सितम्बर के लिए सेवा सभाएँ
सितम्बर ४ से आरम्भ होनेवाला सप्ताह
गीत २२४ (१०६)
१० मि: स्थानीय घोषणाएँ और हमारी राज्य सेवकाई से चुनी हुई घोषणाएँ।
२० मि: “यहोवा द्वारा जाँच—क्यों लाभदायक?” प्राचीन द्वारा प्रोत्साहक भाषण।
१५ मि: “दूसरों को लाभ प्राप्त करने में मदद दीजिए।” सुझायी गयी प्रस्तुतियों पर पुनर्विचार कीजिए और फिर दो संक्षिप्त प्रदर्शन करवाइए।
गीत २०४ (१०९) और समाप्ति प्रार्थना।
सितम्बर ११ से आरम्भ होनेवाला सप्ताह
गीत २१६ (४९)
१० मि: स्थानीय घोषणाएँ। लेखा रिपोर्ट।
२० मि: “१९९५ ‘आनन्दित स्तुतिकर्ता’ ज़िला अधिवेशन।” अनुच्छेद १-१६ को सवाल-और-जवाब द्वारा पूरा कीजिए।
१५ मि: “आपने अपने बच्चों के लिए कौन-से लक्ष्य रखे हैं?” सवाल और जवाब। एक या दो अनुकरणीय युवाओं या ज़्यादा उम्र के व्यक्तियों, जिन्होंने अपनी युवावस्था से यहोवा की सेवा की है, को संक्षिप्त में यह बताने के लिए कहिए कि उनके माता-पिता ने राज्य हितों पर केंद्रित अर्थपूर्ण लक्ष्यों को चुनने में कैसे उनकी मदद की।
गीत १८७ (९३) और समाप्ति प्रार्थना।
सितम्बर १८ से आरम्भ होनेवाला सप्ताह
गीत १६८ (८४)
१० मि: स्थानीय घोषणाएँ।
१५ मि: “सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिए करो।” एक प्राचीन द्वारा भाषण और श्रोतागण के साथ चर्चा। जब समय अनुमति दे, नवम्बर १, १९९२ की प्रहरीदुर्ग, पृष्ठ २४-२९ पर आधारित अतिरिक्त टिप्पणियाँ कीजिए।
२० मि: “१९९५ ‘आनन्दित स्तुतिकर्ता’ ज़िला अधिवेशन।” अनुच्छेद १७-२८ को सवाल-और-जवाब द्वारा पूरा कीजिए। “ज़िला अधिवेशन अनुस्मारक” पर पुनर्विचार कीजिए। जब समय अनुमति दे, जुलाई १९९५ की राज्य सेवकाई के अंतःपत्र से सम्बन्धित विवरणों पर पुनर्विचार कीजिए।
गीत १६२ (८९) और समाप्ति प्रार्थना।
सितम्बर २५ से आरम्भ होनेवाला सप्ताह
गीत १७७ (९४)
१० मि: स्थानीय घोषणाएँ।
१५ मि: “पारिवारिक बाइबल अध्ययन—मसीहियों के लिए एक प्राथमिकता।” श्रोतागण के साथ चर्चा। एक प्राचीन द्वारा सँभाला जाए जिसका परिवार अनुकरणीय है। इस बात पर ज़ोर दीजिए कि परिवार के प्रत्येक सदस्य की वृद्धि और प्रगति के लिए नियमित अध्ययन आवश्यक है। मई १, १९९४ की प्रहरीदुर्ग के पृष्ठ ७ पर अनुच्छेद १८ में दिए गए मुद्दों को पढ़िए और समझाइए।
२० मि: “दूसरों को लाभ पहुँचाने के लिए सभी दिलचस्पी दिखानेवालों से पुनःभेंट कीजिए।” पुनःभेंटों के लिए सुझायी गयी प्रस्तुतियों पर पुनर्विचार कीजिए। इस भाग को सँभालने वाला भाई दो या तीन प्रकाशकों के साथ वे क्या कहेंगे इस पर चर्चा करता है और फिर उन्हें अपनी प्रस्तुतियाँ प्रदर्शित करने के लिए कहता है।
गीत १९३ (१०३) और समाप्ति प्रार्थना।