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  • यहोवा मेरा शरणस्थान रहा है
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
w96 12/1 पेज 24-28

यहोवा मेरा शरणस्थान रहा है

पनॆलपी माकरीस द्वारा बताया गया

मेरी माँ ने हाथ जोड़ कर मुझसे बिनती की: “अपने पति को छोड़ दो; तुम्हारे भाई तुम्हारे लिए एक बेहतर पति ढूँढ देंगे।” मुझे प्यार करनेवाली माँ क्यों चाहती कि मैं अपने विवाह को समाप्त कर दूँ? किस बात ने उसे इतना परेशान किया था?

मेरा जन्म १८९७ में यूनान के द्वीप सामोस में, आमबीलोस के छोटे-से गाँव में हुआ था। हमारा परिवार ग्रीक ऑर्थोडॉक्स चर्च का समर्पित सदस्य था। पिता की मृत्यु मेरे जन्म से कुछ ही समय पहले हो गई थी, और माँ, मेरे तीन भाइयों, और मुझे उस समय की घोर ग़रीबी में मात्र जीवित रहने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी।

वर्ष १९१४ में प्रथम विश्‍व युद्ध शुरू हो गया, और उसके शीघ्र बाद मेरे दो बड़े भाइयों को सेना में नाम दर्ज़ करवाने का आदेश दिया गया। लेकिन ऐसा करने से बचने के लिए वे मुझे और मेरे दूसरे भाई को माँ के साथ घर पर छोड़कर अमरीका जाकर बस गए। कुछ वर्षों के बाद, १९२० में, मैंने हमारे गाँव के एक युवा अध्यापक थीमीत्रीस से विवाह कर लिया।

एक महत्त्वपूर्ण भेंट

मेरे विवाह होने के तुरन्त बाद, मेरा मामा अमरीका से हम से भेंट करने आया। इत्तफ़ाक़ से वह अपने साथ चार्ल्स टेज़ रस्सल द्वारा लिखित शास्त्रों में अध्ययन (अंग्रेज़ी) का एक खण्ड लाया था। यह बाइबल विद्यार्थियों का एक प्रकाशन था, जो अब यहोवा के साक्षियों के नाम से जाने जाते हैं।

जब थीमीत्रीस ने पुस्तक खोली, उसने एक ऐसा विषय देखा जिसके बारे में वह बचपन से सोचा करता था, “जब मनुष्य मरता है तब क्या होता है?” उच्चत्तम विद्यालय में उसने एक ग्रीक ऑर्थोडॉक्स धर्म-विज्ञानी से इसी विषय पर सवाल किया था लेकिन उसे एक सन्तोषजनक जवाब नहीं मिला। इस प्रकाशन में प्रदान की गई स्पष्ट और तर्कसंगत व्याख्या ने थीमीत्रीस को इतना ख़ुश कर दिया कि वह सीधे गाँव के कॉफ़ी-घर में गया, जहाँ यूनान के पुरुष लोग रिवाज़ी तौर पर इकट्ठा होते हैं। वहाँ उसने बाइबल की वे बातें बतायीं जो उसने सीखी थीं।

बाइबल सच्चाई के लिए हमारी स्थिति

लगभग इस समय पर—बीसादि के आरम्भ में—यूनान एक अन्य युद्ध में अन्तर्ग्रस्त था। थीमीत्रीस को जबरन भर्ती किया गया और ऐशिया माइनर में, तुर्की के महाद्वीप में भेज दिया गया। वो घायल हो गए और उन्हें घर भेज दिया गया। उनके ठीक होने के बाद, मैं उनके साथ ऐशिया माइनर, स्मिरना (अब इज़मिर, तुर्की) गई। जब १९२२ में अचानक युद्ध समाप्त हो गया, तो हमें भागना पड़ा। वास्तव में, हम सामोस तक जानेवाली एक बुरी तरह क्षतिग्रस्त नाँव में मुश्‍किल से बच पाए थे। घर आने पर, हमने घुटने टेके और परमेश्‍वर का धन्यवाद दिया—ऐसे परमेश्‍वर को जिसके बारे में हमें अब तक मात्र अल्प जानकारी थी।

जल्द ही थीमीत्रीस को द्वीप की राजधानी, वाथी के एक स्कूल में पढ़ाने के लिए नियुक्‍त किया गया। उन्होंने बाइबल विद्यार्थियों के साहित्य को पढ़ना जारी रखा, और एक बरसाती रात को उनमें से दो ने कीओस के द्वीप से आकर हमसे भेंट की। वे अमरीका से कॉलपॉटर्स्‌ के तौर पर सेवा करने वापस आए थे, जैसा कि पूर्ण-समय सुसमाचारकों को पुकारा जाता था। हमने उन्हें रात को अपने घर पर ठहराया, और उन्होंने हमें परमेश्‍वर के उद्देश्‍यों के सम्बन्ध में अनेक बातें बतायीं।

