राज्य उद्घोषक रिपोर्ट करते हैं
सत्य के साथ हर क़िस्म के लोगों के पास पहुँचना
प्रेरित पौलुस परमेश्वर के राज्य का एक उत्साही उद्घोषक था। उसने विरोध को “सुसमाचार” का प्रचार करने की अपनी नियुक्ति में बाधा नहीं डालने दिया। (१ कुरिन्थियों ९:१६; प्रेरितों १३:५०-५२) पौलुस ने दूसरों से आग्रह किया कि उसके उदाहरण पर चलें।—१ कुरिन्थियों ११:१.
यहोवा के साक्षी प्रचार करने के अपने दृढ़ प्रयासों के लिए संसार-भर में जाने जाते हैं। सचमुच, वे दूसरों से “अनुकूल समय” में और “प्रतिकूल समय” में भी बात करते हैं ताकि ‘चेले बनाने’ के अपने परमेश्वर-नियुक्त कार्य को पूरा करें। (२ तीमुथियुस ४:२, NW; मत्ती २८:१९, २०) उन देशों में भी जहाँ उन्हें विरोध का सामना करना पड़ता है, सत्हृदयी लोगों तक परमेश्वर के राज्य के बारे में सर्व-महत्त्वपूर्ण संदेश पहुँचाया जा रहा है, जैसे निम्नलिखित अनुभव दिखाते हैं।
◻ पश्चिमी प्रशान्त के एक द्वीप पर जहाँ यहोवा के साक्षियों के कार्य पर प्रतिबन्ध है, एक १२-वर्षीय लड़के ने देखा कि स्कूल में उसके आस-पास की संगति बुरी थी। उसके अनेक सहपाठी आम तौर पर सिगरेट पीते थे, अश्लील साहित्य पढ़ते थे, शिक्षकों को तंग करते थे, और झगड़े करते थे। स्थिति इतनी बुरी हो गयी कि उस लड़के ने अपने पिता से कहा कि वह स्कूल बदलना चाहता है। लेकिन, पिता ने अपने पुत्र के साथ ऐसे विचार के विरुद्ध तर्क किया, क्योंकि उसे लगा कि पास के दूसरे स्कूलों में विद्यार्थियों का आचरण कोई भिन्न नहीं होगा। फिर भी, वह अपने पुत्र की सहायता कैसे करे?
पिता को याद आया कि घर में युवाओं के लिए एक पुस्तक थी। वह एक रिश्तेदार से उपहार में मिली थी जो एक यहोवा का साक्षी था। सो उसने वह पुस्तक ढूँढी, और मिल जाने पर उसे अपने पुत्र को दे दी। उसका शीर्षक था युवाओं के प्रश्न—व्यावहारिक उत्तर।a (अंग्रेज़ी) लड़के ने अध्याय “मैं समकक्ष दबाव का सामना कैसे करूँ?” को बहुत ही सहायक पाया। इसने न केवल उसे आत्म-सम्मान बनाए रखने का महत्त्व सिखाया परन्तु उसे यह भी सिखाया कि व्यवहार-कुशलता से न कैसे कहे जब दूसरे उस पर एक मूर्खतापूर्ण मार्ग पर चलने का दबाव डालने का प्रयास करते। पुस्तक में दिए गए शास्त्रीय सिद्धान्तों को लागू करने के द्वारा, उस युवक ने सीखा कि समकक्ष दबाव का सफलतापूर्वक सामना कैसे करे।
अपने पुत्र में ये और अन्य सकारात्मक परिवर्तन देखने पर, पिता ने भी पुस्तक पढ़ने का निर्णय लिया। पुस्तक में दी गयी व्यावहारिक सलाह से प्रभावित होकर, पिता ने यहोवा के साक्षियों से एक गृह बाइबल अध्ययन के लिए कहा। बाद में, उसके परिवार के दूसरे सदस्य अध्ययन में उसके साथ हो लिए। परिणाम? वह लड़का, उसका छोटा भाई, उसका पिता, और उस लड़के के दादा-दादी अब यहोवा के साक्षी हैं।
◻ उसी देश में, दो यहोवा के साक्षियों को बाइबल सिद्धान्तों का कड़ा पालन करने के कारण क़ैद कर लिया गया। लेकिन, उन्होंने अपनी स्थिति को परमेश्वर के राज्य के बारे में साहस के साथ बोलने के आड़े नहीं आने दिया। वे क़ैदख़ाने के एक अधिकारी के पास गए और वहाँ प्रभु का संध्या भोज मनाने के लिए अनुमति ले ली। वे कितने प्रसन्न थे जब १४ क़ैदियों ने बाइबल में दिलचस्पी दिखायी और इस महत्त्वपूर्ण अवसर पर साक्षियों के साथ मिले! अपनी रिहायी के बाद, उनमें से कुछ ने बाइबल का अध्ययन करना और यहोवा के साक्षियों के साथ संगति करना जारी रखा।
पच्चीस से अधिक देशों में, यहोवा के साक्षी प्रतिबन्धों या तरह-तरह के विरोध या सताहट के कारण दुःख उठा रहे हैं। लेकिन, प्रेरितों की तरह, वे ‘शिक्षा देने तथा यह उपदेश करने में लगे रहते हैं कि यीशु ही मसीह है।’—प्रेरितों ५:४२, NHT.
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।