१९९५ “आनन्दित स्तुतिकर्ता” यहोवा के साक्षियों का ज़िला अधिवेशन
भारत में पिछले वर्ष “ईश्वरीय भय” ज़िला अधिवेशनों में उपस्थित होनेवाले २३,३६३ लोगों में होना कितने आनन्द की बात थी! कुल ८३० लोगों ने बपतिस्मा लेने के द्वारा उचित ईश्वरीय भय व्यक्त किया। इस वर्ष तीन-दिवसीय १९९५ “आनन्दित स्तुतिकर्ता” ज़िला अधिवेशनों के लिए इकट्ठा होना कितना प्रोत्साहक होगा! इस चित्ताकर्षक विषय से हमें सचमुच प्रेरित होना चाहिए कि अपने बाइबल विद्यार्थियों के साथ उपस्थित रहने का हर प्रयास करें। अन्त के इस समय में जब हम विश्वासयोग्य रूप से यहोवा की सेवा करना जारी रखते हैं, यह कार्यक्रम हम सब के लिए आध्यात्मिक ताज़गी का असली स्रोत साबित होगा।
२ निश्चित कीजिए कि आप अपने अधिवेशन प्रबंध काफ़ी समय पहले कर लें ताकि आप आनन्ददायी आध्यात्मिक कार्यक्रम के सभी तीन दिनों का, शुरूआत के गीत से समाप्ति प्रार्थना तक, आनन्द लेने के लिए वहाँ मौजूद हो सकें। प्रेमपूर्वक उन लोगों को अपनी योजनाओं में शामिल कीजिए जिन्हें शायद मदद की आवश्यकता हो, विशेषकर नयी-नयी दिलचस्पी रखनेवाले, ताकि वे भी प्रत्येक सत्र के लिए उपस्थित हो सकें। इस अंतःपत्र की जानकारी पर ऐसे किसी भी बाइबल विद्यार्थी के साथ चर्चा करना बहुत सहायक होगा जो उपस्थित होने की शायद योजना बनाए। (गल. ६:६, १०) कार्यक्रम शुक्रवार के दिन सुबह ९:४० पर संगीत के साथ शुरू होता है और लगभग शाम ५ बजे समाप्त होता है। शनिवार का कार्यक्रम सुबह ९:३० पर शुरू होता है और गीत और प्रार्थना के साथ लगभग शाम ४:५० पर ख़त्म होता है। रविवार के दिन सुबह का सत्र ९:३० पर शुरू होता है, और उस दिन का कार्यक्रम दोपहर में लगभग ३:५० पर समाप्त होता है।
३ चाहे यह कलीसिया सभाओं, सर्किट सम्मेलनों, ख़ास सम्मेलन दिनों या ज़िला अधिवेशनों में हो, आध्यात्मिक दावतों में मौजूद होना कितना रोमांचकारी है! क्यों? परमेश्वर का भय माननेवाले लोगों का संग ताज़गी देनेवाला होता है, और ऐसे अवसरों पर प्रस्तुत की गयी आध्यात्मिक बातें हमें ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बातों की याद दिलाती हैं।
४ हाल के वर्षों में हज़ारों लोगों की बढ़ती संख्या ऐसे आध्यात्मिक समूहनों की ओर आकर्षित हुई है। १९८५ और १९९४ के वर्षों के बीच, संसार-भर में कलीसियाओं की संख्या ५० प्रतिशत से अधिक बढ़ गयी, अर्थात् ४९,७१६ से ७५,५७३. जैसे-जैसे यहोवा एकत्रीकरण के कार्य में तेज़ी लाता है, वैसे-वैसे ज़िला अधिवेशनों और सर्किट सम्मेलनों की संख्या बढ़ती जाती है। (यशा. ६०:२२) भारत में ज़िला अधिवेशनों की उपस्थिति १९८५ में ११,२४३ से १९९४ में २३,३६३ तक बढ़ गयी—दस वर्षों में १०८ प्रतिशत की वृद्धि! यह बात संगठन में ज़बरदस्त वृद्धि को प्रतिबिम्बित करती है। इसके परिणामस्वरूप इन अधिवेशनों का प्रबंध और संचालन करने में सम्मिलित काम बढ़ता रहा है। क्योंकि हम इन दावतों के लिए तैयार किए गए आध्यात्मिक कार्यक्रम से लाभ उठाने के लिए इकट्ठे होते हैं, यह बुद्धिमत्ता है कि भौतिक प्रबंधों के संचालन को जिस हद तक व्यावहारिक हो उतना सरल किया जाए।
