क्या आपको त्रियेक में विश्वास करना चाहिए? इस विवरणिका के लिए अध्ययन प्रश्न
पहला सप्ताह
पृष्ठ ३, शीर्षक: “क्या आपको उस में विश्वास करना चाहिए?”
१, २. त्रियेक के धर्मसिद्धांत के बारे में कौनसी टिप्पणी की जा सकती है?
३. हमारे समय में त्रियेक के विषय में दिलचस्पी क्यों होनी चाहिए?
४. संक्षिप्त रूप में, त्रियेक की शिक्षा क्या है?
५. इस धर्मसिद्धांत को अस्वीकार करनेवाले लोग क्या कहते हैं?
६. (अ) समर्थकों ने और (ब) आलोचकों ने, त्रियेक की शिक्षा के मूल का वर्णन किस तरह किया है?
७. कुछ परिणाम क्या हैं (अ) अगर त्रियेक सच है? (ब) अगर यह झूठ है?
८. इस विवरणिका में किस बात की जाँच की जाएगी?
पृष्ठ ३, शीर्षक: “त्रियेक की व्याख्या किस तरह की जाती है?”
१. कैथोलिक चर्च त्रियेक की परिभाषा किस तरह करता है?
२, ३. बाक़ी अधिकांश चर्च इस धर्मसिद्धांत की परिभाषा किस तरह करते हैं?
पृष्ठ ४:
१. अनेक त्रियेक की व्याख्या सुनते ही कैसी प्रतिक्रिया दिखाते हैं?
२-४. विविध सूत्र त्रियेक के धर्मसिद्धांत के बारे में क्या कहते हैं?
५, ६. एक कैथोलिक विश्वकोश धर्मप्रशिक्षणालय के विद्यार्थियों और उनके प्राध्यापकों के बारे में क्या कहता है, और आप ऐसी टिप्पणी की सच्चाई किस तरह सत्यापित कर सकते हैं?
७. एक जेसुइट पादरी त्रियेक के बारे में क्या कहता है?
८. एक कैथोलिक धर्मविज्ञानी कौनसी तर्कसंगत टीका-टिप्पणी करता है?
९. कुछ लोग किस तरह त्रियेक के मूल की व्याख्या करते हैं?
पृष्ठ ५:
१, २. यह कहना कि त्रियेक की शिक्षा एक ईश्वरीय प्रकटन से आयी है, कौनसी बड़ी समस्या खड़ी कर देता है?
३. क्या ‘एकमात्र सच्चे परमेश्वर को, और उसके पुत्र को जानने के लिए’ लोगों का धर्मविज्ञानी होना ज़रूरी है?
दूसरा सप्ताह
पृष्ठ ५, शीर्षक: “क्या यह स्पष्टतः एक बाइबल उपदेश है?”
१. यदि त्रियेक सच होता, तो क्यों इसे बाइबल में स्पष्ट रूप से सिखाया जाना चाहिए?
२. शास्त्रों के बारे में पहली-सदी के विश्वासियों का क्या विचार था?
३, ४. प्रेरित पौलुस और यीशु ने अपने उपदेश के लिए आधार के रूप में क्या इस्तेमाल किया?
५, ६. (अ) पहली-सदी के विश्वासियों ने शास्त्रों को कैसा अधिकार माना? (ब) यदि त्रियेक सच होता, तो हम बाइबल में क्या पाने की सही-सही आशा कर सकते हैं?
७-९. (अ) दोनों प्रोटेस्टेन्ट और कैथोलिक सूत्र “त्रियेक” शब्द के बारे में क्या कबूल करते हैं, और यह शब्द चर्च के धर्मविज्ञान में पहले कब प्रकट हुआ? (ब) क्या तर्तुलियन का त्रियेक के लिए लातीनी शब्द प्रयुक्त करने का यह मतलब है कि उसने यह धर्मसिद्धांत सिखाया?
पृष्ठ ६:
१, २. दो विश्वकोश इब्रानी शास्त्र और त्रियेक के बारे में क्या स्वीकार करते हैं?
३. एक जेसुइट पादरी इब्रानी शास्त्रों के साक्ष्य के बारे में क्या कहता है?
४. इब्रानी शास्त्रों की जाँच से क्या प्रकट होता है?
