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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
w97 2/1 पेज 4-7

सत्य द्वारा स्वतंत्र किए गए

अमरीका में, दस लाख से अधिक लोग क़ैदख़ानों में बंद हैं। इनमें से, लगभग तीन हज़ार को मृत्युदण्ड सुनाया गया है। अपने आपको उस स्थिति में रखकर देखिए। आपको कैसा लगेगा? ऐसी संभावना का विचार सचमुच दुःखद है। फिर भी, एक अर्थ में, सभी मनुष्य इससे मिलती-जुलती स्थिति में हैं। बाइबल कहती है: “सब ने पाप किया है और परमेश्‍वर की महिमा से रहित हैं।” (रोमियों ३:२३) जी हाँ, आदम के वंशज होने के कारण, हम एक पापमय स्थिति की “क़ैद में” हैं। (रोमियों ५:१२) हम अपनी क़ैद के प्रभावों को हर दिन महसूस करते हैं, जैसा मसीही प्रेरित पौलुस ने किया, जिसने लिखा: “मुझे अपने अंगों में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है, और मुझे पाप की व्यवस्था की बन्धन में डालती है जो मेरे अंगों में है।”—रोमियों ७:२३.

हमारे पापमय स्वभाव के फलस्वरूप, कह सकते हैं कि हम सभी पर मृत्युदण्ड है, क्योंकि बाइबल कहती है: “पाप की मजदूरी तो मृत्यु है।” (रोमियों ६:२३) भजनहार मूसा ने उपयुक्‍त रीति से हमारी स्थिति का वर्णन किया: “हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष भी हो जाएं, तौभी उनका घमण्ड केवल कष्ट और शोक ही शोक है; क्योंकि वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं।”—भजन ९०:१०. याकूब ४:१४ से तुलना कीजिए।

यह बात मन में रखते हुए कि मानवजाति पाप और मृत्यु के दासत्व में है यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा: “सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।” (यूहन्‍ना ८:३२) इन शब्दों के साथ, यीशु अपने अनुयायियों को रोमी शासन से स्वतंत्रता से कहीं बड़ी बात की आशा दे रहा था—वह उन्हें पाप से क्षमा और मृत्यु से मुक्‍ति दे रहा था! यह उन्हें कैसे दी जाती? “यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा,” यीशु ने उनसे कहा, “तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे।” (यूहन्‍ना ८:३६) जी हाँ, अपना जीवन अर्पण करने के द्वारा, “पुत्र,” अर्थात्‌ यीशु ने उसे फिर से ख़रीदने के लिए जो आदम ने खोया था, प्रायश्‍चित्तिक बलिदान दिया। (१ यूहन्‍ना ४:१०) इसने पूरी आज्ञाकारी मानवजाति के लिए पाप और मृत्यु की बन्धुवाई से मुक्‍ति पाने का मार्ग खोल दिया। परमेश्‍वर का एकलौता पुत्र मरा “ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।”—यूहन्‍ना ३:१६.

सो वह सत्य जो हमें स्वतंत्र कर सकता है यीशु मसीह पर केंद्रित है। जो उसके पदचिन्ह अनुयायी बनते हैं उन्हें तब पाप और मृत्यु से मुक्‍त होने की आशा है जब परमेश्‍वर का राज्य पृथ्वी के मामलों का पूर्ण नियंत्रण ले लेगा। अभी भी, जो परमेश्‍वर के वचन का सत्य स्वीकार करते हैं वे सच्ची स्वतंत्रता का अनुभव करते हैं। किन तरीक़ों से?

मृतकों के भय से स्वतंत्रता

करोड़ों लोग आज मृतकों के भय में जीते हैं। क्यों? क्योंकि उनके धर्मों ने उन्हें सिखाया है कि मृत्यु के समय एक प्राण शरीर को छोड़कर एक आत्मिक क्षेत्र में चला जाता है। इसी कारण कुछ देशों में यह रिवाज़ है कि मृतक के सम्बन्धी कई दिनों तक दिन-रात शव के पास ही रहते हैं। इस समय अकसर ज़ोर-ज़ोर से गीत गाए जाते हैं और ढोल पीटे जाते हैं। शोक मनानेवाले मानते हैं कि यह मृतक को प्रसन्‍न करेगा और उसकी आत्मा को वापस आकर जीवत जनों को सताने से रोकेगा। मृतकों के बारे में मसीहीजगत की झूठी शिक्षाओं ने इस परंपरा को आगे बढ़ाने का ही काम किया है।

