वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • w98 7/1 पेज 26-29
  • फ्रांस में एक यादगार घटना

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • फ्रांस में एक यादगार घटना
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1998
  • उपशीर्षक
  • यहोवा इसे बढ़ाता है
  • ऐतिहासिक जलसा
  • “तपती भूमि पर जल की धारा”
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1998
w98 7/1 पेज 26-29

फ्रांस में एक यादगार घटना

“यहोवा नगर हमें नहीं चाहिए!” सारे शहर में लगे हुए पोस्टरों पर यह लिखा था। एक विरोधी दल ने उकसाया, “आओ हम यहोवा परियोजना का मिलकर विरोध करें।” समाचार-पत्रों के सैकड़ों लेख इस मामले को सबके सामने ले आए। दरखास्तों पर हस्ताक्षर किए गए और इस परियोजना के बारे में बतानेवाले पाँच लाख से अधिक पर्चों से स्थानीय लॆटर-बक्स भरे हुए थे। उत्तर-पश्‍चिमी फ्रांस के शांत नगर लूवीए में खलबली पैदा करनेवाली यह परियोजना कौन-सी थी? यहोवा के साक्षियों का नया शाखा दफ्तर और निवासस्थान बनाने का प्रस्ताव।

यहोवा इसे बढ़ाता है

फ्रांस में यहोवा के साक्षियों का काम १९वीं सदी के अंत में शुरू हुआ था। बाइबल के साहित्य का पहला डिपो, दक्षिणी फ्रांस के बोवॆन गाँव में सन्‌ १९०५ में खोला गया था। और १९१९ तक पैरिस में एक छोटा दफ्तर खुल चुका था। सन्‌ १९३० में उस शहर में एक मान्यता-प्राप्त शाखा दफ्तर खोला गया और उसके अगले साल उस दफ्तर में काम करनेवालों ने बेथेल घर में रहना शुरू किया, जो पैरिस के उत्तर में आँगाँ-ले-बाँ में था। दूसरे विश्‍व युद्ध के बाद, बेथेल परिवार फिर से पैरिस आ गया और १९५९ में शाखा जगह बदलकर राजधानी के पश्‍चिमी उपनगर, बूलोन-बीयाँकुर की एक पाँच-मंज़िली इमारत में आ गयी।

राज्य-प्रचार कार्य बढ़ रहा था, इसलिए १९७३ में छपाईखाना और शिपिंग विभाग का स्थान बदल दिया गया। इन्हें पैरिस के पश्‍चिम में १०० किलोमीटर की दूरी पर स्थित लूवीए नगर में लाया गया जबकि दफ्तर बूलोन-बीयाँकुर में ही रहा। लेकिन, फ्रांस में प्रकाशकों की संख्या बढ़ने की वज़ह से लूवीए की जगह कम पड़ने लगी, हालाँकि १९७८ और १९८५ में इसका विस्तार किया गया था। सो यह निर्णय किया गया कि बड़ी जगह ली जाए और सारे बेथेल परिवार को एक ही जगह पर लाया जाए। जैसे शुरूआत में बताया गया था, यह परियोजना सबको अच्छी नहीं लगी। ऐसे विरोध के बावजूद, छपाईखाने से केवल डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर एक जगह ढूँढ़ी गयी। छः साल की कड़ी मेहनत शुरू हुई और आखिरकार, २३ साल की जुदाई के बाद पूरा बेथेल परिवार अगस्त १९९६ में लूवीए में एक हो गया।

