१९९१ के लिए थियोक्रेटिक मिनिस्ट्री स्कूल तालिका
हिदायतें
वर्ष १९९१ के दौरान थियोक्रेटिक मिनिस्ट्री स्कूल का संचालन करने हेतू निम्नलिखित प्रबन्ध होंगे।
पाठ्य पुस्तकें: द न्यू वर्ल्ड ट्रान्सलेशन ऑफ द होली स्क्रीपचर [bi12], “ऑल स्क्रीपचर इज इन्स्पायर्ड ऑफ गॉड एण्ड बेनिफिशियल” [si], यू कॅन लिव फॉरएवर इन पॅरडाइज ऑन अर्थ [pe], बाइबल टॉपिक्स फॉर डिस्कशन [td], और युअर यूथ—गेटिंग द बेस्ट आउट ऑफ इट [yy], पाठ नियुक्तियों के आधार होंगे।
यह स्कूल, गीत, प्रार्थना और स्वागत के शब्दों के साथ आरम्भ होगा एवं निम्न प्रकार से आगे चलेगा:
पाठ नं. १: १५ मिनट। यह एक प्राचीन या योग्य सेवकाई सेवक द्वारा संचालित किया जाना चाहिए। यह “ऑल स्क्रीपचर इज इन्स्पायर्ड ऑफ गॉड एण्ड बेनिफिशियल” पर आधारित होगा। यह १० से १२ मिनट तक हिदायत-पूर्ण भाषण एवं ३ से ५ मिनट तक दिये गये प्रश्नों द्वारा मौखिक पुनर्विचार के तरीके से प्रस्तुत किया जायेगा। इसका उद्देश्य मात्र विषय को पूरा करना ही नहीं बल्कि विषय का व्यवहारिक मूल्य पर ध्यानाकर्षित करते हुए, मण्डली के हित बातों को बताना है। जहाँ आवश्यकता हो वहाँ शीर्षक का चुनाव किया जाना चाहिए। सब को सावधानी से पूर्व तैयारी करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है ताकी इस विषय से पूर्ण लाभ उठायें।
जिन भाइयों को यह पाठ मिलता है उन्हें इसे समय के अन्दर पूरा करने की सावधानी बरतनी चाहिये। आवश्यकता के अनुसार सलाह, व्यक्तिगत रूप से दी जानी चाहिए।
बाइबल पठन से विशेषताएँ: ६ मिनट। यह स्कूल ओवरसियर के द्वारा संचालित किया जाना चाहिए या दूसरे योग्य प्राचीन या स्कूल ओवरसियर से निर्दिष्ट एक सेवकाई सेवक के द्वारा इस पाठ को दिया जाना चाहिए। यह पाठ बाइबल पठन का सिर्फ संक्षिप्त ही नहीं होना चाहिए। श्रोतागणों को उन अध्यायों की संक्षिप्त बातें बताने के बाद, उन्हें यह मूल्यांकन करने में सहायता करें कि क्यों और कैसे ये बातें हमारे लिए मूल्यवान हैं। इस विषय पर और भी विशेषताओं को बताने के लिए वॉचटावर के अंकों को छानबीन करें। इसके बाद स्कूल ओवरसियर द्वारा विद्यार्थी को उनकी विभिन्न क्लासरूम में भेजे जाएंगे।
भाषण नं. २: ५ मिनट। यह एक भाई के द्वारा बाइबल के दिये गये भाग को पढ़ने का पाठ है। यह मुख्य स्कूल के साथ साथ दूसरे दलों में भी लागू होगा। प्रायः यह पाठ संक्षिप्त होता है ताकि विद्यार्थी आरम्भ में और अन्त में संक्षिप्त टीकाओं को कर सके और साथ ही और भी योग्य टीकाओं को बीच में बता सके। ऐतिहासिक पृष्ठाधार, भविष्यद्वाणी रूपी या सैद्धान्तिक महत्व, और सिद्धान्तों का व्यावहारिक उपयोग सम्मिलित किया जा सकता है। पढ़ने के लिए दिये भागों को पूरा पढ़ना चाहिए।
भाषण नं. ३: ५ मिनट। यह भाषण बहनों को दिया जाएगा। यह यू कॅन लिव फॉरेवर इन पॅरेडाइज़ ऑन अर्थ पुस्तक पर आधारित होगा। इस विद्यार्थी को पढ़ना आना चाहिए। भाषण देते समय विद्यार्थी को खड़े या बैठे रहना चाहिए। स्कूल ओवरसियर द्वारा एक बहन को सहायक के रूप में नियुक्त किया जाएगा, परन्तु अतिरिक्त सहायक भी उपयोग में लाए जा सकते हैं। प्रस्तुती, क्षेत्र सेवकाई या आकस्मिक गवाही के रूप में होना अधिक अच्छा होगा। भाषण देनेवाली या उसका सहायक भाषण को प्रारम्भ करने में पहल कर सकती है। दृश्य पर नहीं परन्तु विषय पर प्राथमिक ध्यान देना चाहिये। विद्यार्थी को दिये गये विषय का उपयोग करना चाहिये।
