संशोधित जन भाषणों से लाभ प्राप्त करना
यहोवा के गवाहों के आधुनिक इतिहास का वर्णन नीतिवचन ४:१८ के शब्दों में सही-सही किया गया है: “धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है, जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है।”
२ इसके सामंजस्य में, मसीही कलीसिया बाइबल शिक्षाओं पर समयोचित स्पष्टीकरण और दिनाप्त जानकारी प्राप्त करती रहती है। (मत्ती २४:४५-४७) संभवतः आप इसके कुछ उदाहरण बता सकते हैं जिन्हें आपने तब से नोट किया होगा जबसे आपने यहोवा के गवाहों के साथ संगति करना शुरू किया। कलीसिया सभाएँ, जिनमें जन भाषण सम्मिलित हैं, हमें सच्चाई के बढ़ते हुए प्रकाश के साथ-साथ रहने में मदद करती हैं।
३ संशोधित रूपरेखाएँ: हाल ही में, संस्था ने अनेक जन भाषण रूपरेखाओं को दिनाप्त किया है। उनमें नए विषय को समाविष्ट किया गया है, और महत्त्वपूर्ण मुद्दों को स्पष्ट किया गया है। यदि कलीसिया को इस दिनाप्त जानकारी से पूरा-पूरा लाभ प्राप्त करना है, तो जन भाषण देनेवाले भाइयों को सबसे नवीनतम रूपरेखाओं को ही इस्तेमाल करना चाहिए।
४ जन भाषणों में से अत्यधिक लाभ प्राप्त करने के इरादे से, दिए जानेवाले भाषणों के शीर्षकों पर थोड़ा विचार कीजिए। जन सभा में उपस्थित होने से पहले, उस विषय पर ईश्वरशासित स्रोतों से पायी गयी नवीनतम जानकारी को याद करने की कोशिश कीजिए। फिर, सुनते वक़्त, इस जानकारी के विकास का पूर्वानुमान लगाइए। भविष्य में इस्तेमाल करने के लिए इन सच्चाइयों को प्रस्तुत करने के किसी भी नए तरीक़े को नोट कीजिए। यह निश्चित करता है कि आप संशोधित जन भाषणों से अत्यधिक लाभ प्राप्त करेंगे।
५ जन भाषणों ने जानकारी देना और श्रोताओं को प्रेरित भी करना चाहिए: जब यीशु बात करता था, तब वह अपने श्रोताओं के हृदय तक पहुँचता था। यीशु के पहाड़ी उपदेश, अर्थात् सबसे मशहूर जन भाषण जो कभी दिया गया, की समाप्ति पर जैसे मत्ती ७:२८ (NW) कहता है: “परिणाम यह हुआ कि भीड़ उसके सिखाने के तरीक़े से चकित हो गयी।”
६ यीशु के उदाहरण को ध्यान में रखते हुए, प्राचीनों के निकाय को नए जन वक्ताओं को स्वीकृति देते वक़्त समझदारी से काम लेना चाहिए। उन्हें केवल ऐसे भाइयों को ही नियुक्त करना चाहिए जो उत्तम शिक्षक हैं, जो संस्था की रूपरेखाओं का ध्यानपूर्वक पालन करेंगे, और जो श्रोतागण के ध्यान को बनाए रखने में समर्थ हैं। जिन भाइयों को जन भाषण देने के विशेषाधिकार के लिए नियुक्त किया जाता है, उन्हें अपने बोलने की क्षमता में उन्नति करने की निरंतर कोशिश करनी चाहिए। साथ ही उन्हें प्राचीनों से प्राप्त किसी भी सलाह और सुझावों को स्वीकारना चाहिए।
७ जैसे यशायाह ६५:१३, १४ में पूर्वबताया गया है, परमेश्वर के लोगों की आध्यात्मिक उन्नति और भी प्रत्यक्ष होती जा रही है। जन भाषणों का प्रबंध उन अनेक तरीक़ों में से एक है जिनसे हम ‘यहोवा के द्वारा सिखलाए’ जाते हैं।—यशा. ५४:१३.