इस तरह शनिवार, नवंबर १५, १९९७ के दिन फ्रांस के बेथेल परिवार के ३०० सदस्यों के साथ १,१८७ लोगों का आनंदित झुंड और अन्य ४२ शाखाओं से ३२९ प्रतिनिधि बड़ी खुशी के साथ शासी निकाय के सदस्य, भाई लॉइड बैरी द्वारा दिए गए समर्पण के भाषण को सुनने के लिए इकट्ठा हुए। लेकिन, इस बात को ध्यान में रखते हुए कि यह समर्पण पूरे फ्रांस में यहोवा के साक्षियों के विरुद्ध शत्रुता और काफी समय से चल रहे झूठे प्रचार अभियान के माहौल में हो रहा है, यह महसूस किया गया कि फ्रांस के सभी साक्षियों को इस विजय की खुशी में भाग लेना चाहिए। इसका नतीजा यह था कि रविवार, नवंबर १६ के दिन, पैरिस के उत्तर में वीलपाँत प्रदर्शनी केंद्र में एक खास सभा आयोजित की गयी जिसका विषय था “मसीह के प्रेम में बने रहो।” फ्रांस के सभी यहोवा के साक्षियों और बॆलजियम और स्विट्‌ज़रलैंड के फ्रांसीसी बोलनेवाले साक्षियों को, इसके अलावा जर्मनी, ब्रिटॆन, नॆदरलैंडस्‌ और लक्ज़मबर्ग की कलीसियाओं को भी न्यौता दिया गया।

ऐतिहासिक जलसा

इस जलसे की तैयारियाँ छः महीने पहले ही शुरू हो गयीं। और फिर, समर्पण के सिर्फ दो हफ्ते पहले फ्रांस के ट्रक ड्राइवरों ने हड़ताल कर दी और इसकी वज़ह से बड़े-बड़े रास्ते बंद हो गए और ईंधन की सप्लाई पर रोक लग गयी। कुरसियाँ और दूसरा सामान क्या समय पर पहुँच पाएगा? रास्ते की अड़चनों के कारण क्या भाई नहीं आएँगे? सब ने चैन की साँस ली जब एक हफ्ते में ही हड़ताल खत्म हो गयी और गाड़ियों के लिए रास्ते फिर से खुल गए। समर्पण के एक दिन पहले शुक्रवार की शाम को, ३८ ट्रकों ने उस अवसर के लिए किराए पर लिए गए दो बड़े-बड़े हॉलों में ८४,००० कुरसियाँ पहुँचायीं। ८०० से ज़्यादा भाई-बहनों ने सारी रात मेहनत की और शनिवार सुबह को साढ़े नौ बजे तक कुरसियाँ, मंच, ध्वनि उपकरण और नौ बड़े-बड़े विडियो स्क्रीन अपनी-अपनी जगह पर लगा दिए।

रविवार की सुबह ६ बजे, दरवाज़े खोल दिए गए और भीड़ उमड़ने लगी। किराए पर ली गयीं १७ खास रेलगाड़ियों से १३,००० से ज़्यादा साक्षी राजधानी पहुँचे। इन यात्रियों का स्वागत करने और उनके समूहों को अधिवेशन स्थल तक पहुँचाने के लिए रेलवे स्टेशनों पर दो सौ से ज़्यादा स्थानीय भाई-बहन मौजूद थे। एक बहन ने कहा कि इस प्रेममय प्रबंध ने उन्हें “सुरक्षा और खुशहाली का एहसास” दिलाया।

दूसरे लोग हवाईजहाज़ या कार से पैरिस पहुँचे। लेकिन, ज़्यादातर लोग ९५३ बसों से पहुँचे, जबकि पैरिस क्षेत्र के साक्षी बस या ट्रेन या दूसरी गाड़ियों से प्रदर्शनी केंद्र तक पहुँचे। बहुतेरे लोगों ने सारी रात सफर किया था या सुबह बहुत जल्दी अपने घर से निकले थे, फिर भी इस सभा में हाज़िर होने का उनका उत्साह देखने लायक था। जो दोस्त सालों से एक दूसरे से नहीं मिले थे वे बड़े जोश-खरोश के साथ एक दूसरे से मिल रहे थे और एक दूसरे को प्यार से गले लगा रहे थे। अलग-अलग राष्ट्रों की रंग-बिरंगी पोशाकें पहने आनंदित भीड़ ऐसी लग रही थी मानो इसमें सारी दुनिया सिमट आयी हो। बेशक, कुछ ऐसा हो रहा था जो पहले कभी नहीं हुआ।