५ जो क़दम उठाए जाने हैं: जैसे-जैसे हम प्रगतिशील रूप से आगे बढ़ते हैं, हम यहोवा की ओर उसकी आशीष के लिए देखते हैं। हम यह देखकर ख़ुश हैं कि उसने अपने लोगों को बुद्धि और समझ की आवश्यक आत्मा दी है। हम निश्चय ही इस बात से सहमत हैं कि विश्वासयोग्य दास वर्ग के द्वारा, यीशु मसीह ने अद्भुत रूप से यहोवा के उद्देश्य की पूर्ति के लिए कुशलतापूर्वक मामलों को निर्देशित किया है। (मत्ती २४:४५-४७; कुलु. १:९, १०) जून की हमारी राज्य सेवकाई में एक घोषणा ने कहा: “अब से, ज़िला अधिवेशनों, सर्किट सम्मेलनों, और ख़ास सम्मेलन दिनों में केवल हल्के अल्पाहार ही उपलब्ध किए जाएँगे। भोजन परोसा नहीं जाएगा। यदि वे चाहें तो उपस्थित होनेवाले अल्पाहार स्टाल में उपलब्ध भोजन के अतिरिक्त अपना भोजन ला सकते हैं।” यह प्रबंध तुरंत लागू हो गया है और इस घोषणा को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। आप शायद यह जानने में दिलचस्पी रखते हों कि यह परिवर्तन किस तरह लाभकारी होगा। कौन-सी बात इस समंजन की ओर ले गयी है शायद इसका निम्नलिखित पुनर्विचार, अधिवेशनों में काम को सरल करने से हमें पहले ही प्राप्त लाभों का अच्छा अनुस्मारक साबित हो।
६ सरल करने के पिछले समंजन: स्वयं सेवा और आवासीय प्रबंधों जैसे मानकीकृत और सरलीकृत ज़िला अधिवेशन प्रबंधों के लागू किए जाने से पहले, हज़ारों स्थानीय भाइयों और बहनों द्वारा अधिवेशन-पूर्व कार्य में बहुत ज़्यादा काम किए जाने की ज़रूरत पड़ती थी। रोज़मर्रा जीवन और संगठन की निरन्तर वृद्धि के द्वारा हमारे भाइयों पर आए दबाव और माँगों को ध्यान में रखते हुए, काम को सरल करने के लिए समंजन करने वाक़ई ज़रूरी थे। इसके अतिरिक्त, केवल अमरीका में भोजन-सेवा काम को सरल किए जाने के परिणामस्वरूप, १९७८ में ७०,००० से अधिक भाई-बहन जो हमें भोजन उपलब्ध कराने के लिए सत्रों के दौरान कड़ी मेहनत किया करते थे, कार्यक्रम को सुन सके। उस देश में १९८७ के अधिवेशनों और बाद के सेवा वर्ष में सम्मेलन गृहों में भोजन-सेवा के सम्बन्ध में अतिरिक्त सरलीकरण प्रक्रियाओं को लागू किया गया। इस वर्ष से, उस देश में अधिवेशनों या सम्मेलनों में भोजन बिलकुल नहीं दिया जा रहा है। ये लाभदायक समंजन साबित हुए हैं, जिससे काम कम हुआ है और अधिवेशन के आध्यात्मिक पहलुओं पर ज़्यादा ध्यान दिया जा सका है, और कर्मचारी कार्यक्रम के ज़्यादा भाग को सुन सके हैं और उसका आनन्द ले सके हैं। (व्यव. ३१:१२) हमारे बीच उन विश्वासयोग्य जनों को, जिन्होंने अनेक वर्षों तक निष्ठा से सेवा की है, यह उन्नति अच्छी तरह याद है और उन्होंने प्राप्त निर्देशन के लिए मूल्यांकन व्यक्त किया है। लेकिन क्या इस देश में काम घटाने के लिए तथा और ज़्यादा लोगों का इस आध्यात्मिक कार्यक्रम से पूरी तरह लाभ प्राप्त करना संभव करने के लिए समान परिवर्तन किए जा सकते हैं?
