सच्ची शान्ति ढूँढ़िए और उसका पीछा कीजिए!
“जो जीवन की अभिलाषा रखता है, और अच्छे दिन देखना चाहता है, . . . वह दुष्टता से फिर कर भलाई करे, और शान्ति को ढूंढ़कर उसका पीछा करे।”—१ पतरस ३:१०, ११, NHT.
१. यशायाह के कौन-से मशहूर शब्दों की विश्वसनीय सफलता निश्चय ही होगी?
“वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल और अपने भालों को हंसिया बनाएंगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध फिर तलवार न चलाएगी, न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे।” (यशायाह २:४) हालाँकि यह मशहूर पाठ न्यू यॉर्क सिटी में संयुक्त राष्ट्र के विश्व मुख्यालय के पास ही लगा हुआ है, फिर भी यह कहना बिलकुल नामुमकिन है कि उस विश्व संगठन ने इन शब्दों को पूरा किया है। लेकिन, यहोवा परमेश्वर के अचूक वचन के एक भाग के तौर पर, यह घोषणा निश्चय ही परिणाम लाएगी।—यशायाह ५५:१०, ११.
२. यशायाह २:२, ३ के मुताबिक़, “अन्त के दिनों में ऐसा [क्या] होगा”?
२ यशायाह २:४ में पाए गए शब्द वास्तव में एक अद्भुत भविष्यवाणी का भाग हैं, सच्ची शान्ति के बारे में भविष्यवाणी—और इसकी पूर्ति हमारे ही समय में हो रही है। युद्ध तथा युद्ध के शस्त्रों के अब और अस्तित्त्व में न होने की रोमांचित प्रत्याशाओं की घोषणा करने से पहले, भविष्यवाणी कहती है: “अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा, और सब पहाड़ियों से अधिक ऊंचा किया जाएगा; और हर जाति के लोग धारा की नाईं उसकी ओर चलेंगे। और बहुत देशों के लोग आएंगे, और आपस में कहेंगे: आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर, याकूब के परमेश्वर के भवन में जाएं; तब वह हमको अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे। क्योंकि यहोवा की व्यवस्था सिय्योन से, और उसका वचन यरूशलेम से निकलेगा।”—यशायाह २:२, ३.
लोग शान्तिमय बन सकते हैं
३. एक व्यक्ति युद्ध-प्रवृत स्वभाव छोड़कर शान्तिमय स्वभाव का कैसे बन सकता है?
३ यह ध्यान दीजिए कि इससे पहले कि लोग एक शान्तिमय जीवनशैली अपना सकें, उन्हें यहोवा के तौर-तरीक़ों का उपदेश दिया जाना ज़रूरी है। यहोवा के शिक्षण के प्रति आज्ञाकारी प्रतिक्रिया व्यक्ति के सोचने और कार्य करने के ढंग को बदल सकती है, ताकि वह व्यक्ति जो युद्ध-प्रवृत था वह शान्तिमय बन जाता है। यह रूपांतरण कैसे संपन्न होता है? रोमियों १२:२ कहता है: “इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।” हम अपने मन को परमेश्वर के वचन से प्राप्त सिद्धांतों और उपदेशों से भरने के द्वारा बदलते हैं, या इसे एक दूसरी दिशा की ओर प्रेरित करते हैं। बाइबल का एक नियमित अध्ययन हमें यह परिवर्तन करने में मदद करता है और हमें अपने आपको यह साबित करके दिखाने में समर्थ करता है कि हमारे लिए यहोवा की इच्छा क्या है, ताकि हम स्पष्ट रूप से उस पथ को देख सकें जिस पर हमें जाना है।—भजन ११९:१०५.
४. व्यक्ति कैसे शान्तिमय नए व्यक्तित्व को पहनता है?
४ बाइबल सच्चाई न सिर्फ़ हमारे सोचने के तरीक़े को बल्कि हमारे कार्यों और व्यक्तित्व को भी बदलती है। प्रेरित पौलुस ने हम से जो करने का आग्रह किया, यह उसे करने में हमारी मदद करती है: “तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमानेवाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डालो। और अपने मन के आत्मिक स्वभाव [“मन को प्रेरित करनेवाली शक्ति,” NW] में नये बनते जाओ। और नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता, और पवित्रता में सृजा गया है।” (इफिसियों ४:२२-२४) मन को प्रेरित करनेवाली शक्ति आंतरिक है। जैसे-जैसे यहोवा और उसके नियमों के लिए हमारा प्रेम बढ़ता है, यह रूपांतरित होती है और शक्तिशाली बनती जाती है और यह हमें आध्यात्मिक और शान्तिमय लोग बनाती है।
५. यीशु ने अपने शिष्यों को जो “नई आज्ञा” दी, वह उनके बीच शान्ति में कैसे योगदान देती है?
