यहोवा वफादार लोगों से की गयी अपनी प्रतिज्ञाएँ पूरी करता है
“जिसने प्रतिज्ञा की है, वह विश्वासयोग्य है।”—इब्रानियों १०:२३, NHT.
१, २. हम यहोवा की प्रतिज्ञाओं पर पूरी तरह यकीन क्यों कर सकते हैं?
यहोवा कहता है कि उसके सेवक उसमें और उसकी प्रतिज्ञाओं में पक्का विश्वास विकसित करें और उसको कायम रखें। अगर ऐसा विश्वास हो तो व्यक्ति यहोवा पर पूरी तरह से भरोसा रख सकता है कि जो कुछ उसने प्रतिज्ञा की है वह उसे पूरी करेगा। उसका उत्प्रेरित वचन कहता है: “सेनाओं के यहोवा ने यह शपथ खाई है, निःसन्देह जैसा मैं ने ठाना है, वैसा ही हो जाएगा, और जैसी मैं ने युक्ति की है, वैसी ही पूरी होगी।”—यशायाह १४:२४.
२ वाक्य, “सेनाओं के यहोवा ने यह शपथ खाई है” यह दिखाता है कि वह अपनी प्रतिज्ञाएँ पूरी करने की कसम खाता है। इसीलिए उसका वचन कह सकता है: “तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।” (नीतिवचन ३:५, ६) जब हम यहोवा पर भरोसा रखेंगे और उसकी बुद्धि से मार्गदर्शित होंगे, तो हमारा मार्ग हमें बिना चूके अनंत जीवन की ओर ले जाएगा, क्योंकि जो परमेश्वर की बुद्धि “को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिये वह जीवन का वृक्ष बनती है।”—नीतिवचन ३:१८; यूहन्ना १७:३.
पुराने ज़माने में सच्चा विश्वास
३. नूह ने यहोवा पर विश्वास कैसे दिखाया?
३ सच्चा विश्वास करनेवालों के प्रति यहोवा का पिछला रिकार्ड इस बात का सबूत देता है कि उस पर निर्भर किया जा सकता है। मिसाल के तौर पर, आज से करीब ४,४०० साल पहले, परमेश्वर ने नूह से कहा कि उसके समय के संसार को एक विश्व-व्यापी जल-प्रलय से नाश किया जाना है। उसने नूह से कहा कि लोगों और जानवरों की जान बचाने के लिए एक विशाल जहाज़ बनाए। नूह ने क्या किया? इब्रानियों ११:७ हमें बताता है: “विश्वास ही से नूह ने उन बातों के विषय में जो उस समय दिखाई न पड़ती थीं, चितौनी पाकर भक्ति के साथ अपने घराने के बचाव के लिये जहाज बनाया।” नूह को एक ऐसी बात में विश्वास क्यों था जो पहले कभी नहीं हुई थी, जो “दिखाई न पड़ती” थी? क्योंकि मानवी परिवार के साथ परमेश्वर ने पहले जो व्यवहार किया था, उसे वह काफी हद तक जानता था, जिससे कि वह समझ सका कि परमेश्वर जो कुछ कहता है वह सच होता है। सो नूह को यकीन था कि जल-प्रलय भी होगा।—उत्पत्ति ६:९-२२.
४, ५. इब्राहीम ने यहोवा पर पूरी तरह भरोसा क्यों रखा?
४ सच्चे विश्वास की एक और मिसाल है इब्राहीम। आज से करीब ३,९०० साल पहले, परमेश्वर ने उसे इसहाक की बलि चढ़ाने के लिए कहा, जो उसका और उसकी पत्नी, सारा का एकलौता बेटा था। (उत्पत्ति २२:१-१०) इब्राहीम ने कैसी प्रतिक्रिया दिखायी? इब्रानियों ११:१७ कहता है: “विश्वास ही से इब्राहीम ने, परखे जाने के समय में, इसहाक को बलिदान चढ़ाया।” बहरहाल, आख़िरी घड़ी यहोवा के स्वर्गदूत ने इब्राहीम को रोक लिया। (उत्पत्ति २२:११, १२) फिर भी, इब्राहीम एक ऐसा काम करने के बारे में सोचता भी क्यों? क्योंकि जैसे इब्रानियों ११:१९ कहता है, “उस ने विचार किया, कि परमेश्वर सामर्थी है, कि [इसहाक को] मरे हुओं में से जिलाए।” लेकिन इब्राहीम पुनरुत्थान में विश्वास कैसे कर सकता था जबकि उसने अपनी आँखों से कोई पुनरुत्थान नहीं देखा था और इसका कोई पूर्वी रिकार्ड भी नहीं था?
