खण्डहरों के बीच राहत प्रदान करना
विपत्ति के समय मनुष्य द्वारा राहत प्रदान करने का प्रयास वाक़ई सराहनीय है। अनेक राहत कार्यक्रमों ने घरों के पुनःनिर्माण, परिवारों के पुनर्मिलन, और सबसे महत्त्वपूर्ण जीवन बचाने में मदद की है।
जब विपत्ति आती है, तो यहोवा के साक्षी लौकिक राहत कार्यक्रमों से जो भी प्रबन्ध किए जाते हैं उनका लाभ उठाते हैं।—और उनके लिए कृतज्ञ हैं। साथ ही, उन पर शास्त्रीय बाध्यता है कि वे “भलाई करें; विशेष करके [अपने] विश्वासी भाइयों के साथ।” (गलतियों ६:१०) जी हाँ, साक्षी महसूस करते हैं मानो कि वे रिश्तेदार हों; वे एक दूसरे को “परिवार” के तौर पर देखते हैं। इसी वजह से वे एक दूसरे को “भाई” और “बहन” कहकर बुलाते हैं।—मरकुस ३:३१-३५; फिलेमोन १, २ से तुलना कीजिए।
सो जब पड़ोस का क्षेत्र विपत्ति से प्रभावित होता है, तो यहोवा के साक्षियों के बीच प्राचीन, कलीसिया के हरेक सदस्य का पता-ठिकाना और उनकी ज़रूरतों को निश्चित करने के लिए कड़े प्रयास करते हैं और आवश्यक सहायता के लिए प्रबन्ध करते हैं। ग़ौर कीजिए कि यह अकरा, घाना; सैन ऎन्जलो अमरीका; और कोबे, जापान में कैसे सच साबित हुआ।
अकरा—“एक लघु नूह का दिन”
रात के लगभग ११ बजे बारिश होने लगी, और घंटो तक मूसलाधार रूप से होती रही। “बारिश इतनी ज़ोर से हो रही थी कि मेरा सारा परिवार जागा हुआ था,” अकरा में एक यहोवा का साक्षी जॉन ट्वूमॉसी कहता है। डेली ग्राफ्रिक (अंग्रेज़ी) ने इसे “एक लघु नूह का दिन” कहा। “हमने ऊपर की मंज़िल पर कुछ क़ीमती सामान ले जाने की कोशिश की,” जॉन आगे कहता है, “लेकिन जैसे ही हमने सीढ़ियों की ओर जानेवाला दरवाज़ा खोला, बाढ़ का पानी अन्दर उमड़ता हुआ आया।”
प्राधिकारियों ने जगह ख़ाली करने की चेतावनी दी, फिर भी अनेक लोगों ने इस भय से संकोच किया कि एक ख़ाली घर—चाहे पानी से भरा हुआ भी क्यों न हो—शायद लुटेरों को आमंत्रण दे। कुछ लोग चाहकर भी छोड़ कर न जा सके। “मेरी माँ और मैं दरवाज़ा खोलने में असमर्थ थे,” पाउलीना नामक एक लड़की कहती है। “पानी बढ़ता गया, सो हम लकड़ी के पीपों पर खड़े हो गए, और छत की एक कड़ी को पकड़ लिया। आख़िरकार, लगभग सुबह पाँच बजे हमारे पड़ोसियों ने हमें बचाया।”
जितना जल्दी यह संभव हुआ, यहोवा के साक्षी काम में जुट गए। बीटरस नामक एक मसीही बहन बताती है: “कलीसिया के प्राचीन हमें खोज रहे थे, और उन्होंने हमें एक संगी साक्षी के घर पर पाया, जहाँ हमने शरण ली थी। बाढ़ आने के मात्र तीन दिन बाद, कलीसिया के प्राचीन और युवा सदस्य हमारी ओर आए और हमारे घर के भीतर और बाहर से कीचड़ को खुरचकर निकाला। वॉच टावर संस्था ने डिटर्जेन्ट, कीटनाशक, रंग, बिस्तर, कम्बल, कपड़े, और बच्चों के लिए कपड़े सप्लाई किए। भाइयों ने कई दिनों तक हमें खाना भेजा। इसका मुझ पर गहरा प्रभाव हुआ!”