५-७. दो सूत्र त्रियेक और मसीही यूनानी शास्त्रों के बारे में क्या कहते हैं?
८-१०. कौनसे उद्धरण इस्तेमाल किए जा सकते हैं, यह दिखाने के लिए कि त्रियेक की शिक्षा मसीही यूनानी शास्त्रों में सिखायी नहीं गयी थी?
११, १२. जैसा कि दो इतिहासकारों ने ग़ौर किया, ईसाईजगत् में त्रियेक की शिक्षा कब सिखायी जाने लगी?
१३. सारा प्रमाण कौनसे निष्कर्ष तक ले जाता है?
१४-१७. क्या प्रारंभिक मसीहियों ने त्रियेक की शिक्षा सिखायी?
पृष्ठ ७:
१. सिर्फ़ कितनी अवधि के बाद त्रियेक की शिक्षा स्थापित हुई?
२-४. दूसरी-सदी के धार्मिक शिक्षक जस्टिन मार्टर और आइरेनेइयस् ने परमेश्वर और मसीह के बारे में कैसा विचार किया?
५, ६. सिकंदरिया के क्लेमेन्ट और तर्तुलियन के क्या विचार थे?
७, ८. तीसरी सदी में, हिप्पोलाइटस् और ऑरिजेन ने क्या टिप्पणी की?
९. एक इतिहासकार किस तरह त्रियेक से संबंधित प्रमाण का संक्षिप्त विवरण देता है?
१०. बाइबल और इतिहास के साक्ष्य से क्या स्पष्ट है?
तीसरा सप्ताह
पृष्ठ ७, शीर्षक: “त्रियेक का धर्मसिद्धांत किस तरह विकसित हुआ?”
१, २. क्या त्रियेक की शिक्षा सा.यु. ३२५ में निकेइया की परिषद् में पूर्ण रूप से प्रतिपादित की गयी?
पृष्ठ ८:
१. कौंस्टेंटाइन ने निकेइया की परिषद् क्यों बुलवा ली?
२. एक इतिहासकार कौंस्टेंटाइन के धर्म-परिवर्तन के बारे में क्या कहता है?
३. कौंस्टेंटाइन ने निकेइया में कौनसी भूमिका अदा की?
४. क्या कौंस्टेंटाइन वे धर्मविज्ञानी प्रश्न सचमुच समझ सका, जिन पर निकेइया की परिषद् में विचार-विमर्श हुआ?
५. निकेइया की परिषद् में जिस बात पर निर्णय लिया गया, उसे ध्यान में रखते हुए, कौनसा प्रश्न पूछा जा सकता हैं?
६, ७. (अ) निकेइयाई परिषद् के बाद क्या हुआ? (ब) सा.यु. ३८१ में कौंस्टेंटिनोपल की परिषद् में क्या तय किया गया?
८. कौंस्टेंटिनोपल की परिषद् के बाद क्या हुआ, और केवल किस समय त्रियेक की शिक्षा निर्धारित धर्ममतों में सूत्रबद्ध हुई?
पृष्ठ ९:
१. ॲथानेसियस कौन था, और जिस धर्ममत पर उसका नाम है, उस में क्या कहा गया है?
२. (अ) क्या ॲथानेसियस ने अपने नाम के धर्ममत की रचना की? (ब) ॲथानेशियन धर्ममत को यूरोप में व्यापक होने के लिए कितना समय लगा?
३. त्रियेक की शिक्षा को व्यापक रूप से स्वीकृत होने के लिए जितनी सदियाँ लगीं, उन में निर्णय मुख्य रूप से किस से नियंत्रित हुए?
४. त्रियेक का इतिहास बाइबल भविष्यद्वाणी से किस तरह अनुकूल होता है?
५, ६. प्रेरित पौलुस और अन्य बाइबल लेखकों ने क्या पूर्वबतलाया?
७. (अ) जैसा कि यीशु ने दिखाया, सच्ची मसीहियत से इस विचलन के पीछे कौन था? (ब) एक विश्वकोश, जो कुछ हुआ, इसकी विशेषता कैसे बताता है?
चौथा सप्ताह
पृष्ठ १०:
१. प्राचीन मूर्तिपूजक धर्मों में, हिन्दू और बौद्ध धर्मों में, और ईसाईजगत् के धर्मों में क्या समानता है?
