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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2006
w06 3/15 पेज 4-7

सिर्फ एक ही इलाज!

लाजर नाम का एक आदमी अपनी दो बहनों, मरथा और मरियम के साथ बेतनिय्याह नगर में रहता है। यह नगर, यरूशलेम से करीब तीन किलोमीटर दूर है। यीशु, लाजर और उसकी बहनों का अच्छा दोस्त है। यीशु कहीं गया हुआ है, तभी लाजर सख्त बीमार पड़ जाता है। लाजर की हालत देखकर उसकी बहनें परेशान हैं। वे यीशु के पास खबर भेजती हैं। खबर मिलने के कुछ वक्‍त बाद, यीशु लाजर से मिलने के लिए निकल पड़ता है। रास्ते में, यीशु अपने चेलों को बताता है कि वह लाजर को नींद से जगाने के लिए बेतनिय्याह जा रहा है। मगर चेले उसकी बात सही तरह से समझ नहीं पाते, इसलिए यीशु उनकी उलझन दूर करने के लिए उन्हें बताता है: “लाजर मर गया है।”—यूहन्‍ना 11:1-14.

लाजर की कब्र पर पहुँचकर यीशु पहले कब्र के मुँह पर रखी चट्टान को हटाने के लिए कहता है। फिर वह ऊँची आवाज़ में प्रार्थना करता है और यह हुक्म देता है: “हे लाजर, निकल आ।” और लाजर कब्र से बाहर निकल आता है। जिस आदमी को मरे चार दिन हो चुके थे, वह दोबारा ज़िंदा हो जाता है।—यूहन्‍ना 11:38-44.

लाजर का यह वाकया साफ दिखाता है कि मौत का सिर्फ एक ही पक्का इलाज है, वह है पुनरुत्थान। मगर क्या यह चमत्कार वाकई हुआ था? क्या यीशु ने सचमुच लाजर को ज़िंदा किया था? बाइबल बताती है कि यह चमत्कार सचमुच हुआ था। आप यूहन्‍ना 11:1-44 पढ़कर देखिए, जहाँ हर छोटी बात का ब्यौरा इस तरह दिया है मानो यह घटना हमारे सामने घट रही हो। क्या आप इसके सच होने से इनकार कर सकते हैं? अगर हाँ, तो शायद आप बाइबल में बताए बाकी चमत्कारों पर भी यकीन न कर पाएँ, जिनमें खुद यीशु मसीह के मरे हुओं में से जी उठने का चमत्कार भी शामिल है। बाइबल कहती है: “यदि मसीह नहीं जी उठा, तो तुम्हारा विश्‍वास व्यर्थ है।” (1 कुरिन्थियों 15:17) जी हाँ, पुनरुत्थान मसीही विश्‍वास की एक बुनियादी और खास शिक्षा है। (इब्रानियों 6:1, 2) मगर “पुनरुत्थान” शब्द का मतलब क्या है?

“पुनरुत्थान” का क्या मतलब है?

बाइबल के मसीही यूनानी शास्त्र में “पुनरुत्थान” शब्द 40 से भी ज़्यादा बार आया है। जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “पुनरुत्थान” किया गया है, उसका शाब्दिक अर्थ है “दोबारा खड़े होना।” इब्रानी भाषा में पुनरुत्थान के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द का मतलब है, “मरे हुओं का फिर से ज़िंदा होना।” दरअसल एक इंसान के मरने पर उसका शरीर सड़कर मिट्टी में मिल जाता है। तो फिर सवाल उठता है कि किस चीज़ का पुनरुत्थान होता है? उसी शरीर का नहीं मगर उसी शख्स का जो मर चुका है। इसका मतलब है, पुनरुत्थान में एक इंसान को उसकी ज़िंदगी वापस मिलती है, यानी उसका स्वभाव वही होता है, उसने जो-जो काम किए थे वे उसे याद रहते हैं और उसके स्वभाव की वे सारी छोटी-मोटी बातें भी उसमें होती हैं जिनसे उसकी पहचान बनती है।

जो लोग मर चुके हैं, उनकी ज़िंदगी और जीने का तरीका याद रखना यहोवा परमेश्‍वर के लिए कोई मुश्‍किल काम नहीं, क्योंकि उसकी याददाश्‍त बेजोड़ है। (यशायाह 40:26) ज़िंदगी देनेवाला यहोवा बड़ी आसानी से एक शख्स को वापस ज़िंदा कर सकता है और उसके शरीर को दोबारा बना सकता है। (भजन 36:9) इतना ही नहीं, बाइबल यह भी बताती है कि यहोवा परमेश्‍वर मरे हुओं को ज़िंदा करने के लिए ‘तरस’ रहा है, जी हाँ, वह बेताब है। (अय्यूब 14:14, 15, NW) हमारे लिए इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है कि यहोवा के पास मरे हुओं को ज़िंदा करने की न सिर्फ ताकत है बल्कि वह ऐसा करने के लिए तरस रहा है!