५ इस रूपांतरण की ज़रूरत उस उपदेश से दिखती है जिसे यीशु ने अपने अनुयायियों को उनके साथ अपने अंतिम घंटे बिताते समय दिया: “मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।” (यूहन्ना १३:३४, ३५) यह मसीह-समान, निःस्वार्थ प्रेम शिष्यों को परिपूर्ण एकता में एकसाथ बाँधे रखता है। (कुलुस्सियों ३:१४) केवल वे लोग जो इस “नई आज्ञा” को स्वीकार करने और इसके अनुरूप चलने के इच्छुक हैं, वे उस शान्ति का आनंद उठाएँगे जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर करता है। क्या कोई लोग हैं जो आज ऐसा करते हैं?
६. संसार के लोगों की विषमता में यहोवा के साक्षी क्यों शान्ति का लुत्फ़ उठाते हैं?
६ यहोवा के साक्षी अपने विश्वव्यापी भाइचारे में अपना प्रेम दिखाने का प्रयत्न करते हैं। हालाँकि वे संसार के सभी राष्ट्रों से लाए गए हैं, वे संसार के विवादों में तब भी शामिल नहीं होते जब उन्हें तीव्र राजनैतिक और धार्मिक दबाव का सामना करना पड़ता है। संयुक्त लोगों के रूप में, वे यहोवा द्वारा सिखाए जाते हैं, और वे शान्ति का लुत्फ़ उठाते हैं। (यशायाह ५४:१३) वे राजनैतिक संघर्षों में तटस्थ रहते हैं, और युद्धों में भाग नहीं लेते। कुछ लोग जो पहले हिंसक थे, उन्होंने अपनी वह जीवन-शैली छोड़ दी है। वे मसीह यीशु के आदर्श का अनुकरण करते हुए शान्तिप्रिय मसीही बन गए हैं। और पूरे दिल से पतरस की सलाह का पालन करते हैं: “जो जीवन की अभिलाषा रखता है, और अच्छे दिन देखना चाहता है, वह अपनी जीभ को दुष्टता की बातों से, और अपने होंठों को छल की बातें बोलने से रोके रहे। वह दुष्टता से फिर कर भलाई करे, और शान्ति को ढूंढ़कर उसका पीछा करे।”—१ पतरस ३:१०, ११, NHT; इफिसियों ४:३.
ऐसे लोग जो शान्ति का पीछा कर रहे हैं
७, ८. ऐसे लोगों के उदाहरण दीजिए जिन्होंने युद्ध छोड़ दिया है और सच्ची शान्ति के खोजी बन गए हैं। (अन्य उदाहरण भी बताइए जिनसे आप शायद परिचित हों।)
७ मिसाल के तौर पर, रामी ओवॆद है जो विशेष आतंकवादी-विरोधी दस्ते का एक भूतपूर्व अफ़सर है। उसे शत्रुओं को मार गिराने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। वह तब तक इस्राएली राष्ट्रीयता में बहुत ही भक्ति-भाव से विश्वास करता था जब तक उसे यह पता नहीं चला कि रब्बी यह नहीं चाहते थे कि वह उस स्त्री से विवाह रचाए जिससे वह मुहब्बत करता था बस इसलिए कि वह एक एशियावासी, अर्थात् एक अन्यजाति थी। उसने सच्चाई के लिए बाइबल में ढूँढ़-ढाँढ़ करनी शुरू कर दी। तब वह यहोवा के साक्षियों के संपर्क में आया। साक्षियों के साथ बाइबल के अध्ययन ने उसे क़ायल कर दिया कि वह अब और एक धर्मांध राष्ट्रीयवादी नहीं रह सकता। मसीही प्रेम का अर्थ था युद्ध और हथियार त्याग देना तथा हर जाति के लोगों से