५ याद कीजिए कि जब परमेश्वर ने उन्हें एक बेटा देने का वादा किया, तब सारा ८९ साल की थी। बच्चा जनना सारा के गर्भ के बस की बात नहीं थी, दूसरे शब्दों में कहें तो उसका गर्भ मर चुका था। (उत्पत्ति १८:९-१४) परमेश्वर ने सारा के गर्भ को फिर से ज़िंदा किया, और उसने इसहाक को जन्म दिया। (उत्पत्ति २१:१-३) इब्राहीम जानता था कि अगर परमेश्वर सारा के मरे हुए गर्भ को फिर से ज़िंदा कर सकता है, तो ज़रूरत पड़ने पर वह इसहाक को भी ज़िंदा कर सकता है। इब्राहीम के बारे में रोमियों ४:२०, २१ कहता है: “[उसने] न अविश्वासी होकर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ़ होकर परमेश्वर की महिमा की। और निश्चय जाना, कि जिस बात की उस ने प्रतिज्ञा की है, वह उसे पूरी करने को भी सामर्थी है।”
६. यहोशू ने यहोवा पर अपना यकीन कैसे ज़ाहिर किया?
६ करीब ३,४०० साल से भी पहले, जब यहोशू की उम्र सौ साल से भी ज़्यादा थी तब, और जीवन भर यह अनुभव करने के बाद कि परमेश्वर कितना भरोसेमंद है, उसने अपने यकीन करने की यह वज़ह बतायी: “तुम सब अपने अपने हृदय और मन में जानते हो, कि जितनी भलाई की बातें हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमारे विषय में कहीं उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही; वे सब की सब तुम पर घट गई हैं, उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही।”—यहोशू २३:१४.
७, ८. पहली सदी में वफादार मसीहियों ने अपनी जान बचाने के लिए कौन-सा कदम उठाया, और क्यों?
७ आज से लगभग १,९०० साल पहले, कई नम्र लोगों ने सच्चा विश्वास दिखाया। बाइबल की भविष्यवाणी की पूर्ति से उन्होंने यह समझा कि यीशु ही मसीहा है, और उसकी शिक्षाओं को कबूल किया। इन प्रमाणों और इब्रानी शास्त्र के ठोस आधार की वज़ह से, यीशु ने जो सिखाया उस पर उन्होंने विश्वास किया। इसलिए, जब यीशु ने कहा कि उनकी बेवफाई की वज़ह से परमेश्वर का न्यायदंड यहूदा और यरूशलेम पर आएगा, तो उन्होंने उस पर विश्वास किया। और जब उसने उन्हें कहा कि अपनी जान बचाने के लिए उन्हें क्या करना होगा, तो उन्होंने वैसा ही किया।
८ यीशु ने विश्वासियों से कहा कि जब सेनाएँ यरूशलेम को घेर लेंगी, तब उन्हें भाग जाना चाहिए। सामान्य युग ६६ में रोमी सेना यरूशलेम के खिलाफ सचमुच आयी। लेकिन किसी अनजान वज़ह से रोमी लौट गए। शहर छोड़ने के लिए यह मसीहियों को इशारा था, क्योंकि यीशु ने कहा था: “जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो, तो जान लेना कि उसका उजड़ जाना निकट है। तब जो यहूदिया में हों वह पहाड़ों पर भाग जाएं, और जो यरूशलेम के भीतर हों वे बाहर निकल जाएं; और जो गांवों में हों वे उस में न जाएं।” (लूका २१:२०, २१) सच्चा विश्वास करनेवालों ने यरूशलेम और आस-पास के क्षेत्र को छोड़ दिया और सुरक्षा की ओर भाग गए।
विश्वास की कमी के अंजाम
९, १०. (क) धार्मिक अगुओं ने यीशु में अपने विश्वास की कमी कैसे दिखायी? (ख) उस विश्वास की कमी का अंजाम क्या हुआ?