भाषण नं. ४: ५ मिनट। एक भाई या बहन को दिया जाता है। इस भाषण के विषय बाइबल टॉपिक्स फॉर डिस्कशन और यूथ पुस्तक से लिया जाएगा, जिस में यूथ पुस्तक के भाषण मुख्यतः जवान या नए विद्यार्थियों को दिया जाएगा। नियुक्त भाई को पढ़ना आना चाहिए। जब एक भाई को दिया जाता है, तो भाषण सारे श्रोतागणों के लिए होना चाहिए। राज्य सभागृह के श्रोतागणों को मन में रखते हुए उस भाई को अपने भाषण को तैयार करना उचित होगा, ताकि यह सुननेवालों के लिए वास्तव में सूचनापूर्ण और लाभदायक होगा। लेकिन, यदि विषय दूसरे एक व्यावहारिक और योग्य श्रोतागण के अनुसार हो, तो भाषण देनेवाला भाई उस रीति से भाषण को दे सकता है। विद्यार्थी को दिये गये विषय का उपयोग करना चाहिए
जब एक बहन को यह भाषण दिया जाता है, तो वह भाषण नं. ३ में दी गयी रूपरेखा के अनुसार होना चाहिए।
सलाह और टीकाएँ: प्रत्येक विद्यार्थी के भाषण के पश्चात, स्कूल ओवरसियर विशेष रूप से सलाह देगा, परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि स्पीच काउन्सिल स्लिप के क्रमानुसार ही सलाह दी जाए। परन्तु सलाह को उस क्षेत्रों में केंद्रित करना चाहिए जहाँ पर विद्यार्थी को उन्नति करने की आवश्यकता है। यदि विद्यार्थी-वक्ता पूर्ण रूप से “G” को प्राप्त करता है और उसके स्पीच क्वालीटी में कहीं भी “I” या “W” चिन्ह नहीं मिला, तब जहाँ पर “G”, “I”, या “W” लिखना चाहिए, उस चौकट को सलाहकार को गोलाई चिन्ह कर देना चाहिए, जिस स्पीच क्वालीटी पर आगामी समय पर विद्यार्थी को काम करना है। विद्यार्थी को सलाहकार उसी शाम को यह बतायेगा और साथ साथ उस स्पीच ख़लीटी को विद्यार्थी के आगामी थियोक्रेटिक मिनिस्ट्री स्कूल असाइन्मेंट स्लिप (S-89) पर दिखायेगा। भाषण देनेवाले विद्यार्थियों को सभागृह में सामनेवाली सीटों में बैठना चाहिए। यह समय की बचत करेगा और स्कूल ओवरसियर को प्रत्येक विद्यार्थी को आमने सामने सलाह देने के लिए सुविधा होगी। मौखिक सलाह के बाद यदि समय है तो विद्यार्थी जिन सूचनादायक और व्यावहारिक बातों को नहीं बताया उसे सलाहकार बता सकते हैं। इस बात पर स्कूल ओवरसियर को सावधान रहना चाहिए कि, प्रत्येक विद्यार्थी के भाषण के बाद, सलाह और टीका करने के लिए दो मिनट से अधिक समय प्रयोग न करें। अगर बाइबल पठन से विशेषताओं में से कुछ उपयोगी विषय छुट गया हो तो व्यक्तिगत सलाह दे सकते हैं।
भाषणों की तैयारी: जिन भाइयों पाठ नं. १ को देते हैं उन्हें आवश्यकता के अनुसार विषय को चुनना चाहिए। विद्यार्थियों जिन्हें भाषण नं. २ दिया जाता है, उन्हें ऐसा एक विषय चुनना चाहिए, जो साहित्य को उत्तम रीति से अन्तर्ग्रस्त करेगा। जिन विद्यार्थियों को भाषण नं. ३ और भाषण नं. ४ दिया गया है, उन्हें दिये गये विषय का प्रयोग करना चाहिए। भाषण देने के पहले जिस स्पीच क्वालीटी में विद्यार्थियों को काम करना है, उसके बारे में स्कूल गाइडबुक में दिये गये सम्बन्धित साहित्य को पढ़े।
समय: कोई भी भाषण समय से अधिक नहीं होना चाहिए। न कि सलाहकार की सलाह और टीका भी समय से अधिक हो। भाषण नं. २ से भाषण नं. ४ तक अगर भाषण समय से अधिक हो तो सावधानीपूर्वक रोक देना चाहिए। जिस भाई को भाषण रोकने का काम मिला है उसे “रोकने का चिन्ह” ठीक समय पर देना चाहिए। जो भाई पाठ नं. १ को दे रहा है, और भाषण समय से आगे बढ़ गया है, तो उसे व्यक्तिगत रूप से सलाह देना चाहिए। सब अपने समय पर सावधानी पूर्वक ध्यान दें। प्रोग्राम कुल मिलाकर: ४५ मिनट है, गीत और प्रार्थना छोड़कर।