यीशु मसीह भी मरे हुओं को ज़िंदा करने में एक खास भूमिका निभाता है। अपनी सेवा शुरू करने के साल-भर बाद उसने कहा: “जैसा पिता मरे हुओं को उठाता और जिलाता है, वैसा ही पुत्र भी जिन्हें चाहता है उन्हें जिलाता है।” (यूहन्‍ना 5:21) लाजर के साथ जो हुआ क्या उससे यह साबित नहीं हो जाता कि यीशु के पास भी मरे हुओं को ज़िंदा करने की ताकत है और वह ऐसा करना भी चाहता है?

कई लोग मानते हैं कि इंसान के मरने पर उसमें से साए जैसा कुछ निकलकर हमेशा ज़िंदा रहता है। क्या यह धारणा सही है? पुनरुत्थान की शिक्षा और आत्मा की अमरता की शिक्षा का, दरअसल आपस में कोई मेल नहीं। अगर मरने पर हमारा कुछ अंश साए के रूप में ज़िंदा रहता है, तो फिर पुनरुत्थान की ज़रूरत ही क्या है? मरथा यह नहीं मानती थी कि उसका मरहूम भाई लाजर आत्मिक लोक में अब भी ज़िंदा है। इसके बजाय उसे पुनरुत्थान में विश्‍वास था। इसलिए जब यीशु ने उसे यकीन दिलाया: “तेरा भाई जी उठेगा,” तो मरथा ने कहा: “मैं जानती हूं, कि अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा।” (यूहन्‍ना 11:23, 24) गौर कीजिए कि जब लाजर ज़िंदा होकर वापस आया, तो उसने किसी और लोक में ज़िंदा रहने की बातें नहीं बतायीं। क्योंकि वह मौत की नींद सो रहा था। ठीक जैसा बाइबल बताती है: “मरे हुए कुछ भी नहीं जानते। . . . क्योंकि अधोलोक में [यानी कब्र में, जहाँ मरने के बाद सभी इंसान जाते हैं] जहां तू जानेवाला है, न काम न युक्‍ति न ज्ञान और न बुद्धि है।”—सभोपदेशक 9:5, 10.

तो फिर, बाइबल के हिसाब से मौत का सिर्फ एक ही इलाज है, वह है पुनरुत्थान। मगर जो बेशुमार लोग मर चुके हैं, उनमें से किसका पुनरुत्थान होगा और वे कहाँ जी उठेंगे?

किसका पुनरुत्थान होगा?

यीशु ने कहा: “वह समय आता है कि जितने स्मारक कब्रों में हैं वे सब [यीशु की] आवाज़ सुनकर बाहर निकलेंगे।” (यूहन्‍ना 5:28, 29, NW) यीशु के इस वादे के मुताबिक, जो कोई स्मारक कब्रों में यानी यहोवा की याद में हैं, उन सबका पुनरुत्थान होगा। अब सवाल यह उठता है कि वे सब जो मर गए हैं उनमें से असल में कौन परमेश्‍वर की याद में हैं, जिनका पुनरुत्थान किया जाएगा?

बाइबल की इब्रानियों किताब के 11वें अध्याय में उन स्त्री-पुरुषों के नाम दिए गए हैं जो परमेश्‍वर के वफादार सेवक रहे हैं। इन सेवकों के अलावा, हाल के सालों में परमेश्‍वर के जिन वफादार सेवकों की मौत हुई है, उन सभी का पुनरुत्थान होगा। मगर उन लोगों के बारे में क्या जो शायद परमेश्‍वर के धर्मी स्तरों को जाने बगैर मर गए और इस वजह से उसकी मरज़ी के मुताबिक नहीं जी पाए? क्या वे भी परमेश्‍वर की याद में हैं? जी हाँ, उनमें से बहुत-से लोग उसकी याद में हैं। क्योंकि बाइबल वादा करती है: “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।”—प्रेरितों 24:15.