९ लेकिन ऐसे लोगों ने क्या किया जिनके पास सच्चा विश्वास नहीं था? जब मौका उनके हाथ में था तब वे भागे नहीं। उन्होंने सोचा कि उनके नेता उन्हें बचा सकेंगे। लेकिन, उन अगुओं और उनके अनुयायियों ने भी यीशु के मसीहापन का प्रमाण देखा था। सो यीशु ने जो कहा उसे उन लोगों ने स्वीकार क्यों नहीं किया? अपनी दुष्ट हार्दिक स्थिति की वज़ह से। पहले इसका परदाफाश हुआ था जब उन्होंने कई साधारण लोगों को यीशु द्वारा लाजर के पुनरुत्थान के बाद, उसके पास भीड़ लगाते देखा। यूहन्ना ११:४७, ४८ कहता है: “महायाजकों और फरीसियों ने मुख्य सभा [यहूदी उच्च न्यायालय] के लोगों को इकट्ठा करके कहा, हम करते क्या हैं? यह मनुष्य [यीशु] तो बहुत चिन्ह दिखाता है। यदि हम उसे योंही छोड़ दें, तो सब उस पर विश्वास ले आएंगे और रोमी आकर हमारी जगह और जाति दोनों पर अधिकार कर लेंगे।” आयत ५३ कहती है: “सो उसी दिन से वे उसके मार डालने की सम्मति करने लगे।”
१० यीशु ने क्या ही शानदार चमत्कार किया था—लाजर को मरे हुओं में से पुनरुत्थित किया था! मगर धार्मिक अगुए ऐसा करने के लिए यीशु को मरवा डालना चाहते थे। उनकी घोर दुष्टता का और भी परदाफाश हुआ जब “महायाजकों ने लाजर को भी मार डालने की सम्मति की। क्योंकि उसके कारण बहुत से यहूदी चले गए, और यीशु पर विश्वास किया।” (यूहन्ना १२:१०, ११) लाजर को अभी-अभी मरे हुओं में से जिलाया गया था, और ये याजक फिर से उसका मरा हुआ चेहरा देखना चाहते थे! उन्हें परमेश्वर की इच्छा या लोगों की भलाई की परवाह नहीं थी। वे स्वार्थी थे, उन्हें सिर्फ अपनी कुर्सी, अपने लाभ की परवाह थी। “मनुष्यों की प्रशंसा उन को परमेश्वर की प्रशंसा से अधिक प्रिय लगती थी।” (यूहन्ना १२:४३) लेकिन अपने विश्वास की कमी के लिए उन्हें कीमत चुकानी पड़ी। सा.यु. ७० में, रोमी सेना लौटी और उनकी जगह और उनकी जाति, और साथ ही उनमें से कई लोगों का नाश किया।
हमारे दिनों में विश्वास दिखता है
११. इस सदी की शुरुआत में, सच्चा विश्वास कैसे दिखाया गया?
११ इस सदी में भी सच्चा विश्वास दिखानेवाले कई पुरुष और स्त्री रहे हैं। मिसाल के तौर पर, २०वीं सदी की शुरुआत में आम तौर पर लोग एक शांतिपूर्ण, खुशहाल भविष्य की उम्मीद लगाए थे। उसी समय, यहोवा पर विश्वास करनेवाले लोग ऐलान कर रहे थे कि जल्द ही मनुष्यजाति पर बदतरीन संकट आनेवाला है। यही बात परमेश्वर के वचन में मत्ती अध्याय २४, २ तीमुथियुस अध्याय ३, और दूसरी जगहों में पूर्वबतायी गयी थी। उन विश्वास करनेवाले लोगों ने जो कहा असलियत में वही हुआ, जिसकी शुरुआत १९१४ में पहले विश्व युद्ध में हुई। इस दुनिया ने पूर्वबताए गए “अन्तिम दिनों” में वाकई कदम रखा, जब “कठिन समय” थे। (२ तीमुथियुस ३:१) उस समय यहोवा के सेवक दुनिया के हालात के बारे में सच्चाई क्यों जानते थे जबकि अन्य लोग नहीं जानते थे? क्योंकि, यहोशू की तरह उन्हें विश्वास था कि यहोवा का एक भी वचन पूरा हुए बिना नहीं रहेगा।
१२. आज, यहोवा के सेवक उसके किस वादे पर पूरी तरह भरोसा रखते हैं?
१२ आज दुनिया भर में यहोवा के सेवकों की संख्या, जो उस पर अपना भरोसा रखते हैं, करीब-करीब साठ लाख है। वे परमेश्वर के भविष्यसूचक वचन की पूर्ति के प्रमाण से जानते हैं कि वह जल्द ही इस हिंसक, अनैतिक रीति-व्यवस्था का अंत करेगा। सो वे विश्वस्त हैं कि वह समय नज़दीक है जब वे लोग १ यूहन्ना २:१७ का कार्यान्वयन देखेंगे, जिसमें लिखा है: “संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।” उसके सेवकों को पूरा भरोसा है कि यहोवा इस प्रतिज्ञा को पूरा करेगा।
१३. आप किस हद तक यहोवा पर भरोसा रख सकते हैं?
१३ आप किस हद तक यहोवा पर भरोसा रख सकते हैं? आप उसके लिए अपनी जान की बाज़ी भी लगा सकते हैं! उसकी सेवा करते-करते अगर आज आपकी जान भी चली जाए, तो वह पुनरुत्थान में आपको इससे बेहतर जीवन देगा। यीशु हमें यकीन दिलाता है: “वह समय आता है, कि जितने कब्रों में [यानी, परमेश्वर की याद में] हैं, उसका शब्द सुनकर निकलेंगे।” (यूहन्ना ५:२८) क्या आप ऐसे किसी डॉक्टर, नेता, वैज्ञानिक, व्यापारी, या दूसरे किसी इंसान को जानते हैं जो ऐसा कर सकता है? उनका बीता हुआ कल कहता है कि वे ऐसा नहीं कर सकते। यहोवा ऐसा कर सकता है, और वह ऐसा ज़रूर करेगा!
वफादार लोगों के लिए एक शानदार भविष्य
१४. परमेश्वर का वचन वफादार जनों के लिए किस शानदार भविष्य की प्रतिज्ञा करता है?
१४ यीशु ने परमेश्वर के स्वर्गीय राज्य के अधीन नयी पृथ्वी की निश्चितता की ओर इशारा किया, और कहा: “धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।” (मत्ती ५:५) इस बात ने भजन ३७:२९ में दिए परमेश्वर के वादे की पुष्टि की: “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।” और यीशु की मौत के कुछ ही समय पहले, जब एक दुष्कर्मी ने उसमें विश्वास जताया, तब यीशु ने उस आदमी से कहा: “तू मेरे साथ [“परादीस,” NW] में होगा।” (लूका २३:४३) जी हाँ, परमेश्वर के राज्य के राजा के तौर पर, यीशु यह निश्चित करेगा कि इस पुरुष को पृथ्वी पर जीवन के लिए पुनरुत्थित किया जाए, ताकि उसे परादीस में हमेशा-हमेशा तक जीने का मौका मिले। आज, यहोवा के राज्य में विश्वास करनेवाले परादीस में जीने की आस लगा सकते हैं, जब “[परमेश्वर] उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी।”—प्रकाशितवाक्य २१:४.
१५, १६. नए संसार में ज़िंदगी इतनी शांतिपूर्ण क्यों होगी?
