हियाव बाँधिए जैसे-जैसे छुटकारा नज़दीक आता जाता है
“बचाने के लिये मैं तेरे साथ हूं, यहोवा की यही वाणी है।” —यिर्मयाह १:१९.
१, २. मानव परिवार को छुटकारे की क्यों ज़रूरत है?
छुटकारा! क्या ही सांत्वनादायक शब्द! छुटकारा प्राप्त करने का अर्थ है बचाया जाना, एक प्रतिकूल, अप्रिय स्थिति से मुक्त किया जाना। इसमें एक काफ़ी बेहतर, ज़्यादा ख़ुशहाल परिस्थिति में लाए जाने का विचार शामिल है।
२ इस समय पर मानव परिवार को ऐसे छुटकारे की सख़्त ज़रूरत है! हर जगह लोग मुश्किल—आर्थिक, सामाजिक, शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक—समस्याओं तले दबे हुए हैं और निरुत्साहित हैं। संसार जिस तरीक़े से चल रहा है उससे अधिकांश लोग असंतुष्ट और निराश हैं और बेहतरी के लिए परिवर्तन चाहते हैं।—यशायाह ६०:२; मत्ती ९:३६.
“कठिन समय”
३, ४. अभी छुटकारे की अत्यधिक ज़रूरत क्यों है?
३ चूँकि इस २०वीं शताब्दी ने किसी भी अन्य शताब्दी से कहीं ज़्यादा दुःख का अनुभव किया है, पहले से कहीं ज़्यादा अब छुटकारे की अत्यधिक ज़रूरत है। आज, एक अरब से भी ज़्यादा लोग घोर ग़रीबी में जीते हैं, और सालाना यह संख्या क़रीब २ करोड़ ५० लाख से बढ़ती है। हर साल लगभग १ करोड़ ३० लाख बच्चे कुपोषण या ग़रीबी से सम्बन्धित अन्य वजहों से मरते हैं—एक दिन में ३५,००० से भी ज़्यादा! और लाखों वयस्क लोग विभिन्न बीमारियों की वजह से समय से पहले मरते हैं।—लूका २१:११; प्रकाशितवाक्य ६:८.
४ युद्ध और दंगा-फसाद अनकहे दुःख का कारण रहे हैं। पुस्तक सरकार द्वारा मौत (अंग्रेज़ी) कहती है कि युद्ध, नृजातीय और धार्मिक संघर्ष, और सरकारों द्वारा अपने ही नागरिकों की सामूहिक हत्या ने “इस शताब्दी में २० करोड़ ३० लाख से भी ज़्यादा लोगों की हत्या की है।” वह आगे कहती है: “मृतकों की असल संख्या तक़रीबन ३६ करोड़ लोग हो सकती है। यह ऐसा है मानो हमारी मानवी जाति एक आधुनिक काले प्लेग द्वारा तबाह हुई हो। और वाक़ई ऐसा ही हुआ है, लेकिन अधिकार के प्लेग द्वारा, न कि कीटाणुओं के द्वारा।” लेखक रिचर्ड हारवुड ने कहा: “अतीत की शताब्दियों के बर्बर युद्ध तुलना में गली-कूचों की मुक्केबाज़ियाँ थीं।”—मत्ती २४:६, ७; प्रकाशितवाक्य ६:४.
५, ६. कौन-सी बात हमारे समय को इतना विपत्तिजनक बनाती है?