लेकिन, बाइबल मृतकों की स्थिति के बारे में सत्य प्रकट करती है। यह स्पष्ट रूप से कहती है कि आपका प्राण आप हैं, आपका कोई रहस्यमयी भाग नहीं जो मृत्यु के बाद जीवित रहता है। (उत्पत्ति २:७; यहेजकेल १८:४) इसके अलावा, मृतकों को किसी अग्निमय नरक में यातना नहीं दी जा रही है, न ही वे किसी आत्मिक क्षेत्र का भाग हैं जो जीवित जनों को प्रभावित कर सकता है। बाइबल कहती है, “मरे हुए कुछ भी नहीं जानते . . . अधोलोक [क़ब्र] में जहां तू जानेवाला है, न काम न युक्‍ति न ज्ञान और न बुद्धि है।”—सभोपदेशक ९:५, १०.

इन बाइबल सच्चाइयों ने अनेक लोगों को मृतकों के भय से स्वतंत्र किया है। वे अब अपने पूर्वजों को प्रसन्‍न करने के लिए महँगे बलिदान नहीं चढ़ाते, न ही वे चिन्ता करते हैं कि उनके प्रियजनों को अपने अपराधों के लिए निर्दयता से यातना दी जा रही है। उन्होंने सीखा है कि बाइबल उनके लिए एक अद्‌भुत आशा देती है जो मर गए हैं, क्योंकि यह हमें बताती है कि परमेश्‍वर के नियुक्‍त समय पर, “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।” (प्रेरितों २४:१५; यूहन्‍ना ५:२८, २९) अतः, मृतक अभी बस आराम कर रहे हैं, मानो गहरी नींद में हों।—यूहन्‍ना ११:११-१४ से तुलना कीजिए।

मृतकों की स्थिति के बारे में सत्य और पुनरुत्थान की आशा हमें उस निराशा से मुक्‍त कर सकती है जो मृत्यु अपने साथ ला सकती है। ऐसी आशा ने अमरीका में एक विवाहित दम्पति को संभाला जब उनका चार-वर्षीय पुत्र एक दुर्घटना में मारा गया। “हमारे जीवन में एक खालीपन है जो तब तक नहीं भरा जा सकता जब तक कि हम अपने पुत्र को पुनरुत्थान के माध्यम से फिर से न देख लें,” उसकी माँ स्वीकार करती है। “लेकिन हम जानते हैं कि हमारी पीड़ा केवल क्षणिक है, क्योंकि यहोवा हमारे दुःख के आँसू पोंछने की प्रतिज्ञा करता है।”—प्रकाशितवाक्य २१:३, ४.

भविष्य के भय से स्वतंत्रता

भविष्य में क्या रखा है? क्या हमारी पृथ्वी एक परमाणु विस्फोट में भस्म हो जाएगी? क्या पृथ्वी के पर्यावरण का विनाश हमारे ग्रह को रहने योग्य नहीं छोड़ेगा? क्या नैतिक पतन के कारण अराजकता और अस्त-व्यस्तता हो जाएगी? आज अनेक लोगों को इन बातों का वास्तविक भय है।

लेकिन, बाइबल ऐसी हानिकर आशंकाओं से स्वतंत्रता देती है। यह हमें आश्‍वस्त करती है कि “पृथ्वी सर्वदा बनी रहती है।” (सभोपदेशक १:४) यहोवा ने हमारे ग्रह को बस इसलिए नहीं बनाया कि उसे ग़ैर-ज़िम्मेदार लोगों के हाथों नाश होता देखे। (यशायाह ४५:१८) इसके बजाय, यहोवा ने पृथ्वी को इसलिए बनाया कि वह एक संयुक्‍त मानव परिवार के लिए एक परादीस रूपी घर का काम दे। (उत्पत्ति १:२७, २८) उसका उद्देश्‍य बदला नहीं है। बाइबल हमें बताती है कि परमेश्‍वर ‘पृथ्वी के बिगाड़नेवालों का नाश करेगा।’ (प्रकाशितवाक्य ११:१८) उसके बाद, “नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे,” बाइबल कहती है, “और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।”—भजन ३७:११.