१५ आइए हम अपने मन में उस नए संसार की कल्पना करें। कल्पना कीजिए कि हम उसमें जी रहे हैं। और फौरन किस पर नज़र पड़ती है, कि सभी जगह आनंदित लोग पूरी शांति में एक साथ रहते हैं। वे लोग वैसे ही हालात का मज़ा ले रहे हैं जिनका वर्णन यशायाह १४:७ में किया गया है: “सारी पृथ्वी को विश्राम मिला है, वह चैन से है; लोग ऊंचे स्वर से गा उठे हैं।” वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? एक बात पर गौर कीजिए कि घरों के दरवाज़ों पर ताले नहीं हैं। इनकी उन्हें कोई ज़रूरत ही नहीं है क्योंकि वहाँ कोई जुर्म या हिंसा नहीं है। यह बिलकुल वैसा ही है जैसा परमेश्वर के वचन में कहा गया है: “वे अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले बैठा करेंगे, और कोई उनको न डराएगा।”—मीका ४:४.
१६ और युद्ध भी नहीं होंगे, क्योंकि इस नए संसार में युद्ध के लिए कोई जगह नहीं है। सभी शस्त्र-सामग्रियों को शांति के औज़ारों में बदल दिया गया है। पूरे अर्थ में, यशायाह २:४ की पूर्णता हुई है: “वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल और अपने भालों को हंसिया बनाएंगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध फिर तलवार न चलाएगी, न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे।” मगर, इसी की तो हमने अपेक्षा की थी! क्यों? क्योंकि नए संसार के कई निवासियों ने पुराने संसार में परमेश्वर की सेवा करते समय ऐसा करना सीखा था।
१७. परमेश्वर के राज्य में ज़िंदगी के हालात कैसे होंगे?
१७ आपकी नज़र एक और बात पर भी पड़ती है कि यहाँ गरीबी का नामो-निशान नहीं है। कोई भी गंदी झोपड़ी में नहीं रहता या फटे-पुराने चीथड़े नहीं पहनता या बेघर नहीं है। हरेक के पास एक आरामदेह घर है और सुंदर पेड़ों और फूलों से लदा बगीचा है। (यशायाह ३५:१, २; ६५:२१, २२; यहेजकेल ३४:२७) और यहाँ कोई भूखा नहीं है क्योंकि परमेश्वर ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की है कि सभी के लिए खाना बहुतायत में होगा: “देश में पहाड़ों की चोटियों पर बहुत सा अन्न होगा।” (भजन ७२:१६) वाकई, परमेश्वर के राज्य के मार्गदर्शन के अधीन, एक शानदार परादीस पूरी पृथ्वी पर फैला है, ठीक उसी तरह जैसे अदन में परमेश्वर का उद्देश्य था।—उत्पत्ति २:८.
१८. नए संसार में लोगों को और किस बात का खतरा नहीं होगा?
१८ सभी लोगों के पास जो ताकत है, उस पर भी आपको हैरत होती है। यह इसलिए है क्योंकि उनके पास अब परिपूर्ण तन और मन हैं। अब कोई बीमारी, दर्द, या मौत नहीं है। कोई भी बैसाखी के सहारे या अस्पताल में नहीं है। वह सब कुछ हमेशा-हमेशा के लिए बीत गया है। (यशायाह ३३:२४; ३५:५, ६) और तो और, किसी भी जानवर का भी खतरा नहीं है, क्योंकि उन्हें परमेश्वर की शक्ति से शांतिपूर्ण बनाया गया है!—यशायाह ११:६-८; ६५:२५; यहेजकेल ३४:२५.
१९. नए संसार का हर दिन “अत्यानंद” का दिन क्यों होगा?