७ पूर्वानुमानित परिवर्तन: जिन वर्षों के दौरान अन्य देशों में सरलीकृत भोजन तैयार किया जाता और परोसा जाता था, यह देखा गया कि अपेक्षाकृत “कुछ बातें” सचमुच “आवश्यक” थीं। [लूका १०:३८-४२ (NHT) से तुलना कीजिए।] उपस्थित होनेवालों के लिए भोजन पका का अर्थ होता है, बहुत ज़्यादा भोजन-सामग्री और काम, साथ ही यह महँगे सामान को या तो किराए पर लेने, अथवा ख़रीदने और फिर उसका रख-रखाव करने और सर्किटों द्वारा ढोए जाने की माँग करता है। और फिर, इन प्रबंधों को संगठित करने और समर्थन देने के लिए बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों की ज़रूरत पड़ती है। भोजन-सामग्री को कम-से-कम थोड़ी समयावधि के लिए रखना पड़ता है। कैफीटेरिया विभाग से भोजन लेनेवाले लोगों की सही संख्या कितनी होगी इसका अनुमान लगाना लगभग असंभव होता है, इसलिए कुछ अवसरों पर भोजन कम पड़ जाता है और भाई इस कमी के लिए तैयार नहीं होते, या फिर भोजन बच जाता है। इन सब बातों में ऐसे नुक़सान हुए हैं जिनसे संस्था काफ़ी चिन्तित रही है। जहाँ सर्किटों के पास पकाने का अपना सामान है, वहाँ उसके रख-रखाव, सुरक्षित रखे जाने और ढोए जाने की आवश्यकता होती है जिसमें काम, समय और ख़र्चा शामिल है। सरलीकरण से, इसमें से ज़्यादातर काम कम हो जाएगा और अनेक भाई इन कामों से मुक्त हो जाएँगे।
८ इन सम्बन्धित क्षेत्रों में स्वयंसेवकों के तौर पर काम करनेवाले व्यक्तियों की इच्छुक सेवा अमूल्य महत्त्व की रही है और इसकी बहुत क़दर की गयी है। लेकिन, इस सरलीकरण से, सामान को सँभालने, ख़रीदारी करने, तैयारी करने, खाना पकाने और परोसने के लिए जो सैकड़ों भाई-बहन काम करते थे वे अपने समय को अन्य ज़रूरी राज्य कार्यों में प्रयोग कर सकेंगे, जिसमें अधिवेशनों में संगति का और अधिक आनन्द लेना भी सम्मिलित है। अनेक स्वयंसेवक जो पहले भोजन-सेवा में काम किया करते थे अब अन्य विभागों में सहायता कर सकेंगे, जैसे परिचारक और सफ़ाई विभाग। इससे हरेक का बोझ कम होगा और इसकी ज़रूरत नहीं होगी कि अनेक व्यक्ति देर रात तक, सुबह तड़के या सत्रों के दौरान काम करें, जैसे भोजन-सेवा में अनेकों के साथ होता था।
९ प्रबंधों का समर्थन करना: सालों-साल अधिवेशन प्रबंधों को, जिसमें भोजन-सेवा भी सम्मिलित है, जो बढ़िया समर्थन आप भाइयों और बहनों ने “सम्पूर्ण हृदय से” दिया है, संस्था इसकी बहुत ही क़दर करती है। (१ इति. २९:९, NHT) इस बात ने अनेक तरीक़ों से सहायता की है। इसने अच्छी इमारतों को किराए पर लेना और अधिवेशन के ख़र्च को पूरा करना संभव किया है। इस बात ने उपस्थित रहनेवालों को भी समर्थ किया है कि दोपहर के छोटे अंतराल के दौरान अधिवेशन स्थल पर ही रहें, आसानी से भोजन लें, ताज़ा हों और फिर आध्यात्मिक कार्यक्रम के लिए उपस्थित हों। और निःसंदेह इन प्रबंधों के लिए अंशदान देने में भाइयों और बहनों द्वारा दिखायी गयी उदारता और समर्थन जारी रहेंगे। यह व्यावहारिक तरीक़े से उनकी क़दरदानी की अभिव्यक्ति रही है।—नीति. ११:२५; लूका १६:९.
