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हमारी राज-सेवा—1990
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प्रश्‍न पेटी

● हमें ब्रूकलिन बेथेल, वॉचटावर फाम्स, और संसार भर के सभी शाखा कार्यालयों की भेंट करते वक्‍त हमारे वस्त्र और बनाव-श्रंगार की ओर विशेष ध्यान क्यों देना चाहिए?

मसीहियों से उचित शिष्टाचार बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है। हमारा वस्त्र और बनाव-श्रंगार हर समय उस शालीनता और प्रतिष्ठा को व्यक्‍त करनी चाहिए जो यहोवा परमेश्‍वर के सेवकों के योग्य है। यह विशेष रूप से तब सच है जब ब्रूकलिन बेथेल, वॉचटावर फाम्स, और दुनिया भर के शाखा कार्यालय और अन्य जगहों की भेंट की जाती है। उचित वस्त्र और बनाव-श्रंगार के महत्त्व की चर्चा करते वक्‍त, ऑर्गनाइज़्ड टु अकम्प्लिश अवर मिनिस्ट्री पुस्तक क्षेत्र सेवकाई में भाग लेते वक्‍त और मसीही सभाओं में उपस्थित होते वक्‍त, शारीरिक स्वच्छता और संतुलित वस्त्र और बनाव-श्रंगार की आवश्‍यकता पर टीका करती है। फिर, पृष्ठ १३१, परिच्छेद २ में वह बताती है: “यह बात तब भी लागू होगी जब ब्रूकलिन के बेथेल गृह या सोसायटी के कोई भी अन्य शाखा कार्यालय की भेंट की जाती है। याद कीजिए, बेथेल इस शब्द का अर्थ ‘परमेश्‍वर का घर’ है, और इसलिए हमारा वस्त्र, बनाव-श्रंगार, और आचरण उसके अनुरुप होना चाहिए जो हमसे राज्य हॉल में उपासना के लिए सभाओं में उपस्थित रहने के वक्‍त उम्मीद की जाती है।”

प्रेरित पौलुस ने कहा था कि “हम जगत और स्वर्गदूतों और मनुष्यों के लिये एक तमाशा ठहरे हैं।” (१ कुरि. ४:९) इसलिए, हमारा वस्त्र और बनाव-श्रंगार, दूसरे यहोवा की सच्ची उपासना को किस दृष्टि से देखते हैं, इस सम्बन्ध में, एक सकारात्मक प्रभाव उत्पन्‍न करना चाहिए। किन्तु, यह देखा गया है कि कुछ भाई और बहन, जब सोसायटी के शाखाओं की भेंट करते हैं अपने वस्त्र के पहनावे में अत्याधिक रूप से असावधान बनते हैं। ऐसा वस्त्र शाखा कार्यालयों की भेंट करते समय पहनना उचित नहीं है। इस विषय में, हमारे मसीही जीवन के बाकी सभी पहलुओं की तरह, हम वही उच्चतर स्तर बनाए रखना चाहते हैं जो परमेश्‍वर के लोगों को परमेश्‍वर की महिमा के लिए सभी बातें करने के द्वारा इस संसार के लोगों से अलग दिखाते हैं। (रोमि. १२:२; १ कुरि. १०:३१) यह अच्छा होगा अगर हम हमारे बाइबल विद्यार्थियों को और उन दूसरों को, जो ब्रूकलिन बेथेल या सोसायटी के अन्य शाखा कार्यालयों की भेंट पहली बार कर रहे हैं, उचित वस्त्र और बनाव-श्रंगार की ओर ध्यान देने के महत्त्व पर याद दिलाएं।

इसलिए सोसायटी के कार्य-स्थलों की भेंट करते वक्‍त अपने आप से पूछिए: ‘क्या मेरा वस्त्र और बनाव-श्रंगार संतुलित है? (मीका ६:८) क्या यह उस परमेश्‍वर पर अच्छा प्रभाव होता है जिसकी मैं उपासना करता हूँ? क्या दूसरे मेरे बाहरी पहनावे से विकर्षित या अपमानित होंगे? क्या मैं उन दूसरों के लिए एक अच्छा उदाहरण स्थपित कर रहा हूँ जो शायद पहली बार भेंट कर रहे हैं? तो चलो हम हमेशा हमारे वस्त्र और बनाव-श्रंगार के द्वारा “हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर के उपदेश को शोभा दें।”—तीतुस २:१०.

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