प्रेम करना सीखना। उसे कितना आश्चर्य हुआ जब उसे एक कृपापूर्ण ख़त प्राप्त हुआ जिसकी शुरूआत इस प्रकार थी: “मेरे भाई रामी”! इसमें इतनी अनोखी बात क्या थी? लिखनेवाली व्यक्ति एक फ़िलस्तीनी साक्षी थी। “मुझे यह अविश्वसनीय लगा,” रामी कहता है, “क्योंकि फ़िलस्तीनी लोग मेरे दुश्मन थे, और उनमें से एक यहाँ मुझे ‘मेरे भाई’ कहकर पुकार रही थी।” रामी और उसकी पत्नी अब परमेश्वर के मार्ग पर सच्ची शान्ति का पीछा कर रहे हैं।
८ एक और उदाहरण है गेओर्ग रॉइटर का, जो उस जर्मन सेना में काम करता था जिसने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान रूस पर हमला किया था। जल्द ही उसका हिटलर के विश्व शासन के शानदार षड्यंत्र से मोहभंग हो गया। जब वह लड़ाई के मैदान से लौटा, तब वह यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन करने लगा। उसने लिखा: “आख़िरकार, मुझे बातें स्पष्ट होने लगीं। मुझे एहसास हुआ कि सारे खूनख़राबे के लिए परमेश्वर दोषी नहीं था . . . मैंने सीखा कि आज्ञाकारी मानवजाति के लिए अनंत आशीषों के साथ पूरी पृथ्वी में परादीस स्थापित करने का उसका उद्देश्य था। . . . हिटलर ने अपने ‘हज़ार-साल के राइख़’ के बारे में डींगें हाँकी थीं लेकिन उसने केवल १२ [वर्षों] के लिए शासन किया—और उसका भी क्या ही बुरा अंजाम था! यह तो हिटलर के बजाय मसीह है . . . जो पूरी पृथ्वी पर हज़ार-साल का शासन स्थापित कर सकता है और निश्चय ही करेगा।” अब कुछ ५० सालों से, गेआर्ग पूर्ण-समय की सेवकाई में सच्ची शान्ति के लिए एक दूत के रूप में सेवा करता रहा है।
९. नात्सी जर्मनी में यहोवा के साक्षियों के अनुभव ने कैसे साबित किया कि वे साहसी, फिर भी शान्तिमय लोग हैं?
९ नात्सी शासन काल के दौरान जर्मनी के यहोवा के साक्षियों की खराई और तटस्थता, अभी भी कुछ ५० से भी ज़्यादा सालों के बाद, परमेश्वर और शान्ति के लिए उनके प्रेम की एक गवाही होना जारी है। वॉशिंगटन, डी.सी. के यूनाइटेड स्टेटस् हॉलोकास्ट मेमोरियल म्यूज़ियम द्वारा प्रकाशित एक पुस्तिका ने कहा: “नात्सी शासन काल के अधीन यहोवा के साक्षियों ने तीव्र सताहट को सहा। . . . यातना, नज़रबंदी शिविरों में दुर्व्यवहार, और कभी-कभार प्राणदंड के सम्मुख [अपने धर्म को त्याग देने से] इंकार करने में जो साहस अधिकांश साक्षियों ने प्रदर्शित किया, उसने अपने समय के अनेक लोगों के सम्मान को जीत लिया।” उसमें आगे यूँ लिखा है: “शिविरों से विमुक्ति के दौरान, यहोवा के साक्षियों ने उत्तरजीवियों के साथ मेल-मिलाप कर और धर्मपरिवर्तन करवाते हुए अपना काम जारी रखा।”
एक और भी बड़ा बदलाव
१०. (क) सच्ची शान्ति के आने के लिए कौन-से बड़े बदलाव की ज़रूरत है? (ख) दानिय्येल की पुस्तक में इसे कैसे चित्रित किया गया था?