यह प्रतिज्ञा विश्‍वासयोग्य है, क्योंकि परमेश्‍वर झूठ नहीं बोलता। यहोवा ने अपने भविष्यवक्‍ता यशायाह के द्वारा कहा: “मेरा वचन . . . जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सुफल करेगा।” (यशायाह ५५:११; तीतुस १:२) इसलिए, हम बाइबल में २ पतरस ३:१३ में अभिलिखित परमेश्‍वर की प्रतिज्ञा की पूर्ति की विश्‍वास के साथ प्रतीक्षा कर सकते हैं: “उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धार्मिकता बास करेगी।”

मनुष्य के भय से स्वतंत्रता

बाइबल हमें ऐसे पुरुषों और स्त्रियों के उत्तम उदाहरण प्रदान करती है जिन्होंने परमेश्‍वर के प्रति अपनी भक्‍ति में निर्भयता दिखायी। बस कुछ ही नाम लें तो इनमें थे, गिदोन, बाराक, दबोरा, दानिय्येल, एस्तेर, यिर्मयाह, अबीगैल, और याएल। इन विश्‍वासी पुरुषों और स्त्रियों ने भजनहार की मनोवृत्ति दिखायी जिसने लिखा: “मैं ने परमेश्‍वर पर भरोसा रखा है, मैं न डरूंगा। मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?”—भजन ५६:११.

प्रथम शताब्दी में, प्रेरित पतरस और यूहन्‍ना ने ऐसा ही साहस दिखाया जब धार्मिक अधिकारियों ने उन्हें प्रचार रोकने की आज्ञा दी। उन्होंने उत्तर दिया, “यह तो हम से हो नहीं सकता, कि जो हम ने देखा और सुना है, वह न कहें।” उनकी दृढ़ स्थिति के फलस्वरूप, पतरस और यूहन्‍ना को बाद में क़ैद कर लिया गया। उनकी चमत्कारी रिहायी के बाद, वे फिर से “परमेश्‍वर का वचन हियाव से सुनाते रहे।” जल्द ही पतरस और अन्य प्रेरितों को यहूदी महासभा के सामने लाया गया। “क्या हम ने तुम्हें चिताकर आज्ञा न दी थी, कि तुम इस नाम से उपदेश न करना,” महा याजक ने उनसे कहा, “तौभी देखो, तुम ने सारे यरूशलेम को अपने उपदेश से भर दिया है।” पतरस और अन्य प्रेरितों ने उत्तर दिया: “मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करना ही कर्तव्य कर्म है।”—प्रेरितों ४:१६, १७, १९, २०, ३१; ५:१८-२०, २७-२९.

परमेश्‍वर के राज्य के सुसमाचार का प्रचार करने के अपने कार्य में, आज यहोवा के साक्षी प्रथम-शताब्दी मसीहियों के जोश की नक़ल करने की कोशिश करते हैं। उनके बीच युवा भी अपने विश्‍वास के बारे में दूसरों को बताने के द्वारा अपने आपको निर्भय साबित करते हैं। कुछ उदाहरणों पर विचार कीजिए।

स्टेसी नाम की एक किशोरी स्वभाव से शर्मीली है। इसके फलस्वरूप, अपने विश्‍वास के बारे में दूसरों से बात करना शुरू-शुरू में एक चुनौती थी। उसने अपना शर्मीलापन दूर करने के लिए क्या किया? “मैं ने बाइबल का अध्ययन किया और यह निश्‍चित किया कि जिस विषय पर मैं बात कर रही हूँ वह मुझे समझ आया है,” वह कहती है। “इससे थोड़ा आसान हो गया और मेरा आत्म-विश्‍वास बढ़ गया।” स्टेसी के सुनाम की रिपोर्ट स्थानीय समाचार-पत्र में आयी। उसके स्कूल की एक शिक्षिका द्वारा लिखे गए उस लेख ने टिप्पणी की: “लगता है कि [स्टेसी के] विश्‍वास ने उसे ऐसे अनेक दबावों से लड़ने की हिम्मत दी है जो अधिकतर किशोर महसूस करते हैं। . . . वह महसूस करती है कि परमेश्‍वर की सेवा उसके मन में सबसे आगे होनी चाहिए।”