१० अपनी भोजन की ज़रूरतों को पूरा करना: लेकिन, इन समंजनों के कारण, हमारे दोपहर के अंतराल के समय व्यक्तियों या पारिवारिक समूहों को भौतिक आहार के लिए ज़रूरी भोजन का प्रबंध शायद ख़ुद अपने लिए करना पड़े। हम आध्यात्मिक कार्यक्रम के उत्तम लाभों की बहुत क़दर करते हैं। शारीरिक भोजन को अनुचित महत्त्व देना बुद्धिहीनता होगी। यह अत्यावश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति इस सम्बन्ध में “उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय” जाने। (फिलि. १:९, १०क) पोलैंड, रूस और यूक्रेन साथ ही अन्य जगहों पर यहोवा के लोगों के हाल के बड़े अधिवेशन, बिना भोजन-सेवा प्रबंधों के अच्छी सफलता के साथ आयोजित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, इस देश के कुछ सर्किटों ने पहले ही अपने सम्मेलन और ख़ास सम्मेलन दिन कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिनमें भोजन के बजाय सिर्फ़ हल्के अल्पाहार परोसे गए हैं। कुछ मामलों में प्रतिनिधि दोपहर के लिए अपना भोजन ख़ुद लाए। अल्पाहार जैसे कि सैंडविच, उबले अंडे और फल उपलब्ध होंगे और यह शायद अनेक प्रतिनिधियों के लिए काफ़ी हो। यदि अन्य लोग महसूस करते हैं कि वे ज़्यादा भारी भोजन पसन्द करेंगे, तो वे पाएँगे कि यदि वे सिर्फ़ हल्का-फुल्का दोपहर का भोजन ले आएँ, तो यह उनकी सतर्क मानसिक अवस्था में योगदान देगा, जो उन्हें दोपहर के कार्यक्रम से पूरा लाभ उठाने में समर्थ करेगा। इसके सामंजस्य में, जो भी व्यक्ति भोजन लाते हैं उन्हें ऐसा भोजन लाना चाहिए जो सादा और पौष्टिक हो। उदाहरण के लिए, जब यीशु ने भीड़ को खिलाया, तो उसने सिर्फ़ दो चीज़ें दीं, रोटी और मछली। (मत्ती १४:१६-२०. लूका १०:४२क भी देखिए।) इसलिए, दोपहर के घटाए गए अंतराल को और जिस प्रकार की सुविधाओं का हम प्रयोग करते हैं उन्हें ध्यान में रखते हुए क्या उचित और व्यावहारिक हो सकता है, इस सम्बन्ध में कुछ सुझाव देने के लिए हम ख़ुश हैं।
११ क्योंकि अधिवेशन में अब और भोजन-सेवा प्रबंध नहीं होंगे, अच्छी योजना करने से उपस्थित होनेवाले घर पर या किसी स्थानीय भोजनालय में अपने परिवार के साथ नाश्ते का आनन्द ले सकेंगे। पिछली रात पर्याप्त आराम करने के द्वारा, आपको इतनी जल्दी जागने में समर्थ होना चाहिए कि सुबह का नाश्ता लेकर, अधिवेशन पर अन्य प्रतिनिधियों के साथ संगति का आनन्द उठाने के लिए काफ़ी समय पहले आ जाएँ। इस नए प्रबंध का एक और फ़ायदा है कि सभागृह को इतनी जल्दी खोलने की और कार्यकर्ताओं को आने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, जितनी कि तब थी जब भोजन-सेवा स्वयंसेवकों को उनके परिवारों के साथ आने दिया जाता था। अधिकांश मामलों में, सभी प्रतिनिधियों के लिए इमारत के दरवाज़ों को सुबह ८ बजे खोल दिया जाएगा, उन कुछ व्यक्तियों को छोड़ जिनकी विशिष्ट कार्यनियुक्तियाँ हैं जिसकी वजह से उनका पहले प्रवेश करना आवश्यक होता है। जैसे पहले होता था, किसी को अधिवेशन स्थल में सीट ढूँढने के लिए हड़बड़ी करने की ज़रूरत नहीं होगी, क्योंकि अनुमानित भीड़ के लिए बैठने की पर्याप्त व्यवस्था की गयी है।
१२ दोपहर का अंतराल पहले के अधिवेशनों से कुछ छोटा होगा। लेकिन, यह फिर भी थोड़ा हल्का-फुल्का आहार लेने के लिए अवसर और साथ ही दूसरों के साथ कुछ संगति करने का समय प्रदान करेगा। हमारे भाई-बहन जो अधिवेशन के शहर या उसके क़रीब रहते हैं और जो हर दिन शाम को घर लौटते हैं, अगर उन्हें लगता है कि अल्पाहार स्टाल में जो उपलब्ध है वे उससे भिन्न वस्तुएँ लेना पसंद करेंगे, तो वे आसानी से परिवार के हर सदस्य के लिए थोड़ी मात्रा में भोजन बना सकते हैं कि दोपहर के अंतराल के लिए ले आएँ। यह काफ़ी कुछ वैसा ही होगा जैसे बच्चे स्कूल में भोजन ले जाते हैं। अनेक लोग अपनी लौकिक नौकरियों पर ऐसा ही भोजन ले जाते हैं।
१३ यह निःसंदेह उन व्यक्तियों के लिए ज़्यादा चुनौतीपूर्ण होगा जो अधिवेशन शहर से बाहर के क्षेत्रों से उपस्थित होते हैं, क्योंकि यदि वे दोपहर के लिए भोजन चाहते हैं तो उन्हें पहले से थोड़ी योजना बनाने की ज़रूरत होगी। कुछ लोग शायद पाएँ कि कुछ सूखी और देर तक रखने योग्य वस्तुएँ उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए काफ़ी होंगी और ये घर से भी लायी जा सकती हैं। हर दिन के दोपहर के अंतराल के लिए अन्य ज़रूरी भोजन को अधिवेशन शहर में किसी किराने की दुकान से लिया जा सकता है।
१४ अनुस्मारक के तौर पर, अगर इस हेतु उनका कोई प्रबंध नहीं है तो कृपया होटल के कमरों में खाना मत पकाइए। ऐसा करना ख़तरनाक और कभी-कभी ग़ैर-कानूनी होता है और यह कमरे के फर्नीचर को धब्बों और चिकनाई से नुक़सान पहुँचा सकता है। यह ऐसी गंध पैदा करता है जिसे कई दिनों तक कमरे से निकालना मुश्किल होता है। इससे कमरे को पूरी तरह साफ़ करने के लिए ख़र्च और काम किए बिना होटल के लिए इसे दुबारा किराए पर देना मुश्किल हो जाता है। इसीलिए यह शायद बुद्धिमत्ता की बात होगी कि ख़राब न होनेवाली ऐसी वस्तुओं को घर से लाने या खरीदने पर विचार किया जाए, जो अधिवेशन में कम-से-कम पहले या दूसरे दिन तक इस्तेमाल की जा सकें। आपको शायद ऐसा रेस्तराँ मिल जाए जो आपके लिए सुबह हल्का-फुल्का, सूखा भोजन बाँधकर दे दे, जिसे आप अधिवेशन स्थल पर ला सकते हैं। इस प्रकार का बँधा हुआ भोजन ख़रीदना, होटल के कमरों में खाना तैयार करने की ज़रूरत को हटा देगा।