सुबह १० बजे जब कार्यक्रम शुरू हुआ, तब कोई भी सीट खाली नहीं बची थी फिर भी हर मिनट सैकड़ों की तादाद में लोग आते जा रहे थे। जहाँ कहीं नज़र जाती, मुस्कुराते हुए चेहरे नज़र आते। हज़ारों लोग खड़े रहे या कंकरीट की ज़मीन पर बैठ गए। कई युवकों ने इस सम्मेलन के शीर्षक जैसी ही भावना दिखायी और प्रेमपूर्वक खड़े हो गए ताकि उम्रदराज़ लोगों को बैठने का मौका मिले। एक दंपति ने लिखा, “हमें अपनी सीट उन भाई-बहनों को देने में कितनी खुशी हो रही थी, जिन्हें हम जानते नहीं, लेकिन जिन्हें हम दिलो-जान से प्यार करते हैं!” बहुतेरे लोगों ने उत्तम आत्म-त्यागी भावना दिखायी: “हम सारा दिन उन्हीं कुरसियों के पास खड़े रहे जिन्हें लगाने में हमने शुक्रवार की सारी रात हाथ बँटाया था। फिर भी वहाँ मौजूद होना ही, हमारे लिए यहोवा का एहसान मानने के लिए काफी था।”

थकान और कष्ट के बावजूद, वहाँ मौजूद लोग अन्य देशों से दी गयी रिपोर्टें और लॉइड बैरी और डैनियल सिडलिक (जो शासी निकाय के सदस्य हैं) के भाषणों को सुनने में तल्लीन थे। भाई बैरी ने इस विषय पर बात की, “यहोवा बहुत सामर्थ देता है,” और उन्होंने विस्तार से इस बात पर ज़ोर दिया कि कैसे यहोवा ने अपने लोगों को अनेक परीक्षाओं के बावजूद बढ़ोतरी की आशीष दी है। भाई सिडलिक के भाषण का शीर्षक था, “जिस राज्य का परमेश्‍वर यहोवा है, वह क्या ही धन्य है!” फ्रांस में इस वक्‍त यहोवा के साक्षी जिस विरोध का सामना कर रहे हैं उसे मद्देनज़र रखते हुए दोनों भाषण बहुत ही उपयुक्‍त थे। भाई सिडलिक ने दिखाया कि सच्ची खुशी बाहरी बातों से नहीं मिलती परंतु यहोवा के साथ हमारे रिश्‍ते और जीवन की ओर हमारे नज़रिये से मिलती है। श्रोताओं से उन्होंने पूछा, “क्या आप खुश हैं?” और इसका जवाब तालियों की ज़ोरदार गड़गड़ाहट से मिला।

एक बहन जो “अपनी खुशी खो” चुकी थी, उसने बाद में लिखा: “एकाएक मुझे एहसास हुआ कि मैं खुशी हासिल कर सकती हूँ। मैं गलत दिशा में उसे खोजने की कोशिश कर रही थी और इस भाषण के ज़रिए यहोवा ने मुझे बताया कि कहाँ बदलने की ज़रूरत है।” एक और भाई ने कहा: “अब मैं यहोवा के दिल को खुश करने के लिए लड़ना चाहता हूँ। मैं नहीं चाहता कि कोई भी मुझसे वह अंदरूनी खुशी छीन सके जो मैं महसूस करने लगा हूँ।”

जब सभा खत्म होने पर थी, तो सभापति ने बड़े उत्साह से उपस्थित लोगों की संख्या बतायी: ९५,८८८—यह फ्रांस में यहोवा के साक्षियों का अब तक का सबसे बड़ा जलसा था!

