१९९६ के लिए ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल तालिका
निर्देश
वर्ष १९९६ के दौरान ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल संचालित करने के लिए निम्नलिखित प्रबन्ध होंगे।
पाठ्य पुस्तकें: कार्य-नियुक्तियाँ पवित्र शास्त्र का नया संसार अनुवाद [bi12, अंग्रेज़ी], एकमात्र सच्चे परमेश्वर की उपासना में संयुक्त [uw, अंग्रेज़ी], “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और लाभदायक है” (१९९० संस्करण) [si अंग्रेज़ी], ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है [kl-HI], और रीज़निंग फ्रॉम द स्क्रिप्चर्स [rs, अंग्रेज़ी] पर आधारित होंगी।
यह स्कूल ठीक समय पर गीत, प्रार्थना और स्वागत के शब्दों के साथ शुरू होना चाहिए और फिर निम्नलिखित तरीक़े से आगे बढ़ना चाहिए:
नियुक्ति क्र. १: १५ मिनट। यह एक प्राचीन या सहायक सेवक द्वारा दी जानी चाहिए, और यह एकमात्र सच्चे परमेश्वर की उपासना में संयुक्त या “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और लाभदायक है” पर आधारित होगी। इस नियुक्ति को १०- से १२-मिनट के एक निर्देश भाषण के रूप में दिया जाना चाहिए और इसके बाद ३- से ५-मिनट तक प्रकाशन में छपे हुए प्रश्नों का प्रयोग करते हुए मौखिक पुनर्विचार होना चाहिए। इसका उद्देश्य विषय को केवल पूरा करना ही नहीं बल्कि जिस विषय पर चर्चा की जा रही है, उसके व्यावहारिक मूल्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए, कलीसिया के लिए सबसे ज़्यादा सहायक बातों को विशिष्ट करना है। दिए गए शीर्षक का प्रयोग करना चाहिए। सभी को ध्यानयुक्त पूर्व-तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ताकि श्रोतागण इस विषय से पूरी तरह लाभ उठाएँगे।
जिन भाइयों को यह भाषण नियुक्त किया जाता है उन्हें सावधान रहना चाहिए कि इसे समय के अन्दर पूरा करें। यदि आवश्यक हो या यदि वक्ता द्वारा निवेदन किया गया हो तो निजी सलाह दी जा सकती है।
बाइबल पठन से विशेषताएँ: ६ मिनट। इसे एक प्राचीन या सहायक सेवक द्वारा दिया जाना चाहिए जो विषय को प्रभावकारी रूप से स्थानीय ज़रूरतों पर लागू करेगा। यह नियत पठन का सिर्फ़ एक सारांश ही नहीं होना चाहिए। नियत अध्यायों का ३०- से ६०- सैकन्ड का समावेशक पुनर्विचार शामिल किया जा सकता है। लेकिन, इसका मुख्य उद्देश्य है श्रोतागण को इस बात का मूल्यांकन करने में सहायता करना कि यह जानकारी हमारे लिए क्यों और कैसे मूल्यवान है। इसके बाद स्कूल ओवरसियर विद्यार्थियों को उनकी विभिन्न कक्षाओं में भेज देगा।