१५ क्योंकि अधिवेशन स्थल, अधिवेशन के दौरान असल में एक बड़ा राज्यगृह बन जाता है, दोपहर के अंतराल के दौरान पिकनिक का माहौल बनाने से दूर रहना भी बुद्धिमानी होगी। और जैसे हम राज्यगृह में सभाओं के दौरान खाते नहीं, वैसे ही हम अधिवेशन सत्रों के दौरान खाएँगे या पीएँगे नहीं। सभाभवन में भोजन के बड़े डिब्बे लाना शायद बुद्धिमानी न हो। ये बाधाएँ खड़ी कर सकते हैं और इन्हें गलियारों में या सीटों पर रखकर छोड़ा नहीं जा सकता। हमारे दोपहर के अंतराल के लिए जो हल्की-फुल्की भोजन वस्तुओं की ज़रूरत होगी, उनके लिए शायद प्लास्टिक की थैलियाँ या पैकेट ज़्यादा उपयुक्त हों। यदि ज़रूरी हो, तो एक छोटा टिफ़िन बक्स या प्लास्टिक के डिब्बे इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जिन्हें सीट पर नहीं, लेकिन सीट के नीचे रखा जा सकता है।
१६ अधिवेशन स्थल पर जिस प्रकार के डिब्बे लाने का हम चुनाव करते हैं, उस सम्बन्ध में भी सावधानी बरतने की ज़रूरत है। किसी भी प्रकार के शीशे के बर्तन ख़तरा साबित हो सकते हैं। कुछ इमारतों में इनका प्रयोग वर्जित भी किया जाता है। इसलिए, हम निवेदन करते हैं कि भवन में शीशे के कोई भी बर्तन या बोतलें न लाए जाएँ।
१७ अतिरिक्त लाभ: वाक़ई हम ऐसे समंजित प्रबंधों की बुद्धिमत्ता को समझ सकते हैं। सभी व्यक्ति आध्यात्मिक लाभों को प्राप्त करने पर पूरा ध्यान दे सकेंगे—हमारे इकट्ठा होने का असली उद्देश्य। ये लाभ जिस संगति का हम आनन्द लेते हैं उससे, साथ ही स्वयं कार्यक्रम से मिलते हैं। सो यदि हम महसूस करते हैं कि अल्पाहार विभाग द्वारा जो दिया जाता है उससे हमें अधिक की आवश्यकता है, तो भोजन पाने के लिए दोपहर के अंतराल में इमारत से बाहर जाने के बजाय अपने साथ कुछ लाना कितना लाभकारी साबित होगा। यह हमारे भाई-बहनों की संगति का आनन्द लेना संभव करेगा, और हमें दोपहर के कार्यक्रम के किसी भी भाग को चूकने से रोकेगा।
१८ दोपहर के कार्यक्रम के बाद आध्यात्मिक रूप से ताज़गी पाकर, कुछ व्यक्ति परिवार और मित्रों के साथ स्थानीय भोजनालयों में ज़्यादा भारी भोजन लेते वक़्त, जारी मसीही संगति का और सीखी हुई अच्छी बातों के बारे में बातचीत करने का आनन्द ले सकते हैं। अन्य व्यक्ति शायद रेस्तराँ से अथवा किराने की दुकान से भोजन खरीद सकते हैं। जो व्यक्ति अपने घर लौटने में समर्थ हैं शायद वहीं अपना रात का भोजन करने का चुनाव करें, वैसे ही जैसे वे दूसरे दिनों पर करते हैं जो वे नौकरी या क्षेत्र सेवा में बिताते हैं।