१० क्या इसका यह अर्थ है कि यहोवा के साक्षी यह मानते हैं कि वे मसीही तटस्थता में विश्वास दिलाकर जन परिवर्तन करने के द्वारा पूरे संसार में शान्ति ला सकते हैं? जी नहीं! पृथ्वी पर शान्ति को पुनःस्थापित करने के लिए, एक और भी बड़े बदलाव की ज़रूरत है। यह क्या है? परमेश्वर के राज्य का शासन ज़रूर विभाजक, उत्पीड़क, और हिंसक मानव शासन की जगह ले लेगा, जिसके लिए यीशु ने अपने शिष्यों को प्रार्थना करना सिखाया। (मत्ती ६:९, १०) लेकिन यह कैसे होगा? ईश्वरीय रूप से उत्प्रेरित स्वप्न में, भविष्यवक्ता दानिय्येल ने जाना कि अंतिम दिनों में, परमेश्वर का राज्य, ‘बिना किसी मनुष्य के खोदे’ एक बड़ी चट्टान के माफ़िक़, पृथ्वी पर मानवजाति के राजनैतिक शासन को चित्रित करनेवाली एक विशाल मूर्ति को चकनाचूर कर देगा। फिर उसने घोषणा की: “उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्वर, एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा। वरन वह उन सब राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा।”—दानिय्येल २:३१-४४.
११. किस ज़रिए से यहोवा शान्ति के लिए आवश्यक परिवर्तन लाएगा?
११ संसार की परिस्थिति में यह आत्यंतिक परिवर्तन क्यों होगा? क्योंकि यहोवा ने प्रतिज्ञा की है कि वह पृथ्वी से उन सब लोगों का सफ़ाया करेगा जो इसे दूषित और बरबाद कर रहे हैं। (प्रकाशितवाक्य ११:१८) यह रूपांतरण, शैतान और उसके दुष्ट संसार के विरुद्ध यहोवा के धर्मी युद्ध में होगा। हम प्रकाशितवाक्य १६:१४, १६ में पढ़ते हैं: “ये [अर्थात्, अशुद्ध उत्प्रेरित अभिव्यक्तियाँ] चिन्ह दिखानेवाली दुष्टात्मा हैं, जो सारे संसार के राजाओं [राजनैतिक शासकों] के पास निकलकर इसलिये जाती हैं, कि उन्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस बड़े दिन की लड़ाई के लिये इकट्ठा करें। और उन्हों ने उन को उस जगह इकट्ठा किया, जो इब्रानी में हर-मगिदोन कहलाता है।”
१२. अरमगिदोन कैसा होगा?
१२ अरमगिदोन कैसा होगा? यह एक नाभकीय विध्वंस या मनुष्यों द्वारा भड़काया हुआ नाश नहीं होगा। जी नहीं, यह सभी मानवी युद्धों को समाप्त करने और ऐसे युद्धों को बढ़ावा देनेवाले सभी लोगों को मिटाने के लिए परमेश्वर का युद्ध होगा। यह शान्ति से प्रेम रखनेवालों के लिए सच्ची शान्ति लाने के लिए परमेश्वर का युद्ध है। जी हाँ, ठीक जिस प्रकार यहोवा ने उद्देश्य किया है, वैसे ही अरमगिदोन आ रहा है। इसमें देरी नहीं होगी। उसके भविष्यवक्ता हबक्कूक को यह लिखने के लिए उत्प्रेरित किया गया: “इस दर्शन की बात नियत समय में पूरी होनेवाली है, वरन इसके पूरे होने का समय वेग से आता है; इस में धोखा न होगा। चाहे इस में विलम्ब भी हो, तौभी उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्चय पूरी होगी और उस में देर न होगी।” (हबक्कूक २:३) हमारी मानवी भावनाओं की वज़ह से शायद ऐसा लगे कि इसमें देर हो रही है, लेकिन यहोवा अपनी समय-सारणी को बनाए रखता है। अरमगिदोन उस घड़ी आएगा जिस घड़ी यहोवा ने इसे पूर्वनिर्धारित किया है।
१३. असली दोषी, शैतान अर्थात् इब्लीस के साथ परमेश्वर कैसा सलूक करेगा?