पृष्ठ ११:
१, २. (अ) पुरातन समय में झूठे धर्म का एक सामान्य प्रकार क्या था? (ब) इतिहासकारों के अनुसार, त्रियेक की कल्पना मसीहियत में कैसे फैल गयी?
३, ४. विधर्मी त्रियेकों की म्रिस्री उपासना और ईसाईजगत् के त्रियेक के बीच क्या संबंध है?
५. त्रियेक के मूल के संबंध में दो सूत्र किस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं?
६. हेस्टिंग्स का एन्साइक्लोपीडिया ऑफ रिलिजियन ॲन्ड एथिक्स में मूर्तिपूजक त्रियेकों और ईसाईजगत् के त्रियेक के बीच के संबंध के बारे में कौनसी टिप्पणी की गयी है?
७, ८. यूनानी तत्त्वज्ञ प्लेटो ने ईसाईजगत् के त्रियेक के बाद के विकास पर कैसा प्रभाव डाला?
९, १०. इतिहासकार त्रियेक की शिक्षा के विकास पर प्लेटो का प्रभाव किस तरह दिखाते हैं?
११, १२. सा.यु. तीसरी सदी के आख़िर तक क्या हुआ?
१३. जैसा कि एक धार्मिक सूत्र ग़ौर करता है, त्रियेक के विकास के बारे में क्या कहा जाना चाहिए?
पृष्ठ १२:
१. बाइबल भविष्यद्वाणी के अनुसार, सा.यु. चौथी सदी में क्या पूर्ण रूप से खिल आया?
२. क्या दिखाता है कि त्रियेक की शिक्षा परमेश्वर से नहीं आ सकी होगी?
३, ४. (अ) मसीहियों का त्रियेक की शिक्षा स्वीकार करना तर्कसंगत क्यों नहीं? (ब) त्रियेक के बारे में हमें किस निष्कर्ष पर पहुँचना चाहिए?
पृष्ठ १२, शीर्षक: “बाइबल परमेश्वर और यीशु के विषय क्या कहती है?”
१, २. अगर लोग पूर्वावधारित विचारों के बिना बाइबल पढ़ते, तो वे परमेश्वर और मसीह के बारे में किस निष्कर्ष पर पहुँचते?
३, ४. कलीसियाई इतिहास का एक प्राध्यापक (अ) इब्रानी शास्त्रों में और (ब) यूनानी शास्त्रों में, परमेश्वर के विषय में जो विचार है, उसके बारे में क्या कहता है?
५. व्यवस्थाविवरण ६:४ का व्याकरण किस तरह दिखाता है कि परमेश्वर एक ही व्यक्ति है?
पृष्ठ १३:
१. परमेश्वर के तत्त्व के बारे में प्रेरित पौलुस ने क्या संपुष्ट किया?
२. पूरी बाइबल में परमेश्वर का उल्लेख किस तरह किया गया है?
३. अगर त्रियेक की शिक्षा सच होती, तो प्रेरित बाइबल लेखकों ने कौनसी बात स्पष्ट की होगी?
४. बाइबल लेखकों ने कौनसी बात स्पष्ट की?
पाँचवाँ सप्ताह
५. (अ) यीशु ने परमेश्वर का ज़िक्र किस तरह किया? (ब) ऐसा क्यों है कि सिर्फ़ यहोवा को ही सर्वशक्तिमान कहा जाता है?
६. इब्रानी शास्त्रों में यहोवा का ज़िक्र बहुवचन रूप में क्यों किया गया है?
७. हालाँकि परमेश्वर के लिए इब्रानी शब्द बहुवचन में है, यह कैसे दिखाया जा सकता है कि यह सिर्फ़ एक ही व्यक्ति का ज़िक्र कर रहा है?
८. ʼएलो·हिमʹ शब्द का मतलब क्यों त्रियेक की शिक्षा के ख़िलाफ़ तर्क प्रस्तुत करता है?
९. बाइबल “देवता” (एलोहे) और “देवता” (एलोहिम) शब्दों का प्रयोग किस के विषय में करती है?
