पाठकों के प्रश्न
जूरी कार्य के लिए बुलाए जाने पर एक मसीही को क्या करना चाहिए?
कुछ देशों में, न्यायिक व्यवस्था नागरिक वर्ग में से चुने गए जूरियों का उपयोग करती है। जहाँ यह प्रचलित है, एक मसीही को खुद निर्णय करना चाहिए कि जूरी कार्य के लिए रिर्पोट करने का निर्देश मिलने पर वह क्या करेगा। बहुत से मसीही अच्छे विवेक सहित इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि बाइबल सिद्धान्त उपस्थित होने को मना नहीं करते, जैसा कि शद्रक, मेशक, और अबेदनगो ने भी दूरा नाम मैदान में उपस्थित होकर बाबुल की सरकार के निर्देशन का पालन किया और जैसे यूसुफ तथा मरियम भी रोमी अधिकारियों के निर्देशन पर बैतलहम को गए। (दानिय्येल ३:१-१२; लूका २:१-४) तथापि, कुछ ऐसे तत्व हैं जिन पर सच्चे मसीही विचार कर सकते हैं।
सभी जगह जूरियों का उपयोग नहीं किया जाता। कुछ देशों में, नागरिक तथा अपराधिक मामलों के फ़ैसले पेशेवर न्यायाधीश या न्यायाधीशों के खंड करते हैं। दूसरी जगह, तथाकथित समान्य नियम प्रचलित हैं, और जूरी न्यायिक प्रक्रिया के भाग होते हैं। फिर भी, अधिकांश लोगों को केवल थोड़ा ही ज्ञान है कि जूरी-सदस्यों को कैसे चुना जाता है और कि वे क्या करते हैं। सो इस बारे में कुछ जानकारी लेना मददग़ार साबित होगा, चाहे आपको जूरी कार्य का सामना करना पड़े या नहीं।
परमेश्वर के लोग यहोवा को सर्वश्रेष्ठ न्यायी के तौर पर मानते हैं। (यशायाह ३३:२२) प्राचीन इस्राएल में, अनुभवी मनुष्य जो सच्चे व निष्पक्ष थे, झगड़ों को निपटाने और विधि के प्रश्नों का निर्णय करने के लिए न्यायियों का काम करते थे। (निर्गमन १८:१३-२२; लैव्यव्यवस्था १९:१५; व्यवस्थाविवरण २१:१८-२१) जिस समय यीशु पृथ्वी पर था, उस वक़्त न्यायिक कार्य महासभा, यहूदी उच्च न्यायालय द्वारा संभाला जाता था। (मरकुस १५:१; प्रेरितों ५:२७-३४) आम यहूदी के लिए नागरिक जूरी का सदस्य बनने का कोई प्रबंध नहीं था।
दूसरे देशों में नागरिकों से बनी जूरियों का इस्तेमाल किया जाता था। सुक्रात का ५०१ सदस्यों की जूरी ने न्याय किया था। जूरी द्वारा मुक़दमा रोमी गणराज्य में भी विद्यमान था, हालाँकि, सम्राटों के अधीन इनका अंत हुआ। बाद में, इंग्लैंड के राजा हैनरी III ने मुलज़िम का उसी के पड़ोसियों द्वारा न्याय किये जाने का प्रबंध किया। यह माना जाता था कि चूँकि वे मुलज़िम को जानते थे, उनका न्याय उन प्रक्रियाओं से बेहतर होगा जिनमें वह लड़कर या कठिन परीक्षा से गुज़रकर अपनी निष्कपटता को साबित करने की कोशिश करता। जैसे-जैसे समय बीतता गया, जूरी व्यवस्था ऐसे प्रबंध में बदली जहाँ नागरिकों का एक समूह मामले को सुनता और प्रमाण पर आधारित फ़ैसले पर पहुँचता। एक पेशेवर न्यायाधीश प्रमाणों के संबंध में उन्हें मार्गदर्शित करता।
जूरियों में, जूरी-सदस्यों की संख्या में, और फ़ैसला सुनाने में जो शामिल हैं उनमें भिन्नता है। उदाहरण के लिए, अमरीका में, १२ से २३ सदस्यों की ग्रैन्ड जूरी फ़ैसला करती है कि एक व्यक्ति पर अपराध का दोष लगाने के लिए पर्याप्त प्रमाण है या नहीं; यह दोषी या निर्दोष होने के बारे में निर्णय नहीं करती है। उसी तरह, मृत्यु समीक्षक जूरी (अन्वेषण की जूरी) में, जूरी-सदस्य प्रमाण पर आधारित फ़ैसला करते हैं कि अपराध हुआ था या नहीं।
