सरेआम गवाही देने का नया इंतज़ाम
1. पहली सदी के मसीहियों ने हमारे लिए क्या मिसाल रखी?
1 पहली सदी के मसीहियों ने घर-घर जाकर गवाही देने के अलावा सरेआम भी गवाही दी। (प्रेषि. 20:20) मिसाल के लिए वे मंदिर में जाकर गवाही देते थे क्योंकि वे जानते थे कि वहाँ बहुत-से लोग मिलते हैं। (प्रेषि. 5:42) जब प्रेषित पौलुस एथेन्स में था, तब हर दिन बाज़ार में उसे जो भी मिलता था उसे वह गवाही देता था। (प्रेषि. 17:17) आज पूरी दुनिया में खुशखबरी फैलाने का हमारा बुनियादी तरीका है, घर-घर जाकर लोगों को गवाही देना। मगर हम दूसरी जगहों पर जाकर भी गवाही देते हैं, जैसे गाड़ियाँ खड़ी करने की जगह, बिज़नेस इलाके, पार्क, भीड़-भाड़वाली सड़कें और ऐसी ही दूसरी जगह जहाँ लोग मिल सकते हैं। हालाँकि हर प्रचारक को जहाँ मुमकिन है वहाँ सरेआम गवाही देने का बढ़ावा दिया जाता है, मगर अब सरेआम गवाही देने के एक नए इंतज़ाम के तहत बहुत-से प्रचारकों को ऐसा करने का मौका मिलेगा।
2. सरेआम गवाही देते वक्त हमें क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
2 इस लेख में सार्वजनिक जगहों पर गवाही देने के कुछ तरीके बताए गए हैं। इसका मतलब यह नहीं कि हमारी राज-सेवा के पहले के अंकों में, भारत में गवाही देते वक्त एहतियात बरतने के बारे में जो हिदायतें दी गयी थीं वे अब लागू नहीं होंगी। वे सभी हिदायतें और निर्देशन अब भी लागू होते हैं। प्रचार में बेवजह समस्या न खड़ी हो, इसके लिए हमें हर ज़रूरी कदम उठाना चाहिए। प्राचीनों के निकाय को बड़ी सावधानी से इस बात पर गौर करना चाहिए कि उनके इलाके में प्रचार काम के प्रति लोगों का नज़रिया कैसा है, कहीं ऐसा न हो कि इन तरीकों की वजह से उनके इलाके में प्रचार काम में कोई रुकावट आ जाए। (ज़्यादा जानकारी के लिए प्राचीन 24 नवंबर, 2012 और 13 फरवरी, 2014 की तारीखवाले खत देख सकते हैं।) गवाही देने का इलाका जैसा भी हो सरेआम गवाही देने में हिस्सा लेनेवाले हर प्रचारक को अपने साथ T-85 ब्रोशर यहोवा के साक्षी—अपने पड़ोसियों को खुशखबरी सुनाने के उनके अधिकार और ज़िम्मेदारियाँ की एक कॉपी रखनी चाहिए, ठीक जैसे घर-घर और सड़क गवाही देते वक्त रखते हैं।
3. सन् 2011 के नवंबर में कौन-सा नया इंतज़ाम आज़माया गया?
3 जैसे 2013 की ईयरबुक के पेज 16, 17 पर बताया गया था, नवंबर 2011 में, न्यूयार्क शहर में सरेआम गवाही देने के लिए स्टॉल लगाए गए, यह आज़माने के लिए कि इस तरह गवाही देना कितना असरदार होगा। शहर के जिन इलाकों में लोगों की ज़्यादा आवा-जाही रहती है, वहाँ टेबल और ट्रॉली लगाकर उन पर कई भाषाओं में तरतीब से साहित्य रखे गए और लोगों का ध्यान खींचनेवाले पोस्टर लगाए गए। ऐसे इलाकों में हर दिन हज़ारों लोगों का आना-जाना लगा रहता है। इनमें बहुत-से लोग ऐसे होते हैं, जो या तो कड़ी सुरक्षावाले अपार्टमेंट में रहते हैं या फिर वे अकसर घर पर नहीं मिलते। इस कोशिश का नतीजा वाकई लाजवाब था। सिर्फ एक महीने में 3,797 पत्रिकाएँ और 7,986 किताबें बाँटी गयीं। बहुत-से लोगों ने बाइबल अध्ययन की भी गुज़ारिश की। अब क्योंकि इस इंतज़ाम में बाइबल अध्ययन शुरू करने पर ज़्यादा ज़ोर दिया गया था, इसलिए दिलचस्पी दिखानेवाले हर व्यक्ति का नाम-पता फौरन उस मंडली को दिया गया जो उस व्यक्ति से संपर्क करके उसकी मदद कर सके।
4. यह इंतज़ाम पूरी दुनिया में चलाने के लिए क्या किया जा रहा है? इसमें हिस्सा लेने से कैसे एक जोड़े को आशीषें मिलीं?