१०. ऐसा क्यों है कि बाइबल में “देवता” के लिए इब्रानी शब्दों (ऐलोहे और ऐलोहिम) का प्रयोग त्रियेक का समर्थन नहीं करता?
पृष्ठ १४:
१. यीशु कहाँ से आया था, इस के बारे में उसने क्या कहा?
२. अपने मानव-पूर्वी अस्तित्व में यीशु क्या था?
३. बाइबल में यीशु को उसके मानव-पूर्वी अस्तित्व में क्या कहा गया है, और हमें उस शब्द को किस तरह समझना चाहिए?
४. नीतिवचन की बाइबल किताब में “बुद्धि” कौन है, और उसका आरंभ कैसे हुआ?
५. नीतिवचन ८:३० मानव-पूर्वी यीशु के बारे में क्या कहता है, और कुलुस्सियों १:१६ इस भूमिका को किस तरह संपुष्ट करता है?
६. बाइबल में सारी वस्तुओं की सृष्टि में परमेश्वर और यीशु के रिश्ते का ज़िक्र किस तरह किया गया है?
७. उत्पत्ति १:२६ में “हम” और “अपनी” शब्दों का प्रयोग क्यों एक त्रियेक सूचित नहीं करता?
८, ९. यीशु की परीक्षा कैसे दिखाती है कि वह परमेश्वर न था?
पृष्ठ १५:
१, २. वफ़ादारी के विषय में यीशु को एक वरणाधिकार होना क्या प्रमाणित करता है?
छठवाँ सप्ताह
३, ४. आदम के पाप की क्षतिपूर्ति करने के लिए, छुटकारा क्या होना चाहिए?
५. (अ) अगर यीशु ईश्वरत्व का हिस्सा होता, तो छुटकारे के दाम के विषय में इसका क्या मतलब हुआ होगा? (ब) जब वह पृथ्वी पर था, तब यीशु के स्थान से किस तरह सूचित हुआ कि वह परमेश्वर नहीं हो सकता था?
६. यीशु का परमेश्वर का “एकलौता पुत्र” होना, त्रियेक की शिक्षा के ख़िलाफ़ किस तरह तर्क प्रस्तुत करता है?
७. कुछ धार्मिक टीकाकार “एकलौता” शब्द की व्याख्या किस तरह करने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह तर्कहीन क्यों है?
८. यीशु के अतिरिक्त बाइबल और किस के लिए “एकलौता” शब्द प्रयुक्त करती है, और किस भावार्थ से?
पृष्ठ १६:
१, २. “एकलौते” के लिए यूनानी शब्द क्या है, और उसका क्या मतलब है?
३. जब बाइबल परमेश्वर का ज़िक्र यीशु के पिता के तौर से करती है, तब इसका क्या मतलब है?
४. यह अर्थपूर्ण क्यों है कि बाइबल यीशु के लिए “एकलौता” शब्द इस्तेमाल करती है?
५. यीशु के बारे में रोमी सैनिक और दुष्टात्माएँ भी क्या जानते थे?
६. यीशु परमेश्वर क्यों नहीं हो सकता था?
७. यीशु का “बिचवई” होना किस तरह दिखाता है कि वह परमेश्वर नहीं है?
८. परमेश्वर और यीशु के बारे में बाइबल की स्पष्ट शिक्षा क्या है?
सातवाँ सप्ताह
पृष्ठ १६, शीर्षक: “क्या परमेश्वर हमेशा यीशु से प्रवर है?”
१, २. यीशु ने परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते के बारे में स्पष्ट रूप से क्या प्रमाणित किया?
पृष्ठ १७:
१. यीशु ने अपने बारे में क्या कहा जिस से प्रमाणित हुआ कि वह परमेश्वर से अलग था?
२. प्रेरित पौलुस ने किस तरह सूचित किया कि परमेश्वर और यीशु अलग और विशिष्ट थे?
३. चूँकि मूसा की व्यवस्था में किसी बात को सत्यापित करने के लिए दो गवाह आवश्यक थे, यह गवाही देने में यीशु और परमेश्वर के बारे में क्या प्रमाणित करता है?
४. मरकुस १०:१८ में यीशु ने किस तरह दिखाया कि वह ईश्वरत्व का हिस्सा न था?
