संसार की सर्वोत्तम पत्रिकाएँ पेश कीजिए
प्रहरीदुर्ग का घोषित उद्देश्य है “यहोवा परमेश्वर को विश्व के सर्वसत्ताधारी प्रभु के रूप में बुलंद करना।” अवेक! “पूरे परिवार के प्रबोधन के लिए है। . . . यह पत्रिका सृष्टिकर्ता की एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित संसार की प्रतिज्ञा में भरोसा बढ़ाती है।” ये उद्धरण स्वयं पत्रिकाओं में से हैं। इन लक्ष्यों पर लगे रहने से ये पत्रिकाएँ लाखों पाठकों के लिए सांत्वना के स्रोत बन गए हैं।
२ यथासंभव, हम अप्रैल और मई के दौरान दर-दर सेवकाई में इन पत्रिकाओं के लिए अभिदान पेश करनेवाले हैं। इस में प्रभावकारी होने के लिए, हमें उनकी विषय-वस्तु से अच्छी तरह परिचित होने की आवश्यकता है। हर अंक पढ़िए। उन मुद्दों को नोट कीजिए जो शायद आप पत्रिकाओं को पेश करते समय इस्तेमाल करने में समर्थ हों। लोगों को चिन्तित करनेवाली बातों के बारे में विचार कीजिए। कौनसे सामाजिक, पारिवारिक, या भावात्मक मसले आपके अधिकांश पड़ोसियों के सोच-विचार में प्रमुख हैं? ऐसी कोई बात सोचने की कोशिश कीजिए जिसके कहने से वे गहराई तक प्रभावित होंगे और जो अधिक सीखने की इच्छा को उत्तेजित करेगी। और निश्चित रूप से अपने साथ पर्याप्त अभिदान परचियाँ ले जाइए।
३ अप्रैल १ प्रहरीदुर्ग की विशिष्टताएँ बताना: (अर्धमासिक संस्करण.) अधिकांश लोग एक बेहतर संसार के लिए तरसते हैं, एक ऐसा संसार जिसमें वे अनेक समस्याएँ नहीं होंगी जो आज अकसर लोगों से उनका आनन्द छीन लेती हैं।
अपना परिचय देने के बाद, आप शायद कहेंगे:
▪“मैं आपको ‘एक बेहतर संसार—मात्र एक स्वप्न?’ विषय पर लेख में दी गयी एक दिलचस्प टिप्पणी दिखाना चाहता हूँ। वह टिप्पणी है: ‘यह संसार, हमारा संसार, निश्चित ही एक आदर्श स्थान नहीं है। . . . वर्तमान दुःखों की सूची अन्तहीन प्रतीत होती है।’ (लेख के अनुच्छेद ३ को देखिए।) यह स्थिति भविष्य के बारे में आशावादी होना कठिन बनाती है, है ना? बहरहाल, मैं आपको यह दिखाना चाहता हूँ कि भजन ३७:११ भविष्य के बारे में क्या कहता है।” आयत पढ़ने के बाद, गृहस्वामी को पूछिए कि इस प्रतिज्ञा के बारे में वह कैसा महसूस करता है। अगर वह अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाता है, तो पृष्ठ ४ पर “एक बेहतर संसार—निकट!” लेख खोलिए, और कहिए: “अनेक शास्त्रवचन पाठों के हवाले दिए गए हैं, जिसमें वह पाठ भी सम्मिलित है जिसे हम ने अभी-अभी भजन ३७:११ से पढ़ा। मुझे विश्वास है कि आपको नियमित रूप से इन पत्रिकाओं को पढ़ने से आनन्द मिलेगा।” फिर प्रहरीदुर्ग के एक साल के अभिदान को ६० रुपए के अंशदान पर पेश कीजिए।
४ अप्रैल १५ वॉचटावर की विशिष्टताएँ बताना: अर्धमासिक संस्करणों के पृष्ठ ४ पर दिया लेख पूछता है: “आप भरोसेमंद मार्गदर्शन कहाँ पा सकते हैं?”
अपना परिचय देने के बाद, आप कह सकते हैं:
▪“आज संसार में इतनी सारी समस्याएँ हैं, जैसे कि [ऐसी एक समस्या का उल्लेख कीजिए जो हाल के समय में समुदाय को चिन्तित करती है या किसी मुख्य समाचार का उल्लेख कीजिए]। इस कारण हम सोचने लगते हैं कि क्या कभी कोई इस गड़बड़ी का हल निकाल सकता है। यह ख़ुशी की बात है कि २ तीमुथियुस ३:१६, १७ हमें आश्वासन देता है कि एक आनन्दित और सुरक्षित जीवन के लिए बाइबल एक मार्गदर्शक है।” इन आयतों के पढ़ने के बाद, दिखाइए कि किस तरह द वॉचटावर हमें यह समझने में मदद करती है कि क्यों बाइबल एक भरोसेमंद मार्गदर्शक है। द वॉचटावर के मासिक संस्करणों के लिए अभिदान पेश करते समय समान प्रस्तुतियाँ प्रयोग की जा सकती हैं।
५ अगर आप अवेक! पेश करना पसंद करते हैं, तो आप शायद मई ८ अंक में दिया गया “बच्चों के लिए वास्तविक आशा?” लेख का प्रयोग करेंगे। संभवतः आप पाएँगे कि माता-पिता अपने बच्चों की ज़रूरतों से प्रभावित होते हैं। वे जानना चाहते हैं कि बच्चों की मदद करने के लिए क्या किया जा सकता है। हर पत्रिका के अनेक अंक साथ लेकर, आप प्रकाशित किए गए विभिन्न लेखों की ओर ध्यान आकर्षित करने में समर्थ होंगे। यह शायद लोगों को अभिदान स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करे। अगर अभिदान की भेंट स्वीकार नहीं की जाती है, तो गृहस्वामी को प्रहरीदुर्ग और अवेक! की कुछेक एकल प्रतियाँ या प्रत्येक की कम-से-कम एक एकल प्रति लेने का सुझाव निश्चित रूप से दीजिए।
६ अगर हम अपनी पत्रिकाओं के बारे में उत्साही हैं जो कि संसार में सर्वोत्तम हैं, तो हम इन्हें दूसरों को देने के लिए उत्सुक होंगे ताकि वे भी राज्य आशा को स्वीकार कर सकें और विश्व के सर्वसत्ताधारी प्रभु के तौर पर यहोवा को बुलंद करने में भाग ले सकें।—भज. ८३:१८.