बाद में थीमीत्रीस ने मुझे बताया: “पनॆलपी, मैं जान गया हूँ कि यह सच्चाई है, और मुझे इस पर ज़रूर चलना है। इसका मतलब है कि मुझे ग्रीक ऑर्थोडॉक्स चर्च में गाना गाना बन्द करना होगा और कि स्कूली बच्चों के साथ मैं गिरजे में उपस्थित नहीं हो सकता।” हालाँकि यहोवा के बारे में हमारा ज्ञान सीमित था, लेकिन उसकी सेवा करने की हमारी इच्छा मज़बूत थी। सो मैंने जवाब दिया: “मैं तुम्हारे लिए बाधा नहीं बनूँगी। बस आगे बढ़ते चलो।”

इसके बजाय उन्होंने झिझकते हुए आगे कहा: “हाँ, लेकिन यदि हमारी बात खुल गई, तो मुझे अपनी नौकरी से हाथ धोने पड़ेंगे।”

“कोई बात नहीं,” मैंने कहा, “क्या सभी लोग शिक्षण के पेशे से रोज़ी-रोटी कमाते हैं? हम जवान और हट्टे-कट्टे हैं, और परमेश्‍वर की मदद से हम दूसरी नौकरी पा सकते हैं।”

लगभग इस समय हमने जाना कि एक अन्य बाइबल विद्यार्थी—वह भी एक कॉलपॉटर था—सामोस आया हुआ था। जब हमने सुना कि पुलिस द्वारा उसे बाइबल जन-भाषण देने की अनुमति नहीं दी गई है, तो हम उसे ढूँढने गए। हमने उसे एक दुकान में दो ग्रीक ऑर्थोडॉक्स धर्म-विज्ञानियों के साथ बातचीत करते हुए पाया। बाइबल से अपने विश्‍वास का समर्थन करने में असमर्थ होने के लिए शर्म महसूस करते हुए, धर्म-विज्ञानी शीघ्र ही चले गए। मेरे पति ने कॉलपॉटर के ज्ञान से प्रभावित होकर पूछा: “ऐसा कैसे है कि तुम बाइबल को इतनी आसानी से इस्तेमाल कर लेते हो?”

“हम बाइबल का बाक़ायदा अध्ययन करते हैं,” उसने जवाब दिया। अपना बैग खोलते हुए, उसने परमेश्‍वर की वीणा (अंग्रेज़ी) अध्ययन पुस्तक निकाली और हमें दिखाया कि ऐसे अध्ययन में इस पुस्तक को कैसे इस्तेमाल करें। हम सीखने के लिए इतने उत्सुक थे कि मेरे पति और मैं, कॉलपॉटर, और दो अन्य व्यक्‍ति दुकानदार के साथ शीघ्र ही उसके घर चले गए। कॉलपॉटर ने हममें से हरेक को परमेश्‍वर की वीणा की एक-एक प्रति दी, और हमने उसी वक़्त अध्ययन करना शुरू कर दिया। हम आधी रात के बाद तक अपना अध्ययन करते रहे, और तब जैसे दिन निकलने पर हुआ, हम बाइबल विद्यार्थियों द्वारा गाए जानेवाले गीत सीखने लगे।

उस समय के बाद से, मैंने दिन में कई घंटों तक बाइबल का अध्ययन करना शुरू कर दिया। विदेश के बाइबल विद्यार्थियों ने हमें बाइबल अध्ययन सहायक देना जारी रखा। जनवरी १९२६ में, बिना शर्त के उसकी इच्छा पूरी करने की शपथ खाते हुए, मैंने प्रार्थना में यहोवा परमेश्‍वर को अपना समर्पण किया। बाद में उन गर्मियों में मेरे पति और मैंने अपने समर्पण को पानी के बपतिस्मे द्वारा चिन्हित किया। जो बाते हम सीख रहे थे उन्हें दूसरों को बताने की हममें गहरी इच्छा थी, सो हमने ट्रैक्ट आशा का सन्देश (अंग्रेज़ी) से घर-घर की सेवकाई को शुरू किया।