नियुक्ति क्र. २: ५ मिनट। यह एक भाई द्वारा दिया जानेवाला नियत भाग का बाइबल पठन है। यह मुख्य स्कूल और साथ ही अतिरिक्त समूहों में भी लागू होगा। प्रायः ये पठन नियुक्तियाँ काफ़ी छोटी होती हैं जिससे कि विद्यार्थी शुरूआत और अन्त की टिप्पणियों में संक्षिप्त व्याख्यात्मक जानकारी दे सके। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, भविष्यसूचक या धर्म-सैद्धान्तिक महत्त्व, और सिद्धान्तों का प्रयोग सम्मिलित किया जा सकता है। नियत की गई सभी आयतों को बीच में बिना रुके पढ़ा जाना चाहिए। बेशक, जहाँ पढ़ी जानेवाली आयतें क्रमागत नहीं हैं, वहाँ विद्यार्थी बता सकता है कि पठन किस आयत से फिर से शुरू होता है।
नियुक्ति क्र. ३: ५ मिनट। यह एक बहन को नियुक्त किया जाएगा। इस प्रस्तुति के लिए विषय “चर्चा के लिए बाइबल विषय” या ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है पर आधारित होगा। नियुक्त विद्यार्थिनी को पढ़ना आना चाहिए। यह जानकारी पेश करते समय विद्यार्थिनी बैठी या खड़ी रह सकती है। जिस बहन को यह भाग नियुक्त किया जाता है, उसे शीर्षक और चर्चा किए जानेवाले विषय को एक व्यावहारिक सेटिंग के अनुकूल करने की ज़रूरत होगी, और बेहतर होगा कि सेटिंग क्षेत्र सेवा या अनौपचारिक गवाही से सम्बन्धित हो। स्कूल ओवरसियर द्वारा एक सहायिका निर्धारित की जाएगी, परन्तु अतिरिक्त सहायक का भी प्रयोग किया जा सकता है। सेटिंग पर नहीं, बल्कि विषय के प्रभावकारी प्रयोग पर मुख्य ध्यान दिया जाना चाहिए।
नियुक्ति क्र. ४: ५ मिनट। यह एक भाई या बहन को नियुक्त किया जाएगा। यह रीज़निंग फ्रॉम द स्क्रिप्चर्स पुस्तक पर आधारित होगी। जब यह एक भाई को नियुक्त किया जाता है, तो यह सारे श्रोतागण के लिए भाषण होना चाहिए। सामान्यतः भाई के लिए राज्यगृह श्रोतागण को मन में रखते हुए अपना भाषण तैयार करना सर्वोत्तम होगा, ताकि जो इसे वास्तव में सुनते हैं, उनके लिए यह सचमुच ज्ञानप्रद और लाभदायक हो। जब यह एक बहन को दिया जाता है, तो विषय को नियुक्ति क्र. ३ की रूप-रेखा के अनुसार पेश किया जाना चाहिए।
सलाह और टीका-टिप्पणीः प्रत्येक विद्यार्थी प्रस्तुति के बाद, स्कूल ओवरसियर विशिष्ट सलाह देगा, लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि भाषण सलाह परची (Speech Counsel Slip) के क्रमिक सलाह के कार्यक्रम का अनुकरण किया जाए। इसके बजाय, उसे उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जहाँ विद्यार्थी को सुधरने की ज़रूरत है। यदि विद्यार्थी सिर्फ़ “G” के योग्य हो और ऐसा कोई दूसरा भाषण गुण नहीं जहाँ “I” या “W” का चिन्ह लगा हो, तब सलाहकार को उस भाषण गुण के चौकोन में गोलाकार चिन्ह लगा देना चाहिए, जहाँ साधारणतया “G,” “I,” या “W” लिखा जाएगा, जिस पर विद्यार्थी को अगली बार काम करना है। वह इसके बारे में विद्यार्थी को उसी शाम बताएगा और साथ ही इसी भाषण गुण को विद्यार्थी की अगली ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल कार्य-नियुक्ति परची (S-89) पर लिखेगा। कार्यक्रम में शामिल व्यक्तियों को सभागृह में सामने की तरफ़ बैठना चाहिए। इस से समय की बचत होगी और स्कूल ओवरसियर को अपनी सलाह सीधे प्रत्येक विद्यार्थी को देने में सुविधा होगी। यदि आवश्यक मौखिक सलाह देने के बाद समय हो, तो सलाहकार उन ज्ञानप्रद और व्यावहारिक मुद्दों पर टिप्पणी कर सकता है जो विद्यार्थियों ने नहीं बताए हैं। स्कूल ओवरसियर को इस विषय में सावधान रहना चाहिए कि प्रत्येक विद्यार्थी प्रस्तुति के बाद सलाह देने और कोई अन्य संक्षिप्त टिप्पणियाँ करने के लिए वह कुल दो मिनट से अधिक समय न ले। यदि बाइबल विशेषताएँ नियुक्ति संतोषजनक नहीं थी, तो निजी सलाह दी जा सकती है।
नियुक्तियों की तैयारी करना: नियत भाग तैयार करने से पहले, विद्यार्थी को जिस भाषण गुण पर काम करना है उस से सम्बद्ध स्कूल गाइडबुक विषय को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए। जिन विद्यार्थियों को नियुक्ति क्र. २ दी जाती है वे एक ऐसा शीर्षक चुन सकते हैं, जो बाइबल से पढ़े जानेवाले भाग के लिए उपयुक्त हो। अन्य भाषण छपी हुई तालिका में दिए गए शीर्षक के अनुसार ही तैयार किए जाएँगे।
समय: न किसी व्यक्ति को, न ही सलाहकार की सलाह और टीका-टिप्पणियों को समय से ऊपर जाना चाहिए। समय ख़त्म हो जाने पर, नियुक्ति क्र. २ से नियुक्ति क्र. ४ को कुशलतापूर्वक रोक देना चाहिए। भाषण रोकने का संकेत देने के लिए नियुक्त व्यक्ति को ऐसा तुरंत करना चाहिए। जब नियुक्ति क्र. १ और बाइबल विशेषताएँ देनेवाले भाई अधिक समय लेते हैं, तो उन्हें निजी सलाह दी जानी चाहिए। सभी को अपने समय पर ध्यानपूर्वक नज़र रखनी चाहिए। कुल कार्यक्रम: गीत और प्रार्थना के अतिरिक्त, ४५ मिनट।
लिखित पुनर्विचार: समय-समय पर लिखित पुनर्विचार दिया जाएगा। तैयारी में, नियत विषय का पुनर्विचार कीजिए और निर्धारित बाइबल पठन को पूरा कीजिए। इस २५-मिनट के पुनर्विचार के दौरान सिर्फ़ बाइबल का प्रयोग किया जा सकता है। बाक़ी समय सवाल-जवाब की चर्चा करने के लिए दिया जाएगा। प्रत्येक विद्यार्थी अपने परचे की जाँच स्वयं करेगा। स्कूल ओवरसियर पुनर्विचार सवालों के जवाबों पर श्रोतागण के साथ चर्चा करेगा, और ज़्यादा मुश्किल सवालों पर ध्यान केंद्रित करेगा, ताकि सभी को स्पष्ट रूप से जवाब समझने में मदद मिले। यदि किसी कारणवश स्थानीय परिस्थितियाँ इसे आवश्यक बना दें, तो तालिका में दिए गए सप्ताह के अगले सप्ताह में लिखित पुनर्विचार दिया जा सकता है।
बड़ी कलीसियाएँ: जिन कलीसियाओं में ५० या उससे अधिक विद्यार्थियों ने स्कूल में नाम लिखवाया हैं, वहाँ विद्यार्थियों के अतिरिक्त समूह बनाए जा सकते हैं, ताकि विद्यार्थी अपने नियत भाग अन्य सलाहकारों के सामने दे सकें। बेशक, मसीही सिद्धान्तों के अनुरूप जीवन बितानेवाले बपतिस्मा-रहित व्यक्ति भी इस स्कूल में नाम लिखवाकर नियुक्तियाँ प्राप्त कर सकते हैं।
