इस अतुलनीय अवसर का लाभ उठाइए!
पीटर अपने चिकत्सीय अध्ययन में काफ़ी आगे था जब बाइबल के उद्धार के सन्देश ने उसकी दिलचस्पी को आकर्षित किया। जब उसने स्नातकता प्राप्त की और एक अस्पताल में एक डॉक्टर के तौर पर काम शुरू किया, तो उसके वरिष्ठों ने उसे एक तंत्रिकाशल्य चिकित्सक के तौर पर विशेषज्ञ बनने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया। यहाँ एक ऐसा अवसर था जिसका अनेक नए डॉक्टर निःसंकोच लाभ उठाते।
फिर भी, पीटरa ने इस अवसर को जाने देने का निर्णय किया। क्यों? क्या उसमें मात्र महत्त्वकांशा और ज़रूरी प्रेरणा की कमी थी? जी नहीं, क्योंकि पीटर ने इस पेशकश पर सावधानीपूर्वक विचार किया था। यहोवा का एक समर्पित, बपतिस्मा-प्राप्त साक्षी बनने के बाद, उसने मसीही सेवकाई के अनेक पहलुओं पर यथासंभव समय बिताने की इच्छा की। एक बार वह तंत्रिकाशल्य चिकित्सक के तौर पर योग्य हो जाता है, उसने तर्क किया, तो उसका पेशा उसका ज़्यादा से ज़्यादा समय और शक्ति लेता। इस विशिष्ट भविष्य को छोड़ देने में क्या वह मूर्ख था, या क्या वह बुद्धिमान था?
कुछ लोगों को, पीटर का निर्णय शायद मूर्खतापूर्ण लगा हो। लेकिन, उसने इफिसियों ५:१५, १६ जैसे बाइबल पाठों को ध्यान में रखा। वहाँ प्रेरित पौलुस ने संगी मसीहीयों से आग्रह किया: “ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो। और अवसर को बहुमोल समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं।”
कृपया अभिव्यक्ति “अवसर” पर ध्यान दीजिए। यह एक यूनानी शब्द से अनुवादित है जिसे बाइबल में अधिकतर बार ख़ास लक्षणों से चिन्हित या किसी ख़ास गतिविधि के लिए उपयुक्त किसी समय या अवधि को सूचित करने के लिए प्रयोग किया गया। यहाँ पौलुस ने ज़ोर दिया कि मसीहियों को महत्त्वपूर्ण मामलों के लिए समय निकालना चाहिए। निश्चित ही, उन्हें ‘उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानने की’ ज़रूरत है। (फिलिप्पियों १:१०) यह प्राथमिकताएँ तय करने का एक सवाल है।
तो फिर, हमारे समय के लिए ईश्वरीय उद्देश्य क्या है? उन लोगों के लिए जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं परमेश्वर की इच्छा क्या है? बाइबल भविष्यवाणियाँ स्पष्ट रूप से हमारे दिन की पहचान “अन्त समय” या “अन्तिम दिनों” के रूप में कराती हैं। (दानिय्येल १२:४; २ तीमुथियुस ३:१) मसीह यीशु ने इस बारे में कोई संदेह नहीं छोड़ा कि हमारे दिनों के लिए सर्वोपरि महत्त्व की बात क्या होती। उसने सुस्पष्ट रूप से कहा कि इस दुष्ट रीति-व्यवस्था के अन्त से पहले, ‘राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाता, कि सब जातियों पर गवाही हो।’ केवल तभी अन्त आता।—मत्ती २४:३, १४.
इसलिए, हमें राज्य का सुसमाचार प्रचार करने और चेले बनाने के हरेक अवसर का लाभ उठाने की ज़रूरत है। (मत्ती २८:१९, २०) क्योंकि ये गतिविधियाँ फिर कभी दोहरायी नहीं जाएँगी, इस जीवनरक्षक कार्य में हमारा तन-मन लगाने का यह आख़िरी अवसर है। “अभी ग्रहण किए जाने का समय है।” निश्चित ही, “अभी वह उद्धार का दिन है।”—२ कुरिन्थियों ६:२, NHT.