१९ इन सम्मेलनों और अधिवेशनों में हम वाक़ई एक आध्यात्मिक दावत का आनन्द लेते हैं, जहाँ हमें नए प्रकाशन, उत्तम शिक्षा और व्यावहारिक सलाह मिलती है। ये आशीषें साथ ही परमेश्वर के एकत्रित लोगों के साथ होने का आनन्द हरेक व्यक्ति को याद रह जाता है। नीतिवचन १०:२२ (NW) कहता है: “यहोवा की आशिष—यही है जो धनी बनाती है, और वह इसके साथ पीड़ा नहीं देता।” यह इसलिए है क्योंकि यहोवा के लोगों के तौर पर, हम भौतिक ज़रूरतों और सहूलियतों को ध्यान में रखकर अधिवेशनों में उपस्थित नहीं होते। हम इस सकारात्मक इच्छा के साथ इकट्ठे होते हैं कि आध्यात्मिक रीति से अधिकतम संभव लाभ प्राप्त करें, और यहोवा हमारे द्वारा दिखायी गयी मनोवृत्ति के लिए हमें भरपूर रीति से प्रतिफल देता है।—१ तीमु. ६:६-८; इब्रा. ११:६.
२० प्रोत्साहन के लिए ये अवसर हमें आध्यात्मिक कटनी की प्रगति की भी याद कराते हैं। (यूह. ४:३५, ३६) यशायाह अध्याय ५४ के शुरूआत के शब्द यहोवा के पत्नी-समान संगठन को हर्षपूर्ण वृद्धियों के लिए तैयारी करने के लिए कहते हैं। अधिक वृद्धि, विस्तार, और नयी शक्ति मिलनेवाली है जैसे कि यशायाह ने पूर्वबताया: “अपने तम्बू का स्थान चौड़ा कर, और तेरे डेरे के पट लम्बे किए जाएं; हाथ मत रोक, रस्सियों को लम्बी और खूंटों को दृढ़ कर। क्योंकि तू दहिने-बाएं फैलेगी।” इस उत्तेजक भविष्यवाणी की पूर्ति, सच्ची उपासना की असाधारण वृद्धि में परिणित हुई है जिसे हम अब देखते हैं।—यशा. ५४:१-४.
२१ इस सरलीकृत अधिवेशन प्रबंध को लागू करना वाक़ई समझदारी का मार्ग लगता है, ताकि सभी व्यक्ति तैयार किए गए आध्यात्मिक कार्यक्रम का कम विकर्षणों के कारण आनन्द लेने में समर्थ होंगे। हमें भरोसा है कि इस पर भी यहोवा की आशीष होगी, क्योंकि इससे अतिरिक्त वृद्धि को ज़्यादा प्रभावकारी रूप से सँभालना संभव होगा। जो ज़रूरी है उस पर ध्यान केन्द्रित करने के द्वारा, हम ख़ुशीभरी संगति और आध्यात्मिक अच्छी बातों के अपने योजनाबद्ध दिनों का आनन्द उठाने में समर्थ होंगे। यह हमारी सच्ची प्रार्थना है कि जब हम इकट्ठे होना और उसकी मेज़ से भोजन पाना जारी रखते हैं, यहोवा हमारे सभी प्रयासों को आशीष देगा।—व्यवस्थाविवरण १६:१४, १५ से तुलना कीजिए।
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सरलीकृत भोजन-सेवा प्रबंधों के लाभ
▪ कार्यक्रम से पहले, कार्यक्रम के दौरान और कार्यक्रम के बाद कम काम जिससे अधिक संगति की गुंजाइश
▪ सँभालने के लिए कम भोजन-सेवा सामान
▪ आध्यात्मिक कार्यक्रम पर पूरा ध्यान देने के लिए अधिक लोग समर्थ
▪ अन्य विभागों की सहायता करने के लिए अधिक स्वयंसेवक उपलब्ध
▪ अन्य ईश्वरशासित कामों के लिए अधिक समय उपलब्ध
यदि चाहें तो दोपहर के अंतराल के लिए ये वस्तुएँ ले आएँ
▪ हल्की-फुल्की, सादा और पौष्टिक भोजन वस्तुएँ
