विषय-सूची
15 दिसंबर, 2008
अध्ययन के लिए
दिए गए हफ्तों के लिए अध्ययन लेख:
2-8 फरवरी, 2009
खराई बनाए रखना क्यों ज़रूरी है?
पेज 3
गीत नं. 21 (191), 6 (45)
9-15 फरवरी, 2009
क्या आप अपनी खराई बनाए रखेंगे?
पेज 7
गीत नं. 3 (32), 18 (162)
16-22 फरवरी, 2009
परमेश्वर के मकसद में यीशु की अनोखी भूमिका को समझिए और उसकी कदर कीजिए
पेज 12
गीत नं. 28 (224), 17 (187)
23 फरवरी, 2009–1 मार्च, 2009
अच्छी तरह गवाही देने की ठान लीजिए
पेज 16
गीत नं. 16 (143), 9 (37)
अध्ययन लेखों का मकसद
अध्ययन लेख 1, 2 पेज 3-11
खराई क्या है? यह क्यों ज़रूरी है? हम खरे इंसान कैसे बन सकते हैं और अपनी खराई कैसे बनाए रख सकते हैं? अगर एक मसीही खराई की राह से भटक जाता है, तो क्या वह दोबारा इस राह पर आ सकता है? इन दो लेखों में इन्हीं सवालों के जवाब दिए जाएँगे।
अध्ययन लेख 3 पेज 12-16
परमेश्वर के मकसद को पूरा करने में यीशु की एक अनोखी भूमिका रही है। हम इस लेख में यीशु को दी गयी छः उपाधियों पर चर्चा करेंगे। ये उपाधियाँ ज़ाहिर करती हैं कि वह अनोखा है। हम देखेंगे कि यीशु ने कैसे हमेशा अपनी भूमिका बेहतरीन तरीके से निभायी और हम कैसे उसकी मिसाल पर चल सकते हैं।
अध्ययन लेख 4 पेज 16-20
प्रेरित पौलुस ने इफिसुस के मसीहियों से कुछ ज़रूरी बातें कही थीं, जिसका ब्यौरा प्रेरितों की किताब के अध्याय 20 में दर्ज़ है। उसकी कही बातों की हम गहराई से जाँच करेंगे। इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि पौलुस ने कैसे लोगों को अच्छी गवाही दी। साथ ही, हम यह भी सीखेंगे कि हमें क्यों खुशखबरी की अच्छी गवाही देनी चाहिए और हम यह कैसे कर सकते हैं।
इस अंक में ये लेख भी हैं:
मिट्टी की तख्तियाँ जो बाइबल को सच साबित करती हैं
पेज 21
मैंने कोरिया में परमेश्वर के झुंड को बढ़ते देखा
पेज 23
यहोवा का वचन जीवित है—यूहन्ना और यहूदा की पत्रियों की झलकियाँ
पेज 27
पेज 30
पेज 30
पेज 32