अधिकांश लोग जब जूरी के बारे में सोचते हैं, तब वे मुक़दमें में १२ नागरिकों के एक खंड के बारे में सोचते हैं—चाहे एक नागरिक विवाद हो या अपराधिक मामला—जो प्रमाण को सुनकर दोषी या निर्दोष होने का फ़ैसला सुनता है। यह ग्रैन्ड जूरी के विपरीत एक पेटीट (छोटी) जूरी है। आम तौर पर, न्यायालय जूरी कार्य के लिए हाज़िर होने के लिए मतदाताओं, लाइसेंस चालकों या ऐसों की सूची में से चुने गए व्यक्तियों को नोटिस भेजती है। कुछ तो अपने-आप ही अयोग्य हो सकते हैं, जैसे कि वे जो महापराधी सिद्ध हैं और जो मानसिक रूप से अक्षम हैं। स्थानीय नियम पर आधारित, दूसरे—जैसे कि डॉक्टर, पादरी, वकील, या छोटे कारोबार के मालिक—विमुक्ति का दावा कर सकते हैं। (कुछ शायद मुक्त हो जाएं क्योंकि जूरी कार्य के प्रति उनकी व्यक्तिगत, दृढ़ आपत्ति है) लेकिन, अधिकारी विमुक्तियों को बड़े पैमाने पर रद्द कर रहें हैं जिससे जूरी कार्य के लिए रिपोर्ट करने को सभी बाध्य हैं, शायद कुछ सालों में बारबार।
ज़रूरी नहीं कि जूरी कार्य के लिए सभी रिपोर्ट करनेवाले मुक़दमें में जूरी-सदस्यों के तौर पर बैठें। जूरी कार्य के लिए बुलाए जानेवाले व्यक्तियों के निकाय में से, कुछ को किसी ख़ास मामले के लिए संभाव्य जूरी-सदस्यों के तौर पर बिना किसी क्रम चुना जाता है। फिर न्यायाधीश पक्षों तथा उनके वकीलों की पहचान कराता है और मुक़दमें की विशेषता का वर्णन करता है। वह और वकील हरेक संभाव्य जूरी-सदस्य का परीक्षण करते हैं। अब बोलने का यह सही समय है यदि उस मामले की विशेषता के कारण किसी का अंत:करण कार्य करने को मना करता है।
समूह को उस संख्या तक कम करने की ज़रूरत है जितने कि उस मुक़दमें के लिए वास्तव में बैठेंगे। मुक़दमें में किसी संभव रुचि के कारण जिस किसी पर भी निष्पक्षता का प्रश्न उठाया जाए तो उसे न्यायाधीश निष्कासित कर देगा। कुछ जूरी-सदस्यों को निष्कासित करने का अधिकार दोनों पक्ष के वकीलों को भी है। उस जूरी खंड में से जो निष्कासित हुए हैं वे दूसरे मामले के बिना क्रम के चुनाव की प्रतीक्षा में फिर से जूरी निकाय में लौट जाते हैं। ऐसी परिस्थिति में कुछ मसीहियों ने समय का उपयोग अनौपचारिक गवाही कार्य करने में किया। कुछ दिनों के बाद, एक व्यक्ति का जूरी कार्य पूरा होता है चाहे वह वास्तव में जूरी-सदस्य के तौर पर बैठा हो या नहीं।
मसीही ‘पराए काम में’ बिना हाथ डाले, ‘अपना अपना काम काज करने’ का प्रयास करते हैं। (१ पतरस ४:१५; १ थिस्सलुनीकियों ४:११) जब एक यहूदी ने संपत्ति के विषय में यीशु से न्याय करने को कहा, तब उसने उत्तर दिया: “हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटनेवाला नियुक्त किया है?” (लूका १२:१३, १४) यीशु राज्य के सुसमाचार की घोषणा करने आया था, न कि कानूनी मामलों को सुलझाने। (लूका ४:१८, ४३) संभव है कि यीशु की प्रतिक्रिया ने झगड़ों को निपटाने की ख़ातिर परमेश्वर के नियम में जो है उसे प्रयोग करने के लिए उस मनुष्य को प्रेरित किया हो। (व्यवस्थाविवरण १:१६, १७) ये मुद्दे जायज़ हैं, फिर भी जूरी कार्य के लिए रिपोर्ट करने के निर्देश का पालन करना, किसी पराए के काम में हाथ डालने से अलग है। यह दानिय्येल के तीन साथियों की परिस्थिति से मिलती-जुलती है। बाबुल की सरकार ने दूरा के मैदान में हाज़िर होने का आदेश दिया, और उनके ऐसा करने से परमेश्वर के वचन का उल्लंघन नहीं हुआ। बाद में जो उन्होंने किया वह अलग बात थी, जैसा कि बाइबल बताती है।—दानिय्येल ३:१६-१८.