4 सरेआम गवाही देने के इस इंतज़ाम में जो कामयाबी मिली उसे ध्यान में रखते हुए, अब यह इंतज़ाम पूरी दुनिया में चलाने के लिए घनी आबादीवाले दूसरे इलाकों में शुरू किया जा रहा है। एक शादीशुदा जोड़े का कहना है: “टेबल के पास खड़े रहकर हर दिन हज़ारों लोगों को आते-जाते देखकर हमें एहसास हुआ कि दुनिया-भर में अभी कितने लोगों को गवाही देनी है। इन लोगों तक संदेश पहुँचाने के लिए आज कितनी मेहनत की जा रही है। यह सब देखकर हम समझ गए कि यहोवा इनमें से हरेक की वाकई कितनी परवाह करता है। इस बात से प्रचार काम को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देने का हमारा इरादा और भी मज़बूत हुआ है। ऐसा लगता है मानो यहोवा टेबल के पास से गुज़रनेवालों के दिलों को जाँच रहा है और ढूँढ़ रहा है कि कौन योग्य है। हम महसूस करते हैं कि हम पहले से कहीं ज़्यादा स्वर्गदूतों के करीब रहकर उनके साथ काम कर रहे हैं।”
5. (क) सरेआम गवाही देने के लिए बहुत-सी मंडलियाँ कौन-सा नया इंतज़ाम शुरू कर रही हैं? (ख) सरेआम गवाही देने के सिलसिले में मंडलियाँ कैसे एक-दूसरे का सहयोग कर सकती हैं?
5 मंडलियों के ज़रिए किया गया सरेआम गवाही देने का इंतज़ाम: सरेआम गवाही देने का नया इंतज़ाम बहुत-सी मंडलियों में प्राचीनों के निकाय अपने-अपने इलाके में शुरू कर रहे हैं। इसमें प्रचारक अपनी मंडली के प्रचार के इलाके में ऐसी जगहों पर एक टेबल या ट्रॉली लगाते हैं, जहाँ काफी लोगों की आवा-जाही रहती है।—“एक-दूसरे का सहयोग ज़रूरी है” बक्स देखिए।
6. जिन इलाकों में कारगर है, वहाँ सरेआम गवाही देने का इंतज़ाम शुरू करने के लिए प्राचीन क्या करेंगे?