५. यीशु ने कौनसे बयान दिए जिन से परमेश्वर की उच्चता प्रकट है?
६. यीशु द्वारा दिए एक दृष्टान्त में परमेश्वर के प्रति उसकी आज्ञाकारिता कैसे प्रकट होती है?
७. यीशु के अनुयायियों ने उसका कैसे विचार किया?
पृष्ठ १८:
१. यीशु का बपतिस्मा कैसे दिखाता है कि वह परमेश्वर नहीं था?
२. यहोवा का यीशु को अभिषिक्त करने से क्या सूचित होता है?
३. दो शिष्यों की माँ से बातें करते समय, यीशु ने अपनी पिता की उच्चता कैसे सूचित की?
४. यीशु की प्रार्थनाएँ क्या दिखाती हैं?
५. जब यीशु मरणासन्न था, उसकी पुकार से परमेश्वर की उच्चता कैसे प्रकट हुई?
६. यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान किस तरह उसका परमेश्वर होने के ख़िलाफ़ तर्क प्रस्तुत करता है?
७. यीशु की चमत्कार करने की क्षमता से यह क्यों सूचित नहीं होता कि वह परमेश्वर था?
आठवाँ सप्ताह
पृष्ठ १९:
१. यीशु को क्यों मालूम न था कि यह रीति-व्यवस्था कब समाप्त होगी?
२. इब्रानियों ५:८ किस तरह दिखाता है कि यीशु परमेश्वर नहीं हो सकता है?
३. प्रकाशितवाक्य १:१ किस तरह दिखाता है कि यीशु परमेश्वर नहीं हो सकता है?
४, ५. उसके पुनरुत्थान के बाद यीशु की उन्नति हमें क्या बताती है?
६-८. पुनरुत्थित यीशु के बारे में निम्नलिखित वृत्तांत किन किन तरीक़ों से त्रियेक के ख़िलाफ़ तर्क प्रस्तुत करते हैं? (अ) इब्रानियों ९:२४; (ब) प्रेरितों के काम ७:५५; (क) प्रकाशितवाक्य ४:८ से ५:७ तक।
९, १०. राइलैंडस् के बुलेट्टिन में पुनरुत्थित यीशु के बारे में क्या कहा गया है?
पृष्ठ २०:
१. यीशु कब तक परमेश्वर के अधीन रहेगा?
२. १ कुरिन्थियों ११:३ यीशु के ऊपर परमेश्वर की उच्चता कैसे दिखाता है?
३-५. हाल में किए गए अनुसंधान से विद्वानों की एक बढ़ती हुई संख्या किस निष्कर्ष तक पहुँची है?
नौवाँ सप्ताह
पृष्ठ २०, शीर्षक: “पवित्र आत्मा—परमेश्वर की सक्रिय शक्ति”
१. त्रियेक की शिक्षा में पवित्र आत्मा क्या है, इसके बारे में क्या कहा गया है?
२. बाइबल में, “आत्मा” के लिए कौनसा इब्रानी शब्द और कौनसा यूनानी शब्द सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया गया है?
३, ४. जैसे उत्पत्ति १:२ में ग़ौर किया गया है, बाइबल क्या कहती है, पवित्र आत्मा क्या है?
५. परमेश्वर का आत्मा उसके सेवकों को किस तरह प्रबुद्ध करता है, इसके उदाहरण दें।
६. बाइबल लेखक पवित्र आत्मा से किस तरह प्रभावित किए गए?
७. कौनसा उदाहरण चित्रित करता है कि पवित्र आत्मा एक शक्ति है?
पृष्ठ २१:
१. परमेश्वर अपना आत्मा किन किन तरीक़ों से इस्तेमाल करता है?
२. परमेश्वर का आत्मा अपने सेवकों को क्या दे सकता है?
३. शिमशोन की ताक़त कहाँ से आयी, और क्या वह शक्ति एक व्यक्ति थी?
४. यीशु पर पवित्र आत्मा किस रूप में आया, और इस से वह क्या करने के लिए समर्थ हुआ?
५, ६. पवित्र आत्मा चेलों पर किस रूप में आया, और इस से वे क्या-क्या कर सके?
७. एक धर्मविज्ञानी पवित्र आत्मा का वर्णन करने में बाइबल के वैयक्तिक भाषा के प्रयोग के बारे में क्या कहता है?
८. शास्त्रों में ऐसे कुछ चीज़ों को, जो व्यक्ति नहीं, कैसे मूर्तिमान किया गया है?
पृष्ठ २२:
१. १ यूहन्ना ५:६-८ किस तरह सूचित करता है कि पवित्र आत्मा एक व्यक्ति नहीं?
२. कौनसी सामान्य बाइबल अभिव्यक्तियाँ दिखाती हैं कि पवित्र आत्मा एक व्यक्ति नहीं?
३. हम कैसे व्याख्या दे सकते हैं कि बाइबल कहती है कि पवित्र आत्मा बोलता है?
४. मत्ती २८:१९ का क्या अर्थ है जहाँ लिखा गया है “पवित्रात्मा के नाम में”?
दसवाँ सप्ताह
५. (अ) जब यीशु ने “सहायक” के लिए यूनानी शब्द का प्रयोग किया, उसने पुल्लिंग सर्वनाम का प्रयोग क्यों किया? (ब) “आत्मा” के लिए नपुंसक यूनानी शब्द के संबंध में कौनसा सर्वनाम इस्तेमाल किया गया है?
६. एक कैथोलिक बाइबल में किस तरह स्वीकार किया गया है कि उसका “आत्मा” शब्द के साथ पुल्लिंग पुरुषवाचक सर्वनाम प्रयुक्त करना तर्कसंगत नहीं?
७. यूनानी मूल-पाठ “सहायक” शब्द के साथ पुल्लिंग पुरुषवाचक सर्वनाम क्यों इस्तेमाल करता है?
८-१०. दो कैथोलिक सूत्र पवित्र आत्मा के बारे में क्या कबूल करते हैं?
११, १२. दो कैथोलिक सूत्र पवित्र आत्मा के बारे में बाइबल के दृष्टिकोण का समर्थन कैसे करते हैं?
१३. ईसाईजगत् ने कब घोषित किया कि पवित्र आत्मा एक व्यक्ति है?
पृष्ठ २३:
१. परमेश्वर का पवित्र आत्मा क्या है, और यह क्या नहीं है?
पृष्ठ २३, शीर्षक: “त्रियेक के ‘मत-पोषक पाठों’ का क्या?”
१, २. त्रियेक की शिक्षा के लिए सबूत के तौर से दिए जानेवाले बाइबल पाठों के संबंध में किस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए?
३. एक कैथोलिक विश्वकोश कौनसे तीन “मत-पोषक पाठ” प्रस्तुत करता है?
४. त्रियेक के सबूत के तौर से प्रस्तुत किए गए पाठों में क्या कहा गया है?
५-७. त्रियेक के लिए सबूत के तौर से पेश किए गए पाठ दरअसल क्या प्रमाणित करते हैं, जैसा कि मक्लिंटॉक और स्ट्रॉन्ग के साइक्लोपीडिया में कबूल किया गया है?
८. हालाँकि मत्ती ३:१६ के वृत्तांत में परमेश्वर, यीशु और पवित्र आत्मा का ज़िक्र हुआ है, यह त्रियेक के लिए क्यों कोई सबूत नहीं?
९. हम १ यूहन्ना ५:७ को, जैसा कि कुछेक पुराने बाइबल अनुवादों में पाया गया है, क्यों अस्वीकार कर सकते हैं?
१०. अन्य “मत-पोषक पाठ” त्रियेक का समर्थन क्यों नहीं करते?
ग्यारहवाँ सप्ताह
पृष्ठ २४:
१. स्वयं यीशु ने किस तरह दिखाया कि उसका मतलब दरअसल क्या था जब उसने कहा: “मैं और पिता एक हैं”?
२. पौलुस का “एक” के लिए यूनानी शब्द का प्रयोग किस तरह दिखाता है कि यूहन्ना १०:३० में उसी शब्द का अर्थ विचार और उद्देश्य में एकता है?
३. त्रियेक का समर्थन करने के लिए यूहन्ना १०:३० को इस्तेमाल करने के बारे में जॉन कॅल्विन ने १६वीं सदी में क्या कहा?
४. यूहन्ना अध्याय १० में, यीशु ने कैसे तर्क किया कि वह परमेश्वर न था?