टॉमी ने बाइबल के बारे में अपने माता-पिता से सीखना शुरू किया जब वह बस पाँच साल का था। उस छोटी उम्र में भी, उसने सच्ची उपासना के लिए एक साहसी स्थिति ली। जब उसके युवा सहपाठी त्योहारों की तस्वीरें बना रहे होते, टॉमी परमेश्‍वर के प्रतिज्ञात परादीस के दृश्‍य बनाता। किशोरावस्था में, टॉमी ने नोट किया कि अनेक विद्यार्थी यहोवा के साक्षियों के विश्‍वासों के बारे में उलझे हुए थे। डर से पीछे हटने के बजाय, उसने अपने एक शिक्षक से पूछा कि क्या वह अपनी कक्षा के साथ एक प्रश्‍न-उत्तर चर्चा कर सकता है ताकि वह उनके सभी प्रश्‍नों के उत्तर एक बार में दे सके। अनुमति मिल गयी, और एक उत्तम साक्षी दी गयी।

जब मारकीटा १७ साल की थी, तब उसे अपने विश्‍वास के बारे में अपनी कक्षा में दूसरों से बात करने का एक अत्युत्तम अवसर मिला। “हमें एक नियुक्‍ति मिली कि एक भाषण तैयार करें,” वह कहती है। “मैं ने अपना विषय पुस्तक युवाओं के प्रश्‍न—व्यावहारिक उत्तर (अंग्रेज़ी) से चुना।a मैं ने उस पुस्तक से पाँच अध्याय चुने और उनके शीर्षक श्‍याम-पट्ट पर लिखे। मैं ने कक्षा से कहा कि उन्हें अपने हिसाब से सबसे अधिक महत्त्व के क्रम में डालें।” कक्षा की सहभागिता के साथ एक चर्चा हुई। “मैं ने कक्षा को वह पुस्तक दिखायी,” मारकीटा अन्त में कहती है, “और कई विद्यार्थियों ने एक प्रति माँगी। यहाँ तक कि मेरी शिक्षिका ने भी कहा कि उसे एक चाहिए।”

आप सत्य द्वारा स्वतंत्र किए जा सकते हैं

जैसा हमने देखा है, बाइबल में दिए गए सत्य का हर उम्र के उन लोगों पर एक मुक्‍तिदायी प्रभाव होता है जो उसका अध्ययन करते हैं और उसके संदेश को हृदय में उतारते हैं। यह उन्हें मृतकों के भय, भविष्य के भय, और मनुष्य के भय से मुक्‍ति देता है। अंततः, यीशु की छुड़ौती आज्ञाकारी मानवजाति को पाप और मृत्यु से स्वतंत्र करेगी। एक परादीस पृथ्वी पर सर्वदा जीवित रहना क्या ही आनन्द की बात होगी, जब हम अपनी जन्मजात पापमय स्थिति की क़ैद में नहीं होंगे!—भजन ३७:२९.

क्या आप उन आशिषों के बारे में और जानना चाहेंगे जिनकी प्रतिज्ञा परमेश्‍वर ने की है? यदि हाँ, तो आपको क्या करना चाहिए? यीशु ने कहा: “अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्‍वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें।” (यूहन्‍ना १७:३) सो यदि आप उस स्वतंत्रता का अनुभव करना चाहते हैं जिसकी प्रतिज्ञा यीशु ने अपने शिष्यों से की, तो आपको यहोवा परमेश्‍वर और उसके पुत्र के बारे में सीखने की ज़रूरत है। आपको यह जानने की ज़रूरत है कि परमेश्‍वर की इच्छा क्या है और फिर उस पर चलना है, क्योंकि बाइबल कहती है: “संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्‍वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।”—१ यूहन्‍ना २:१७.

[फुटनोट]

a वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।

[पेज 7 पर तसवीर]

परमेश्‍वर के राज्य में, मानवजाति को अंततः पाप और मृत्यु से स्वतंत्र किया जाएगा

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
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