५ हाल के वर्षों की विपत्तिजनक परिस्थितियों के अलावा, हिंसक अपराध, अनैतिकता, और परिवार के टूटने में विशाल बढ़ौतरी हुई है। अमरीका के शिक्षण के भूतपूर्व सचिव, विल्यम बॆनॆट ने नोट किया कि ३० सालों में अमरीका की आबादी में ४१ प्रतिशत वृद्धि हुई, लेकिन हिंसक अपराध में ५६० प्रतिशत, जारज पैदाइश में ४०० प्रतिशत, तलाक़ में ३०० प्रतिशत, और किशोर आत्महत्या की दर में २०० प्रतिशत वृद्धि हुई। प्रिन्सटन विश्वविद्यालय के प्रॉफ़ेसर जॉन डियुलयो जूनियर ने युवा “अति-लुटेरों” की बढ़ती संख्या के बारे में चिताया, जो “हत्या करते, हमला करते, बलात्कार करते, चोरी करते, डाका डालते और गम्भीर सामुदायिक गड़बड़ी उत्पन्न करते हैं। उन्हें, गिरफ़्तार किए जाने के कलंक का, क़ैद किए जाने की पीड़ा का, या अन्तःकरण की कचोट का भय नहीं है।” उस देश में, १५ से १९ वर्ष के बीच की आयु के लोगों में हत्या अब मृत्यु का दूसरा-प्रमुख कारण है। और चार से नीचे की आयु के अधिकतम बच्चे बीमारी से ज़्यादा दुर्व्यवहार के कारण मरते हैं।
६ ऐसे अपराध और हिंसा एक ही राष्ट्र तक सीमित नहीं हैं। अधिकांश देश समान रुख़ के बारे में रिपोर्ट करते हैं। इसमें सहयोग देनेवाला तत्व अवैध नशीली दवाइयों के प्रयोग की बाढ़ है जो लाखों को भ्रष्ट करती है। ऑस्ट्रेलिया के सिडनी मॉर्निंग हेरॆल्ड (अंग्रेज़ी) ने कहा: “अस्त्र-शस्त्र के व्यापार के बाद नशीले पदार्थों की अन्तरराष्ट्रीय सौदेबाज़ी संसार का दूसरा सबसे ज़्यादा लाभप्रद धन्धा बन गया है।” दूसरा तत्व है हिंसा और अनैतिकता जो अब टेलिविजन में संतृप्त है। अनेक देशों में, एक बच्चे के १८ की आयु में पहुँचने तक, वह टीवी पर हज़ारों-लाखों हिंसक कृत्य और अनगिनत अनैतिक कार्य देख चुका है। वह भ्रष्ट करनेवाला एक उल्लेखनीय प्रभाव है, चूँकि हमारा व्यक्तित्व उससे ढलता है जिससे हम अपने मन को निरन्तर पोषित करते हैं।—रोमियों १२:२; इफिसियों ५:३, ४.
७. वर्तमान बुरी परिस्थितियों के बारे में बाइबल भविष्यवाणी ने कैसे पूर्वबताया था?
७ बाइबल भविष्यवाणी ने हमारी शताब्दी में घटनाओं की इस बुरी प्रवृत्ति के बारे में ठीक-ठीक पूर्वबताया। इसने कहा कि विश्वव्यापी युद्ध होंगे, व्यापक महामारियाँ होंगी, खाद्य पदार्थों की कमी होगी, और बढ़ती अराजकता होगी। (मत्ती २४:७-१२; लूका २१:१०, ११) और जब हम २ तीमुथियुस ३:१-५ में अभिलिखित भविष्यवाणी पर विचार करते हैं, तब यह ख़बरों की दैनिक रिपोर्टों को सुनने के माफ़िक़ है। यह हमारे युग की पहचान “अन्तिम दिनों” के साथ कराती है और लोगों को ‘अपस्वार्थी, लोभी, माता-पिता की आज्ञा टालनेवाले, अपवित्र, मयारहित, असंयमी, कठोर, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं बरन सुखविलास ही के चाहनेवाले होंगे’ के रूप में वर्णित करती है। संसार आज हूबहू इसी तरह है। जैसे विल्यम बॆनॆट ने स्वीकार किया: “सभ्यता के सड़ जाने के . . . ढेर सारे चिन्ह हैं।” यहाँ तक कहा गया है कि सभ्यता पहले विश्व युद्ध के साथ समाप्त हो गयी।
८. परमेश्वर नूह के दिन में जलप्रलय क्यों लाया और हमारे दिन के साथ इसका क्या सम्बन्ध है?
८ अब की स्थिति नूह के दिन के जलप्रलय से पहले के समय से भी ज़्यादा बदतर है, जब “पृथ्वी . . . उपद्रव से भर गई थी।” उस समय, आम तौर पर लोगों ने अपने बुरे तौर-तरीक़ों से पश्चाताप करने से इन्कार कर दिया। अतः, परमेश्वर ने कहा: “उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिये मैं उनको . . . नाश कर डालूंगा।” जलप्रलय ने उस हिंसक संसार को समाप्त कर दिया।—उत्पत्ति ६:११, १३; ७:१७-२४.