परमेश्वर के सेवक जब मूसा की व्यवस्था के अधीन न रहे, तब विभिन्न देशों में उन्हें सांसारिक न्यायालयों से व्यवहार करना पड़ा। प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया में मत-भेदों को कलीसिया में ही सुलझाने के लिए “पवित्र लोगों” से आग्रह किया। संसार के न्यायालयों के न्यायाधिकरण को “अधर्मियों” के तौर पर ज़िक्र करते वक़्त पौलुस ने यह इंकार नहीं किया कि सांसारिक मामलों के सम्बन्ध में इनका स्थान था। (१ कुरिन्थियों ६:१) उसने यहाँ तक कि अपना मामला कैसर के सम्मुख अपील करते हुए, रोमी न्यायिक व्यवस्था के अधीन ख़ुद का बचाव किया। ऐसा नहीं है कि सांसारिक न्यायालय मूलतः ग़लत हैं।—प्रेरितों २४:१०; २५:१०, ११.
सांसारिक न्यायालय “प्रधान अधिकारियों” के कार्य हैं। ये “जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं,” और वे नियम बनाते व लागू करते हैं। पौलुस ने लिखा: “क्योंकि वह तेरी भलाई के लिये परमेश्वर का सेवक है। परन्तु यदि तू बुराई करे, तो डर; क्योंकि वह तलवार व्यर्थ लिए हुए नहीं और परमेश्वर का सेवक है; कि उसके क्रोध के अनुसार बुरे काम करनेवाले को दण्ड दे।” चूँकि वे ऐसे कानूनी कार्य करते हैं, मसीही ‘अधिकार का विरोध’ नहीं करते क्योंकि उनका सामना करके दण्ड नहीं पाना चाहते।—रोमियों १३:१-४; तीतुस ३:१.
तथ्यों को संतुलित करते हुए, मसीहियों को सोचना चाहिए की कैसर की कुछ माँगों के अधीन वे रह सकते हैं या नहीं। पौलुस ने सलाह दी: “इसलिये हर एक का हक्क चुकाया करो, जिसे कर चाहिए, उसे कर दो; जिसे महसूल चाहिए, उसे महसूल दो; जिसे से डरना चाहिए, उस से डरो; जिस का आदर करना चाहिए उसका आदर करो।” (रोमियों १३:७) यह वित्तीय कर के संबंध में स्पष्ट है। (मत्ती २२:१७-२१) यदि कैसर कहता है कि नागरिकों को सड़क साफ़ करने के लिए या दूसरे कार्य करने के लिए जो कैसर के कार्यों के भाग हैं, अपना समय देना तथा प्रयास करना चाहिए तब हरेक मसीही को निर्णय लेना चाहिए कि वह अधीन रहेगा या नहीं।— मत्ती ५:४१.