लिखित पुनर्विचार: नियत काल के दौरान में लिखित पुनर्विचार दिया जाएगा। तैयारी में, जितना साहित्य सूची में दिया है और बाइबल पठन है, सब को दोहराना होगा। जनवरी, मई, और सितम्बर के हमारी राज्य सेवा के अंकों में दिए प्रश्नों की जाँच करें, लेकिन प्रश्न पत्र पर पुनर्विचार से पहले कुछ न लिखें। २५ मिनट के इस पुनर्विचार में सिर्फ बाइबल प्रयोग की जाएगी। बाकी का समय सवाल जवाब में लगाया जाएगा। प्रत्येक विद्यार्थी अपने अपने कागज़ की जाँच करेगा। स्कूल ओवरसियर सब जवाबों को पढ़ेगा और कठिन प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करेगा और उनके जवाबों को स्पष्ट रूप से समझने के लिए सहायता करेगा। यदि, कुछ कारण के वजह से, स्थानीय परिस्थिति ऐसी आवश्यकता बनाती है, तब लिखित पुनर्विचार एक सप्ताह के बाद प्रयोग किया जा सकता है।
बड़ी और छोटी मंडलियाँ: जिन मंडलियों में ५० या उससे अधिक विद्यार्थी हैं, वहाँ पर विद्यार्थियों के अतिरिक्त दल बनाये जा सकते हैं, ताकि विद्यार्थी सूची के अनुसार अपना भाषण दूसरे सलाहकार के सामने दे सके। वे लोग जो अब तक अपने जीवन को समर्पण नहीं किये हैं, परन्तु अपने जीवन को मसीही सिद्धान्तों के अनुसार बिता रहे हैं, वे इस स्कूल में भाग ले सकते हैं और पाठ को प्राप्त कर सकते हैं।
अनुपस्थिति: मंडली के प्रत्येक व्यक्ति इस स्कूल में प्रत्येक सप्ताह उपस्थित होने से, अपने पाठों को तैयार करने के द्वारा, और सवाल जवाब में भाग लेने के द्वारा, मूल्यांकन को दिखा सकते हैं। यह आशा की जाती है कि प्रत्येक विद्यार्थी अपने पाठों के प्रति सचेत रहें। यदि विद्यार्थी अपने पाठ को करने के लिए उपस्थित नहीं है, तो स्वयंसेवक के रूपमें किसी को भी यह पाठ करने के लिए दिया जा सकता है, और वह इस कम समय की सूचना के कारण जैसा योग्य समझता है उस तरीके से भाषण दे सकता है। अथवा स्कूल ओवरसियर श्रोतागणों के साथ उचित सवाल जवाब करते हुए विषय को पूरा कर सकता है।
सूची
मार्च ४ बाइबल पठन: कुलुस्सियों १ से ४
गीत १७३ (४५)
नं. १: प्रकाशितवाक्य की प्रस्तावना (si पृष्ठ २६१-२ परि. १-७)
नं. २: कुलुस्सियों ३:१२-२५
नं. ३: क्या आपको ईस्टर या मनुष्यों का आदर करनेवाली छुट्टियाँ मनाना चाहिए? (pe अध्याय २५ परि. १६, १७)
नं. ४: यीशु के छुड़ौती बलिदान के द्वारा उद्धार परमेश्वर से आता है (td ५१बी)
मार्च ११ बाइबल पठन: १ थिस्सलुनीकियों १ से ५
गीत २१२ (११०)
नं. १: प्रकाशितवाक्य १:१ से ३:२२ (si पृष्ठ २६२ परि. ८-११)
नं. २: १ थिस्सलुनीकियों ४:१-१२
नं. ३: मसीही वस्तुओं को श्रद्धास्पद आदर क्यों नहीं देते? (pe अध्याय २५ परि. १८, १९)
नं. ४: आज और कल के लिए जीना (yy अध्याय १)
मार्च १८ बाइबल पठन: २ थिस्सलुनीकियों १ से ३
गीत १३२ (७०)
नं. १: प्रकाशितवाक्य ४:१ से ८:२ (si पृष्ठ २६३ परि. १२-१६)
नं. २: २ थिस्सलुनीकियों ३:१-१२
नं. ३: किस प्रकार का आचरण एक व्यक्ति को शैतान के पक्ष में दिखाता है? (pe अध्याय २५ परि. २०, २१.)
नं. ४: “नये सिरे से जन्म” लेने का अर्थ एक आत्मा के रूप में जीवन की प्रत्याशा (td ५१सी)
मार्च २५ बाइबल पठन: १ तीमुथियुस १ से ३
गीत १८८ (७७)
नं. १: प्रकाशितवाक्य ८:३ से १३:१८ (si पृष्ठ २६३-४ परि. १७-२१)
नं. २: १ तीमुथियुस ३:१-१३
नं. ३: क्यों न रक्त आधान का उपयोग करें? (pe अध्याय २५ परि. २२, २३.)