लेकिन, इसका यह मतलब नहीं कि आज तक धरती पर जितने भी इंसान पैदा हुए हैं उन सबका पुनरुत्थान होगा। बाइबल कहती है: “सच्चाई की पहिचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं। हां, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना . . . बाकी है।” (इब्रानियों 10:26, 27) कुछ लोगों ने ऐसे पाप किए हैं जो माफ नहीं किए जा सकते, इसलिए उनका पुनरुत्थान नहीं होगा। ऐसे लोग हेडिज़ में नहीं (कब्र, जहाँ मरने के बाद सभी इंसान जाते हैं), मगर गेहन्‍ना में हैं। गेहन्‍ना (हिन्दी बाइबल में “नरक”) सचमुच की कोई जगह नहीं है, बल्कि इस बात की निशानी है कि वहाँ जानेवालों का वजूद हमेशा के लिए मिट जाता है। (मत्ती 23:33) लेकिन, हमें सावधान रहना चाहिए है कि हम अटकलें न लगाएँ कि किसका पुनरुत्थान होगा या किसका नहीं। क्योंकि यह न्याय करना परमेश्‍वर का हक है और वह बेहतर जानता है कि कौन हेडिज़ में है और कौन गेहन्‍ना में। हमारी भलाई इसी में है कि हम अपनी ज़िंदगी परमेश्‍वर की इच्छा के मुताबिक जीएँ।

स्वर्ग में जीने के लिए किसका पुनरुत्थान होगा?

यीशु मसीह का पुनरुत्थान सबसे अनोखा था क्योंकि ऐसा पुनरुत्थान पहले कभी नहीं हुआ था। उसे “शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया।” (1 पतरस 3:18) इससे पहले किसी और इंसान का ऐसा पुनरुत्थान नहीं हुआ था। यीशु ने खुद कहा: “कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वही जो स्वर्ग से उतरा, अर्थात्‌ मनुष्य का पुत्र।” (यूहन्‍ना 3:13) जी हाँ, मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से वह पहला शख्स था जिसका पुनरुत्थान आत्मिक प्राणी के रूप में किया गया था। (प्रेरितों 26:23) उसके बाद और भी कई थे जिनका ऐसा पुनरुत्थान होना था। बाइबल इस बारे में बताती है: “हर एक अपनी अपनी बारी से; पहिला फल मसीह; फिर मसीह के आने पर [“की उपस्थिति के दौरान,” NW] उसके लोग।”—1 कुरिन्थियों 15:23.

यीशु के ये “लोग” एक छोटा समूह हैं, जिनका एक खास मकसद से स्वर्ग में जीने के लिए पुनरुत्थान होता है। (रोमियों 6:5) वे स्वर्ग जाकर मसीह के साथ “पृथ्वी पर राज्य” करेंगे। (प्रकाशितवाक्य 5:9, 10) साथ ही, वे याजकों की हैसियत से सेवा करेंगे और पहले इंसान आदम से सारी मनुष्यजाति पर आए पाप के अंजामों को मिटाने में हिस्सा लेंगे। (रोमियों 5:12) मसीह के साथ राज करनेवाले इन राजाओं और याजकों की गिनती 1,44,000 है। (प्रकाशितवाक्य 14:1, 3) पुनरुत्थान पाने पर इन्हें कैसी देह मिलती है? बाइबल बताती है कि इन्हें “आत्मिक देह” दी जाती है जिससे उनके लिए स्वर्ग में जीना मुमकिन होता है।—1 कुरिन्थियों 15:35, 38, 42-45.

स्वर्ग जानेवाले इस छोटे समूह का पुनरुत्थान कब होना था? पहला कुरिन्थियों 15:23 इसका जवाब देता है, “मसीह की उपस्थिति के दौरान।” और मसीह की उपस्थिति कब शुरू हुई? सन्‌ 1914 से दुनिया में जो घटनाएँ घट रही हैं उनसे साफ पता चलता है कि उसी साल यीशु मसीह की उपस्थिति और इस “जगत के अन्त” का समय भी शुरू हुआ। (मत्ती 24:3-7) तो फिर, इस नतीजे पर पहुँचना सही होगा कि स्वर्ग जानेवाले वफादार मसीहियों का पुनरुत्थान शुरू हो चुका है, हालाँकि इंसान की आँखें यह पुनरुत्थान नहीं देख सकतीं। इसका मतलब है कि यीशु के प्रेरितों और शुरू के मसीहियों का पुनरुत्थान हो चुका है और वे स्वर्गीय जीवन पा चुके हैं। तो फिर आज जीनेवाले उन मसीहियों का क्या, जिन्हें परमेश्‍वर ने स्वर्ग में मसीह के साथ राज्य करने की पक्की आशा दी है? जब वे मरते हैं तो फौरन या “पलक मारते ही” उनका पुनरुत्थान हो जाता है। (1 कुरिन्थियों 15:52) स्वर्ग जानेवाले 1,44,000 जनों के पुनरुत्थान को ‘शुरू का पुनरुत्थान’ और ‘पहला पुनरुत्थान’ भी कहा गया है। क्योंकि पहले इस छोटे समूह का पुनरुत्थान होता है और उसके बाद इस धरती पर जीने के लिए बड़ी तादाद में लोगों का पुनरुत्थान किया जाएगा।—फिलिप्पियों 3:11, NW; प्रकाशितवाक्य 20:6.

