीरिक उम्र ही एक व्यक्ति को परमेश्वर के लोगों की कलीसिया में ज़िम्मेदारी के लिए सज्जित नहीं करती। प्राचीन इस्राएल में आध्यात्मिक रूप से प्रौढ़ पुरनियों ने न्याय के प्रशासन और शान्ति, सुव्यवस्था, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए न्यायियों और अधिकारियों के रूप में सेवा की। (व्यवस्थाविवरण १६:१८-२०) हालाँकि यही बात मसीही कलीसिया के लिए भी सच है, जैसे-जैसे इस रीति-व्यवस्था का अन्त निकट आता जाता है प्राचीनों से उससे अधिक की माँग की जाती है। क्यों?
१७ इस्राएली ‘चुने हुए लोग’ थे जिन्हें परमेश्वर ने प्राचीन मिस्र से छुड़ाया था। क्योंकि उन्होंने अपने मध्यस्थ, मूसा के द्वारा व्यवस्था प्राप्त की थी, उनके वंशज एक समर्पित जाति में जन्मे थे और यहोवा के नियमों से अवगत थे। (व्यवस्थाविवरण ७:६, ११) लेकिन, आज कोई ऐसी समर्पित जाति में नहीं जन्म लेता, और अपेक्षाकृत थोड़े ही लोग शास्त्रीय सच्चाई से परिचित धर्म-परायण परिवारों में बढ़ते हैं। शास्त्रीय सिद्धान्तों के अनुसार कैसे जीएँ इस पर ख़ासकर उन्हें मार्गदर्शन की ज़रूरत हो सकती है जिन्होंने हाल ही में ‘सत्य पर चलना’ शुरू किया है। (३ यूहन्ना ४) इसलिए वफ़ादार प्राचीनों के कन्धों पर कितनी ज़िम्मेदारी है कि वे ‘स्वास्थ्यकर शब्दों के नमूने को पकड़े रहें’ और यहोवा के लोगों की मदद करें!—२ तीमुथियुस १:१३, १४, NW.
१८. कलीसिया प्राचीनों को किस क़िस्म की मदद देने के लिए तैयार होना चाहिए, और क्यों?
१८ चलना सीख रहा एक छोटा बच्चा ठोकर खाकर गिर सकता है। वह असुरक्षित महसूस करता है और उसे माता-पिता की मदद और आश्वासन की ज़रूरत होती है। उसी प्रकार यहोवा को समर्पित एक व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से ठोकर खा सकता है या गिर सकता है। वही करने के लिए जो परमेश्वर की दृष्टि में सही या भला है प्रेरित पौलुस को भी संघर्ष करना ज़रूरी लगा। (रोमियों ७:२१-२५) परमेश्वर के झुंड के रखवालों को ऐसे मसीहियों को प्रेममय सहायता देने की ज़रूरत है जिन्होंने अपराध तो किया है लेकिन सचमुच पश्चाताप किया है। जब प्राचीनों ने एक समर्पित स्त्री से भेंट की जिसने एक गंभीर ग़लती की थी, तब उसने अपने समर्पित पति की उपस्थिति में कहा: “मैं जानती हूँ कि आप मुझे बहिष्कृत कर देंगे!” लेकिन वह रो पड़ी जब उससे कहा गया कि प्राचीन यह जानना चाहते थे कि उस परिवार को आध्यात्मिक रूप से पुनःस्थापित करने के लिए कैसी मदद की ज़रूरत है। इस बात से अवगत कि उन्हें लेखा देना है, प्राचीन एक पश्चातापी संगी विश्वासी की मदद करने के लिए ख़ुश थे।—इब्रानियों १३:१७.
एक उत्तम लेखा देते रहिए
१९. परमेश्वर को हम अपना एक उत्तम लेखा कैसे देते रह सकते हैं?
१९ कलीसिया प्राचीनों और परमेश्वर के अन्य सभी सेवकों को यहोवा को अपना एक उत्तम लेखा देते रहने की ज़रूरत है। यह संभव है यदि हम परमेश्वर के वचन का पालन करते हैं और उसकी इच्छा पर चलते हैं। (नीतिवचन ३:५, ६; रोमियों १२:१, २, ९) हम ख़ासकर उनके लिए भला करना चाहते हैं जो विश्वास में हमारे सम्बन्धी हैं। (गलतियों ६:१०) लेकिन, पक्के खेत अब भी बहुत हैं, और मज़दूर थोड़े हैं। (मत्ती ९:३७, ३८) सो परिश्रम के साथ राज्य संदेश सुनाने के द्वारा आइए दूसरों के लिए भला करें। यदि हम अपना समर्पण पूरा करते हैं, उसकी इच्छा पर चलते हैं, और ईमानदारी से सुसमाचार सुनाते हैं, तो यहोवा हमारा लेखा स्वीकार्य पाएगा।
२०. नहेमायाह के मार्ग पर विचार करने से हम क्या सीखते हैं?
२० इसलिए आइए प्रभु के कार्य में बहुत कुछ करना जारी रखें। (१ कुरिन्थियों १५:५८) और अच्छा होगा कि हम नहेमायाह पर विचार करें, जिसने यरूशलेम की शहरपनाह को फिर से बनाया, परमेश्वर की व्यवस्था प्रभावी की, और जोश के साथ सच्ची उपासना को बढ़ावा दिया। उसने प्रार्थना की कि यहोवा परमेश्वर उसे उस भलाई के लिए याद करे जो उसने की थी। ऐसा हो कि आप भी यहोवा के प्रति उतने ही समर्पित साबित हों, और ऐसा हो कि वह आपका लेखा स्वीकार्य पाए।
आपके उत्तर क्या हैं?
◻ नहेमायाह ने क्या उदाहरण रखा?
◻ ज्ञान हमें परमेश्वर के सामने जवाबदेह क्यों बनाता है?
◻ अपनी सेवकाई में हम यहोवा को एक स्वीकार्य लेखा कैसे दे सकते हैं?
◻ परमेश्वर को एक उत्तम लेखा देने के लिए परिवार क्या कर सकते हैं?
◻ मसीही प्राचीन कैसे लेखा देते हैं?
[पेज 18 पर तसवीरें]
पौलुस की तरह, हम राज्य उद्घोषकों के रूप में परमेश्वर को एक उत्तम लेखा दे सकते हैं
[पेज 19 पर तसवीरें]
नामान के घर में उस छोटी इस्राएली लड़की के समान क्या आपके बच्चे विश्वास में मज़बूत हैं?