मनुष्यों द्वारा कोई छुटकारा नहीं
९, १०. हमें क्यों मनुष्यों की ओर छुटकारे के लिए नहीं ताकना चाहिए?
९ क्या मानवी प्रयास हमें इन प्रतिकूल परिस्थितियों से छुटकारा दिला सकते हैं? परमेश्वर का वचन जवाब देता है: “तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना, न किसी आदमी पर, क्योंकि उस में उद्धार करने की भी शक्ति नहीं।” “मनुष्य चलता तो है, परन्तु उसके डग उसके अधीन नहीं हैं।” (भजन १४६:३; यिर्मयाह १०:२३) इतिहास के हज़ारों सालों ने इन सच्चाइयों की पुष्टि की है। मनुष्यों ने हर संभव राजनैतिक, आर्थिक, और सामाजिक व्यवस्था को आज़माया, लेकिन परिस्थितियाँ बिगड़ती चली गयीं। अगर कोई मानवी हल होता, तो वह अब तक प्रत्यक्ष हो गया होता। इसके बजाय, वास्तविकता यह है कि “एक मनुष्य दूसरे मनुष्य पर अधिकारी होकर अपने ऊपर हानि लाता है।”—सभोपदेशक ८:९; नीतिवचन २९:२; यिर्मयाह १७:५, ६.
१० कुछ साल पहले, भूतपूर्व अमरीकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्बिगन्यव ब्रेझिनॆस्की ने कहा: “विश्व प्रवृत्तियों के किसी भी तटस्थ विश्लेषण का अपरिहार्य निष्कर्ष यही है कि सामाजिक खलबली, राजनैतिक अशांति, आर्थिक संकट, और अन्तरराष्ट्रीय संघर्ष के ज़्यादा व्यापक होने की संभावना है।” उसने आगे कहा: “मानवजाति जिस संकट का सामना कर रही है वह [है] विश्वव्यापी अराजकता।” विश्व परिस्थितियों का यह परीक्षण आज और भी ज़्यादा मान्य है। अपार हिंसा के इस युग पर टिप्पणी करते हुए, न्यू हेवन, कनॆटिकट, रजिस्टर (अंग्रेज़ी) में एक संपादकीय यह घोषित करता है: “ऐसा लगता है कि हम इतना ज़्यादा आगे बढ़ चुके हैं कि इसे अब रोकने में समर्थ नहीं हैं।” जी नहीं, इस संसार की अवनति को रोका नहीं जाएगा, क्योंकि इन “अन्तिम दिनों” के बारे में की गयी भविष्यवाणी ने यह भी कहा: “दुष्ट, और बहकानेवाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।”—२ तीमुथियुस ३:१३.
११. बिगड़ती चली जा रही परिस्थितियाँ मानवी प्रयत्नों द्वारा क्यों नहीं पलटी जाएँगी?
११ मनुष्य इन प्रवृत्तियों को पलट नहीं सकता क्योंकि शैतान ‘इस संसार का ईश्वर’ है। (२ कुरिन्थियों ४:४) जी हाँ, “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।” (१ यूहन्ना ५:१९. यूहन्ना १४:३० भी देखिए।) उचित रूप से बाइबल हमारे दिन के बारे में कहती है: “हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।” (प्रकाशितवाक्य १२:१२) शैतान जानता है कि उसका शासन और उसका संसार अब बस समाप्त होने ही वाला है, सो वह एक “गर्जनेवाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।”—१ पतरस ५:८.
छुटकारा नज़दीक—किसके लिए?
१२. किसके लिए छुटकारा नज़दीक आता जा रहा है?
१२ पृथ्वी पर बढ़ती ही जा रही कठिन परिस्थितियाँ उल्लेखनीय प्रमाण है कि एक बहुत बड़ा परिवर्तन—वाक़ई, एक महान छुटकारा—एकदम नज़दीक है! किसके लिए? छुटकारा उन लोगों के लिए नज़दीक आता जा रहा है जो चेतावनी संकेतों की ओर ध्यान देते हैं और जो उपयुक्त कार्य करते हैं। पहला यूहन्ना २:१७ दिखाता है कि क्या किया जाना ज़रूरी है: “संसार [शैतान की रीति-व्यवस्था] और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।” (तिरछे टाइप हमारे।)—२ पतरस ३:१०-१३ भी देखिए।
१३, १४. यीशु ने जागते रहने की ज़रूरत पर कैसे ज़ोर दिया?