6 प्राचीन गौर करेंगे कि क्या उनकी मंडली के इलाके में काफी भीड़-भाड़वाली जगह हैं। फिर वे तय करेंगे कि क्या उनके इलाके में सरेआम गवाही देने का यह नया इंतज़ाम शुरू करना कारगर होगा। बस-स्टैंड, रेलवे-स्टेशन, चौराहे, पार्क, भीड़-भाड़वाली सड़कें, शॉपिंग-मॉल, कॉलेज कैम्पस, हवाई-अड्डे या सालाना समारोह रखनेवाली जगहों पर टेबल या ट्रॉली लगायी जा सकती हैं। एक तय जगह, तय दिन और तय समय पर टेबल या ट्रॉली लगाना ज़्यादा फायदेमंद रहता है। देखा गया है कि शॉपिंग-मॉल या कॉमप्लेक्स के पास टेबल या ट्रॉली लगाना ज़्यादा असरदार रहता है, बजाय एक बड़े स्टोर के पास लगाने के, क्योंकि वहाँ लोगों का ध्यान सिर्फ उस चीज़ पर होता है, जो वे खरीदने आते हैं। कुछ जगहों पर जैसे, भीड़-भाड़वाले फुटपाथ पर एक छोटी ट्रॉली लगाना असरदार हो सकता है। ट्रॉली पर प्रहरीदुर्ग, सजग होइए! और बाइबल सिखाती है किताब के पोस्टर लगाने के लिए प्राचीन वेबसाइट से उनकी फाइलें डाउनलोड कर सकते हैं। ये फाइलें खासकर सरेआम गवाही देने में इस्तेमाल करने के लिए तैयार की गयी हैं। ऐसे पोस्टर चुनिए जो इलाके के लोगों को दिलचस्प लगेंगे, न कि उनकी भावनाओं को चोट पहुँचाएँगे। इस इंतज़ाम में हिस्सा लेनेवालों को सेवा निगरान की हिदायतें सख्ती से माननी चाहिए। अगर उन्हें दिलचस्पी दिखानेवाले किसी ऐसे शख्स का पता मिलता है, जो उनके प्रचार के इलाके में नहीं रहता, तो उन्हें फौरन प्लीज़ फॉलो अप (S-43) फॉर्म भरकर मंडली के सचिव को दे देना चाहिए।
7. सरेआम गवाही देने के इस इंतज़ाम के तहत कैसे गवाही दी जाती है?
7 कैसे गवाही दी जाती है: प्रचारक आम तौर पर अपनी टेबल या ट्रॉली के पास खड़े रहते हैं। जब कोई शख्स टेबल या ट्रॉली के पास आता है, तो उसे बताया जाता है कि उसे जो साहित्य पसंद है वह ले सकता है। अगर वह शख्स कोई सवाल पूछता है, तो प्रचारक खुशी-खुशी बाइबल से उसके सवाल का जवाब देते हैं। अगर वह कोई साहित्य लेता है, तो प्रचारक दान का ज़िक्र नहीं करते। लेकिन अगर वह पूछता है कि हमारे काम का खर्च कैसे चलता है, तब प्रचारक उसे इस बारे में समझा सकते हैं। और अगर वह दान देना चाहता है तो उसे बता सकते हैं कि वह हमारे साहित्य में दिए पते पर भेज सकता है। जब मुमकिन होता है, तो वे पूछते हैं, “क्या आप चाहेंगे कि कोई आपके घर आकर आपसे बातचीत करे?” या “क्या आप साहित्य के अलावा, इस सिलसिले में शास्त्र पर आधारित चर्चा करना चाहेंगे?”
8. नए इंतज़ाम में हिस्सा लेने से कैसे आशीषें मिल रही हैं?
8 इस इंतज़ाम के तहत गवाही देने से बहुत-सी आशीषें मिलती हैं। भारत में एक मंडली ने जिसने इसे आज़माकर देखा, सिर्फ एक घंटे में 1,000 से ज़्यादा पत्रिकाएँ पेश कीं और दिलचस्पी दिखानेवाले 200 लोगों के पते नोट किए। बैंगलोर में, प्रचारक एक मॉल के पास टेबल लगाए थे। वहाँ जब एक ट्रैफिक इंस्पेक्टर टेबल के पास आया, तो वह हमारे काम को देखकर बहुत खुश हुआ। उसने पारिवारिक सुख और युवाओं के प्रश्न किताबों की कई कॉपियाँ लीं। आंध्र प्रदेश में दिलचस्पी दिखानेवाला एक व्यक्ति यहोवा के साक्षियों से मिलने के लिए बेताब था। सरेआम गवाही देने के इंतज़ाम से उसकी मुलाकात साक्षियों से हुई। अब वह बाइबल अध्ययन कर रहा है और सभाओं में भी आ रहा है।
9. अगर मंडली की तरफ से सरेआम गवाही देने का इंतज़ाम नहीं है, फिर भी हम सरेआम गवाही देने का लुत्फ कैसे उठा सकते हैं?