५-७. यूहन्ना ५:१८ में, यहूदियों ने यीशु पर कौनसा आरोप लगाया, और उसने उनका खण्डन कैसे किया?
८. डूए वर्शन और किंग जेम्स वर्शन फिलिप्पियों २:६ का अनुवाद किस तरह करते हैं, और किस उद्देश्य से?
पृष्ठ २५:
१-६. विविध बाइबल अनुवाद फिलिप्पियों २:६ का भाषान्तर किस तरह करके उस अर्थ से एक विपरीत अर्थ दिखाते हैं, जो डूए वर्शन तथा किंग जेम्स वर्शन देना चाहते थे?
७, ८. (अ) फिलिप्पियों २:६ के अधिक यथार्थ अनुवाद से संबंधित कौनसा दावा किया गया है? (ब) फिलिप्पियों २:६ में इस्तेमाल किए गए यूनानी शब्द से इस कल्पना के लिए क्यों कोई गुंजाइश नहीं होती कि यीशु परमेश्वर के बराबर था?
९. जो अनुवाद फिलिप्पियों २:६ का भाषान्तर यह दिखाने के लिए करते हैं, कि यीशु ने परमेश्वर के बराबर होना ग़लत नहीं समझा, वे क्या कर रहे हैं, परन्तु यूनानी मूल-पाठ के एक निष्पक्ष पठन से दरअसल क्या प्रकट होता है?
१०. फिलिप्पियों २:६ के पूर्ववर्ती आयत किस तरह दिखाते हैं कि यीशु परमेश्वर के बराबर होना नहीं चाहता था?
११. फिलिप्पियों २:३-८ वास्तव में किस के बारे में बता रहा है?
बारहवाँ सप्ताह
पृष्ठ २६:
१. त्रित्ववादी त्रियेक का समर्थन करने के लिए यूहन्ना ८:५८ का प्रयोग किस तरह करने की कोशिश करते हैं?
२. निर्गमन ३:१४ (के.जे.) में “मैं हूँ,” इस वाक्यांश का प्रयोग किस तरह किया गया है, और इसका मतलब क्या है?
३. यूहन्ना ८:५८ (जे.बी.) में यीशु “मैं हूँ,” इस अभिव्यक्ति का प्रयोग किस तरह कर रहा था?
४-८. विविध बाइबल यूहन्ना ८:५८ का भाषान्तर कैसे करते हैं?
९. यूहन्ना ८:५८ में यूनानी मूल-पाठ की वास्तविक धारणा क्या है?
१०. यूहन्ना ८:५८ के पूर्ववर्ती आयत किस तरह दिखाते हैं कि यीशु का अर्थ क्या था?
११. किंग जेम्स वर्शन में यूहन्ना १:१ का अनुवाद कैसे किया गया है?
१२. किंग जेम्स वर्शन भी कैसे दिखाता है कि “वचन” स्वयं सर्वशक्तिमान परमेश्वर नहीं हो सकता था, जैसा कि एक कैथोलिक लेखक ने ग़ौर किया?
पृष्ठ २७:
१-१०. विविध बाइबल यूहन्ना १:१ के अवरोक्त हिस्सा का अनुवाद कैसे करते हैं?
११. यूनानी में निश्चयवाचक उपपद का प्रयोग, यूहन्ना १:१ में पहले थी·ऑसʹ के संबंध में क्या दिखाता है?
१२. चूँकि यूहन्ना १:१ के अवरोक्त हिस्से में थी·ऑसʹ शब्द के दूसरे प्रयोग के साथ कोई निश्चयवाचक उपपद नहीं, इस वाक्यांश का शब्दानुवाद क्या होगा?
१३. (अ) कोइने यूनानी मूल-पाठ में दूसरे थी·ऑसʹ के पहले कोई निश्चयवाचक उपपद क्यों नहीं है? (ब) जब विधेयात्मक संज्ञा के पहले निश्चयवाचक उपपद नहीं होता, यह अनिश्चयवाचक कब हो सकता है?
१४. जर्नल ऑफ बिब्लिकल लिट्रेचर यूहन्ना १:१ के अवरोक्त हिस्से के बारे में क्या कहता है?