नं. ४: हमारी पृथ्वी की एक जाँच हमें क्या बताती है? (yy अध्याय २ परि. १-१७)
अप्रैल १ बाइबल पठन: १ तीमुथियुस ४ से ६
गीत ३९ (१६)
नं. १: प्रकाशितवाक्य १४:१ से १६:२१ (si पृष्ठ २६४ परि. २२, २३)
नं. २: १ तीमुथियुस ६:१-१२
नं. ३: सही कार्य करने के लिए हममें एक संघर्ष क्यों होता है? (pe अध्याय २६ परि. १-३)
नं. ४: “एक बार बचाया गया तो हमेशा के लिए बचाया गया” सिद्धान्त शास्त्रीय नहीं है (td ५१डी)
अपैल ८ बाइबल पठन: २ तीमुथियुस १ से ४
गीत १६२ (८९)
नं. १: प्रकाशितवाक्य १७:१ से २०:१५ (si पृष्ठ २६४ परि. २४, २५)
नं. २: २ तीमुथियुस २:१४-२६
नं. ३: सही कार्य करने के लिए क्या ज़रूरी है? (pe अध्याय २६ परि. ४, ५)
नं. ४: अपने आप पर एक दृष्टि क्यों आत्मविश्वास प्रदान कर सकती है (yy अध्याय २ परि. १८-२८)
अपैल १५ बाइबल पठन: तीतुस १ से ३ और फिलेमोन
गीत ११९ (१११)
नं. १: प्रकाशितवाक्य २१:१ से २२:२१ (si पृष्ठ २६५ परि. २६-२८)
नं. २: तीतुस २:१-१५
नं. ३: परमेश्वर के साथ एक निकट सम्बन्ध क्यों इतना महत्त्वपूर्ण है? (pe अध्याय २६ परि. ६-८)
नं. ४: “सार्वभौम उद्धार” शास्त्रीय नहीं है (td ५१ई)
अपैल २२ बाइबल पठन: इब्रानियों १ से ३
गीत १०५ (४६)
नं. १: प्रतिज्ञात देश की एक भेंट—भाग १ (si पृष्ठ २६९-७० परि. १-७)
नं. २: इब्रानियों २:१-१३
नं. ३: दूसरों की गलतियों से सीखो! (pe अध्याय २६ परि. ९-१२)
नं. ४: हमारे शरीरों के लिए कौन श्रेय के योग्य है? (yy अध्याय ३ परि. १-६)
अपैल २९ बाइबल पठन: इब्रानियों ४ से ७
गीत १२३ (६३)
नं. १: प्रतिज्ञात देश की एक भेंट—भाग २ (si पृष्ठ २७०-१ परि. ८-१५)
नं. २: इब्रानियों ५:१-१४
नं. ३: परमेश्वर की सहायता से कौनसे परिवर्तन किए जा सकते हैं? (pe अध्याय २६ परि. १३, १४)
नं. ४: परमेश्वर का वचन सही विज्ञान से सहमत होता है (td ५२ए)
मई ६ बाइबल पठन: इब्रानियों ८ से १०
गीत १४४ (७८)
नं. १: प्रतिज्ञात देश की एक भेंट—भाग ३ (si पृष्ठ २७४-५ परि. १६-२४)
नं. २: इब्रानियों १०:१९-३१
नं. ३: परिवर्तन करने के संघर्ष में विजय कैसे प्राप्त किया जा सकता है (pe अध्याय २६ परि. १५, १६)
नं. ४: लैंगिक विकास और ज़िम्मेदारी (yy अध्याय ३ परि. ७-२०)
मई १३ बाइबल पठन: इब्रानियों ११ से १३
गीत २०६ (११९)
नं. १: प्रतिज्ञात देश की एक भेंट—भाग ४ (si पृष्ठ २७५-७ परि. २५-३२)
नं. २: इब्रानियों १३:७-१९
नं. ३: इस संघर्ष में विजय प्राप्त करने के लिए आशा हमारी मदद कैसे कर सकती है? (pe अध्याय २६ परि. १७-१९)
नं. ४: विज्ञान मानव जाति की रक्षा नहीं कर सकता (td ५२बी)
मई २० बाइबल पठन: याकूब १ से ५
गीत ८८ (४२)
नं. १: वक्त और पवित्र शास्त्र—भाग १ (si पृष्ठ २७७-८ परि. १-८)
नं. २: याकूब ४:१-१२
नं. ३: प्रार्थना महत्त्वपूर्ण क्यों है? (pe अध्याय २७ परि. १, २)
नं. ४: एक “द्वार” के समान या एक “दीवार” के समान? (yy अध्याय ४ परि. १-१४)
मई २७ बाइबल पठन: १ पतरस १ से ५
गीत १८ (४९)
नं. १: वक्त और पवित्र शास्त्र—भाग २ (si पृष्ठ २७८-९ परि. ९-१७)
नं. २: १ पतरस ३:१-१२
नं. ३: परमेश्वर के साथ हम एक अच्छा सम्बन्ध कैसे बनाए रख सकते हैं? (pe अध्याय २७ परि. ३-५)
नं. ४: पाप सचमुच क्या है (td ५३ए)
जून ३ बाइबल पठन: २ पतरस १ से ३
गीत १७७ (७५)