१९ इस नए संसार के वफादार निवासियों द्वारा क्या ही शानदार सभ्यता बनायी जा रही है! उनकी ताकत और कुशलताएँ, और पृथ्वी के संसाधन फायदेमंद कामों के लिए समर्पित हैं, नुकसानदेह कामों के लिए नहीं; दूसरों को सहयोग देने के लिए, उनके साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए नहीं। और जिस किसी व्यक्ति से आप मिलते है, उस पर आप भरोसा रख सकते हैं, क्योंकि जैसे परमेश्वर ने वादा किया है, सभी लोग “यहोवा के सिखलाए हुए” हैं। (यशायाह ५४:१३) क्योंकि सभी लोग परमेश्वर के नियमों से निर्देशित होते हैं, यह पृथ्वी “यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर [गयी है] जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।” (यशायाह ११:९) सचमुच, इस नए संसार का हर दिन वैसा ही होगा जैसे भजन ३७:११ (NW) ने कहा, ‘अत्यानंद’ का दिन।
खुशी के भविष्य की गारंटी
२०. एक शांतिपूर्ण भविष्य का आनंद लेने के लिए हमें क्या करना होगा?
२० सो, इस खुशी के भविष्य का भाग होने के लिए हमें क्या करना होगा? यशायाह ५५:६ कहता है: “जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो।” और यह खोज करते समय हमारा रवैया वैसा होना चाहिए जिसका वर्णन भजन १४३:१० में किया गया है: “मुझ को यह सिखा, कि मैं तेरी इच्छा क्योंकर पूरी करूं, क्योंकि मेरा परमेश्वर तू ही है!” जो ऐसा करते हैं वे यहोवा के सामने इन अंतिम दिनों में निर्दोष चल सकते हैं और एक अच्छे भविष्य की ओर देख सकते हैं। “खरे मनुष्य पर दृष्टि कर और धर्मी को देख, क्योंकि मेल से रहनेवाले पुरुष का अन्तफल अच्छा है। परन्तु अपराधी एक साथ सत्यानाश किए जाएंगे; दुष्टों का अन्तफल सर्वनाश है।”—भजन ३७:३७, ३८.
२१, २२. आज परमेश्वर क्या बना रहा है, और प्रशिक्षण का काम कैसे पूरा किया जा रहा है?
२१ अभी यहोवा हर जाति में से उन लोगों को बुला रहा है जो उसकी इच्छा पूरी करना चाहते हैं। वह उन्हें अपने नए पार्थिव समाज की नींव बना रहा है, जैसा कि बाइबल की भविष्यवाणी ने पूर्वबताया: ‘अन्त के दिनों में [जिस समय में हम अब जी रहे हैं] बहुत लोग आएंगे, और आपस में कहेंगे: आओ, हम यहोवा के पर्वत [यानी उसकी उच्च सच्ची उपासना] पर चढ़कर जाएं; तब वह हमको अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे।’—यशायाह २:२, ३.
२२ प्रकाशितवाक्य ७:९ इनका वर्णन यूँ करता है: “हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़।” आयत १४ कहती है: “ये वे हैं, जो . . . बड़े क्लेश में से निकलकर आए हैं,” मौजूदा व्यवस्था के अंत से बच निकले हैं। नए संसार की उस नींव में अब करीब साठ लाख लोग हैं, और कई नए लोग हर साल इसका भाग बन रहे हैं। यहोवा के इन सभी वफादार सेवकों को उसके नए संसार में जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। ये लोग इस पृथ्वी को एक परादीस में बदलने के लिए ज़रूरी आध्यात्मिक और अन्य कौशल सीख रहे हैं। और उन्हें पूरा भरोसा है कि परादीस एक हकीकत होगा, क्योंकि “जिसने प्रतिज्ञा की है, वह विश्वासयोग्य है।”—इब्रानियों १०:२३, NHT.
दोहराने के लिए कुछ बातें
◻ पहली सदी में विश्वास की कमी का अंजाम क्या हुआ था?
◻ परमेश्वर के सेवक उस पर किस हद तक भरोसा रख सकते हैं?
◻ वफादार जनों के लिए आगे कौन-सा भविष्य रखा है?
◻ हमें अपने लिए परमेश्वर के नए संसार में एक आनंदित भविष्य निश्चित करने के लिए क्या करना होगा?
[पेज 18 पर तसवीर]
अभी यहोवा नए पार्थिव समाज की नींव बना रहा है