आप अपने बच्चों के लिए कैसा भविष्य चाहते हैं?
क्या आप अपने बच्चों को बड़ी बेशकीमती मीरास समझते हैं? (भजन १२७:३, NHT, फुटनोट) या फिर क्या आप उनकी परवरिश को आर्थिक बोझ समझते हैं, जिसकी कामयाबी की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती? आर्थिक लाभ मिलने के बजाय, बच्चों की परवरिश करने में तब तक पैसे खर्च करने पड़ते हैं जब तक कि वे अपने पैरों पर खड़े नहीं हो जाते। ठीक जिस तरह विरासत में मिली संपत्ति को सँभालना अच्छी योजना की माँग करता है, उसी तरह कामयाब माता-पिता होने के लिए भी अच्छी योजना की ज़रूरत है।
परवाह करनेवाले माता-पिता अपने बच्चों को ज़िंदगी में अच्छी शुरूआत देना चाहते हैं। हालाँकि इस दुनिया में बुरी और बहुत ही दुःखद घटनाएँ घट सकती हैं, माता-पिता अपनी संतान की रक्षा करने में काफी कुछ कर सकते हैं। पिछले लेख में ज़िक्र किए गए वर्नर व इवा के मामले को ही लीजिए।a
जब माता-पिता सच्ची परवाह करते हैं
वर्नर कहता है कि बेफिक्र होने के बजाय, उसके माता-पिता ने उसके स्कूल की गतिविधियों में सच्ची दिलचस्पी दिखायी। “उन्होंने जो व्यावहारिक सुझाव मुझे दिए, उनकी मैं बेहद कदर करता हूँ, और मुझे यह महसूस हुआ कि उन्हें मेरी परवाह थी और वे मुझे सहारा दे रहे थे। माता-पिता की हैसियत से वे बहुत सख्त थे, लेकिन मैं यह जानता था कि वे मेरे सच्चे दोस्त हैं।” और इवा अपने स्कूल के कार्यों से इतनी परेशान हो गयी कि वह हताश हो गयी और उसकी रातें आँखों में कटती थीं। तब उसके माता-पिता, फ्रांसिसकू व ईनॆज़ ने उसके साथ काफी समय बातें की और अपने मानसिक व आध्यात्मिक संतुलन को वापस पाने में उसकी मदद की।
फ्रांसिसकू व ईनॆज़ ने अपने बच्चों की रक्षा करने तथा वयस्क जीवन के लिए उन्हें तैयार करने की कोशिश कैसे की? उनके शिशुपन से ही, इस प्रेममय माता-पिता ने उन्हें अपनी दैनिक गतिविधियों में हमेशा शामिल किया। केवल अपनी हमउम्र के यार-दोस्तों से मेल-जोल करने के बजाय, ईनॆज़ व फ्रांसिसकू जहाँ कहीं भी जाते, वहाँ अपने बच्चों को साथ ले जाते। प्रेममय माता-पिता होने के नाते, उन्होंने अपने बेटे व बेटी को उचित मार्गदर्शन भी दिया। ईनॆज़ कहती है: “हमने उन्हें घर की देखभाल करना, किफायती होना, तथा अपने वस्त्रों की देखभाल खुद करना सिखाया। साथ ही हमने उन दोनों को अपना-अपना पेशा चुनने और अपनी ज़िम्मेदारियों को आध्यात्मिक हितों के साथ संतुलित करने में मदद दी।”
अपने बच्चों को समझना और उन्हें जनकीय मार्गदर्शन देना कितना ज़रूरी है! आइए हम ऐसे तीन पहलुओं की जाँच करें जहाँ आप ऐसा कर सकते हैं: (१) किसी उचित प्रकार के लौकिक कार्य चुनने में अपने बच्चों की मदद कीजिए; (२) स्कूल तथा कार्यस्थल में भावात्मक दबाव का सामना करने के लिए उन्हें तैयार कीजिए; (३) उन्हें अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतों को पूरा करने का तरीका दिखाइए।
उपयुक्त नौकरी चुनने में उनकी मदद कीजिए
चूँकि व्यक्ति के लौकिक कार्य का असर न केवल उसकी आर्थिक स्थिति पर पड़ता है बल्कि यह उसका काफी समय भी लेता है, तो अच्छा जनकीय मार्गदर्शन देने में हर बच्चे की दिलचस्पियों व क्षमताओं पर विचार करना शामिल है। चूँकि कोई भी कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति किसी दूसरे पर बोझ बनना नहीं चाहता, तो माता-पिताओं को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए कि अपने पैरों पर खड़े होने तथा अपना परिवार सँभालने के लिए उनके बच्चे को कैसे तैयार किया जा सकता है। क्या आपके बेटे या बेटी को साधारण जीवन यापन करने के लिए कोई कौशल सीखने की ज़रूरत है? सचमुच परवाह करनेवाले जनक के तौर पर, अपने बच्चे में मेहनती होने, सीखने की इच्छा रखने जैसे गुणों तथा दूसरों के साथ निभने-निभाने की क्षमता को विकसित करने में मदद करने के लिए लगातार प्रयास कीजिए।
निकोल को लीजिए। वह कहती है: “अपने साफ-सफाई के धंधे में मेरे माता-पिता ने मुझे उनके साथ काम पर लगाया। उन्होंने मुझे सुझाव दिया कि घर के खर्चे में हाथ बँटाने के लिए मैं अपनी कमाई से कुछ हिस्सा दूँ और जो बच जाए, उसे मैं अपनी मर्ज़ी से खर्च कर सकती हूँ या फिर जमा कर सकती हूँ। इससे मुझमें अधिक ज़िम्मेदारी की भावना जगी जो आगे चलकर मेरी ज़िंदगी में काफी उपयोगी साबित हुई।”
परमेश्वर का वचन, बाइबल विशेष रूप से यह उल्लेख नहीं करता कि व्यक्ति को किस प्रकार का लौकिक कार्य चुनना चाहिए। लेकिन यह बुद्धिमत्तापूर्ण मार्गदर्शन ज़रूर देता है। मसलन, प्रेरित पौलुस ने कहा: “यदि कोई काम करना न चाहे, तो खाने भी न पाए।” थिस्सलुनीकिया के मसीहियों को लिखते वक्त उसने यह भी कहा: “हम सुनते हैं, कि कितने लोग तुम्हारे बीच में अनुचित चाल चलते हैं; और कुछ काम नहीं करते, पर औरों के काम में हाथ डाला करते हैं। ऐसों को हम प्रभु यीशु मसीह में आज्ञा देते और समझाते हैं, कि चुपचाप काम करके अपनी ही रोटी खाया करें।”—२ थिस्सलुनीकियों ३:१०-१२.
ज़िंदगी में नौकरी पाना और पैसे कमाना ही सब कुछ नहीं होता। संभव है कि अति महत्वाकांक्षी लोग अंततः असंतुष्ट हो जाएँ और वे शायद यह पाएँ कि वे “वायु को पकड़” रहे हैं। (सभोपदेशक १:१४) अपनी पहचान बनाने व धन-दौलत के पीछे भागने के लिए अपने बच्चों को प्रेरित करने के बजाय, माता-पिता अच्छा करेंगे यदि वे प्रेरित यूहन्ना के ईश्वर-प्रेरित शब्दों की बुद्धिमत्ता को समझने में उनकी मदद करते हैं: “तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्तुओं से प्रेम रखो: यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उस में पिता का प्रेम नहीं है। क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात् शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है। और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।”—१ यूहन्ना २:१५-१७.
आप उनकी भावात्मक ज़रूरतों को कैसे तृप्त कर सकते हैं?
एक जनक के तौर पर, क्यों न आप खिलाड़ियों के प्रशिक्षक की तरह हों? वह अपने खिलाड़ियों में सिर्फ ज़्यादा तेज़ भागने या ज़्यादा दूरी तक कूदने की शारीरिक क्षमता को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करता। संभवतः, किसी भी नकारात्मक मनोवृत्ति को पार करने में वह उनकी मदद करने का भी प्रयास करता है, इस प्रकार उनकी भावात्मक शक्ति को फिर से मज़बूत करता है। आपके मामले में, आप अपने बच्चों को कैसे उत्साहित, प्रोत्साहित, और प्रेरित कर सकते हैं?
एक १३ वर्षीय युवा, रोज़ेरयो पर विचार कीजिए। अपने शरीर में हो रहे परिवर्तनों की वज़ह से हुई अंदरूनी उथल-पुथल के अलावा, उसे अपने माता-पिता में एकता न होने तथा उस पर ध्यान न देने के कारण भावात्मक तनाव भी हो रहा था। इस तरह के युवाओं के लिए क्या किया जा सकता है? हालाँकि अपने बच्चों को तमाम चिंताओं व बुरे प्रभावों से पनाह देना मुमकिन तो नहीं है, लेकिन एक जनक के तौर पर अपनी भूमिका से हार मत मान लीजिए। हद से ज़्यादा रक्षा किए बिना, अपनी संतान को समझदारी के साथ अनुशासित कीजिए और यह हमेशा याद रखिए कि हरेक बच्चा अनोखा है। कृपा व प्रेम दिखाने के द्वारा, आप एक युवा व्यक्ति को सुरक्षित महसूस करने के लिए काफी कुछ कर सकते हैं। इससे वह आत्म-विश्वास व आत्म-सम्मान महसूस करते हुए बढ़ेगा।
आपकी भावात्मक ज़रूरतों को तृप्त करने में आपके जनक चाहे जितने भी कामयाब थे, असली मददगार जनक के तौर पर कामयाबी पाने में तीन बातें आपकी मदद कर सकती हैं: (१) अपनी ही कठिनाइयों में इतने मशरूफ मत होइए कि आप अपने बच्चों की छोटी-मोटी लगनेवाली समस्याओं को नज़रअंदाज़ कर दें; (२) उनके साथ रोज़ सुखद व अर्थपूर्ण बातचीत करने की कोशिश कीजिए; (३) समस्याओं को सुलझाने में तथा लोगों से बर्ताव करने के प्रति सकारात्मक मनोवृत्ति रखने का बढ़ावा देने की कोशिश कीजिए।
तब की बात बताने पर जब वह किशोर थी, बरगिट कहती है: “मुझे यह सीखना पड़ा कि आप लोगों को अपनी इच्छानुसार बनने के लिए बदल नहीं सकते हैं। मेरी माँ ने मुझे समझाया कि यदि मैं दूसरों में ऐसे गुण देखती हूँ जो मुझे पसंद नहीं हैं, तो मैं उन गुणों की नकल करने से दूर रह सकती हूँ। उन्होंने यह भी कहा कि युवावस्था ही सबसे अच्छा समय है जब मैं अपने तौर-तरीकों में सुधार ला सकती हूँ।”
फिर भी, आपके बच्चों को किसी नौकरी व भावात्मक स्थिरता से कुछ ज़्यादा की ज़रूरत है। अपने आपसे पूछिए, ‘क्या मैं जनक की अपनी भूमिका को परमेश्वर द्वारा दी गयी ज़िम्मेदारी समझता/समझती हूँ?’ यदि हाँ, तो आप अपने बच्चों की आध्यात्मिक ज़रूरतों पर ध्यान देना चाहेंगे।
उनकी आध्यात्मिक ज़रूरतों को पूरा करने के तरीके
पहाड़ी पर दिए गए अपने उपदेश में, यीशु मसीह ने कहा: “खुश हैं वे जो अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति सचेत हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।” (मत्ती ५:३, NW) आध्यात्मिक ज़रूरतों को तृप्त करने में क्या-क्या शामिल है? बच्चों को बहुत लाभ होता है जब उनके माता-पिता यहोवा परमेश्वर में विश्वास दिखाने में अच्छी मिसाल रखते हैं। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “विश्वास बिना [परमेश्वर को] प्रसन्न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्वर के पास आनेवाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है।” (इब्रानियों ११:६) लेकिन, यदि विश्वास को सचमुच अर्थपूर्ण होना है, तो प्रार्थना ज़रूरी है। (रोमियों १२:१२) यदि आप अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत को स्वीकारते हैं, तो आप ईश्वरीय मार्गदर्शन तलाशेंगे, ठीक जिस प्रकार उस बच्चे के पिता ने किया जो आगे चलकर इस्राएल का जाना-माना न्यायी शिमशोन बना। (न्यायियों १३:८) आप न केवल प्रार्थना करेंगे बल्कि आप मदद के लिए परमेश्वर के प्रेरित वचन, बाइबल की ओर भी मुड़ेंगे।—२ तीमुथियुस ३:१६, १७.b
ठोस मार्गदर्शन, भावात्मक सहारा, व आध्यात्मिक मदद देने में शामिल तमाम मेहनत के बावजूद, जनक की भूमिका फलदायक हो सकती है। ब्राज़ील में दो बच्चों के पिता ने टिप्पणी की: “मैं अपने बच्चों के बिना ज़िंदगी के बारे में तो सोच भी नहीं सकता! हमारे पास इतनी सारी अच्छी-अच्छी बातें हैं जो हम उनके साथ बाँट सकते हैं।” यह समझाते हुए कि बच्चे तरक्की क्यों करते हैं, माँ आगे कहती है: “हम हमेशा साथ रहते हैं, और हम हर चीज़ को मज़ेदार व खुशियोंभरा बनाने की कोशिश करते हैं। और सबसे अहम बात तो यह है कि हम हमेशा अपने बच्चों के लिए दुआ माँगते हैं।”
प्रिसिला को अपने माता-पिता का प्रेम व धीरज याद है जो उन्होंने उसके प्रति तब दिखाया जब कोई समस्या आन पड़ी थी। “वे मेरे सच्चे दोस्त निकले और उन्होंने हर चीज़ में मेरी मदद की,” वह कहती है। “जब मैं छोटी थी, तब मैंने वास्तव में महसूस किया कि मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया जाता था जैसा कि मैं ‘यहोवा की दी हुई मीरास’ हूँ।” (भजन १२७:३, NHT, फुटनोट) अनेक माता-पिताओं की तरह, क्यों न अपने बच्चों के साथ बिताने के लिए कुछ समय अलग रखें ताकि आप सब मिलकर बाइबल व मसीही प्रकाशन पढ़ सकें? बाइबल वृत्तांतों व सिद्धांतों पर एक अच्छे माहौल में चर्चा करने से आपके बच्चों को विश्वस्त होने तथा भविष्य के लिए सच्ची आशा रखने में मदद मिल सकती है।
जब सभी बच्चे सुरक्षित होंगे
हालाँकि अनेक बच्चों के लिए आज भविष्य अंधकारमय दिखता है, परमेश्वर का वचन गारंटी देता है कि जल्द ही पृथ्वी मनुष्यजाति के लिए एक सुरक्षित घर बन जाएगी। परमेश्वर द्वारा वादा किए गए नए संसार में उस समय की कल्पना कीजिए जब माता-पिताओं को अपने बच्चों की सुरक्षा की चिंता नहीं सताएगी! (२ पतरस ३:१३) इस भविष्यवाणी की शानदार पूर्ति को मन की आँखों से देखने की कोशिश कीजिए: “तब भेड़िया भेड़ के बच्चे के संग रहा करेगा, और चीता बकरी के बच्चे के साथ बैठा करेगा, और बछड़ा और जवान सिंह और पाला पोसा हुआ बैल तीनों इकट्ठे रहेंगे, और एक छोटा लड़का उनकी अगुवाई करेगा।” (यशायाह ११:६) आज भी, जिस आध्यात्मिक सुरक्षा का वर्णन इन शब्दों में किया गया है, उसकी लाक्षणिक पूर्ति यहोवा की सेवा करनेवालों के बीच हो रही है। उनके बीच आप परमेश्वर की प्रेममय परवाह महसूस करेंगे। यदि आप परमेश्वर के लिए प्रेम दिखाते हैं, तो आप आश्वस्त हो सकते हैं कि एक जनक के तौर पर आपकी भावनाओं को वह समझता है और उठनेवाली चिंताओं व परीक्षाओं का सामना करने में वह आपकी मदद करेगा। उसके वचन का अध्ययन कीजिए और उसके राज्य में अपनी आशा रखिए।
खुद एक अच्छी मिसाल रखने के द्वारा अपने बच्चों को अनंत जीवन के मार्ग पर चलने में मदद कीजिए। यदि आप यहोवा परमेश्वर में पनाह लेते हैं, तो आपका व आपके बच्चों का भविष्य आपकी हर उम्मीद से लाख गुना बेहतर हो सकता है। आपका विश्वास भी भजनहार की तरह हो सकता है, जिसके गीत के बोल थे: “यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा।”—भजन ३७:४.
[फुटनोट]
a इस लेख में नाम बदल दिए गए हैं।
b पारिवारिक सुख का रहस्य पुस्तक के ५ से ७ अध्याय देखिए, जिसे वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ने प्रकाशित किया है।