अनुपस्थित विद्यार्थी: इस स्कूल के हर साप्ताहिक सत्र में उपस्थित होने का प्रयास करने, अपनी नियुक्तियों की अच्छी तरह तैयारी करने, और सवाल-जवाब सत्रों में हिस्सा लेने के द्वारा, कलीसिया में सभी इस स्कूल के लिए मूल्यांकन दिखा सकते हैं। यह आशा की जाती है कि सभी विद्यार्थी अपनी नियुक्तियों को कर्तव्यनिष्ठा से लेंगे। यदि एक विद्यार्थी निर्धारित अवसर पर उपस्थित न हो, तो एक स्वयंसेवक यह नियुक्ति ले सकता है, और कम समय के कारण वह जैसा योग्य समझे वैसा अनुप्रयोग कर सकता है। या स्कूल ओवरसियर श्रोतागण की उचित सहभागिता के साथ विषय को पूरा कर सकता है।
तालिका
*td—पुस्तिका “चर्चा के लिए बाइबल विषय”
जन. १ बाइबल पठन: यिर्मयाह १३ से १५
गीत क्र. २१३
क्र. १: सच्ची मसीही एकता कैसे हासिल की जाती है (uw पृ. ५-७ अनु. १-७)
क्र. २: यिर्मयाह १४:१०-२२
क्र. ३: *td ३३ख परमेश्वर का राज्य मानवजाति के लिए क्या करेगा
क्र. ४: यीशु शारीरिक देह में स्वर्ग नहीं गया (rs पृ. ३३३ अनु. ३-पृ. ३३४ अनु. ३)
जन. ८ बाइबल पठन: यिर्मयाह १६ से १९
गीत क्र. १६३
क्र. १: मसीही एकता के लिए आवश्यक तत्व (uw पृ. ८ अनु. ८ से ८[३])
क्र. २: यिर्मयाह १८:१-१७
क्र. ३: *td ३३ग राज्य शासन उस समय आरम्भ होता है जबकि मसीह के शत्रु सक्रिय हैं
क्र. ४: यीशु भौतिक देहों में क्यों प्रकट हुआ (rs पृ. ३३४ अनु. ४-पृ. ३३५ अनु. २)
जन. १५ बाइबल पठन: यिर्मयाह २० से २२
गीत क्र. १८६
क्र. १: मसीहियों को संयुक्त करनेवाले अतिरिक्त तत्व (uw पृ. ९ अनु. ८[४] से ९)
क्र. २: यिर्मयाह २०:१-१३
क्र. ३: *td ३३ङ परमेश्वर का राज्य मनुष्यों के प्रयत्नों से नहीं आता
क्र. ४: मसीह के साथ शासन करने के लिए पुनरुत्थित लोग उसके समान होंगे (rs पृ. ३३५ अनु. ४-पृ. ३३६ अनु. २)
जन. २२ बाइबल पठन: यिर्मयाह २३ से २५
गीत क्र. ८९
क्र. १: विभाजक प्रभावों से दूर रहिए (uw पृ. १०-११ अनु. १०-१२)
क्र. २: यिर्मयाह २३:१६-३२
क्र. ३: *td ३४क “जगत के अन्त” का क्या अर्थ है
क्र. ४: सामान्य तौर पर मनुष्यजाति के लिए पुनरुत्थान का क्या अर्थ होगा (rs पृ. ३३६ अनु. ३-पृ. ३३७ अनु. ३)
जन. २९ बाइबल पठन: यिर्मयाह २६ से २८
गीत क्र. ९७
क्र. १: यहोवा जिस क़िस्म का व्यक्ति है (uw पृ. १२-१३ अनु. १-४)
क्र. २: यिर्मयाह २६:१-१६
क्र. ३: *td ३४ख अन्तिम दिनों के प्रमाण के प्रति सतर्क रहिए
क्र. ४: उनके अतीत के कार्यों के लिए पुनरुत्थित लोगों का न्याय क्यों नहीं किया जाएगा (rs पृ. ३३८ अनु. १)
फर. ५ बाइबल पठन: यिर्मयाह २९ से ३१
गीत क्र. ३५
क्र. १: यहोवा के प्रेम के उदाहरण का अनुकरण कीजिए (uw पृ. १४-१५ अनु. ५-७)
