मण्डली की पुस्तक अध्ययन व्यवस्था
भाग २: तैयारी करने और हिस्सा लेने की आवश्यकता
यहोवा का वचन उस व्यक्ति को आनन्दित ठहराता है जो बुद्धि और विवेक को पा लेता है, क्योंकि प्रतिफल बड़ा है। (नीति. ३:१३, १४, १६-१८) आध्यात्मिक बुद्धि क़ीमती है और प्राण-रक्षक है। इस से एक मसीही सक्रिय उपासना में, दैनिक समस्याओं को सुलझाने में, और जीवन में अपने लक्ष्यों से संबंधित निर्णय लेने में परमेश्वर के वचन से प्राप्त ज्ञान को फ़ायदेमन्द रूप से इस्तेमाल कर सकता है।
२ मण्डली के पुस्तक अध्ययन को ऐसी रीति से रचा गया है कि हमें अभ्यास करने और परमेश्वर के वचन अमल करने तथा इस रीति से बुद्धि और आध्यात्मिक समझ में बढ़ने की मदद मिलती है। इसलिए, मण्डली के पुस्तक अध्ययन में नियमित रूप से उपस्थित होना, बुद्धि पाने के लिए हमारे निजी कार्यक्रम का एक अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए।—नीति. ४:७-९.
अध्यवसाय से तैयारी करें
३ पहली-सदी की कलीसिया से मेल-जोल रखनेवाले कुछेक लोगों ने सच्चाई सीखने और बढ़ते जा रहे प्रकाश के साथ-साथ रहने का बिल्कुल ही प्रयास नहीं किया। वे मसीह में बालक ही रह गए और इस प्रकार उन्हें धर्म के वचन की पहचान न थी। (इब्रा. ५:११-१३) प्रेरित पौलुस ने मण्डली को “सिद्धता की ओर बढ़ते” जाने का प्रोत्साहन दिया। (इब्रा. ६:१) यह ज़ाहिर है कि इसमें दूसरों को अनौपचारिक रूप से सच्चाई पर विचार-विमर्श करते हुए सुनने से कुछ ज़्यादा आवश्यक होता है। हमारे ‘सुस्पष्ट मानसिक क्षमताओं’ को जगाने के लिए विचार और खोज करना आवश्यक है, और हमने यत्न करना चाहिए।—२ पत. ३:१, २, न्यू.व.; लूका १३:२४.
४ मण्डली के पुस्तक अध्ययन के लिए अध्यवसाय से की गयी तैयारी अध्ययन-विषय की हमारी समझ और उसके लिए क़दरदानी बढ़ाती है। फिर भी, प्रभावकारी तैयारी में परिच्छेदों को पढ़कर सवालों के बुनियादी जवाब मात्र रेखांकित करने से कुछ अधिक बातें आवश्यक होती हैं। हमें अध्ययन-विषय का रस लेने के लिए समय की ज़रूरत है, और यह हम इसके अर्थ पर तथा हमारे लिए व्यक्तिगत रूप से इसके मूल्य पर मनन करने के द्वारा कर सकते हैं। उद्धृत किए गए शास्त्रपदों को खोलकर पढें और इस बात पर विचार करें कि ये परिच्छेद में दी गयी बातों से किस तरह संबंध रखते हैं। उन शब्दों को शब्दकोश में देखें जो आप पूरी तरह से समझ नहीं सकते।
५ हम में से कुछेक व्यक्तियों के लिए, व्यक्तिगत अध्ययन का अर्थ शायद कड़ा परिश्रम होगा, लेकिन, यह कितना फ़ायदेमन्द है! पौलुस ने ऐसे गहरे अध्ययन के नतीजों की ओर संकेत किया, यह कहते हुए: “और अन्न सयानों के लिए है, जिन के ज्ञानेन्द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिए पक्के हो गए हैं।” (इब्रा. ५:१४) ऐसे व्यक्तिगत अध्ययन से हमें आध्यात्मिक परिपक्वता तक बढ़ने की मदद मिलती है, ताकि जब हमें कोई निर्णय लेना हो, तब हम सही रास्ता क्या है यह तै कर सकते हैं।
हिस्सा लें
६ हमने प्रत्येक सभा में हिस्सा लेने की कोशिश करनी चाहिए। क्यों? हमारी अच्छी तरह से तैयार की गयी टिप्पणियाँ न सिर्फ़ हमारे विश्वास की अभिव्यक्तियाँ हैं, परन्तु उन से भाइयों को प्रोत्साहन भी मिलता है और वे उन्नत किए जाते हैं। (रोम. १०:१०; इब्रा. १०:२३-२५) मण्डली के पुस्तक अध्ययन में सक्रिय हिस्सेदारी हमारे आध्यात्मिक विकास में भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। अगर अनुभवी लोग, बच्चे, और दिलचस्पी रखनेवाले नए व्यक्ति सभी मुक्त रूप से टिप्पणी करते हैं, तो समूह प्रचुर मात्रा में विविध अभिव्यक्तियों का आनन्द लेता है। यह सब के लिए शिक्षाप्रद और स्फूर्तिदायक है।—km ४/८६ पृ. ३.
७ अगर हम मण्डली के पुस्तक अध्ययन के लिए अध्यवसाय से तैयारी करेंगे, नियमित रूप से उपस्थित होंगे, और मुक्त रूप से हिस्सा लेते हैं, बुद्धि के लिए हमारी खोज सफ़ल होगी और हम “परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त” करेंगे।—नीति. २:४, ५.