नं. १: वक्त और पवित्र शास्त्र—भाग ३ (si पृष्ठ २८०-१ परि. १८-२७)
नं. २: २ पतरस १:१-११
नं. ३: हमारी प्रार्थनाओं की सुनवाई के लिए हमें क्या ज़रूरी है? (pe अध्याय २७ परि. ६, ७)
नं. ४: शारीरिक रूप और भावनात्मक संतुलन (yy अध्याय ४ परि. १५-२१)
जून १० बाइबल पठन: १ यूहन्ना १ से ५
गीत ५० (२३)
नं. १: वक्त और पवित्र शास्त्र—भाग ४ (si पृष्ठ २८१-३ परि. २८-३४)
नं. २: १ यूहन्ना ४:७-१९
नं. ३: प्रार्थना के सम्बन्ध में परमेश्वर की अपेक्षाओं को पूर्ण करना (pe अध्याय २७ परि. ८, ९)
नं. ४: हम सब आदम के पाप के कारण क्यों दुःख उठाते हैं (td ५३बी)
जून १७ बाइबल पठन: २ यूहन्ना, ३ यूहन्ना, यहूदा
गीत २२ (७०)
नं. १: समय की धारा में घटनाओं का नापना—भाग १ (si पृष्ठ २८३-४ परि. १-७)
नं. २: यहूदा ३-१५
नं. ३: हमारी प्रार्थनाओं की सुनवाई की प्राथमिक आवश्यकता (pe अध्याय २७ परि. १०, ११)
नं. ४: नैतिक रूप से साफ़ रहना (yy अध्याय ५)
जून २४ लिखित पुनर्विचार सम्पूर्ण कुलस्सियों १ से यहूदा तक
गीत ५९ (३१)
जुलाई १ बाइबल पठन: प्रकाशितवाक्य १ से ३
गीत १६१ (८७)
नं. १: समय की धारा में घटनाओं का नापना—भाग २. (si पृष्ठ २८४-६ परि. ८-१५)
नं. २: प्रकाशितवाक्य २:१-११
नं. ३: प्रार्थना के लिए क्या क्या विषय हैं? (pe अध्याय २७ परि. १२, १३)
नं. ४: वर्जित फल अवज्ञाकारिता था, न कि लैंगिक कार्य (td ५३सी)
जुलाई ८ बाइबल पठन: प्रकाशितवाक्य ४ से ६
गीत ९७ (५०)
नं. १: समय की धारा में घटनाओं का नापना—भाग ३ (si पृष्ठ २८९-९१ परि. १६-२३)
नं. २: प्रकाशितवाक्य ६:१-११
नं. ३: दूसरों के लिए प्रार्थना क्यों करनी चाहिए? (pe अध्याय २७ परि. १४-१६)
नं. ४: अपने शरीर की देखभाल क्यों करनी है और कैसे? (yy अध्याय ६ परि. १-८)
जुलाई १५ बाइबल पठन: प्रकाशितवाक्य ७ से ९
गीत १२७ (६४)
नं. १: समय की धारा में घटनाओं का नापना—भाग ४ (si पृष्ठ २९१-२ परि. २४-३०)
नं. २: प्रकाशितवाक्य ७:१-४, ९-१७
नं. ३: मसीह के सच्चे शिष्यों को क्या चिन्हित करता है? (pe अध्याय २८ परि. १-३)
नं. ४: यहोवा परमेश्वर ने पाप को पूर्वनिर्दिष्ट नहीं किया (td ५३डी)
जुलै २२ बाइबल पठन: प्रकाशितवाक्य १० से १२
गीत २६ (९)
नं. १: बाइबल और उसकी प्रामाणिक कृतियाँ—भाग १ (si पृष्ठ २९८ परि. १-६)
नं. २: प्रकाशितवाक्य १२:५-१७
नं. ३: हमें किनको प्रेम दिखाना चाहिए? (pe अध्याय २८ परि. ४, ५)
नं. ४: स्वच्छता और उचित विश्राम का मूल्य (yy अध्याय ६ परि. ९-१८)
जुलाई २९ बाइबल पठन: प्रकाशितवाक्य १३ से १५
गीत ६ (४)
नं. १: बाइबल और उसकी प्राथमिक कृतियाँ—भाग २ (si पृष्ठ २९९-३०० परि. ७-१६)
नं. २: प्रकाशितवाक्य १४:१-१३
नं. ३: मसीहियों के बीच भी समस्याएँ क्यों उत्पन्न हो सकती हैं? (pe अध्याय २८ परि. ६, ७)
नं. ४: एक पादरी के सामने पाप स्वीकरण क्षमा पाने का मार्ग नहीं है (td ५३ई)
अगस्त ५ बाइबल पठन: प्रकाशितवाक्य १६ से १८
गीत १४५ (११५)
नं. १: बाइबल और उसकी प्राथमिक कृतियाँ—भाग ३ (si पृष्ठ ३०१-३ परि. १७-२६)
नं. २: प्रकाशितवाक्य १८:१-१०, २०, २१
नं. ३: प्रेरितों ने भी कई समयों पर कैसी समस्याओं का अनुभव किया? (pe अध्याय २८ परि. ८, ९)
नं. ४: आपके वस्त्र और रूप आपके बारे में क्या कहते हैं (yy अध्याय ७ परि. १-११)
अगस्त १२ बाइबल पठन: प्रकाशितवाक्य १९ से २२
गीत १८४ (१५)