कुछ मसीहियों ने जूरी सेवा, जो कैसर का है उसे कैसर को देना समझा है। (लूका २०:२५) जूरी कार्य में प्रमाण को सुनने तथा नियम या तथ्य पर सच्ची राय देने का कार्य शामिल है। उदाहरणार्थ, ग्रैन्ड जूरी में जूरी-सदस्य यह निर्णय करते हैं कि क्या किसी व्यक्ति पर मुक़दमा चलाने के लिए पर्याप्त प्रमाण है या नहीं; वे दोषी होने या न होने का फ़ैसला नहीं करते हैं। एक सामान्य मुक़दमें के बारे में क्या? नागरिक मामले में, जूरी शायद मुआवज़ा या क्षतिपूर्ति निर्धारित करे। अपराधिक मामलों में, उन्हें निश्चित करना है कि क्या प्रमाण दोषी होने की पुष्टि करता है या नहीं। कभी-कभी वे सलाह देते हैं कि नियम द्वारा नियत कौन-सी सज़ा लागू की जानी चाहिए। तब सरकार अपना अधिकार “उसके क्रोध के अनुसार बुरे काम करनेवाले को दण्ड देने,” या “कुकर्मियों को दण्ड देने” में उपयोग करती है।—१ पतरस २:१४.
तब क्या यदि एक मसीही महसूस नहीं करता कि उसका अंतःकरण किसी ख़ास जूरी में सेवा करने की अनुमति देता है? चूँकि, बाइबल जूरी कार्य का ज़िक्र नहीं करती, वह यह नहीं कह सकता, ‘किसी जूरी में कार्य करना मेरे धर्म के ख़िलाफ़ है।’ मामले पर आधारित, वह कह सकता है कि किसी ख़ास मामले में कार्य करना उसके व्यक्तिगत अंतःकरण के ख़िलाफ़ है। ऐसा हो सकता है यदि मामला लैंगिक अनैतिकता, गर्भपात, नरसंहार, या अन्य समस्या से सम्बन्धित है जिसमें उसका विचार मात्र सांसारिक नियम पर ही नहीं, वरन बाइबल के ज्ञान के अनुरूप सुनिश्चित है। हालाँकि, वास्तव में यह काफ़ी हद तक संभव है कि जिस मुक़दमें के लिए उसे चुना गया है उसमें ऐसी बातें न हों।
एक प्रौढ़ मसीही इस पर भी विचार करेगा कि न्यायाधीशों द्वारा सुनाई गई सज़ा में क्या वह अपनी कोई सहभागिता चाहता है या नहीं। (उत्पत्ति ३९:१७-२० से तुलना कीजिए; १ तीमुथियुस ५:२२.) यदि अपराध का फ़ैसला ग़लत हो और मृत्यु दण्ड का आदेश है, तब क्या जूरी का एक मसीही सदस्य रक्तदोष में सहभागी होगा? (निर्गमन २२:२; व्यवस्थाविवरण २१:८; २२:८; यिर्मयाह २:३४; मत्ती २३:३५; प्रेरितों १८:६) यीशु के परीक्षण के वक़्त पीलातुस “धर्मी के लोहू से निर्दोष” होना चाहता था। यहूदियों ने तुरंत कहा: “इस का लोहू हम पर और हमारी सन्तान पर हो।”—मत्ती २७:२४, २५.
यदि एक मसीही सरकार द्वारा निर्देशित जूरी कार्य के लिए रिपोर्ट करता है, किन्तु अपने अंतःकरण के कारण किसी ख़ास मामले में न्यायाधीश के आग्रह के बावजूद जूरी कार्य करने के लिए इंकार करता है, तब उसे परिणामों का सामना करने के लिए तैयार होना चाहिए—चाहे वह जुर्माना हो या फिर क़ैद।—१ पतरस २:१९.
अंतिम विश्लेषण में, हरेक मसीही को जो जूरी कार्य का सामना करता है, बाइबल की अपनी समझ और अपने अंतःकरण पर आधारित निर्णय लेना है कि वह कौन-सा मार्ग अपनाएगा। कुछ मसीही जूरी कार्य के लिए उपस्थित हुए हैं और उन्होंने कुछ ख़ास जूरियों में काम किया है। दण्डाज्ञा के बावजूद अन्य लोगों ने ना कहने के लिए बाध्य महसूस किया है। हरेक मसीही को ख़ुद के लिए निर्णय करना है कि वह क्या करेगा, और दूसरों को उसके निर्णय की आलोचना नहीं करनी चाहिए।—गलतियों ६:५.