प्रश्न बक्स
▪ हम कैसे सभाओं में सबसे प्रभावकारी रीति से टिप्पणी दे सकते हैं?
हम साप्ताहिक सभाओं में एकसाथ एकत्रित होने की उत्सुकता से प्रत्याशा करते हैं। वहाँ हमारे पास अपना विश्वास व्यक्त करने और अपनी टिप्पणियों के द्वारा दूसरों को प्रोत्साहित करने का अवसर है। (नीति. २०:१५; इब्रा. १०:२३, २४) हमें टिप्पणियाँ देने को एक विशेषाधिकार मानना चाहिए और नियमित भाग लेने का प्रयास करना चाहिए। हम यह सबसे प्रभावकारी रीति से कैसे कर सकते हैं?
तैयारी पहला क़दम है। उन विषयों को पहले से पढ़ना और उन पर मनन करना महत्त्वपूर्ण है। जो प्रस्तुत किया जा रहा है उसके वास्तविक अर्थ को समझने की कोशिश कीजिए। हालाँकि उस विषय पर शायद पहले चर्चा की जा चुकी होगी, प्रस्तुत किए जानेवाले किसी भी विस्तृत या संवृद्ध मुद्दों पर ध्यान दीजिए। बातों के सामान्य विषय को मन में रखिए। जब हम एक ऐसे प्रकाशन से टिप्पणियाँ तैयार करते हैं जिसमें एक बाइबल पुस्तक का व्यापक अध्ययन है, जैसे कि प्रकाशितवाक्य पराकाष्ठा (अंग्रेज़ी) पुस्तक, तब यह समझने की कोशिश कीजिए कि कैसे एक आयत उसके आस-पास की आयतों से सम्बन्धित है। इन सुझावों का पालन करना आपके सोच-विचार करने की क्षमता को प्रेरित करेगा। यह आपकी मदद करेगा कि आप अच्छी टिप्पणियाँ तैयार करें और भाग लेने में आनन्द पाएँ।
सबसे अच्छी टिप्पणियाँ संक्षिप्त, सरल शब्दों में कही गयीं, और अध्ययन किए जा रहे प्रकाशन पर आधारित होती हैं। पहले टिप्पणी देनेवाले को सवाल का सीधा जवाब देना चाहिए और अन्य मुद्दों को अतिरिक्त टिप्पणियों के लिए छोड़ देना चाहिए। घुमा-फिरा कर लंबी-चौड़ी टिप्पणी देने से दूर रहिए जो अत्यधिक समय लेती है और दूसरों को भाग लेने से रोकती है। प्रकाशन से शब्दशः अपनी टिप्पणी को पढ़ने के बजाय अपने ही शब्दों में ख़ुद को व्यक्त कीजिए। अतिरिक्त टिप्पणियाँ उद्धृत शास्त्र पाठों में दिए गए मुद्दों को शामिल कर सकती हैं। दूसरे जो कहते हैं उसे ध्यान से सुनिए ताकि आप अनावश्यक दोहराव से बच सकते है।
कई बार अपना हाथ उठाना अच्छा है लेकिन हर अनुच्छेद पर नहीं। हम बच्चों को टिप्पणी देने के लिए आमंत्रित करते हैं। यदि आप बोलने में हिचकिचाते हैं तो आप संचालक को पहले से बता सकते हैं कि किस अनुच्छेद पर आप टिप्पणी करना चाहते हैं, और संभवतः वह आपको ऐसा करने का एक अवसर देने में समर्थ होगा।
हम सब को निष्कपट प्रयास करना चाहिए ताकि उन कलीसिया सभाओं में, जिनमें श्रोतागण सहभागिता शामिल है, बाँटने के लिए हमारे पास कुछ हो। याद रखिए, ऐसी सभाओं की सफलता काफ़ी हद तक टिप्पणी देने में हमारी तत्परता और प्रभावकारिता पर निर्भर करती है।—भज. २६:१२.