नं. १: पवित्र शास्त्र का इब्रानी मूलपाठ—भाग १ (si पृष्ठ ३०४-५ परि. १-९)
नं. २: प्रकाशितवाक्य २१:१-१४
नं. ३: प्रेरितों ने अपनी समस्याओं का हल कैसे किया? (pe अध्याय २८ परि. १०, ११)
नं. ४: पवित्र आत्मा के विरुद्ध का पाप क्या है (td ५३एफ)
अगस्त १९ बाइबल पठन: उत्पत्ति १ से ३
गीत ५६ (३३)
नं. १: पवित्र शास्त्र का इब्रानी मूलपाठ—भाग २ (si पृष्ठ ३०६-७ परि. १०-१६)
नं. २: उत्पत्ति ३:६-१९
नं. ३: क्षमा करने के विषय में परमेश्वर ने जो उदाहरण स्थापित किया है उसका अनुकरण करो (pe अध्याय २८ परि. १२, १३)
नं. ४: केश-बनावट, प्रसाधन, और सही मार्गदर्शन (yy अध्याय ७ परि. १२-२२)
अगस्त २६ बाइबल पठन: उत्पत्ति ४ से ६
गीत ६२ (३४)
नं. १: पवित्र शास्त्र का इब्रानी मूलपाठ—भाग ३ (si पृष्ठ ३०७, ३१०-११ परि. १७-२५)
नं. २: उत्पत्ति ६:१-१२
नं. ३: हमें दयालु क्यों होना है? (pe अध्याय २८ परि. १४, १५)
नं. ४: आत्मा क्या है (td ५४ए)
सितम्बर २ बाइबल पठन: उत्पत्ति ७ से ९
गीत २०० (१०८)
नं. १: पवित्र शास्त्र का इब्रानी मूलपाठ—भाग ४ (si पृष्ठ ३११-१२ परि. २६-३१)
नं. २: उत्पत्ति ९:१-११
नं. ३: हमें समस्याओं का हल कैसे करना चाहिए? (pe अध्याय २८ परि. १६, १७)
नं. ४: कौन अच्छे दोस्त बनते हैं? (yy अध्याय ८ परि. १-८)
सितम्बर ९ बाइबल पठन: उत्पत्ति १० से १२
गीत ६६ (३७)
नं. १: पवित्र शास्त्र का मसीही यूनानी मूलपाठ—भाग १ (si पृष्ठ ३१४-१५ परि. १-७)
नं. २: उत्पत्ति ११:३१-१२:१३
नं. ३: परमेश्वर के कौनसे उदाहरण का अनुकरण हमें करना चाहिए? (pe अध्याय २८ परि. १८, १९)
नं. ४: प्राण और आत्मा के बीच क्या फ़रक है? (td ५४बी)
सितम्बर १६ बाइबल पठन: उत्पत्ति १३ से १५
गीत १०६ (५५)
नं. १: पवित्र शास्त्र का मसीही यूनानी मूलपाठ—भाग २ (si पृष्ठ ३१५-१६ परि. ८-१६)
नं. २: उत्पत्ति १३:५-१८
नं. ३: पारिवारिक असफलताओं के लिए परमेश्वर ज़िम्मेदार क्यों नहीं है (pe अध्याय २९ परि. १-३)
नं. ४: योग्य मित्रों को चुनना (yy अध्याय ८ परि. ९-१९)
सितम्बर २३ बाइबल पठन: उत्पत्ति १६ से १९
गीत ११७ (९०)
नं. १: पवित्र शास्त्र का मसीही यूनानी मूलपाठ—भाग ३ (si पृष्ठ ३१६-१७ परि. १७-२५)
नं. २: उत्पत्ति १७:१-१४
नं. ३: विवाह सफल बनने के लिए क्या स्वीकार किया जाना चाहिए? (pe अध्याय २९ परि. ४, ५)
नं. ४: पवित्र आत्मा क्या है? (td ५५ए)
सितम्बर ३० बाइबल पठन: उत्पत्ति २० से २३
गीत ६४ (३५)
नं. १: पवित्र शास्त्र और यूनानी मूलपाठ—भाग ४ (si पृष्ठ ३१८-१९ परि. २६-३२)
नं. २: उत्पत्ति २२:९-१९
नं. ३: परिवार का प्रधान किसे बनाया गया था और क्यों? (pe अध्याय २९ परि. ६, ७)
नं. ४: सब से महत्त्वपूर्ण मित्रों को प्राप्त करना (yy अध्याय ८ परि. २०-२३)
अक्तूबर ७ बाइबल पठन: उत्पत्ति २४ और २५
गीत २०५ (११८)
नं. १: आधुनिक कालों में बाइबल—भाग १ (si पृष्ठ ३१९-२० परि. १-८)
नं. २: उत्पत्ति २५:१९-३४
नं. ३: पतियों के लिए मसीह ने किन तरीकों से एक उदाहरण स्थपित किया? (pe अध्याय २९ परि. ८, ९)
नं. ४: वह जीवन-शक्ति जिसका नाम आत्मा है, क्या है? (td ५५बी)
अक्तूबर १४ बाइबल पठन: उत्पत्ति २६ से २८
गीत २१३ (९९)
नं. १: आधुनिक कालों में बाइबल—भाग२ (si पृष्ठ ३२०, ३२२-३ परि. ९-१५)
नं. २: उत्पत्ति २८:१०-२२