समाप्ति का गीत गाते वक्‍त बहुतों की आँखों में खुशी के आँसू थे और अंत में प्रार्थना के बाद, भाई मिली-जुली भावनाओं के साथ अपने-अपने घर को रवाना हुए। इस जलसे का प्यार भरा और दोस्ताना माहौल लोगों की नज़र में आया। बस ड्राइवरों ने इस जलसे में आनेवालों के रवैये की काफी सराहना की। वे उस व्यवस्था से भी प्रभावित हुए जिसकी वज़ह से दो घंटों में ही बिना कहीं अटके सारी ९५३ बसें प्रदर्शनी केंद्र से निकल गयीं! रेलवे और सार्वजनिक परिवहन में काम करनेवालों ने भी प्रतिनिधियों के व्यवहार की बहुत सराहना की। अनेक अच्छी चर्चाएँ शुरू हुईं और एक अच्छी साक्षी दी गयी।

“तपती भूमि पर जल की धारा”

प्रेरित पौलुस ने संगी मसीहियों से आग्रह किया: “ध्यान रखें कि किस प्रकार प्रेम और भले कार्यों में एक दूसरे को उत्साहित कर सकते हैं, . . . एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहो, और उस दिन को निकट आते देख कर और भी अधिक इन बातों को किया करो।” (इब्रानियों १०:२४, २५, NHT) बेशक, इस खास सभा से सब बहुत ही प्रोत्साहित हुए, यह “तपती भूमि पर जल की धारा” के समान है, एक बहन ने इन शब्दों में इसका वर्णन किया। टोगो शाखा के भाइयों ने लिखा, “हम शक्‍ति और प्रोत्साहन पाकर, मज़बूत होकर और यहोवा की सेवा में खुश रहने का और भी मज़बूत संकल्प करके घर लौटे।” एक सर्किट ओवरसियर ने कहा, “जो लोग निराश थे वे घर लौटते वक्‍त खुश थे।” एक और सर्किट ओवरसियर ने कहा, “भाइयों को प्रेरणा मिली और वे मज़बूत हुए।” एक दंपति यह लिखने के लिए प्रेरित हुआ, “इससे पहले हमने कभी यहोवा के संगठन के इतना करीब महसूस नहीं किया।”

भजनहार ने कहा, “मेरे पांव चौरस स्थान में स्थिर है; सभाओं में मैं यहोवा को धन्य कहा करूंगा।” (भजन २६:१२) ऐसे मसीही जलसे सभी को मुसीबतों का सामना करते हुए भी आध्यात्मिक रूप से अपने पाँव जमाए रखने के काबिल करते हैं। एक बहन इससे सहमत हुई, “चाहे कैसा भी क्लेश क्यों न हो, ये अद्‌भुत घड़ियाँ हमारे दिलों पर अंकित हो चुकी हैं और हमें तसल्ली देने के लिए सदा तक अंकित रहेंगी।” यही बात एक सफरी ओवरसियर ने लिखी: “जब मुश्‍किलें आएँगी, तब परादीस की इस झलक की यादें हमें उनका सामना करने में मदद देंगी।”

भजन ९६:७ यह प्रोत्साहन देता है: “हे देश देश के कुलो, यहोवा का गुणानुवाद करो, यहोवा की महिमा और सामर्थ्य को मानो!” बेशक, फ्रांस में नए शाखा दफ्तर का समर्पण यहोवा की बहुत बड़ी विजय है। ऐसे कठोर और चारों ओर से आनेवाले विरोध के रहते, केवल वही इस परियोजना को सफल कर सकता था। फ्रांस में यहोवा के साक्षियों का ‘मसीह के प्रेम में बने रहने’ और अपना ‘उजियाला चमकाने’ का संकल्प अब पहले से भी ज़्यादा मज़बूत हो गया है। (यूहन्‍ना १५:९; मत्ती ५:१६) जो लोग समर्पण के इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए थे, वे सभी पूरे मन से भजनहार की इस भावना से सहमत हैं: “यह तो यहोवा की ओर से हुआ है, यह हमारी दृष्टि में अद्‌भुत है।”—भजन ११८:२३.

[पेज 26 पर तसवीर]

लॉइड बैरी

[पेज 26 पर तसवीर]

डैनियल सिडलिक

[पेज 26 पर तसवीर]

वीलपाँत प्रदर्शनी केंद्र में ९५,८८८ इस खास कार्यक्रम के लिए मौजूद थे

[पेज 28 पर तसवीर]

मौजूद लोगों में से हज़ारों लोग कार्यक्रम सुनने के लिए खड़े थे या ज़मीन पर बैठे थे

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें