मसीह का छुड़ौती बलिदान छुटकारे के लिए परमेश्वर का प्रबंध
“परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।”—यूहन्ना ३:१६.
१, २. आज इंसान किस कशमकश में फँसा है?
मान लीजिए आपको एक ऐसा भयंकर रोग लगा है कि अगर आप ऑपरेशन नहीं कराते तो यह रोग आपकी जान लेकर ही रहेगा। लेकिन तब क्या अगर ऑपरेशन का खर्च उठाना आपके बस के बाहर है? और तब क्या अगर परिवार और दोस्तों से पैसों का इंतज़ाम करने के बाद भी आप पूरा पैसा नहीं जुटा पाते? ज़िंदगी और मौत की इस कशमकश में, शायद आप हर उम्मीद छोड़ बैठें!
२ आज इंसान भी एक ऐसी ही कशमकश में फँसा है। हमारे पहले माता-पिता, आदम और हव्वा को सिद्ध बनाया गया था। (व्यवस्थाविवरण ३२:४, NHT) वे हमेशा-हमेशा तक ज़िंदा रह सकते थे, और परमेश्वर के इस मकसद को पूरा कर सकते थे: “फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो।” (उत्पत्ति १:२८) लेकिन आदम और हव्वा ने अपने सृजनहार के खिलाफ विद्रोह किया। (उत्पत्ति ३:१-६) उनके इस विद्रोह की वज़ह से न सिर्फ वे पापी बन गए, बल्कि उनकी संतान भी पाप में ही जन्म लेतीं। वफादार अय्यूब भी यही कह रहा था: “अशुद्ध वस्तु से शुद्ध वस्तु को कौन निकाल सकता है? कोई नहीं।”—अय्यूब १४:४.
३. मृत्यु सब मनुष्यों में कैसे फैली?
३ पाप भी एक ऐसा ही रोग है, जिसने हममें से हरेक को जकड़ रखा है, क्योंकि बाइबल कहती है कि “सब ने पाप किया है।” (तिरछे टाइप हमारे।) यह हालत भी हमारी जान लेकर ही रहेगी, क्योंकि “पाप की मजदूरी तो मृत्यु है।” (रोमियों ३:२३; ६:२३) इस जकड़ से कोई छूट नहीं सकता। हरेक इंसान पाप करता है, इसलिए हरेक इंसान मरता भी है। आदम की संतान होने की वज़ह से, हम सभी जन्म से ही इस उलझन में फँसे हैं। (भजन ५१:५) पौलुस ने लिखा: “एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया।” (रोमियों ५:१२) लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे पास छुटकारे की कोई आशा नहीं है।
पाप और मृत्यु को मिटा देना
४. बीमारी और मृत्यु को मिटाना इंसान के बस के बाहर क्यों है?
४ तो फिर पाप और उसके अंजाम, मृत्यु को हमेशा के लिए कैसे मिटाया जा सकता है? यह मामूली-से इंसान के बस के बाहर है। भजनहार ने इस बात पर दुःख जताया: ‘मनुष्यों के प्राण की छुड़ौती भारी है वह अन्त तक कभी न चुका सकेंगे। कोई ऐसा नहीं जो सदैव जीवित रहे, ओर क़ब्र को न देखे।’ (भजन ४९:८, ९) माना कि अगर हम अच्छा पौष्टिक खाना खाते हैं, दवाइयाँ लेकर सेहत की अच्छी देखभाल करते हैं, तो शायद हम अपनी उम्र को थोड़ा और बढ़ा सकें। मगर आदम और हव्वा से हमें जो पाप मिला है, उसे कोई नहीं मिटा सकता। हममें से कोई भी बुढ़ापे को रोक नहीं सकता, या उसके दुःखद परिणाम को पलट नहीं सकता है, और ना ही हममें से कोई अपने शरीर को फिर से सिद्ध बना सकता है, जैसे शुरुआत में परमेश्वर ने हमारे लिए चाहा था। पौलुस वाकई सच कह रहा था जब उसने लिखा कि आदम के पाप की वज़ह से सृष्टि, यानी इंसान को “व्यर्थता के आधीन” किया गया, या जैसे द जरूसलॆम बाइबल (अंग्रेज़ी) कहती है, उसे “अपने लक्ष्य तक पहुँचने में असमर्थ कर दिया गया।” (रोमियों ८:२०) लेकिन खुशी की बात है कि हमारे सृजनहार ने हमें इसी हाल में छोड़ नहीं दिया है। उसने पाप और मृत्यु को हमेशा-हमेशा के लिए मिटा देने का प्रबंध किया है। वह कैसे?
५. इस्राएलियों को दी गयी कानून-व्यवस्था में सच्चा न्याय कैसे झलकता है?
५ यहोवा “धर्म और न्याय से प्रीति रखता” है। (भजन ३३:५) उसने इस्राएलियों को जो कानून-व्यवस्था दी थी उसमें निष्पक्षता और सच्चा न्याय झलकता है। मिसाल के तौर पर, इसमें लिखा है कि “प्राण के बदले प्राण” देना चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो, अगर कोई इस्राएली किसी का खून करता है, तो मारे गए व्यक्ति के मुआवज़े के लिए उसकी जान ली जानी थी। (निर्गमन २१:२३, NHT; गिनती ३५:२१) इस तरह परमेश्वर के इंसाफ का तराज़ू बिलकुल बराबर होता।—निर्गमन २१:३० से तुलना कीजिए।
६. (क) आदम को खूनी क्यों कहा जा सकता है? (ख) आदम किस तरह का जीवन गवाँ बैठा था, और इंसाफ के तराज़ू को बराबर करने के लिए किस तरह का बलिदान चढ़ाना ज़रूरी था?
६ जब आदम ने पाप किया तो वह खूनी बन गया। वह कैसे? वह ऐसे कि उसने अपने पाप को, और इस तरह मृत्यु को भी अपनी सारी संतानों में फैला दिया। आदम के विद्रोह की वज़ह से आज हम बूढ़े और कमज़ोर होते जाते हैं और आखिरकार हम मौत के मुँह में चले जाते हैं। (भजन ९०:१०) आदम के पाप करने का अंजाम सिर्फ इतना ही नहीं है। यह मत भूलिए कि आदम ने अपने लिए और अपनी संतानों के लिए बस ७० या ८० साल की मामूली-सी ज़िंदगी नहीं खोयी थी। वह सिद्ध जीवन, दरअसल अनंत जीवन गवाँ बैठा था। तो इस मामले में भी न्याय चुकाने के लिए “प्राण के बदले प्राण” का मुआवज़ा देना होगा। मगर किस तरह का प्राण? ज़ाहिर है, आदम की तरह, एक ऐसे सिद्ध मनुष्य का प्राण जिसके पास सिद्ध बच्चों को जन्म देने की सामर्थ हो। अगर एक ऐसे ही सिद्ध जीवन का बलिदान चढ़ाया जाए, तो इससे न सिर्फ इंसाफ का तराज़ू बराबर होगा, बल्कि इससे पाप और उसके अंजाम, मृत्यु को पूरी तरह से मिटाना भी मुमकिन होगा।
पाप के लिए मुआवज़ा भरना
७. “छुड़ौती” शब्द का मतलब समझाइए।
७ पाप से हमें छुड़ाने के लिए जो मुआवज़ा भरना है, बाइबल उसे “छुड़ौती” कहती है। (भजन ४९:७, ८) हिंदी में छुड़ौती उस रकम को कहा जाता है जो अपहरण किए गए व्यक्ति को छुड़ाने के लिए दी जाती है। यहोवा ने जिस छुड़ौती का प्रबंध किया है उसमें अपहरण की कोई बात नहीं है, लेकिन रकम चुकाने की बात वही है। असल में देखा जाए तो “छुड़ौती” के लिए इब्रानी शब्द के क्रिया रूप का मतलब है “ढाँपना।” इसलिए अगर पाप को पूरी तरह से ढाँपना है, तो छुड़ौती की कीमत को छुड़ायी जा रही चीज़—आदम का सिद्ध मानव जीवन—की कीमत के बिलकुल बराबर होना चाहिए।
८. (क) गुलामी से छुड़ाने का प्रबंध समझाइए। (ख) पापी होने के नाते हमारी स्थिति इस प्रबंध में बतायी गयी स्थिति के समान कैसे है?
८ इसी के समान एक प्रबंध मूसा की व्यवस्था में था, जिसमें दाम फेरकर या मुआवज़ा देकर किसी दास को छुड़ाया जा सकता था। अगर कोई इस्राएली इतना दरिद्र हो जाए कि खुद को किसी गैर-इस्राएली के हाथ बेचकर उसका दास बन जाए, तो उसका करीबी रिश्तेदार दाम फेरकर उसे छुड़ा सकता था (या उसकी छुड़ौती दे सकता था)। लेकिन यह दाम उस दास की कीमत के बिलकुल बराबर होना था। (लैव्यव्यवस्था २५:४७-४९) बाइबल कहती है कि हम असिद्ध होने की वज़ह से ‘पाप के दास’ हैं। (रोमियों ६:६; ७:१४, २५) तो फिर इस गुलामी से हमारे छुटकारे के लिए कितना मुआवज़ा देना पड़ेगा? जैसा कि हमने देखा, एक सिद्ध मानव प्राण गँवाया गया था, और इसके मुआवज़े में एक सिद्ध मानव प्राण दिया जाना था—न कम न ज़्यादा।
९. पापों से छुटकारे के लिए यहोवा ने क्या इंतज़ाम किया है?
९ हम सभी इंसान जन्म से ही असिद्ध हैं इसलिए हममें से कोई भी आदम के बराबर नहीं है; और हममें से कोई भी ऐसी छुड़ौती नहीं दे सकता, जिससे न्याय चुकाया जाए। जैसा शुरू में बताया गया था, हम सबको मानो एक जानलेवा रोग लगा हुआ है, जिसके इलाज के लिए ऑपरेशन करना ही होगा, और इस ऑपरेशन का खर्च उठाना हमारे बस के बाहर है। ऐसी हालत में अगर कोई आकर ऑपरेशन का खर्च उठाए, तो क्या हम उसके एहसानमंद न होंगे? यहोवा ने ठीक यही किया है! उसने हमें पाप से हमेशा-हमेशा के लिए छुड़ाने का इंतज़ाम किया है। जी हाँ, वह हमारी खातिर वह खर्च उठाने के लिए तैयार है जो हमारे बस के बाहर है। कैसे? पौलुस ने लिखा, “परमेश्वर का बरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।” (रोमियों ६:२३) यूहन्ना ने कहा कि यीशु “परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत का पाप उठा ले जाता है।” (यूहन्ना १:२९) आइए देखें कि कैसे यहोवा ने अपने प्यारे बेटे के ज़रिए छुड़ौती की कीमत चुकाई है।
‘छुटकारे का बराबर दाम’
१०. “वंश” के बारे में की गई भविष्यवाणियाँ यूसुफ और मरियम पर कैसे पूरी हुईं?
१० अदन में हुए विद्रोह के फौरन बाद, यहोवा ने बताया कि वह ऐसा “वंश” या संतान उत्पन्न करेगा जो मानवजाति को पाप से छुड़ाएगा। (उत्पत्ति ३:१५) कई सदियों के दौरान यहोवा ने भविष्यवाणियों के ज़रिए यह ज़ाहिर किया कि यह वंश किस वंशावली से होगा। समय आने पर, ये भविष्यवाणियाँ इस्राएल के देश में रहनेवाले यूसुफ और उसकी मंगेतर मरियम पर पूरी हुईं। सपने में यूसुफ से कहा गया कि मरियम पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती हुई है। स्वर्गदूत ने उससे कहा कि मरियम एक “पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा।”—मत्ती १:२०, २१.
११. (क) यहोवा ने अपने बेटे को सिद्ध इंसान बनकर पैदा करने के लिए क्या किया? (ख) यीशु ‘छुटकारे का बराबर दाम’ क्यों दे सका?
११ मरियम के जो गर्भ ठहरा था, उसमें एक खास बात यह थी कि मरियम के गर्भ में पड़ने से पहले यीशु स्वर्ग में था। (नीतिवचन ८:२२-३१; कुलुस्सियों १:१५) मगर यहोवा ने चमत्कार करके यीशु को मरियम के गर्भ में डाला, जिससे परमेश्वर का प्यारा बेटा एक इंसान बनकर पैदा हो सका। (यूहन्ना १:१-३, १४; फिलिप्पियों २:६, ७) यहोवा ने इस बात का ख्याल रखा कि यीशु में आदम के पाप का ज़रा-सा भी असर न हो और इसीलिए यीशु एक सिद्ध मनुष्य बनकर पैदा हुआ। इस तरह यीशु के पास वह था जिसे आदम ने खोया था, यानी सिद्ध जीवन। आखिरकार, ऐसा मनुष्य आ ही गया जो हमारे पापों को ढाँपने के लिए छुड़ौती की बिलकुल बराबर कीमत चुका सकता था! और सा.यु. ३३ के निसान १४ के दिन यीशु ने ठीक यही किया। उस महत्त्वपूर्ण और ऐतिहासिक दिन को यीशु ने अपने विरोधियों के हाथों से मौत सहकर ‘छुटकारे का बराबर दाम’ भर दिया।—१ तीमुथियुस २:६.
सिद्ध मानव जीवन का हक
१२. (क) यीशु की मौत और आदम की मौत के बीच का महत्त्वपूर्ण फर्क बताइए। (ख) यीशु आज्ञा माननेवाले इंसानों के लिए “अनन्तकाल का पिता” कैसे बन गया है?
१२ यीशु की मौत और आदम की मौत के बीच में बहुत बड़ा फर्क है—ऐसा फर्क जिससे पता चलता है कि छुड़ौती कितनी अनमोल है। आदम ने जानबूझकर अपने सृजनहार के खिलाफ विद्रोह किया था इसलिए वह मौत के लायक था। (उत्पत्ति २:१६, १७) मगर, यीशु ने ‘पाप नहीं किया था,’ और इसलिए उसकी मौत जायज़ नहीं थी। (१ पतरस २:२२) सो, हालाँकि यीशु मरा, फिर भी उसके पास सिद्ध मानव के रूप में जीने का हक था, एक ऐसी अनमोल चीज़ जो पापी आदम के पास मरते वक्त नहीं थी। यीशु अपने इस हक को कुरबान करके दूसरों के लिए इस्तेमाल कर सकता था। इसलिए जब वह आत्मिक प्राणी बनकर स्वर्ग गया तब उसने यहोवा को अपना यह हक देकर पापी मानवजाति को मोल ले लिया। (इब्रानियों ९:२४) इस तरह आदम की जगह वह उनका नया पिता बन गया। (१ कुरिन्थियों १५:४५) इसीलिए यीशु को “अनन्तकाल का पिता” कहा जाता है। (यशायाह ९:६) ज़रा अंदाज़ा लगाइए कि इन शब्दों का कितना गहरा मतलब है! आदम, एक पापी पिता ने अपने सारे बच्चों में मौत फैला दी। दूसरी तरफ यीशु, एक सिद्ध पिता अपना यह हक कुरबान करके आज्ञा माननेवाले इंसानों को अनंत जीवन देता है।
१३. (क) समझाइए कि यीशु ने किस तरह आदम का कर्ज़ उतारा। (ख) यीशु का बलिदान हमारे पहले माता-पिता के पाप को क्यों नहीं ढाँप सकता?
१३ लेकिन, सिर्फ एक आदमी की मौत सभी लोगों के पापों को कैसे ढाँप सकती है? (मत्ती २०:२८) कुछ साल पहले छुड़ौती को समझाने के लिए हमने एक लेख में यह उदाहरण दिया था: “कल्पना कीजिए कि एक बड़ी फैक्टरी है जिसमें सैकड़ों लोग काम करते हैं। लेकिन फैक्टरी के मैनेजर की बेइमानी की वज़ह से कंपनी कर्ज़ में डूब जाती है, उसे बुरी तरह घाटा होता है और उसमें ताला लग जाता है। सारे कर्मचारी बेरोज़गार हो जाते हैं और उनको खाने के लाले पड़ जाते हैं। बस एक आदमी की बेईमानी की वज़ह से उन सभी कर्मचारियों, उनके बीवी-बच्चों, और लेनदारों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है! मगर, तभी एक अमीर दानवीर आकर कंपनी का कर्ज़ चुका देता है और फैक्टरी को फिर से शुरू करता है। कंपनी के उस बड़े कर्ज़ को उतारने की वज़ह से वहाँ काम करनेवाले सभी लोगों की, उनके परिवारों की और लेनदारों की मुसीबतें हल हो जाती हैं। लेकिन, क्या वह बेईमान मैनेजर इनके साथ इस खुशी में शरीक हो सकता है? नहीं, क्योंकि वह जेल की हवा खा रहा है और अपनी नौकरी से हमेशा के लिए हाथ धो बैठा है! उसी तरह आदम के उस बड़े कर्ज़ को उतारने से उसकी करोड़ों संतानों को फायदा हुआ, लेकिन आदम को नहीं।”
१४, १५. यह क्यों कहा जा सकता है कि आदम और हव्वा ने जानबूझकर पाप किया और हमारी स्थिति उनसे अलग कैसे है?
१४ यह सच्चा न्याय है। याद रखिए कि आदम और हव्वा ने जानबूझकर पाप किया था। उन्होंने अपनी मरज़ी से परमेश्वर की आज्ञा तोड़ी थी। लेकिन हमारे मामले में मरज़ी की कोई बात नहीं आती, क्योंकि हम तो जन्म से ही पापी हैं। हम चाहे जितनी भी कोशिश क्यों न करें, हम पाप करने से बच नहीं सकते। (१ यूहन्ना १:८) इसलिए हमें भी कभी-कभी पौलुस की तरह लगता है जिसने लिखा: “जब भलाई करने की इच्छा करता हूं, तो बुराई मेरे पास आती है। क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूं। परन्तु मुझे अपने अंगों में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है, और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्धन में डालती है जो मेरे अंगों में है। मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं!”—रोमियों ७:२१-२४.
१५ लेकिन छुड़ौती की वज़ह से हम आशा रख सकते हैं! यीशु ही वह वंश है, जिसके बारे में परमेश्वर ने वादा किया था कि उसके द्वारा “पृथ्वी की सारी जातियां अपने को . . . धन्य मानेंगी।” (उत्पत्ति २२:१८; रोमियों ८:२०) यीशु के बलिदान से उन लोगों को बहुत लाभ होगा जो उस पर विश्वास करते हैं। आइए, देखें कि इनमें से कुछ लाभ कौन-से हैं।
मसीह के छुड़ौती बलिदान से लाभ उठाना
१६. पापी होने के बावजूद हम यीशु के छुड़ौती बलिदान की वज़ह से आज कौन-से लाभ उठा सकते हैं?
१६ बाइबल के लेखक याकूब ने यह माना कि “हम सब बहुत बार चूक जाते हैं।” (याकूब ३:२) लेकिन यीशु के छुड़ौती बलिदान की वज़ह से हमारे पापों को माफ किया जा सकता है। यूहन्ना ने लिखा: “यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात् धार्मिक यीशु मसीह। और वही हमारे पापों का प्रायश्चित्त है।” (१ यूहन्ना २:१, २) इसका मतलब यह नहीं है कि हमें पाप को मामूली सी बात समझना चाहिए। (यहूदा ४; १ कुरिन्थियों ९:२७ से तुलना कीजिए।) लेकिन, अगर कभी गलती हो जाती है तो हम यहोवा के सामने दिल खोलकर माफी माँग सकते हैं, इस भरोसे के साथ कि वह “क्षमा करने को तत्पर रहता है।” (भजन ८६:५, NHT; १३०:३, ४; यशायाह १:१८; ५५:७; प्रेरितों ३:१९) इस तरह छुड़ौती की वज़ह से हम शुद्ध विवेक से साथ परमेश्वर की सेवा कर सकते हैं, और यीशु मसीह के नाम से उससे प्रार्थना कर सकते हैं।—यूहन्ना १४:१३, १४; इब्रानियों ९:१४.
१७. छुड़ौती की वज़ह से भविष्य में कौन-सी आशिषें मिलेंगी?
१७ यीशु मसीह की छुड़ौती की वज़ह से परमेश्वर का यह उद्देश्य भी पूरा हो पाएगा, कि परमेश्वर की आज्ञा माननेवाले मनुष्य इस ज़मीन पर फैले एक खूबसूरत बगीचे में हमेशा-हमेशा के लिए खुशहाली से बसे रहें। (भजन ३७:२९) पौलुस ने लिखा: “परमेश्वर ने जो . . . प्रतिज्ञाएँ की हैं, वे यीशु में सब के लिए ‘हाँ’ बन जाती हैं।” (२ कुरिन्थियों १:२०, ईज़ी टू रीड वर्शन) यह सच है कि मृत्यु ने हम पर राजा बनकर “राज्य किया” है। (रोमियों ५:१७) मगर छुड़ौती की वज़ह से अब परमेश्वर इस “अन्तिम बैरी” का नाश करेगा। (१ कुरिन्थियों १५:२६; प्रकाशितवाक्य २१:४) यीशु की छुड़ौती की वज़ह से मरे हुओं को भी लाभ हो सकता है। यीशु ने कहा, “वह समय आता है, कि जितने कब्रों में हैं, उसका [यीशु का] शब्द सुनकर निकलेंगे।”—यूहन्ना ५:२८, २९; १ कुरिन्थियों १५:२०-२२.
१८. इंसान पर पाप का बहुत ही दुःखद असर कैसे पड़ा है और परमेश्वर की नई दुनिया में इसे कैसे पलट दिया जाएगा?
१८ ज़रा कल्पना कीजिए कि हमारी ज़िंदगी कितनी हसीन और खुशियों से भरी होगी, बिलकुल वैसी ही जैसी परमेश्वर हमारे लिए चाहता था—ऐसी कोई चिंता नहीं होगी जो आज हमारी खुशियाँ छीन लेती है! पाप की वज़ह से हम परमेश्वर से दूर हो गए हैं। हमारा तन और मन भी ठीक तरह से काम नहीं करता। लेकिन बाइबल वादा करती है कि परमेश्वर की नई दुनिया में “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।” जी हाँ, तन मन की बीमारियाँ इंसान को और पीड़ा नहीं पहुँचाएँगी। क्यों नहीं? यशायाह जवाब देता है: “जो लोग उस में बसेंगे, उनका अधर्म क्षमा किया जाएगा।”—यशायाह ३३:२४.
छुड़ौती बलिदान—प्यार का सबूत
१९. मसीह ने हमारे लिए छुड़ौती बलिदान दिया है इसलिए हममें से हरेक व्यक्ति को क्या करना चाहिए?