एक बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय करना
पीटर ने—वह युवा पुरुष जिसका वर्णन आरम्भ में किया गया—सावधानीपूर्वक अपने निर्णय के बारे में सोचा और अपने विकल्पों को आँका। उसने महसूस किया कि एक तंत्रिकाशल्य चिकित्सक बनने के विचार से अध्ययन करना उसके लिए ग़लत नहीं होता। लेकिन उसके लिए सबसे महत्त्वपूर्ण बात क्या थी? इस कार्य की अत्यावश्कता को देखते हुए, यह थी मसीही सेवकाई में उसकी गतिविधि। साथ ही, उसे कुछ बाध्यताएँ पूरी करनी थीं। वह विवाहित था और अपनी पत्नी की देखभाल करनी थी, जो प्रचार कार्य में पूर्ण-समय हिस्सा ले रही है। (१ तीमुथियुस ५:८) पीटर को अपने शिक्षण से सम्बन्धित कर्ज़ भी चुकाने थे। तब, उसने क्या करने का निर्णय किया?
पीटर ने रेडियोलॉजी में विशेषज्ञ बनने का और अल्ट्रासाउन्ड स्कैन करने का निर्णय किया। यह ऐसा काम था जो एक सामान्य कार्य-दिवस की माँग करता। वह नियमित कार्य के घंटों के दौरान अपना प्रशिक्षण भी पाता। जी हाँ, कुछ लोग शायद इसे एक कम प्रतिष्ठापूर्ण उपाधि समझें, लेकिन यह उसे आध्यात्मिक गतिविधियों में ज़्यादा समय लगाने की अनुमति देता।
एक और सोच-विचार ने पीटर के निर्णय को प्रेरित किया। उनका न्याय न करते हुए जो शायद भिन्न प्रकार का निर्णय करें, वह जानता था कि लौकिक मामलों में हद से ज़्यादा अन्तर्ग्रस्त होना एक मसीही के लिए वाक़ई ख़तरा पैदा करता है। यह उसके लिए आध्यात्मिक ज़िम्मेदारियों को नज़रअंदाज़ करने का कारण बन सकता है। इसे एक अन्य उदाहरण द्वारा समझाया गया है जो रोज़गार से सम्बन्धित है।
एक अमुक पूर्ण-समय राज्य प्रचारक एक प्रशिक्षित चित्रकार था। वह अपने चित्रों को बेचने के द्वारा आर्थिक रूप से अपना ख़र्च चलाने में समर्थ था। सर्व-महत्त्वपूर्ण मसीही सेवकाई में अपना अधिकांश समय अर्पित करने के साथ-साथ, वह इस प्रकार आराम से अपनी मदद कर सकता था। लेकिन, अपनी चित्रकारी को आगे बढ़ाने की इच्छा पैदा होने लगी। वह चित्रकारी और कला जगत में ज़्यादा अन्तर्ग्रस्त हो गया, पूर्ण-समय सेवकाई छोड़ दी, और जहाँ तक राज्य-प्रचार गतिविधि का सम्बन्ध था वह आख़िरकार पूर्ण रूप से निष्क्रिय बन गया था। कुछ समय बाद, वह अशास्त्रीय चालचलन में अन्तर्ग्रस्त हो गया, जिसका परिणाम यह हुआ कि वह आगे मसीही कलीसिया का भाग नहीं रहा।—१ कुरिन्थियों ५:११-१३.
हमारा समय असाधारण है
उन लोगों के तौर पर जो अब यहोवा की सेवा कर रहे हैं, निश्चय ही हम उसके प्रति वफ़ादार रहना चाहते हैं। हम जानते हैं कि हम मानव इतिहास के सबसे असाधारण समय में जी रहे हैं। निरंतर परमेश्वर की सेवा करते रहने में और वर्तमान-दिन की परिस्थितियों का प्रभावशाली रूप से सामना करने के लिए, हमें शायद विभिन्न समंजन करने की ज़रूरत पड़े। हम इसकी तुलना किसान के लिए कटनी के समय से कर सकते हैं। यह ख़ास गतिविधि का एक समय है, जब खेत पर काम करनेवालों से साधारण से ज़्यादा प्रयत्न करने और ज़्यादा घंटे डालने की अपेक्षा की जाती है। क्यों? क्योंकि कटनी को एक सीमित समयावधि के अन्दर इकट्ठा किया जाना ज़रूरी होता है।