कड़े विरोध को बर्दाश्‍त करना

एक दिन मुझे एक युवा महिला द्वारा एक छोटे ग्रीक ऑर्थोडॉक्स गिरजे में उपासना-पद्धति में उपस्थित होने के लिए आमंत्रित किया गया। “मैंने उस तरीक़े से परमेश्‍वर की उपासना करना छोड़ दिया है,” मैंने समझाया। “अब मैं आत्मा और सच्चाई से उसकी उपासना करती हूँ, जैसी बाइबल शिक्षा देती है।” (यूहन्‍ना ४:२३, २४) वह अचम्भित हो गई और जो हुआ था उसकी दूर-दूर तक चर्चा फैला दी, जिसमें मेरे पति को भी शामिल किया गया।

व्यावहारिक रूप से सब ने विरोध करना शुरू कर दिया। हमें कहीं शान्ति नहीं थी—न हमारे घर में, न ही उन सभाओं में जिन्हें हम द्वीप के कुछ दिलचस्पी रखनेवाले लोगों के साथ करते थे। ऑर्थोडॉक्स पादरियों द्वारा भड़काए जाने पर, भीड़ हमारे सभा स्थान के बाहर जमा हो गई, और पत्थर फेंके और अपमानजनक बाते कहीं।

जब हमने ट्रैक्ट आशा का सन्देश वितरित किया, तो बच्चे हमारे चारों ओर इकट्ठा होकर “मिलेनियमवादी” और अन्य अपमानजनक बातें चिल्लाने लगे। मेरे पति के सहकर्मियों ने भी उनको परेशान करना शुरू कर दिया। १९२६ के आख़िर में उन पर मुक़द्दमा किया गया, एक सार्वजनिक-स्कूली शिक्षक के लिए अयोग्य होने का आरोप लगाया गया, और १५ दिन जेल की सज़ा सुनाई गई।

जब माँ को यह मालूम पड़ा, तब उसने मुझे अपने पति को छोड़ देने की सलाह दी। “सुनिए, मेरी प्यारी माँ,” मैंने जवाब दिया, “आप भी जानती हैं और मैं भी जानती हूँ कि मैं आपको कितना प्यार और आदर करती हूँ। लेकिन मैं आपको सच्चे परमेश्‍वर, यहोवा की हमारी उपासना करने में बिलकुल भी आड़े आने नहीं दे सकती।” वह बुरी तरह निराश होकर अपने गाँव चली गई।

वर्ष १९२७ में ऐथेन्स में बाइबल विद्यार्थियों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, और यहोवा ने हमारे उपस्थित होने का मार्ग खोल दिया। बीसियों संगी विश्‍वासियों के साथ इकट्ठा होने के द्वारा हम रोमांचित हुए और आध्यात्मिक रूप से मज़बूत किए गए। सामोस लौटने पर, हमने अपने द्वीप के नगरों और गाँवों में संसार के शासकों को एक साक्ष्य (अंग्रेज़ी) नामक ट्रैक्ट की ५,००० प्रतियाँ वितरित कीं।

लगभग उसी समय पर थीमीत्रीस को उनके शिक्षक के पद से निलम्बित कर दिया गया, और हमारे विरुद्ध पूर्वधारणा के कारण, काम पाना लगभग असंभव था। लेकिन क्योंकि मैं सिलाई कर सकती थी और थीमीत्रीस कुशल रंगसाज़ थे, तो हम गुज़ारा चलाने के लिए पर्याप्त कमा लेने में समर्थ थे। १९२८ में मेरे पति, साथ-ही-साथ सामोस में चार अन्य मसीही भाइयों को सुसमाचार प्रचार करने के कारण दो महीने जेल की सज़ा हुई। एकमात्र स्वतंत्र बाइबल विद्यार्थी होने के नाते, मैं जेल में उन्हें खाना देने में समर्थ थी।

गंभीर बीमारियों से लड़ना

एक बार मैं यक्ष्माग्रस्त कशेरुकासन्धिशोथ की वजह से बीमार पड़ गई, जो उस समय एक गुमनाम पुरानी बीमारी थी। मेरी भूख मर गयी थी और मुझे लगातार तेज़ बुख़ार रहता था। इलाज में मेरी गर्दन से लेकर मेरी जाँघों तक पलास्टर का साँचा चढ़ाया जाना शामिल था। आर्थिक रूप से सामना करने के लिए, मेरे पति ने ज़मीन का एक टुकड़ा बेच दिया ताकि मैं इलाज जारी रख सकूँ। दुःखी होकर, मैंने हर दिन परमेश्‍वर से शक्‍ति के लिए प्रार्थना की।