१३ यह निर्णायक कार्य सच्ची शान्ति के लिए मार्ग साफ़ करेगा! लेकिन सच्ची शान्ति को दृढ़तापूर्वक स्थापित होने के लिए, कुछ और भी किया जाना ज़रूरी है—विभाजन, घृणा, और संघर्ष को उत्पन्न करनेवाले का हटाया जाना। और बाइबल यही भविष्यवाणी करती है कि इसके बाद यह होगा—शैतान, अर्थात् युद्ध को बढ़ावा देनेवाला और झूठ के पिता का अथाह कुण्ड में डाला जाना। प्रेरित यूहन्ना ने इस घटना को एक भविष्यसूचक दर्शन में देखा, जैसे प्रकाशितवाक्य २०:१-३ में अभिलिखित किया गया है: “मैं ने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा; जिस के हाथ में अथाह कुंड की कुंजी, और एक बड़ी जंजीर थी। और उस ने उस अजगर, अर्थात् पुराने सांप को, जो इब्लीस और शैतान है; पकड़ के हजार वर्ष के लिये बान्ध दिया। और उसे अथाह कुंड में डालकर बन्द कर दिया और उस पर मुहर कर दी, कि वह हजार वर्ष के पूरे होने तक जाति जाति के लोगों को फिर न भरमाए।”
१४. शैतान के विरुद्ध यहोवा के विजयी कार्यान्वयन का वर्णन कैसे किया जा सकता है?
१४ यह कोई स्वप्न नहीं है; यह परमेश्वर की प्रतिज्ञा है—और बाइबल कहती है: “परमेश्वर का झूठा ठहरना अन्होना है।” (इब्रानियों ६:१८) अतः यहोवा अपने भविष्यवक्ता यिर्मयाह के ज़रिए यह कह सका: “मैं ही वह यहोवा हूं, जो पृथ्वी पर करुणा, न्याय और धर्म के काम करता है; क्योंकि मैं इन्हीं बातों से प्रसन्न रहता हूं।” (यिर्मयाह ९:२४) यहोवा न्याय और धार्मिकता से कार्य करता है, और वह उस शान्ति से प्रसन्न होता है जो वह पृथ्वी पर लाएगा।
शान्ति के राजकुमार द्वारा शासन
१५, १६. (क) यहोवा ने राजा के तौर पर शासन करने के लिए किसे चुना है? (ख) इस शासकत्व का वर्णन कैसे किया गया है, और इसमें कौन भागीदार होंगे?
१५ यह निश्चित करने के लिए कि उसकी राज्य व्यवस्था के अधीन रहनेवाले सभी लोगों के लिए सच्ची शान्ति आएगी, यहोवा ने शासकत्व को शान्ति के सच्चे राजकुमार, यीशु मसीह के हाथों सौंप दिया है, जैसा यशायाह ९:६, ७ में पूर्वबताया गया है: “हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करनेवाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा। उसकी प्रभुता सर्वदा बढ़ती रहेगी, और उसकी शान्ति का अन्त न होगा, . . . सेनाओं के यहोवा की धुन के द्वारा यह हो जाएगा।” भजनहार ने भविष्यसूचक रूप से मसीहा के शान्तिपूर्ण शासन के बारे में भी लिखा: “उसके दिनों में धर्मी फूले फलेंगे, और जब तक चन्द्रमा बना रहेगा, तब तक शान्ति बहुत रहेगी।”—भजन ७२:७.
१६ इसके अलावा, मसीह के १,४४,००० आत्मा-अभिषिक्त भाई उसके साथ स्वर्ग में शासन करेंगे। ये मसीह के साथ संगी-वारिस हैं जिनके बारे में पौलुस ने लिखा: “शान्ति का परमेश्वर शैतान को तुम्हारे पांवों से शीघ्र कुचलवा देगा। हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम पर होता रहे।” (रोमियों १६:२०) जी हाँ, ये लोग युद्ध-प्रेरक, शैतान अर्थात् इब्लीस पर स्वर्ग में मसीह की विजय में भागीदार होंगे!
१७. सच्ची शान्ति को विरासत में पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
१७ सो अब सवाल यह है कि सच्ची शान्ति को विरासत में पाने के लिए आपको क्या करना चाहिए? सच्ची शान्ति केवल परमेश्वर के तरीक़े से आ सकती है, और इसे प्राप्त करने के लिए आपको सकारात्मक क़दम उठाने होंगे। आपको शान्ति के राजकुमार को स्वीकारना और उसकी ओर मुड़ना होगा। इसका अर्थ है कि आपको मसीह को, पापमय मानवजाति के उद्धारक और छुड़ौती-दाता के रूप में उसकी भूमिका को स्वीकारना होगा। स्वयं यीशु ने मशहूर शब्दों को कहा: “परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” (यूहन्ना ३:१६) क्या आप सच्ची शान्ति और उद्धार लाने के लिए परमेश्वर के अभिकर्ता के रूप में मसीह यीशु में विश्वास जताने के लिए इच्छुक हैं? आसमान के नीचे किसी दूसरे का नाम नहीं है जो शान्ति स्थापित कर सकता और उसकी गारंटी दे सकता है। (फिलिप्पियों २:८-११) क्यों? क्योंकि यीशु ही परमेश्वर का चुना हुआ व्यक्ति है। वही पृथ्वी पर जीनेवाला शान्ति का सबसे बड़ा दूत है। क्या आप यीशु की सुनेंगे और उसके उदाहरण का अनुकरण करेंगे?