▪ सूखी पकायी हुई सब्ज़ियों के साथ चपातियाँ या पराठे
▪ सूखे फल, गिरीदार फल, सेंकी हुई वस्तुएँ, ताज़ा फल
▪ जहाँ अधिवेशन की इमारत में प्रतिनिधियों के लिए ऐसा भोजन खाने की जगह हो, वहाँ चावल और पकी हुई सब्ज़ियों का एक टिफ़िन भी लाया जा सकता है
अधिवेशन इमारत में नहीं लाइए
▪ शराब
▪ शीशे के बर्तन या बोतलें
▪ पूरे परिवार के लिए भोजन के बड़े डिब्बे
माँसाहारी भोजन लाने के बारे में सावधान रहिए। कई सभागृह, भवन में ऐसे भोजन के सेवन को वर्जित करते हैं। यदि आप अनिश्चित हैं तो ऐसी वस्तुओं से दूर रहना बेहतर है।
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१९९५-९६ “आनन्दित स्तुतिकर्ता” ज़िला अधिवेशनों के लिए अधिवेशन मुख्यालयों के पते
CITY DATES LANG. ADDRESSES
1. Mapusa (Goa) Oct. 20-22 KT/E Stan Fernandes, 177/2A, Fernandes Vaddo, Siolim, Bardez, GOA 403 517
2. New Delhi Oct. 27-29 HI/E Joseph Yep, 68 Pocket-B, Sector I, DDA SFS Flats, Sarita Vihar, New Delhi, UT 110 044
3. Shimoga Nov. 10-12 KA Jacob Susai, Kingdom Hall, Pension Mohalla, Shimoga, KAR 577 202
4. Bombay Nov. 17-19 HI Felix Dias, P.O. Bag 17723, Borivli (W), Bombay, MAH 400 092
5. Bombay Nov. 24-26 E P. Soans, The Watchtower, G-37, 15th Road, Santa Cruz West, Bombay, MAH 400 054
6. Bangalore Nov. 24-26 TL/E S. T. Solomon, 32 Ramakrishnappa Road, Cox Town, Bangalore, KAR 560 005
7. Pune Dec. 1-3 MR/E N. Tarapore, 601 Airy Apts, 878 Bootee Street, Pune, MAH411001
8. Vijayawada Dec. 1-3 TU/E R. P. Wilson, 54-14/8/45 Bharathi Nagar, Vijayawada, AP 520 008
9. Anand Dec. 8-10 GU J. A. Parmar, Crescent Villa Garden Society, Bhalej Road, Anand, GUJ 388 001
10. Coimbatore Dec. 8-10 TL D. P. Chellappa, c/o Sanjay Peters, 4C/9, Lakshmipuram, Ganapathy, Coimbatore, TN 641 006
11. Guwahati Dec. 15-17 AE/E A.J. Philip, Kingdom Hall, Gandhi Basti, Silpukhuri, Guwahati, Assam 781 003
12. Calcutta Dec. 22-24 BE/E/HI A. Lucas, Kingdom Hall, 5/1 Pearl Road, Beck Bagan, Calcutta, WB 700 017
13. Port Blair Dec. 22-24 HI T.S. Abraham, Kingdom Hall, Shadipur P.O., Port Blair, A&N 744 106
14. Madras Dec. 29-31 TL/E D. Caleb, 53 Metha Nagar, Madhavaram Milk Colony, Madras, TN 600 051
15. Kottayam Dec. 29-31 MY G. Thomas, VIII/II, Watch Tower Property, Mariyathuruthu P.O., Kottayam, KER 686 027
16. Calicut Jan. 5-7 MY K. A. Francis, Shalohm, Thalakkulathur P.O., Calicut, KER 673 317