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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2008
w08 9/15 पेज 25-26

बाज़ारों में खुशखबरी का ऐलान करना

प्रेरित पौलुस अथेने शहर में हर दिन बाज़ार जाता था। और वहाँ लोगों को यीशु के बारे में सुसमाचार सुनाता था। (प्रेरि. 17:17) आखिर पौलुस बाज़ार में जाकर सुसमाचार क्यों सुनता था? क्योंकि अथेने के लोग अपना ज़्यादातर समय बाज़ारों में बिताते थे।

तब से आज तक लगभग 2,000 साल हो गए हैं, मगर आज भी यहोवा के सेवक उसके राज्य का ऐलान करने के लिए बाज़ारों में जाते हैं। वह क्यों? क्योंकि बाज़ारों में बहुत-से लोग मिलते हैं। आज बाज़ारों के नाम पर हमारे इलाकों में शॉपिंग सेंटर हो सकते हैं। कुछ साक्षियों ने ऐसे ही शॉपिंग सेंटर के मैनेजर से इजाज़त लेकर एक मेज़ पर बाइबल साहित्य के प्रदर्शन लगाए हैं।

मिसाल के तौर पर, अमरीका के न्यू जर्सी राज्य में कुछ भाई-बहनों ने मिलकर इसी तरह किताबों-पत्रिकाओं का एक स्टॉल लगाया। उन्होंने “परिवार के मूल्यों को कैसे बनाए रखें?,” विषय पर साहित्य रखे। नतीजा? एक ही दिन में छः अलग-अलग भाषाओं में 153 किताबें पेश की गयीं।

जब एक स्त्री स्टॉल पर आयी, तो बहन ने उसे गवाही दी। उस स्त्री ने बड़े ध्यान से बहन की बातें सुनीं। स्त्री ने कबूल किया कि ज़िंदगी में और परिवार में परमेश्‍वर का होना बहुत ज़रूरी है। फिर उसने ये साहित्य लिए: लर्न फ्रॉम द ग्रेट टीचर, पारिवारिक सुख का रहस्य और युवाओं के प्रश्‍न—व्यावहारिक उत्तर।

दोपहर में, एक आदमी स्टॉल के पास की एक दुकान में जाने से पहले किताबों-पत्रिकाओं को देखने लगा। जब उसकी नज़र युवाओं के प्रश्‍न किताब पर पड़ी, तो उसे वह बड़ी दिलचस्प लगी। स्टॉल के पास खड़ी बहन ने उस आदमी के चेहरे का भाव पढ़ लिया और उससे पूछा, “क्या आपको कोई किताब पसंद आयी?” उसने सिर हिलाया और युवाओं के प्रश्‍न किताब की तरफ इशारा किया। बहन ने वह किताब उसे थमा दी। उस आदमी ने बताया कि उसके तीन बच्चे हैं। फिर जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ी, उसने बताया कि वह हफ्ते में एक बार अपने बच्चों के साथ अलग-अलग विषयों पर चर्चा करता है। उसने यह भी बताया कि उसके दो बड़े लड़कों की उम्र 13-19 के बीच है। किताब के पन्‍ने पलटते हुए उसने कहा कि यह किताब वाकई बहुत अच्छी है और इसका इस्तेमाल करके वह अपने बच्चों के साथ चर्चा कर सकेगा। फिर बहन ने उसे पारिवारिक सुख का रहस्य किताब दी। और उसे यकीन दिलाते हुए कहा, यह किताब उसे और उसकी पत्नी को परिवार के सिलसिले में कोई भी फैसला लेते वक्‍त काफी मदद देगी। उस आदमी ने बहन के सुझाव के लिए शुक्रिया अदा किया और कुछ दान भी दिया। यही नहीं, जब बहन ने कहा कि क्या कोई साक्षी आकर उससे और उसके परिवार से मिल सकता है, तो वह राज़ी हो गया।

शॉपिंग सेंटर में गवाही देकर भाई-बहनों को कैसा लगा? एक बहन ने कहा, “इस तरह गवाही देने में मुझे बड़ा मज़ा आया। हमारा दिन वाकई बहुत अच्छा बीता!” एक दूसरी बहन बताती है, “यहोवा ने कहा है कि दुनिया के कोने-कोने में खुशखबरी का ऐलान होगा। और आज न्यू जर्सी के पैरामस कसबे में यह सुसमाचार कई भाषाओं के लोगों के दिलों को छू रहा है। शॉपिंग सेंटर में लोगों को गवाही देकर मुझे बेहद खुशी हुई। मुझे ही नहीं, दूसरे भाई-बहनों को भी। उस दिन हममें से किसी का भी घर जाने का मन नहीं कर रहा था।”

क्या आप भी अलग-अलग तरीकों से गवाही दे सकते हैं? यह सच है कि घर-घर जाकर गवाही देना, प्रचार करने का खास तरीका है। (प्रेरि. 20:20) फिर भी, क्या आप बाज़ार या शॉपिंग सेंटर में प्रचार करना चाहेंगे?

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