१८. हमें यूहन्ना १७:३ में अभिलिखित यीशु के शब्दों की प्रतिक्रिया में क्या करना चाहिए?
१८ “अनन्त जीवन यह है,” यीशु ने कहा, “कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें।” (यूहन्ना १७:३) राज्यगृह में यहोवा के साक्षियों की सभाओं में नियमित रूप से उपस्थित होने के द्वारा यथार्थ ज्ञान लेने का समय अभी है। ये शैक्षणिक सभाएँ आपको प्रेरित करेंगी कि आप अपना ज्ञान और अपनी आशा दूसरों के साथ बाँटें। आप भी परमेश्वर की शान्ति के एक दूत बन सकते हैं। आप यहोवा परमेश्वर पर भरोसा करने के द्वारा अभी शान्ति का आनंद उठा सकते हैं, जैसा न्यू इंटरनैशनल वर्शन (अंग्रेज़ी) के मुताबिक़, यशायाह २६:३ में बताया गया है: “जिसका मन स्थिर है, उसे तुम पूर्ण शान्ति में रखोगे, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है।” आपको किस पर भरोसा करना चाहिए? “यहोवा पर सदा भरोसा रख, क्योंकि प्रभु यहोवा सनातन चट्टान है।”—यशायाह २६:४.
१९, २०. उनके लिए क्या रखा है जो आज शान्ति ढूँढ़ते और उसका पीछा करते हैं?
१९ परमेश्वर के शान्तिपूर्ण नए संसार में अनंत जीवन के लिए अपनी स्थिति अभी लीजिए। प्रकाशितवाक्य २१:३, ४ में, परमेश्वर का वचन हमें आश्वस्त करता है: “देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा; और उन का परमेश्वर होगा। और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।” क्या यही वह शान्तिपूर्ण भविष्य नहीं है जिसकी आप लालसा करते हैं?
२० तब याद रखिए कि परमेश्वर ने क्या प्रतिज्ञा की है। “नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे। खरे मनुष्य पर दृष्टि कर और धर्मी को देख, क्योंकि मेल से रहनेवाले पुरुष का अन्तफल अच्छा है।” (भजन ३७:११, ३७) जब ख़ुशी का वह दिन आता है, तब ऐसा हो कि हम आभार से कहें, “आख़िरकार सच्ची शान्ति! सच्ची शान्ति के स्रोत, यहोवा परमेश्वर का धन्यवाद हो!”
क्या आप समझा सकते हैं?
◻ सोच-विचार और कार्य में परिवर्तन करने में कौन-सी बात व्यक्ति की मदद कर सकती है?
◻ यहोवा के साक्षियों ने, वैयक्तिक और सामूहिक रूप से, सच्ची शान्ति के लिए अपना प्रेम कैसे प्रदर्शित किया है?
◻ यहोवा उन सभी लोगों के साथ कैसा सलूक करेगा जो घृणा और युद्ध को बढ़ावा देते हैं?
◻ शान्ति के राजकुमार द्वारा शासन मानवजाति के लिए क्या करेगा?
[पेज 14 पर तसवीरें]
यशायाह के शब्दों की पूर्ति संयुक्त राष्ट्र द्वारा नहीं, बल्कि उनके द्वारा होती है जो यहोवा की शिक्षा के लिए प्रतिक्रिया दिखाते हैं
[पेज 15 पर तसवीरें]
इन दो पुरुषों ने शान्ति का पीछा करने के लिए परिवर्तन किए
रामी ओवॆद
गेओर्ग रॉइटर
[पेज 16 पर तसवीर]
शान्ति के राजकुमार के शासन के अधीन सच्ची शान्ति क़ायम रहेगी