जॉन ट्वूमॉसी, जिसे पहले उद्धृत किया गया है, हाल बताता है: “मैंने अन्य किराएदारों को बताया कि हमारी संस्था ने हमें डिटर्जेन्ट और कीटनाशक भेजे हैं—जो पूरा घर साफ़ करने के लिए पर्याप्त है। लगभग ४० किराएदारों ने सफ़ाई करने में मदद की। मैंने थोड़ा डिटर्जेन्ट अपने पड़ोसियों को दिया, जिनमें एक व्यक्ति वह था जो स्थानीय गिरजे का पादरी है। मेरे सहकर्मियों ने ग़लती से यह सोचा कि यहोवा के साक्षी केवल अपने लोगों के प्रति ही प्रेम दिखाते हैं।”
मसीही भाइयों और बहनों ने उस प्रेममय सहायता के प्रति गहरा मूल्यांकन दिखाया जो उन्हें दी गई थी। भाई ट्वूमॉसी अन्त में कहता है: “हालाँकि जिन वस्तुओं को मैंने बाढ़ में खोया था उनकी क़ीमत राहत सामग्री से ज़्यादा थी, मेरा परिवार और मैं महसूस करते हैं कि संस्था की ओर से इस हार्दिक प्रबन्ध की वजह से, हमने उससे भी कहीं ज़्यादा पाया है जो हमने खो दिया।”
सैन ऎन्जलो—“ऐसा लगा जैसे संसार का अन्त हो रहा था”
मई २८, १९९५ को जिस बवण्डर ने सैन ऎन्जलो को तहस-नहस किया था उसने, पेड़ों को उखाड़ दिया, बिजली के खम्भों को तोड़ दिया, और बिजली की नंगी तारों को सड़कों पर फैंक दिया। हवा १६० किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रही थी, जिससे जनोपयोगी सेवाओं को नुक़सान हुआ। २०,००० से ज़्यादा घरों में बिना बिजली के अन्धेरा छा गया। उसके बाद ओले गिरे। राष्ट्रीय मौसम सेवा ने हाल बताया “गोल्फ़ की गेन्द के आकार के ओले,” फिर “सोफ़्टबॉल के आकार के ओले,” और आख़िर में, “छोटे चकोतरे के आकार के ओले।” इसकी मार बहरा करनेवाली थी। एक निवासी ने कहा: “ऐसा लगा जैसे संसार का अन्त हो रहा था।”
तूफ़ान के बाद एक भूतीया ख़ामोशी छा गई। लोग नुक़सान का जायज़ा लेने के लिए अपने टूटे-फूटे घरों से धीरे-धीरे बाहर निकले। जो पेड़ अब तक खड़े थे उनकी डालियाँ झड़ चुकी थीं। जो घर अभी तक खड़े थे ऐसे दिखते थे मानो उनकी खाल उधेड़ दी गई हो। कुछ क्षेत्रों में ओलों ने ज़मीन को परतों से ढक दिया जो एक मीटर तक गहरी थीं। घरों और वाहनों की हज़ारों खिड़कियाँ तूफ़ान में टुकड़े-टुकड़े हो गई थीं, जिससे टूटे काँच के टुकड़े ओलों के साथ अब चमक रहे थे जो ज़मीन को ढाँपे हुए थे। “जब मैं घर पहुँची,” एक महिला कहती है, “मैं दौड़-पथ पर बस अपनी कार में बैठी रही और रोई। नुक़सान इतनी बुरी तरह हुआ था, कि उसने मुझे बस बेहाल कर दिया।”
राहत कार्यक्रमों और अस्पतालों ने शीघ्रता से आर्थिक सहायता, निर्माण सामग्री, चिकित्सीय उपचार, और सलाहकारी का प्रबन्ध किया। सराहनीय रूप से, अनेक व्यक्तियों ने जो स्वयं तूफ़ान के शिकार थे दूसरों की मदद करने के लिए वे जो कर सकते थे किया।