धरती पर जीने के लिए किसका पुनरुत्थान होगा?

बाइबल के हिसाब से, मरे हुओं में से एक बड़ी तादाद का पुनरुत्थान धरती पर जीने के लिए किया जाएगा। (भजन 37:29; मत्ती 6:10) प्रेरित यूहन्‍ना ने इस पुनरुत्थान के हैरतअंगेज़ दर्शन का इन शब्दों में ब्यौरा दिया: “समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उस में थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उन में थे दे दिया; और उन में से हर एक के कामों के अनुसार उन का न्याय किया गया। और मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले गए; यह आग की झील तो दूसरी मृत्यु है।” (प्रकाशितवाक्य 20:11-14) अधोलोक का मतलब है हेडिज़ या शीओल, यानी वह कब्र जहाँ मरने पर सभी इंसान जाते हैं। इसमें जानेवाले हर इंसान को परमेश्‍वर याद रखता है और वह हरेक को मौत के चंगुल से आज़ाद करेगा। (भजन 16:10; प्रेरितों 2:31) और पुनरुत्थान पानेवाला हर कोई आगे जिस तरह के काम करेगा उसी के मुताबिक उसका न्याय किया जाएगा। फिर उसके बाद मृत्यु और हेडिज़ (या अधोलोक) का क्या होगा? इन्हें “आग की झील” में फेंक दिया जाएगा। इसका मतलब है कि इंसान, आदम के पाप की वजह से फिर कभी नहीं मरेंगे।

क्या आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि अपनों की मौत का गम झेलनेवाले जब परमेश्‍वर के इस वादे के बारे में सीखते हैं कि मरे हुए जी उठेंगे, तो वे कितनी खुशी महसूस करते हैं! जब यीशु ने नाईन की विधवा के एकलौते बेटे का पुनरुत्थान किया तो बेशक उसकी खुशी का ठिकाना न रहा होगा! (लूका 7:11-17) जब यीशु ने 12 साल की एक लड़की को ज़िंदा किया तो उसके माँ-बाप के बारे में बाइबल कहती है: “वे परम-सुख से सराबोर हो गए।” (NW) (मरकुस 5:21-24, 35-42; लूका 8:40-42, 49-56) हमें भी ऐसी बेइंतिहा खुशी मिलेगी जब परमेश्‍वर की वादा की गयी नयी दुनिया में हमारे अपने मौत की नींद से जागकर वापस आएँगे!

आज पुनरुत्थान के बारे में सच्चाई जानने का हम पर क्या असर हो सकता है? द वर्ल्ड बुक इनसाइक्लोपीडिया कहती है: “ज़्यादातर लोग मौत से डरते हैं और इसके बारे में सोचना भी नहीं चाहते।” ऐसा क्यों? क्योंकि मौत उनके लिए एक पहेली है जिसे वे समझ नहीं पाते और जिससे वे खौफ खाते हैं। मगर मरे हुओं की हालत के बारे में सच्चाई जानने से और पुनरुत्थान की आशा से हमें हिम्मत मिलती है और अगर “अन्तिम बैरी” यानी मौत से हमारा आमना-सामना भी हो जाए तब भी हम हिम्मत नहीं हारेंगे। (1 कुरिन्थियों 15:26) और यह जानकारी हमें तब भी हिम्मत देती है जब हम किसी अपने की या किसी करीबी दोस्त की मौत का गम सह रहे होते हैं।

धरती पर पुनरुत्थान कब शुरू होगा? आज इस धरती पर हर तरफ अपराध, झगड़े, खून-खराबा हो रहा और पृथ्वी प्रदूषित हो गयी है। अगर मरे हुओं को ऐसी धरती पर ज़िंदा किया जाएगा, तो बेशक उनकी खुशी ज़्यादा समय तक नहीं रहेगी। मगर सिरजनहार ने वादा किया है कि वह शैतान की इस दुनिया को जल्द ही मिटा देगा। (नीतिवचन 2:21, 22; दानिय्येल 2:44; 1 यूहन्‍ना 5:19) वह वक्‍त अब आ पहुँचा है जब धरती के लिए परमेश्‍वर का मकसद पूरा होनेवाला है। फिर परमेश्‍वर अमन-चैन की जो नयी दुनिया बसाएगा उसमें उन अरबों लोगों को जगाया जाएगा जो आज मौत की नींद सो रहे हैं।

[पेज 7 पर तसवीर]

मरे हुओं में से एक बड़ी तादाद का पुनरुत्थान, धरती पर जीने के लिए किया जाएगा

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
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