सरेआम गवाही देने का एक दिलचस्प और असरदार तरीका
1. जिन मंडलियों का प्रचार का इलाका घनी आबादीवाला है, उन्हें क्या बढ़ावा दिया गया?
1 जिन मंडलियों का प्रचार इलाका घनी आबादीवाला है, उन्हें बढ़ावा दिया गया कि वे टेबल या ट्रॉली (कार्ट) लगाकर सरेआम गवाही देने का इंतज़ाम करें। अगर ट्रॉली लगाकर गवाही दी जाती है, तो उसके पास कम-से-कम एक प्रचारक को रहना चाहिए। लेकिन अगर टेबल लगायी जाती है, तो उसके पास दो प्रचारकों को रहना चाहिए। जो प्रचारक टेबल या ट्रॉली (डिस्प्ले) के पास खड़े होते हैं, उन्हें डिस्प्ले के पास आनेवालों का मुसकराकर स्वागत करना चाहिए। उनसे प्यार से और दोस्ताना अंदाज़ में बात करनी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति डिस्प्ले की तरफ ध्यान देता है, तो एक प्रचारक उससे बातचीत शुरू कर सकता है। वह कुछ ऐसा कह सकता है, “क्या कभी आपने सोचा है कि इस विषय के बारे में परमेश्वर क्या कहता है?” फिलहाल डिस्प्ले के पास रहनेवाले दूसरे प्रचारक कुछ दूरी पर जाकर मौके ढूँढ़कर गवाही दे सकते हैं। उन्हें इतनी दूरी पर रहना चाहिए जहाँ से डिस्प्ले दिखायी दे सके।
2. एक अनुभव बताइए जो दिखाता है कि डिस्प्ले लगाकर सरेआम गवाही देना कितना फायदेमंद है।
2 इस तरह गवाही देने से बहुत-से नए बाइबल अध्ययन मिले हैं। जैसे, कॉलेज में पढ़नेवाली एक लड़की यहोवा के साक्षियों के बारे में खोजबीन करके कुछ लिखना चाहती थी। लेकिन उसे कोई राज-घर नहीं मिल पाया। अगले हफ्ते उसने देखा कि कॉलेज के कैम्पस में हमारे साहित्य का एक डिस्प्ले लगा है। उसके साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया गया और आज वह एक बपतिस्मा-शुदा प्रचारक है। अब वह खुद सरेआम गवाही देने में हिस्सा ले रही है।
3. सरेआम गवाही देने के इस तरीके के बारे में कुछ भाई-बहन कैसा महसूस करते हैं?
3 एक बहन को इस तरह गवाही देना बहुत अच्छा लगता है। वह कहती है, “कुछ लोग डिस्प्ले के पास आकर हाल ही की पत्रिकाएँ लेते हैं। इनमें कुछ तो ऐसे होते हैं जिन्होंने यहोवा के साक्षियों के बारे में पहले कभी नहीं सुना। मुझे लगता है इस तरह गवाही देने से बहुत-से लोगों को संदेश सुनाया जा सकता है।” एक दूसरी बहन कहती है, “गवाही देने का यह नया तरीका सच में बहुत दिलचस्प है, क्योंकि इसमें लोग आपके पास आते हैं। भले ही वे ज़्यादा दिलचस्पी न दिखाएँ मगर वे कुछ-न-कुछ जानना चाहते हैं।”
4. हर हफ्ते एक तय जगह पर और तय समय पर साहित्य का डिस्प्ले लगाना क्यों फायदेमंद है?
4 हर हफ्ते एक तय जगह पर, तय दिनों में और तय समय पर डिस्प्ले लगाना ज़्यादा फायदेमंद होता है। इससे आने-जानेवालों को हमारा डिस्प्ले देखने की आदत पड़ जाती है। फिर वे उसके पास आने या सवाल पूछने में झिझक महसूस नहीं करते और हमारा साहित्य भी लेते हैं। क्या आपकी मंडली ने सरेआम गवाही देने का इंतज़ाम किया है? अगर हाँ, तो इस तरह गवाही देने में आप भी हिस्सा ले सकते हैं और “परमेश्वर के राज का ऐलान कर” सकते हैं। वाकई, यह बहुत ही दिलचस्प और असरदार तरीका है!—लूका 9:60.