१३ यीशु ने पूर्वबताया कि आज के भ्रष्ट समाज को जल्द ही संकट के ऐसे समय में बह जाना है “जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा।” (मत्ती २४:२१) इसीलिए उसने चिताया: “सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त हो जाएं, और वह दिन तुम पर फन्दे की नाईं अचानक आ पड़े। क्योंकि वह सारी पृथ्वी के सब रहनेवालों पर इसी प्रकार आ पड़ेगा। इसलिये जागते रहो और हर समय प्रार्थना करते रहो कि तुम इन सब आनेवाली घटनाओं से बचने . . . के योग्य बनो।”—लूका २१:३४-३६.
१४ जो ‘सावधान रहते’ और ‘जागते रहते’ हैं, वे परमेश्वर की इच्छा को ढूंढ़ निकालेंगे और उसे पूरी करेंगे। (नीतिवचन २:१-५; रोमियों १२:२) ये वे लोग हैं जो उस नाश से ‘बचने के योग्य’ होंगे जो जल्द ही शैतान की व्यवस्था पर आनेवाला है। और वे सम्पूर्ण भरोसा रख सकते हैं कि वे बचाए जाएँगे।—भजन ३४:१५; नीतिवचन १०:२८-३०.
मुख्य उद्धारक
१५, १६. मुख्य उद्धारक कौन है, और हम क्यों निश्चित हैं कि उसके न्याय धर्मी होंगे?
१५ परमेश्वर के सेवकों को बचाने के लिए, शैतान और उसकी सम्पूर्ण विश्वव्यापी रीति-व्यवस्था को हटाने की ज़रूरत है। यह मनुष्यों से भी कहीं ज़्यादा शक्तिशाली छुटकारे के स्रोत की माँग करता है। वह स्रोत है यहोवा परमेश्वर, सर्वोच्च सर्वसत्ताधारी, विस्मयाकुल विश्वमंडल का सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता। वही मुख्य उद्धारक है: “मैं ही यहोवा हूं और मुझे छोड़ कोई उद्धारकर्त्ता नहीं।”—यशायाह ४३:११; नीतिवचन १८:१०.
१६ यहोवा में सर्वाधिक शक्ति, बुद्धि, न्याय, और प्रेम है। (भजन १४७:५; नीतिवचन २:६; यशायाह ६१:८; १ यूहन्ना ४:८) सो जब वह अपने न्याय कार्यान्वित करता है, तो हम निश्चित हो सकते हैं कि उसके कार्य धर्मी होंगे। इब्राहीम ने पूछा: “क्या सारी पृथ्वी का न्यायी न्याय न करे?” (उत्पत्ति १८:२४-३३) पौलुस ने कहा: “क्या परमेश्वर के यहां अन्याय है? कदापि नहीं!” (रोमियों ९:१४) यूहन्ना ने लिखा: “हे सर्व्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, तेरे निर्णय ठीक और सच्चे हैं।”—प्रकाशितवाक्य १६:७.
१७. अतीत में यहोवा के सेवकों ने कैसे उसकी प्रतिज्ञाओं पर विश्वास जताया?
१७ जब यहोवा छुटकारे की प्रतिज्ञा करता है, तो वह बिना चूके उसे पूरा करेगा। यहोशू ने कहा: “जितनी भलाई की बातें यहोवा ने . . . कही थीं उन में से कोई बात भी न छूटी।” (यहोशू २१:४५) सुलैमान ने कहा: “जितनी भलाई की बातें उसने . . . कही थीं, उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही।” (१ राजा ८:५६) प्रेरित पौलुस ने नोट किया कि इब्राहीम ने “न अविश्वासी होकर . . . संदेह किया, . . . निश्चय जाना, कि जिस बात की [परमेश्वर] ने प्रतिज्ञा की है, वह उसे पूरी करने को भी सामर्थी है।” सारा ने भी उसी तरह “प्रतिज्ञा करनेवाले [परमेश्वर] को सच्चा जाना था।”—रोमियों ४:२०, २१; इब्रानियों ११:११.
१८. आज यहोवा के सेवक क्यों विश्वस्त हो सकते हैं कि उन्हें बचाया जाएगा?