यहोवा के साक्षियों की कलीसियाओं ने भी कार्यवाही की। ओबरी कॉनर, सैन ऎन्जलो का एक प्राचीन, हाल बताता है: “जैसे ही तूफ़ान शान्त हुआ, हम फ़ोन पर एक दूसरे का हाल पूछ रहे थे। हमने अपनी और अपने ग़ैर-साक्षी पड़ोसियों की खिड़कियों पर तख़्ते लगाने, छतों पर प्लास्टिक बिछाने, और जितना संभव था उतना घर को ऋतु प्रभाव विरोधी बनाने में मदद की। फिर हमने कलीसिया के हर उस व्यक्ति का नाम लिखा जिसका घर प्रभावित हुआ था। लगभग सौ घरों को मरम्मत की ज़रूरत थी, और राहत एजेन्सियों द्वारा प्रदान किया गया सामान पर्याप्त नहीं था। सो हमने अतिरिक्त सामान ख़रीदा और कार्य करने के लिए संगठित हुए। कुल मिलाकर, क़रीब १,००० साक्षियों ने मदद के लिए स्वेच्छा प्रकट की, लगभग २५० हरेक सप्ताहान्त में। वे ७४० किलोमीटर तक की दूरी से आए थे। सभी ने अथक रूप से काम किया, अकसर ४० डिग्री सेलसियस के मौसम में। यहाँ तक कि एक ७०-वर्षीया बहन ने हमारे साथ सिवाय एक को छोड़ हर सप्ताहन्त में काम किया, और ऐसा तब हुआ जब उसके अपने घर की मरम्मत हो रही थी। और उस एक सप्ताहन्त में वह अपनी छत पर चढ़कर मरम्मत में सहायता कर रही थी!
“हम अकसर देखनेवालों की टिप्पणियाँ सुनते थे जैसे, ‘क्या यह अच्छा नहीं होता यदि बाक़ी धर्म भी अपने सदस्यों के लिए ऐसा ही करते।?’ हमारे पड़ोसी शुक्रवार सुबह एक संगी साक्षी के घर पर १० से १२ स्वयंसेवकों (बहनों को मिलाकर) के एक दल को देखकर प्रभावित हुए, जो मुफ़्त मरम्मत करने, यहाँ तक कि पूरी छत को दोबारा बनाने के लिए तैयार थे। अनेक मामलों में कार्य केवल एक सप्ताहान्त में समाप्त हो गया। कभी-कभी, एक बाहर का ठेकेदार छत बनाने के काम में पहले से ही पूरी तरह लगा होता था जब हमारा दल दूसरे दरवाज़े पर आता। हम अपनी छत को उधेड़ते और दोबारा बनाते और इससे पहले कि उनका काम ख़त्म हो हम आँगन साफ़ कर चुके होते। कभी-कभी वे सिर्फ़ हमें देखने के लिए अपना काम रोक देते थे!”
भाई कॉनर आख़िर में कहता है: “हम सभी को उस अनुभव की जिसका हमने एकसाथ आनन्द उठाया था बहुत याद आएगी। जैसा पहले कभी नहीं था भाइचारे का प्रेम दिखाने और पाने के द्वारा हम एक दूसरे को एक भिन्न दृष्टिकोण से जान पाए हैं। हम महसूस करते हैं कि यह मात्र एक नमूना है कि परमेश्वर के नए संसार में स्थिति कैसी होगी, जिसमें भाई और बहन एक दूसरे की सहायता कर रहे होंगे क्योंकि वे सचमुच करना चाहते हैं।”—२ पतरस ३:१३.