9 निजी तौर पर सरेआम गवाही देना: कुछ मंडलियों के प्रचार इलाके में शायद ऐसी जगह न हों जहाँ बहुत भीड़-भाड़ रहती है। इसलिए उन्हें शायद टेबल या ट्रॉली लगाने की ज़रूरत न पड़े। फिर भी, उन मंडलियों के प्रचारकों को बढ़ावा दिया जाता है कि वे निजी तौर पर सरेआम गवाही देने में हिस्सा लें। क्या आपके इलाके में बड़ी-बड़ी दुकानें या कोई स्टोर है जहाँ भीड़ लगी रहती है? क्या पार्क या ऐसी कोई जगह है जहाँ काफी लोग आते-जाते हैं? क्या आपके इलाके में समय-समय पर आम जलसे या समारोह होते रहते हैं? अगर हाँ, तो आप अपने प्राचीनों से सलाह लेकर सूझ-बूझ से काम लेते हुए इन जगहों पर सरेआम गवाही देने का लुत्फ उठा सकते हैं।
10. हमें जहाँ भी लोग मिलते हैं वहाँ उन्हें खुशखबरी सुनाने के लिए हमें क्यों हमेशा तैयार रहना चाहिए?
10 यहोवा की मरज़ी है कि “सब किस्म के लोगों का उद्धार हो और वे सच्चाई का सही ज्ञान हासिल करें।” (1 तीमु. 2:4) इसलिए हमारी कोशिश है कि अंत आने से पहले हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों तक राज की खुशखबरी पहुँचाएँ। (मत्ती 24:14) बहुत-से इलाकों में लोगों के घर पर उनसे मिलना मुश्किल है। फिर भी सार्वजिनक जगहों पर हमें शायद उनसे बातचीत करने का मौका मिले। सरेआम गवाही देने का इंतज़ाम एक ऐसा ज़रिया है जिससे कुछ लोगों को खुशखबरी सुनने का मौका मिलेगा। इसलिए आइए ठान लें कि हमें जहाँ भी लोग मिलेंगे, हम उन्हें खुशखबरी सुनाएँगे और इस तरह अपनी सेवा अच्छी तरह पूरी करेंगे।—2 तीमु. 4:5.
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एक-दूसरे का सहयोग ज़रूरी है
पता चला है कि कभी-कभी अलग-अलग मंडलियों के प्रचारक एक ही बिज़नेस इलाके में, एक ही स्टेशन या बस-स्टैंड के सामने, गाड़ियाँ खड़ी करने की एक ही जगह पर एक ही गली में सरेआम गवाही देते हैं। साथ ही, अलग-अलग मंडलियों के प्रचारकों ने एक ही लॉबी या वेटिंग-रूम में पत्रिकाएँ छोड़ी हैं और एक ही दुकान या कंपनी के लोगों को गवाही दी है, जिस वजह से वहाँ काम करनेवाले और उनके आस-पास रहनेवाले लोग कभी-कभी हमारे काम से परेशान हुए हैं, फिर चाहे प्रचारक एक ही समय पर गवाही न भी दे रहे हों। इसलिए बेहतर होगा कि सरेआम गवाही देते वक्त हम उसी इलाके में रहें जो हमारी मंडली को सौंपा गया है।
अगर प्रचारक पास की मंडली के इलाके में सरेआम गवाही देना चाहते हैं, तो उन्हें अपनी मंडली के सेवा निगरान से बात करनी चाहिए। फिर वह भाई पास की मंडली के सेवा निगरान से संपर्क करके इजाज़त लेगा। इसके बाद ही भाई-बहनों को उस मंडली के इलाके में गवाही देनी चाहिए। जहाँ एक ही इलाके में अलग-अलग भाषा बोलनेवाली मंडलियाँ काम करती हैं, वहाँ के सेवा निगरानों को एक-दूसरे से बातचीत करते रहना चाहिए ताकि आस-पड़ोस के लोगों को बेवजह कोई परेशानी न हो। वे ध्यान रख सकते हैं कि अलग-अलग प्रचारकों के समूह, अलग-अलग इलाके में काम करें, या एक इलाके में काम कर रहे हैं, तो अलग-अलग समय पर काम करें जिससे कोई परेशानी न हो। एक-दूसरे के अच्छे सहयोग से “सब बातें कायदे से और अच्छे इंतज़ाम के मुताबिक” हो सकती हैं।—1 कुरिं. 14:40.