१८ मनुष्यों से भिन्न, यहोवा पूर्णतया भरोसेमन्द, अर्थात् अपने वचन का पक्का है। “सेनाओं के यहोवा ने यह शपथ खाई है, निःसन्देह जैसा मैं ने ठाना है, वैसा ही हो जाएगा, और जैसी मैं ने युक्ति की है, वैसी ही पूरी होगी।” (यशायाह १४:२४) सो जब बाइबल कहती है कि “प्रभु भक्तों को परीक्षा में से निकाल लेना और अधर्मियों को न्याय के दिन तक दण्ड की दशा में रखना भी जानता है,” तो हम पूरा विश्वास रख सकते हैं कि ऐसा ही होगा। (२ पतरस २:९) शक्तिशाली शत्रुओं द्वारा नाश की धमकी दिए जाने पर भी, यहोवा के सेवक उसकी मनोवृत्ति की वजह से हियाव बाँधते हैं, जो उसके एक भविष्यवक्ता को की गयी उसकी प्रतिज्ञा में दिखती है: “वे तुझ से लड़ेंगे तो सही, परन्तु तुझ पर प्रबल न होंगे, क्योंकि बचाने के लिये मैं तेरे साथ हूं, यहोवा की यही वाणी है।”—यिर्मयाह १:१९; भजन ३३:१८, १९; तीतुस १:२.
अतीत में किए गए छुटकारे
१९. यहोवा ने लूत को कैसे छुटकारा दिलाया, और हमारे समय में इसका क्या सामानांतर है?
१९ हम यहोवा द्वारा किए गए अतीत के कुछ बचाव कार्यों के वर्णन से अत्यधिक प्रोत्साहित हो सकते हैं। मिसाल के तौर पर, सदोम और अमोराह की दुष्टता से लूत “बहुत दुखी” था। लेकिन यहोवा ने उन नगरों के विरुद्ध की गयी “चिल्लाहट” पर ध्यान दिया। सही समय पर, उसने लूत और उसके परिवार को फ़ौरन उस इलाक़े से निकल जाने का आग्रह करने के लिए दूत भेजे। नतीजा? यहोवा ने “सदोम और अमोराह के नगरों को . . . भस्म करके राख में मिला दिया” और “धर्मी लूत को . . . छुटकारा दिया।” (२ पतरस २:६-८; उत्पत्ति १८:२०, २१) आज भी, यहोवा इस संसार की घोर दुष्टता के सम्बन्ध में चिल्लाहट पर ध्यान देता है। जब उसके आधुनिक-दिन दूत अपने अत्यावश्यक साक्षी कार्य को जिस हद तक वह चाहता है, पूरा कर लेते हैं, तब वह इस संसार के विरुद्ध कार्यवाही करेगा और अपने सेवकों को छुटकारा दिलाएगा जैसे उसने लूत को दिलाया था।—मत्ती २४:१४.
२०. मिस्र से प्राचीन इस्राएल का यहोवा द्वारा छुटकारे का वर्णन कीजिए।
२० प्राचीन मिस्र में परमेश्वर के लाखों लोग बन्दी बनाए गए थे। यहोवा ने उनके बारे में कहा: “उनकी जो चिल्लाहट [है उसको] मैं ने सुना है . . . उनकी पीड़ा पर मैं ने चित्त लगाया है; इसलिये अब मैं उतर आया हूं कि उन्हें . . . छुड़ाऊं।” (निर्गमन ३:७, ८) लेकिन, परमेश्वर के लोगों को जाने देने के बाद, फ़िरौन ने अपना मन बदला और अपनी शक्तिशाली सेना के साथ उनका पीछा किया। ऐसा लगा कि इस्राएली लाल समुद्र के पास फँस गए थे। फिर भी मूसा ने कहा: “डरो मत, खड़े खड़े वह उद्धार का काम देखो, जो यहोवा आज तुम्हारे लिये करेगा।” (निर्गमन १४:८-१४) यहोवा ने लाल समुद्र को विभाजित किया, और इस्राएली बच निकले। फ़िरौन की सेना उनके पीछे हो ली, लेकिन यहोवा ने अपनी शक्ति का प्रयोग किया ताकि “समुद्र ने उनको ढांप लिया; वे महाजलराशि में सीसे की नाईं डूब गए।” बाद में, मूसा ने यहोवा को एक गीत में अपनी ख़ुशी व्यक्त की: “तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी, और अपनी स्तुति करने वालों के भय के योग्य, और आश्चर्य कर्म का कर्त्ता है।”—निर्गमन १५:४-१२, १९.