मुझसे भेंट करते वक़्त, रिश्‍तेदार विरोध की आग को लगातार हवा देते रहे। माँ ने कहा कि हम इन सारी कठिनाइयों का सामना इसलिए कर रहे थे क्योंकि हमने अपना धर्म बदल दिया था। हिलने-डुलने में असमर्थ, मैंने अपना तकिया आँसुओं से भिगो दिया जब मैं हमारे स्वर्गीय पिता से धीरज धरने के लिए मुझे हौसला और हिम्मत प्रदान करने के लिए बिनती करती थी।

मेरे साथ की मेज़ पर, मैंने भेंट करनेवालों के लिए अपनी बाइबल और कुछ पुस्तिकाएँ, और ट्रैक्ट रख लिए। यह एक आशिष थी कि हमारी छोटी-सी कलीसिया की सभाएँ हमारे घर में होती थीं; मैं नियमित रूप से आध्यात्मिक प्रोत्साहन प्राप्त कर सकती थी। ऐथेन्स के एक डॉक्टर से इलाज के ख़र्च के लिए हमें ज़मीन का एक और टुकड़ा बेचना पड़ा।

उसके बाद जल्द ही, सफ़री ओवरसियर ने हमारे यहाँ भेंट की। वह मुझे उस स्थिति में और थीमीत्रीस को बेरोज़गार देखकर बहुत दुःखी हुआ। कृपापूर्वक उसने लॆज़बॉस के द्वीप के मिटलीनी में हमारे रहने का प्रबन्ध करने में मदद दी। हम १९३४ में वहाँ चले गए, और थीमीत्रीस नौकरी पाने में समर्थ हुए। वहाँ हमने बढ़िया मसीही भाई और बहन भी पाए जिन्होंने मेरी बीमारी में मेरी देखभाल की। धीरे-धीरे, पाँच वर्ष के इलाज के बाद, मैं पूरी तरह ठीक हो गई थी।

लेकिन, १९४६ में, द्वितीय विश्‍व युद्ध के शीघ्र बाद, मैं दोबारा गंभीर रूप से बीमार पड़ गई, इस बार यक्ष्माग्रस्त उदावरणशोथ की वजह से। मैं तेज़ बुख़ार और तीव्र दर्द से पाँच महीने तक बिस्तर पर पड़ी रही। लेकिन, जैसा पहले था, मैंने अपने भेंट करनेवालों से यहोवा के बारे में बात करना नहीं छोड़ा। कुछ समय बाद, मैं ठीक हो गई।

विरोध के बावजूद पायनियर कार्य करना

युद्धोत्तर वर्षों में यूनान में यहोवा के साक्षियों के हिस्से में अबाध विरोध था। जिस वक़्त हम घर-घर की सेवकाई में अन्तर्ग्रस्त होते तो हमें अनेक बार गिरफ़्तार किया गया। मेरे पति ने कुल मिलाकर लगभग एक वर्ष जेल में काटा। जब हम सेवकाई शुरू करते, हम आम तौर पर पुलिस स्टेशन में हिरासत में रात बिताने की योजना करते। फिर भी यहोवा ने हमें कभी नहीं त्यागा। उसने बर्दाश्‍त करने के लिए हमेशा ज़रूरी हिम्मत और बल प्रदान किया।

उन्‍नीस सौ चालीसआदि में, मैंने ज्ञापक (अंग्रेज़ी) (अब हमारी राज्य सेवकाई) में अवकाश पायनियर कार्य के प्रबन्ध के बारे में पढ़ा। मैंने सेवा के इस पहलू में हिस्सा लेने की कोशिश करने का निर्णय किया, जिसमें सेवकाई में एक महीने में ७५ घंटे देने की माँग की गई थी। इसके परिणामस्वरूप, मेरी पुनःभेंट और बाइबल अध्ययन बढ़े—एक समय पर मैं १७ साप्ताहिक अध्ययन संचालित कर रही थी। मैंने मिटलीनी के व्यापारिक क्षेत्र में एक पत्रिका मार्ग भी विकसित कर लिया था, जहाँ मैं नियमित रूप से प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! (अंग्रेज़ी) की ३०० प्रतियाँ दुकानों, दफ़्तरों और बैंकों में पहुँचाती थी।

जब एक सफ़री ओवरसियर ने १९६४ में हमारी कलीसिया में सेवा की, उसने कहा: “बहन पनॆलपी, मैंने आपके प्रकाशक रिकार्ड कार्ड से देखा है कि आपको अपनी सेवकाई में क्या ही शानदार परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। तो आप नियमित पायनियर के लिए आवेदन क्यों नहीं भर देतीं?” मैं उसके प्रोत्साहन के लिए हमेशा कृतज्ञ रहूँगी; पूर्ण-समय सेवकाई पिछले तीन दशकों से मेरा आनन्द रही है।