१५. यूहन्ना १:१ मानव-पूर्वी यीशु के बारे में क्या विशिष्ट करता है?
१६. कभी-कभी अनुवादक यूनानी शास्त्रपदों में अनिश्चयवाचक उपपद (अँग्रेज़ी में) “अ” क्यों सम्मिलित करते हैं?
१७. यूहन्ना १:१ के बारे में दो विद्वानों ने क्या टिप्पणी की?
तेरहवाँ सप्ताह
पृष्ठ २८:
१, २. क्या यूहन्ना १:१ में दूसरे थी·ऑसʹ का भाषान्तर “एक ईश्वर” के रूप में करना यूनानी व्याकरण का कोई नियम भंग करता है?
३, ४. क्या यूहन्ना १:१ के अवरोक्त हिस्से के संदर्भ से थी·ऑसʹ शब्द के पहले एक अनिश्चवाचक उपपद आवश्यक हो जाता है?
५, ६. यीशु को “एक ईश्वर” कहना इस वास्तविकता के प्रतिकूल क्यों नहीं कि सिर्फ़ एक ही परमेश्वर है?
७. यशायाह ९:६ में यीशु के लिए प्रयुक्त “शक्तिमान ईश्वर” शब्द कैसे सूचित करता है कि वह यहोवा परमेश्वर नहीं?
८. राईलैंडस् का बुलेट्टिन परमेश्वर और यीशु के बारे में क्या टिप्पणी करता है?
पृष्ठ २९:
१. थोमा का शायद क्या मतलब रहा होगा जब उसने कहा, “हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर,” जैसा कि यूहन्ना २०:२८ में पाया गया है?
२. यूहन्ना २०:२८ का संदर्भ हमें किस तरह समझने की मदद करता है कि थोमा का यह मतलब न था कि यीशु सर्वशक्तिमान परमेश्वर था?
३. यूहन्ना २०:२८ को स्पष्ट करने के लिए यूहन्ना २०:३१ कैसे मददगार साबित होता है?
४. त्रियेक की शिक्षा के लिए सबूत के तौर से प्रस्तुत किए जानेवाले किसी भी मत-पोषक पाठ के बारे में क्या कहा जा सकता है?
५. क्या एक भी शास्त्रपद है जो त्रियेक की शिक्षा स्पष्ट रूप से सिखाता है?
चौदहवाँ सप्ताह
पृष्ठ ३०, शीर्षक: “परमेश्वर की शर्तों पर उसकी उपासना करें”
१. अनन्त जीवन के लिए किस तरह का ज्ञान अत्यावश्यक है?
२. (अ) परमेश्वर के बारे में सच्चाई के स्रोत की पहचान करें। (ब) सच्चाई जानना हमें किस बात से बचकर रहने की मदद करेगा?
३. अगर हमें परमेश्वर का अनुमोदन चाहिए, तो हमें अपने आप से क्या पूछना चाहिए?
४. त्रियेक की शिक्षा से परमेश्वर का अनादर कैसे होता है?
५. त्रियेक की शिक्षा के परिणामस्वरूप क्या हुआ है?
६. जब लोग परमेश्वर को ‘परिशुद्ध रूप से नहीं पहचानते,’ कौनसे कार्य होने लगते हैं?
७. त्रित्ववादियों ने परमेश्वर का अनादर कैसे किया है?
८. परमेश्वर का शब्द उन लोगों की पहचान किस तरह करता है, जिन के पास सच्चाई है और जिनके पास नहीं?
९. एक डैनी धर्मविज्ञानी ने ईसाईजगत् के बारे में क्या कहा?
१०. ईसाईजगत् की आध्यात्मिक अवस्था का वर्णन कैसे किया जा सकता है?
पृष्ठ ३१:
१. जल्द ही ईसाईजगत् को किस तरह न्यायदंडित किया जाएगा, और क्यों?
२. हमें त्रियेक की शिक्षा क्यों अस्वीकार करनी चाहिए?
३. त्रियेक की शिक्षा से किस के हितों की पूर्ति होती है?
४. परमेश्वर के विषय परिशुद्ध ज्ञान से बड़ा छुटकारा क्यों मिलता है?
५. परमेश्वर का आदर करने के लिए हमारे पास कौनसा अत्यावश्यक कारण है?