२१. अम्मोन, मोआब, और सेईर से यहोवा के लोग कैसे बचाए गए?
२१ एक अन्य अवसर पर, अम्मोन, मोआब, और सेईर (एदोम) की शत्रु जातियों ने यहोवा के लोगों को नष्ट कर देने की धमकी दी। यहोवा ने कहा: “तुम इस [शत्रु की] बड़ी भीड़ से मत डरो और तुम्हारा मन कच्चा न हो; क्योंकि युद्ध तुम्हारा नहीं, परमेश्वर का है। . . . इस लड़ाई में तुम्हें लड़ना न होगा . . . खड़े रहकर यहोवा की ओर से अपना बचाव देखना।” यहोवा ने शत्रु के लोगों में गड़बड़ी फैलाने के द्वारा, जिससे कि वे एक दूसरे का ही क़त्ल करने लगे, अपने लोगों को छुटकारा दिया।—२ इतिहास २०:१५-२३.
२२. इस्राएल के लिए यहोवा ने अश्शूर से कौन-सा चमत्कारिक छुटकारा प्रदान किया?
२२ जब अश्शूरी विश्व शक्ति यरूशलेम के विरुद्ध आई, तब राजा सन्हेरीब ने शहरपनाह पर बैठे लोगों से यह कहने के द्वारा यहोवा को ताना मारा: “देश देश के [जिन पर मैं ने विजय पायी है] सब देवताओं में से ऐसा कौन है जिस ने अपने देश को मेरे हाथ से बचाया हो? फिर क्या यहोवा यरूशलेम को मेरे हाथ से बचाएगा?” परमेश्वर के सेवकों से उसने कहा: “न ही हिजकिय्याह तुमको यह कहकर यहोवा का भरोसा दिलाने पाए कि निश्चय ही यहोवा हमें बचाएगा।” (NHT) तब हिजकिय्याह ने छुटकारे के लिए भावप्रवण रूप से प्रार्थना की, “जिस से पृथ्वी के राज्य राज्य के लोग जान लें कि केवल तू ही यहोवा है।” यहोवा ने १,८५,००० अश्शूरी सैनिकों को मार गिराया, और परमेश्वर के सेवक छुड़ाए गए। बाद में, जब सन्हेरीब अपने झूठे देवता की उपासना कर रहा था, तो उसके बेटों ने उसका वध कर दिया।—यशायाह, अध्याय ३६ और ३७.
२३. छुटकारे के बारे में आज कौन-से सवालों के जवाब दिए जाने बाक़ी हैं?
२३ जब हम देखते हैं कि कैसे यहोवा ने अतीत में अद्भुत तरीक़े से अपने लोगों को छुड़ाया, तब हम निश्चित ही हियाव बाँध सकते हैं। आज के बारे में क्या? जल्द ही उसके विश्वासी सेवक किस ख़तरनाक स्थिति में पड़ेंगे जो उसके चमत्कारिक छुटकारे की माँग करेगी? उनको छुटकारा दिलाने के लिए उसने अभी तक क्यों इन्तज़ार किया है? यीशु के इन शब्दों की कौन-सी पूर्ति होगी: “जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा।” (लूका २१:२८) और परमेश्वर के ऐसे सेवकों के लिए छुटकारा कैसे मिलेगा जो पहले ही मर चुके हैं? आगामी लेख इन सवालों की जाँच करेगा।
पुनर्विचार के सवाल
◻ छुटकारे की अत्यधिक ज़रूरत क्यों है?
◻ हमें क्यों मनुष्यों की ओर छुटकारे के लिए नहीं ताकना चाहिए?
◻ किसके लिए छुटकारा नज़दीक है?
◻ यहोवा के छुटकारे के बारे में हम क्यों विश्वस्त हो सकते हैं?
◻ अतीत में छुटकारे के कौन-से उदाहरण प्रोत्साहक हैं?
[पेज 10 पर तसवीर]
इब्राहीम उन लोगों में था जिन्होंने यहोवा में अपना पूरा विश्वास रखा