मसीह—युवकों के लिए एक आदर्श के तौर पर
एक लंबी बाइबल चर्चा के बाद, एक युवक ने कहा: “मैं यीशु मसीह के प्रभावशाली व्यक्तित्व से प्रभावित हुआ था। यही एक ऐसा गुरू है जिस पर मैं भरोसा रख सकता हूँ।” यही बात किसी राजनैतिक नेता या खेल और मनोरंजन के किसी हीरो के बारे में नहीं कही जा सकती। जो लोग सांसारिक स्तरों और ग़ैर-मसीही जीवन-शैलियों को खुलेआम अपनाते हैं, उन्हें सच्चे मसीही आदर्शों के तौर पर नहीं देखते।—भज. १४६:३, ४.
२ युवा लोग आश्वस्त हो सकते हैं कि जब वे यीशु मसीह में विश्वास करने लगते हैं, तब वे परमेश्वर की भेड़ों के तौर पर अपने आपको प्रस्तुत करते हैं और यीशु द्वारा पहचाने जाते हैं। अच्छा चरवाहा उनकी परवाह करता है। (यूह. १०:१४, १५, २७) युवक जो मसीह को अपना आदर्श मानकर चलते हैं, आशीष प्राप्त करते हैं।
३ एक भाई ने, जो अब ब्रुकलिन बेथेल में सेवा करता है, आठ साल की उम्र से सेवा के इस विशेषाधिकार का लक्ष्य रखा था। उसे प्रोत्साहित किया गया कि बड़ा होने पर वह बेथेल सेवा को मसीह के उदाहरण का अनुकरण करने का एक व्यावहारिक तरीक़ा समझे। उसके माता-पिता ने, साथ ही सफ़री ओवरसियरों ने भी उसके सामने यह लक्ष्य रखा। उसे तैयारी करने में मदद देने के लिए, उन्होंने उसे बेथेल परिवार के एक सदस्य की तरह ही मेहनती होने को प्रोत्साहित किया, जिसमें घर पर काम करना, राज्यगृह की देखभाल करने में मदद करना, और सेवकाई में अपनी कुशलता विकसित करना शामिल था। अब कई सालों से बेथेल सेवा का आनन्द लेने के बाद, वह आभारी है कि जब वह बड़ा हो रहा था, तब उसने मसीह के उदाहरण का अनुकरण करने के लिए मेहनत की।
४ यीशु ने एक सांसारिक पेशे का पीछा नहीं किया; उसने सेवकाई को चुना। एक युवा बहन स्कूल की पढ़ाई ख़त्म करने पर पायनियर कार्य करना चाहती थी, लेकिन वह उपयुक्त अंशकालिक नौकरी के न होने की वजह से हिचकिचाई। वह सोचती रही: ‘पहले मैं एक नौकरी ढूँढूँगी, फिर मैं अपना पायनियर निवेदन दूँगी।’ एक प्राचीन ने बताया कि जितनी देर वह इंतज़ार करेगी, उतनी ही बेहतर उसे पूर्णसमय की नौकरी लगेगी, क्योंकि उसे स्वीकार करने से उसे रोकने के लिए उसके पास कुछ नहीं होगा। उसने बताया: “मैं ने यहोवा से प्रार्थना की कि उसकी आत्मा मेरा मार्गदर्शन करे।” उसने तुरन्त एक सहयोगी पायनियर के तौर पर नाम लिखवाया और बाद में एक नियमित पायनियर बन गयी। उसके कुछ ही समय बाद, उसे ऐसी नौकरी मिली जो उसकी पायनियर सारणी में ठीक बैठती थी।
५ यीशु ने साहसपूर्वक सब लोगों को राज्य संदेश घोषित किया। (मत्ती ४:२३) युवा मसीही भी प्रचार कार्य में दूसरों से भयभीत होने के बजाय साहसी होना सीख सकते हैं। एक १४-वर्षीय साक्षी ने रिपोर्ट किया: “पाठशाला में सब लोग एक मसीही के तौर पर मेरी स्थिति जानते हैं। . . . वे इसे इतनी अच्छी तरह जानते हैं कि अगर सेवकाई में हिस्सा लेते समय मैं किसी सहपाठी से मिलता हूँ, मैं लज्जित नहीं होता। संगी विद्यार्थी आम तौर से सुनते हैं, और कई बार वे बाइबल साहित्य स्वीकार करते हैं।”
६ मसीह के उदाहरण पर विचार करना युवकों को अपने भविष्य के बारे में बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय करने में मदद दे सकता है। सांसारिक विषयों में उलझे रहने के बजाय, वे यहोवा की सेवा में जोश दिखाने के द्वारा ‘अपने सृजनहार को स्मरण रखते हैं।’ (सभो. १२:१) यीशु मसीह की तरह, वे ‘पिता के प्रेम’ को विकसित कर रहे हैं, जिससे ऐसी आशीषें मिलती हैं जो इस संसार द्वारा पेश की गयी किसी भी चीज़ से अधिक मनभावनी हैं। इस पुराने संसार के साथ ‘मिट जाने’ के बजाय वे ‘सर्वदा बने रहने’ की आशा कर सकते हैं।—१ यूह. २:१५-१७.