नं. ३: पत्नी की शास्त्रीय भूमिका क्या है? (pe अध्याय २९ परि. १०, ११)
नं. ४: घर में कुछ ऊब क्यों जाते हैं? (yy अध्याय ९ परि. १-९)
अक्तूबर २१ लिखित पुनर्विचार: प्रकाशितवाक्य १ से उत्पत्ति २८ तक
गीत ११४ (६१)
अक्तूबर २८ बाइबल पठन: उत्पत्ति २९ से ३१
गीत ८२ (६६)
नं. १: आधुनिक कालों में बाइबल—भाग ३ (si पृष्ठ ३२३-५ परि. १६-२६)
नं. २: उत्पत्ति २९:९-२९
नं. ३: परिवार के लिए एक पत्नी कैसे लाभ पहुँचा सकती है? (pe अध्याय २९ परि. १२, १३)
नं. ४: दुष्टात्माओं के कार्य के रूप में प्रोतात्मावाद से दूर रहना चाहिए (td ५५सी)
नवम्बर ४ बाइबल पठन: उत्पत्ति ३२ से ३५
गीत १८३ (७३)
नं. १: आधुनिक कालों में बाइबल—भाग ४ (si पृष्ठ ३२५-६ परि. २७-३२)
नं. २: उत्पत्ति ३४:१-७, २५-३१
नं. ३: परिवार में बच्चों का क्या स्थान होना चाहिए? (pe अध्याय २९ परि. १४, १५)
नं. ४: घर में ऊब जाने से आप बच कैसे सकते हैं? (yy अध्याय ९ परि. १०-१८)
नवम्बर ११ बाइबल पठन: उत्पत्ति ३६ से ३८
गीत ११५ (१५)
नं. १: न्यू वल्ड ट्रान्सलेशन के फायदे—भाग १ (si पृष्ठ ३२६-७ परि. १-६)
नं. २: उत्पत्ति ३७:५-११, २५-२८
नं. ३: पति और पत्नी को किन आदेशों का पालन करना चाहिए? (pe अध्याय २९ परि. १६, १७)
नं. ४: अन्धविश्वास का स्रोत शैतान और उसके दुष्ट दूत हैं (td ५६ए)
नवम्बर १८ बाइबल पठन: उत्पत्ति ३९ से ४१
गीत ३८ (६५)
नं. १: न्यू वल्ड ट्रान्सलेशन के फायदे—भाग २ (si पृष्ठ ३२७-८ परि. ७-१०)
नं. २: उत्पत्ति ३९:७-१०, १७-२३
नं. ३: पति पत्नी को एक दूसरे के साथ वफ़ादार क्यों रहना चाहिए? (pe अध्याय २९ परि. १८, १९)
नं. ४: आपको माता-पिता का आज्ञा पालन क्यों करना चाहिए? (yy अध्याय १० परि. १-१२)
नवम्बर २५ बाइबल पठन: उत्पत्ति ४२ से ४४
गीत १६४ (८१)
नं. १: न्यू वल्ड ट्रान्सलेशन के फायदे—भाग ३ (si पृष्ठ ३२८-९ परि. ११-१८)
नं. २: उत्पत्ति ४४:१८-३४
नं. ३: माता-पिताओं के पास दुगुनी ज़िम्मेदारियाँ क्या हैं? (pe अध्याय २९ परि. २०, २१)
नं. ४: मसीहियों को सभी प्रकार के प्रेतात्मावाद से दूर रहना चाहिए (td ५६बी)
दिसम्बर २ बाइबल पठन: उत्पत्ति ४५ से ४७
गीत २२१ (५१)
नं. १: न्यू वल्ड ट्रान्सलेशन के फायदे—भाग ४ (si पृष्ठ ३३० परि. १९-२३)
नं. २: उत्पत्ति ४५:१-१३
नं. ३: बच्चों को कौनसे आदेश का पालन करना चाहिए? (pe अध्याय २९ परि. २२)
नं. ४: अपने माता-पिता का आज्ञा पालन करना लाभदायक है (yy अध्याय १० परि. १३-१७)
दिसम्बर ९ बाइबल पठन: उत्पत्ति ४८ से ५०
गीत १८० (१००)
नं. १: पुरातत्वविज्ञान और प्रेरित अभिलेख—भाग १ (si पृष्ठ ३३१ परि. १-५)
नं. २: उत्पत्ति ४९:१-१२
नं. ३: एक परिवार को बाइबल का अध्ययन साथ में क्यों करना है? (pe अध्याय २९ परि. २३)
नं. ४: आधुनिक अनुवादों में भी परमेश्वर का वही संदेश है (td ५७ए)
दिसम्बर १६ बाइबल पठन: निर्गमन १ से ४
गीत ६८ (१४)
नं. १: पुरातत्वविज्ञान और प्रेरित अभिलेख—भाग २ (si पृष्ठ ३३२-४ परि. ६-१२)
नं. २: निर्गमन ३:६-१०, १३-१७
नं. ३: पति पत्नी को एक दूसरे की कमियों पर किस दृष्टि से देखना चाहिए? (pe अध्याय २९ परि. २४, २५)
नं. ४: स्कूल में पढ़ाई करने के लाभ (yy अध्याय ११ परि. १-१८)
दिसम्बर २३ बाइबल पठन: निर्गमन ५ से ८
गीत ८६ (४५)
नं. १: पुरातत्वविज्ञान और प्रेरित अभिलेख—भाग ३ (si पृष्ठ ३३४-६ परि. १३-२०)