कोबे—“लकड़ी, पलस्तर, और मानव शवों का मलबा”
कोबे के निवासियों को तैयार रहना चाहिए था। वास्तव में, प्रत्येक सितम्बर १ के दिन वे विपत्ति रोकथाम दिवस मनाते हैं। स्कूली बच्चे भूकम्प अभ्यास करते हैं, सेना हैलिकॉप्टर बचाव मिशनों का पूर्वाभ्यास करती है, और दमकल विभाग अपनी भूकम्प-अनुरूपण मशीनें ले आते हैं, जिसके अन्दर स्वयंसेवी एक ऐसे कमरे के आकार के बक्से में अपने बचाव कौशलों का अभ्यास करते हैं जो कि वास्तविक भूकम्प की तरह ही कम्पित होता है। लेकिन जब जनवरी १७, १९९५ को असली घटना घटी तब सारी तैयारियाँ बेकार लगने लगीं। दसियों हज़ार छतें ढह गईं—ऐसा जो अनुरूपणों में कभी-भी नहीं हुआ। रेलगाड़ियाँ पलट गईं, राजमार्गों के हिस्से टूट गए; गैस और पानी के पाइप फट गए; घर गत्ते के समान गिर पड़े। टाइम (अंग्रेज़ी) पत्रिका दृश्य का वर्णन ‘लकड़ी, पलस्तर, और मानव शवों के मलबे’ के रूप में करती है।”
तब उसके बाद आग लगी। इमारतें जल रही थीं जबकि हतोत्साही आग बुझानेवाले किलोमीटरों तक जाम यातायात में फँसे हुए थे। जो आग तक पहुँचे उन्होंने अकसर पाया कि नगर की क्षतिग्रस्त पानी व्यवस्था से पानी प्राप्त नहीं किया जा सकता था। “पहला दिन पूरी गड़बड़ी का था,” एक अधिकारी ने कहा। “मैंने अपने जीवन में कभी-भी इतना शक्तिहीन महसूस नहीं किया, इस बात को जानते हुए कि उन जलते घरों में कितने सारे लोग दफ़न थे। और यह जानते हुए कि मैं इसमें कुछ भी नहीं कर सकता था।”
कुल मिलाकर, क़रीब ५,००० लोग मारे गए, और लगभग ५०,००० इमारतें मलबे के रूप में पड़ी थीं। कोबे में जितने भोजन की ज़रूरत थी उसका केवल एक तिहाई ही था। पानी प्राप्त करने के लिए कुछ लोग फटे हुए पानी के पाइप लाइन के नीचे से गन्दे द्रव को खुरचने पर तुल गए। अनेक बेघर उन शिविरों में भाग गए, जिनमें से कुछ खाना बाँटते थे, हरेक व्यक्ति को एक दिन में चावल के एक कटोरे जितना कम भोजन। असन्तुष्टि शीघ्र ही फैल गई। “अधिकारियों ने कुछ भी नहीं किया,” एक आदमी ने शिकायत की। “यदि हम उन पर भरोसा करते रहे तो हम भूखे मर जाएँगे।”
कोबे और आस-पास के क्षेत्रों की यहोवा के साक्षियों की कलीसियाओं ने ख़ुद को तुरन्त संगठित किया। एक हैलिकॉप्टर चालक ने, जिसने ख़ुद अपनी आँखों से उनका कार्य देखा, कहा: “भूकम्प के दिन मैं विपत्तिग्रस्त क्षेत्र में गया और वहाँ एक सप्ताह बिताया। जब मैं एक शिविर में पहुँचा, तो सब कुछ अस्तव्यस्त था। कोई भी राहत कार्य, चाहे कैसा भी क्यों न हो, नहीं किया जा रहा था। केवल यहोवा के साक्षी ही थे जो उस क्षेत्र की ओर दौड़े, और एक के बाद एक काम निपटा रहे थे।”