१९ अपने प्रेम की वज़ह से ही यहोवा ने अपने प्यारे बेटे को भेजा। (रोमियों ५:८; १ यूहन्ना ४:९) यीशु ने भी प्यार की वज़ह से ही ‘हर एक मनुष्य के लिये मृत्यु का स्वाद चखा।’ (इब्रानियों २:९; यूहन्ना १५:१३) इसलिए पौलुस ने लिखा कि “मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है . . . वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा।” (२ कुरिन्थियों ५:१४, १५) यीशु ने हममें से हरेक के लिए जो किया है अगर हम उसकी सचमुच कदर करते हैं तो हम अपनी कदरदानी ज़रूर दिखाएँगे। ज़रा सोचिए, छुड़ौती बलिदान की बदौलत ही हमें मौत से छुटकारा मिलता है! इसलिए हमें कभी भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे यह नज़र आए कि हम यीशु के बलिदान को मामूली समझ रहे हैं।—इब्रानियों १०:२९.
२०. हम किस तरह से यीशु का “वचन” मान सकते हैं?
२० इस छुड़ौती बलिदान के लिए हम तहे दिल से आभार कैसे दिखा सकते हैं? यीशु ने अपनी गिरफ्तारी से कुछ ही समय पहले कहा: “यदि कोई मुझ से प्रेम रखे, तो वह मेरे वचन को मानेगा।” (यूहन्ना १४:२३) यीशु के “वचन” में उसका यह आदेश भी है कि हम जोश के साथ इस काम को पूरा करें: ‘तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और बपतिस्मा दो।’ (मत्ती २८:१९) यीशु की आज्ञा मानने में यह भी ज़रूरी है कि हम अपने भाइयों से प्यार करें।—यूहन्ना १३:३४, ३५.
२१. हमें १ अप्रैल के यादगार समारोह में क्यों हाज़िर होना चाहिए?
२१ छुड़ौती के लिए एहसानमंदी दिखाने का एक अच्छा तरीका है, मसीह की मृत्यु के यादगार समारोह में हाज़िर होना। यह यादगार समारोह इस साल १ अप्रैल को होगा।a यह समारोह मनाने की आज्ञा भी यीशु के “वचन” में शामिल है, क्योंकि इस समारोह को पहली बार मनाते वक्त यीशु ने अपने चेलों को आदेश दिया था: “मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” (लूका २२:१९) अगर हम इस बहुत ही महत्त्वपूर्ण अवसर पर हाज़िर होते हैं और मसीह की सारी आज्ञाओं पर चलते हैं, तो हम अपना पक्का विश्वास ज़ाहिर करेंगे कि यीशु का छुड़ौती बलिदान ही छुटकारे के लिए परमेश्वर का प्रबंध है। जी हाँ, “और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं।”—प्रेरितों ४:१२.
[फुटनोट]
a निसान १४, सा.यु ३३ के दिन यीशु की मौत हुई थी। यह तारीख इस साल अप्रैल १ को पड़ती है। यादगार समारोह में हाज़िर होने के लिए जगह और समय के बारे में अपने इलाके के यहोवा के साक्षियों से पूछिए।
क्या आपको याद है?
◻ अपने पाप के लिए इंसान छुड़ौती क्यों नहीं दे सकते?
◻ यीशु क्यों “छुटकारे का बराबर दाम” दे सका?
◻ यीशु ने सिद्ध जीवन के अपने हक के द्वारा हमें कैसे फायदा पहुँचाया?
◻ मसीह के छुड़ौती बलिदान की वज़ह से इंसानों को कौन-सी आशिषें मिलेंगी ?
[पेज 15 पर तसवीर]
आदम के जैसा एक सिद्ध मनुष्य ही इंसाफ का तराज़ू बराबर कर सकता है
[पेज 16 पर तसवीर]
यीशु के पास सिद्ध मनुष्य बनकर जीने का हक था जिसे उसने मौत में कुरबान कर दिया