एक प्रतिफलदायक अनुभव

मिटलीनी में लोगों से भरा हुआ एक पड़ोस है जो लांगाडा कहलाता है, जहाँ ग्रीक शरणार्थी रहते थे। जिस धर्मान्ध विरोध का हमने सामना किया, उसके कारण हम वहाँ दर-दर जाने से दूर रहते थे। लेकिन, जब मेरे पति जेल में थे तो मुझे उनसे मिलने के लिए इस क्षेत्र से गुज़रना पड़ता था। एक बरसाती दिन एक महिला ने यह जानने के लिए मुझे अपने घर में आमंत्रित किया कि मेरे पति किस कारण से जेल में थे। मैंने समझाया कि यह परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार सुनाने के कारण था और कि वो वैसे ही दुःख उठा रहे थे जैसे कि मसीह ने उठाया था।

कुछ समय बाद, एक अन्य महिला ने मुझे अपने घर पर रुकने का प्रबन्ध किया। जब मैं पहुँची तो मैंने पाया कि उसने कुल १२ महिलाओं को आमंत्रित कर रखा था। मैंने संभव विरोध का अनुमान लगाया, सो मुझे बुद्धि देने और जो भी होता उसका सामना करने का साहस देने के लिए मैंने परमेश्‍वर से प्रार्थना की। महिलाओं के पास अनेक सवाल थे, और कुछ ने आपत्तियाँ उठाईं, लेकिन मैं शास्त्रीय जवाब देने में समर्थ थी। जब मैं जाने के लिए खड़ी हुई, तो उस घर की महिला ने मुझे अगले दिन फिर आने के लिए कहा। प्रसन्‍नतापूर्वक, मैंने वह आमंत्रण स्वीकार कर लिया। जब एक साथी और मैं अगले दिन वहाँ पहुँचे, तो हमने उन महिलाओं को पहले से ही इन्तज़ार करते पाया।

उसके बाद से हमारी शास्त्रीय चर्चाएँ नियमित रूप से चलती रहीं, और अनेक बाइबल अध्ययन आरम्भ हुए। अनेक महिलाओं ने यथार्थ ज्ञान में उन्‍नति की, और वैसी ही उनके परिवारों ने भी की। यह समूह आगे चलकर मिटलीनी में यहोवा के साक्षियों की एक नयी कलीसिया का केन्द्र बना।

यहोवा मेरे लिए भला रहा है

वर्षों के गुज़रते यहोवा ने उसकी सेवा करने में मेरे पति और मेरे प्रयासों का प्रतिफल दिया है। १९२० में सामोस के मुट्ठी-भर साक्षी अब बढ़कर लगभग १३० प्रकाशकों के साथ दो कलीसिया और एक समूह हो गए हैं। और लॆज़बॉस के द्वीप में, चार कलीसियाओं और पाँच समूह हैं जो कुछ ४३० राज्य उद्‌घोषकों को शामिल करते हैं। मेरे पति ने १९७७ में अपनी मृत्यु तक सक्रिय रूप से परमेश्‍वर के राज्य की उद्‌घोषणा की। जिनकी हमने मदद की थी उनको सेवकाई में अभी तक उत्साही बने देखना क्या ही विशेषाधिकार है! अपने बच्चों, अपने पोतों, और पर-पोतों के साथ, वे एक बड़ी भीड़ बनते हैं जो संयुक्‍त रूप से यहोवा की उपासना करती है!

मसीही सेवा का मेरा मार्ग, जो अब तक ७० वर्ष से ज़्यादा का हो चुका है, एक आसान मार्ग नहीं रहा है। फिर भी यहोवा एक अद्वितीय दृढ़गढ़ रहा है। ढलती उम्र और गिरते स्वास्थ्य के कारण, मैं बिस्तर में पड़ी हूँ और जो प्रचार मैं कर सकती हूँ उसमें बहुत सीमित हूँ। लेकिन, मैं यहोवा से कह सकती हूँ, जैसे भजनहार ने कहा: “वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्‍वर है, मैं उस पर भरोसा रखूंगा।”—भजन ९१:२.

(जब यह लेख तैयार किया जा रहा था, तब बहन माकरीस की मृत्यु हो गई, उनकी स्वर्गीय आशा थी।)

[पेज 26 पर तसवीर]

वर्ष १९५५ में अपने पति के साथ

[पेज 26 पर तसवीर]

बहन माकरीस जनवरी १९९७ में १०० की हो जातीं

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