इस वर्तमान दुष्ट रीति-व्यवस्था का बहुत कम समय ही रह गया है। अब पहले से कहीं अधिक, एक सच्चे मसीही को यीशु के उदाहरण का अनुसरण करने और उसके पदचिन्हों पर चलने का स्वयं प्रयत्न करने की ज़रूरत है। पृथ्वी पर उसकी जीवन-शैली ने स्पष्ट रूप से दिखाया कि कौन-सी बात उसके लिए सबसे ज़्यादा महत्त्व की थी। उसने कहा: “जिस ने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आनेवाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता।” (यूहन्ना ९:४) यह कहने के द्वारा कि रात आनेवाली थी, यीशु अपनी परीक्षा, सूली पर चढ़ाए जाने, और मृत्यु के समय की बात कर रहा था, जब उसकी पार्थिव सेवकाई समाप्त होती और वह अपने स्वर्गीय पिता के कामों में अन्तर्ग्रस्त होने में समर्थ नहीं होता।
सच है, उसकी साढ़े तीन वर्ष की सेवकाई के दौरान, यीशु ने अपना कुछ समय चमत्कार दिखाने और बीमारों को चंगा करने में बिताया। फिर भी, उसने अपना अधिकांश समय राज्य का समाचार सुनाने और झूठे धर्म से “बन्धुओं को छुटकारे का . . . सुसमाचार प्रचार” करने में इस्तेमाल किया। (लूका ४:१८; मत्ती ४:१७) यीशु ने अपनी सेवकाई में गंभीर प्रयास किए और उसने अपने चेलों को प्रशिक्षित करने के लिए भी समय निकाला ताकि वे उस नींव पर निर्माण कर सके जो उसने डाली थी और प्रचार कार्य को प्रभावशाली रूप से जारी रखें। यीशु ने राज्य हितों को बढ़ावा देने के लिए हर अवसर का लाभ उठाया और चाहता था कि उसके चेले भी वैसा ही करें।—मत्ती ५:१४-१६; यूहन्ना ८:१२.
यीशु की तरह, हम जो उसके आधुनिक-दिन अनुयायी हैं हमें मनुष्यजाति की स्थिति को उस तरह से देखने की ज़रूरत है जिस तरह यहोवा परमेश्वर देखता है। इस रीति-व्यवस्था का समय ख़त्म होता जा रहा है, और परमेश्वर दयापूर्वक चाहता है कि सबको उद्धार पाने का अवसर मिले। (२ पतरस ३:९) इस कारण, क्या यह बुद्धिमानी नहीं होगी कि यहोवा की इच्छा पूरी करने के लिए बाक़ी लक्ष्यों को दूसरे स्थान पर रखें? (मत्ती ६:२५-३३) ख़ास तौर पर आज के जैसे एक विशिष्ट समय में, मसीहियों के तौर पर हमारे जीवन में जिस काम को साधारण रूप से महत्त्वपूर्ण समझा जाता है वह शायद कम महत्त्व का बन जाए।
क्या हममें से कोई भी परमेश्वर की इच्छा को अपने जीवन में पहला स्थान देकर पछताएगा? निश्चित ही नहीं, क्योंकि आत्म-त्याग का मसीही जीवन-मार्ग शानदार रूप से प्रतिफलदायक है। उदाहरण के लिए, यीशु ने अपने चेलों को बताया: “मैं तुम से सच सच कहता हूं, ऐसा कोई नहीं जिसने मेरे और सुसमाचार के कारण घर या भाइयों या बहिनों, या माता या पिता या बच्चों या खेतों को छोड़ दिया हो। और वह वर्तमान समय में घरों, और भाइयों और बहिनों, और माताओं, और बच्चों और खेतों को सौ गुना अधिक न पाए, पर सताव के साथ, तथा आने वाले युग में अनन्त जीवन।”—मरकुस १०:२९, ३०, NHT.
कोई भी व्यक्ति उन प्रतिफलों की क़ीमत नहीं आँक सकता जिसका आनन्द वे लोग उठाते हैं जो यहोवा की स्तुति करने और राज्य सन्देश की उद्घोषणा करने में अपने समय का प्रयोग करते हैं। वे कितनी सारी आशिषों का आनन्द उठाते हैं! इनमें सच्चे मित्र, ईश्वरीय इच्छा को पूरा करने की संतुष्टि, परमेश्वर के अनुमोदन की मुस्कान, और अन्तहीन जीवन की प्रत्याशा शामिल है। (प्रकाशितवाक्य २१:३, ४) और आध्यात्मिक तौर पर लोगों की मदद करना और साक्षियों के तौर पर यहोवा के पवित्र नाम को महिमा लाना क्या ही आशिष है! इसमें कोई प्रश्न नहीं कि ‘अवसर को बहुमोल समझना’ सचमुच बुद्धिमत्ता और प्रतिफलदायक मार्ग है। पहले से कहीं ज़्यादा अब परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार की घोषणा करने में हिस्सा लेने का समय है। क्या आप इस अतुलनीय अवसर का लाभ उठाएँगे और इसे थामे रहेंगे?
[फुटनोट]
a एक एवज़ी नाम।