निश्चित ही, बहुत अधिक काम किया जाना था। दस राज्यगृहों को इस्तेमाल के लिए अयोग्य घोषित किया गया, और ४३० से ज़्यादा साक्षी बेघर हो गए थे। इसके साथ ही, १,२०६ ऐसे घर जिनमें वे रह रहे थे उन्हें मरम्मत की ज़रूरत थी। इतना ही नहीं लेकिन उन १५ साक्षियों के परिवारों को सांत्वना की बहुत ज़रूरत थी, जिनकी इस विपत्ति में मृत्यु हो गई थी।
देश-भर में से क़रीब १,००० साक्षियों ने मरम्मत के काम में सहायता देने के लिए स्वेच्छा से अपना समय दिया। “जब हमने उन बाइबल विद्यार्थियों के घरों पर काम किया जिनका अभी बपतिस्मा नहीं हुआ था,” एक भाई बताता है, “हमसे हमेशा पूछा जाता था, ‘इन सबके लिए हमें कितना पैसा देना चाहिए?’ जब हमने उन्हें बताया कि यह कार्य कलीसिया के सहयोग से किया जा रहा था, तो उन्होंने यह कहते हुए हमें धन्यवाद दिया, ‘जो हमने पढ़ा वह अब एक वास्तविकता है!’”
अनेक लोग विपत्ति के प्रति साक्षियों की शीघ्र और सम्पूर्ण प्रतिक्रिया से प्रभावित हुए। “मैं गहराई से प्रभावित हुआ था,” पहले उद्धृत चालक कहता है। “आप एक दूसरे को ‘भाई’ और ‘बहन’ बुलाते हैं। मैंने देखा है कि कैसे आप लोग एक दूसरे की मदद करते हैं; आप लोग वाक़ई एक परिवार हैं।”
साक्षियों ने स्वयं इस भूकम्प से मूल्यवान सबक़ सीखे। एक बहन ने स्वीकार किया: “मैंने हमेशा ऐसा महसूस किया था कि एक संगठन जितना बड़ा होता जाता है, व्यक्तिगत परवाह दिखाना उतना ही मुश्किल होता है।” लेकिन जो कोमल परवाह उसे दिखायी गयी उसने उसके दृष्टिकोण को बदल दिया। “अब मैं जानती हूँ कि यहोवा हमारी परवाह न केवल एक संगठन के तौर पर बल्कि व्यक्तियों के तौर पर कर रहा है।” फिर भी, विपत्तियों से स्थायी राहत भविष्य में है।
[पेज 8 पर बक्स]
जल्द ही स्थायी राहत!
यहोवा के साक्षी एक ऐसे समय की ओर देखते हैं जब मानव जीवन और सम्पत्ति विपत्तियों द्वारा कम नहीं की जाएगी। परमेश्वर के नए संसार में, मनुष्य को पृथ्वी के वातावरण के साथ सहयोग करना सिखाया जाएगा। जब मनुष्य स्वार्थी आदतों को छोड़ देते हैं, वे प्राकृतिक दुर्घटनाओं के प्रति कम असुरक्षित होंगे।
इसके अलावा, यहोवा परमेश्वर—प्राकृतिक शक्तियों का निर्माता—इस बात को देखेगा कि उसके मानव परिवार और पार्थिव सृष्टि को कभी-भी प्रकृति की शक्तियों द्वारा ख़तरा न हो। तब पृथ्वी वास्तव में एक परादीस होगी। (यशायाह ६५:१७, २१, २३; लूका २३:४३) प्रकाशितवाक्य २१:४ की भविष्यवाणी महिमावान् रूप से पूर्ण होगी: “वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।”
[पेज 5 पर तसवीर]
बीटरस जोन्स (बाएँ) प्रदर्शित करती है कि कैसे उसने और दूसरों ने बाढ़ के पानी से पार होने के लिए कतार बनाई थी
[पेज 6 पर तसवीर]
बवण्डर के बाद राहत कार्य