नं. २: निर्गमन ६:१-१३
नं. ३: कौनसी बाइबल सलाह का पालन पति पत्नी को अपनी समस्याओं का हल करने में मदद देगी? (pe अध्याय २९ परि. २६, २७)
नं. ४: न्यू वल्ड ट्रान्सलेशन बाइबल की समझ बढ़ाती है (td ५७बी)
दिसम्बर ३० बाइबल पठन: निर्गमन ९ से १२
गीत १५९ (६७)
नं. १: पुरातत्वविज्ञान और प्रेरित अभिलेख—भाग ४ (si पृष्ठ ३३६-७ परि. २१-२७)
नं. २: निर्गमन १२:१-१३
नं. ३: तलाक पर बाइबल का क्या दृष्टिकोण है? (pe अध्याय २९ परि. २८, २९)
नं. ४: आपने जो शुरु की है उसे खत्म करने की क्या आवश्यकता है? (yy अध्याय १२ परि. १-१२)
जनवरी ६ बाइबल पठन: निर्गमन १३ से १६
गीत १७१ (५९)
नं. १: बाइबल—प्रामाणिक और सत्य—भाग १ (si पृष्ठ ३३७-८ परि. १-८)
नं. २: निर्गमन १४:१९-३१
नं. ३: माता-पिता बच्चों के साथ सोच-विचार कैसे कर सकते हैं? (pe अध्याय २९ परि. ३०-३३)
नं. ४: पिता, परमेश्वर, विश्व में सबसे बड़े हैं (td ५८ए)
जनवरी १३ बाइबल पठन: निर्गमन १७ से २०
गीत १३९ (७४)
नं. १: बाइबल—प्रामाणिक और सत्य—भाग २ (si पृष्ठ ३३९ परि. ९-१३)
नं. २: निर्गमन २०:१-१७
नं. ३: जीवन की राह मे चलने के लिए कौनसे बुनियादी कदमों का लेना ज़रूरी है? (pe अध्याय ३० परि. १-३)
नं. ४: उनका अनुकरण करो जिन्होंने उस कार्य को खत्म किया जिनकी उन्होंने शुरुआत की थी (yy अध्याय १२ परि. १३-१६)
जनवरी २० बाइबल पठन: निर्गमन २१ से २४
गीत ९५ (५२)
नं. १: बाइबल—प्रामाणिक और सत्य—भाग ३ (si पृष्ठ ३४० परि. १४, १५)
नं. २: निर्गमन २४:१-११
नं. ३: परमेश्वर की भलाई की क़दर हमें क्या करने के लिए प्रेरित करेगा? (pe अध्याय ३० परि. ४, ५)
नं. ४: पृथ्वी पर आने से पहले और उसके बाद पुत्र पिता से निम्न था (td ५८बी)
जनवरी २७ बाइबल पठन: निर्गमन २५ से २८
गीत १३ (७७)
नं. १: बाइबल—प्रामाणिक और सत्य—भाग ४ (si पृष्ठ ३४०-१ परि. १६-२०)
नं. २: निर्गमन २५:१-१६
नं. ३: समर्पण एक व्यक्ति से किसके अनुकरण में कौनसे कदम लेने की अपेक्षा रखता है? (pe अध्याय ३० परि. ६-८)
नं. ४: हमें शिक्षा की क्यों ज़रूरत है (yy अध्याय १३ परि. १-६)
फरवरी ३ बाइबल पठन: निर्गमन २९ से ३२
गीत १४३ (७६)
नं. १: बाइबल—प्रामाणिक और सत्य—भाग ५ (si पृष्ठ ३४१-२ परि. २१-२५)
नं. २: निर्गमन ३२:१९, २०, २५-३५
नं. ३: समर्पण एक व्यक्ति को किस कार्य में भाग लेने के लिए बाध्य करता है? (pe अध्याय ३० परि. ९, १०)
नं. ४: यीशु जब पृथ्वी पर था एक मानव था, एक दैवी आत्मा नहीं (td ५८सी)
फरवरी १० बाइबल पठन: निगून ३३ से ३६
गीत १४४ (७८)
नं. १: प्रेरित शास्त्र अनन्त लाभ लाते हैं—भाग १ (si पृष्ठ ३४९-५० परि १-७)
नं. २: निर्गमन ३४:१-१०, १२-१४
नं. ३: सुसमाचर का प्रचार करने के लिए क्या ज़रूरी है? (pe अध्याय ३० परि. ११, १२)
नं. ४: अनुशासन लेना मुश्किल क्यों है (yy अध्याय १३ परि. ७-९)
फरवरी १७ बाइबल पठन: निर्गमन ३७ से ४०
गीत २०२ (८२)
नं. १: प्रेरित शास्त्र अनन्त लाभ लाते हैं—भाग २ (si पृष्ठ ३५०-२ परि. ८-१६)
नं. २: निर्गमन ३९:३२-४३
नं. ३: एक व्यक्ति यह कैसे दिखाता है कि उसने अनन्त जीवन चुन लिया है? (pe अध्याय ३० परि. १३-१५)
नं. ४: परमेश्वर और मसीह की एकता (td ५८डी)
फरवरी २४ लिखित पुनर्विचार. सम्पूर्ण उत्पत्ति २९ से निर्गमन ४० तक
गीत ८५ (४४)