क्र. २: यिर्मयाह ३१:२७-४०
क्र. ३: *td ३६ख आज्ञाकारी मानवजाति के लिए परमेश्वर अनन्तजीवन की प्रतिज्ञा करता है
क्र. ४: “शेष मरे हुए” पृथ्वी पर कैसे जीवित होते हैं (rs पृ. ३३८ अनु. २-पृ. ३३९ अनु. २)
फर. १२ बाइबल पठन: यिर्मयाह ३२ और ३३
गीत क्र. १६६
क्र. १: लोगों को परमेश्वर के बारे में सच्चाई सिखाइए (uw पृ. १५-१७ अनु. ८-११[२])
क्र. २: यिर्मयाह ३३:१-३, १४-२६
क्र. ३: *td ३६घ केवल वे स्वर्ग जाते हैं जो मसीह की देह के भाग हैं
क्र. ४: जो पार्थिव पुनरुत्थान में शामिल किए जाते हैं (rs पृ. ३३९ अनु. ३-पृ. ३४० अनु. ३)
फर. १९ बाइबल पठन: यिर्मयाह ३४ से ३७
गीत क्र. ८५
क्र. १: केवल एक ही यहोवा है (uw पृ. १७-१८ अनु. ११[३] से १२)
क्र. २: यिर्मयाह ३५:१-११, १७-१९
क्र. ३: *td ३६ङ अनन्तजीवन की प्रतिज्ञा “अन्य भेड़” की असीमित संख्या से की गयी है
क्र. ४: मसीह की उपस्थिति से सम्बन्धित घटनाएँ कई सालों के दौरान घटित होती हैं (rs पृ. ३४१ अनु. १, २)
फर. २६ बाइबल पठन: यिर्मयाह ३८ से ४१
गीत क्र. ११७
क्र. १: परमेश्वर का नाम लेकर चलने का क्या अर्थ है (uw पृ. १८-१९ अनु. १३-१५)
क्र. २: यिर्मयाह ३८:१-१३
क्र. ३: *td ३८ख विवाह संयुक्तता आदरणीय होनी चाहिए
क्र. ४: मसीह की वापसी अदृश्य है (rs पृ. ३४१ अनु. ३-पृ. ३४२ अनु. २)
मार्च ४ बाइबल पठन: यिर्मयाह ४२ से ४५
गीत क्र. ४४
क्र. १: परमेश्वर के वचन के तौर पर बाइबल को स्वीकारने में दूसरों की मदद कीजिए (uw पृ. २०-२ अनु. १-६)
क्र. २: यिर्मयाह ४३:१-१३
क्र. ३: *td ३८ग मसीहियों को मुखियापन के सिद्धांत का सम्मान करना चाहिए
क्र. ४: यीशु के आने की रीति और हर आँख उसे कैसे देखेगी (rs पृ. ३४२ अनु. ४-पृ. ३४३ अनु. ५)
मार्च ११ बाइबल पठन: यिर्मयाह ४६ से ४८
गीत क्र. ४६
क्र. १: बाइबल रोज़ पढ़िए (uw पृ. २३-५ अनु. ७-११)
क्र. २: यिर्मयाह ४८:१-१५
क्र. ३: *td ३८घ बच्चों के प्रति मसीही माता-पिता की ज़िम्मेदारी
क्र. ४: मसीह की उपस्थिति से सम्बन्धित घटनाएँ (rs पृ. ३४४ अनु. १-५)
मार्च १८ बाइबल पठन: यिर्मयाह ४९ और ५०
गीत क्र. १७५
क्र. १: यहोवा के बारे में सीखने के लिए अध्ययन कीजिए (uw पृ. २५-६ अनु. १२ से १२[१])
क्र. २: यिर्मयाह ४९:१-११, १५-१८
क्र. ३: *td ३८ङ मसीहियों का विवाह केवल संगी मसीहियों से होना चाहिए
क्र. ४: मसीहियों से सब्त मनाने की माँग नहीं की जाती (rs पृ. ३४५ अनु. २-पृ. ३४६ अनु. ३)
मार्च २५ बाइबल पठन: यिर्मयाह ५१ और ५२
गीत क्र. ७०
क्र. १: यिर्मयाह—क्यों लाभदायक (si पृ. १२९ अनु. ३६-३९)
क्र. २: यिर्मयाह ५१:४१-५७
क्र. ३: *td ३८च सच्चे मसीही बहुविवाही नहीं हैं
क्र. ४: आदम के सब्त मनाने का कोई बाइबल अभिलेख नहीं (rs पृ. ३४६ अनु. ४-पृ. ३४७ अनु. २)
अप्रैल १ बाइबल पठन: विलापगीत १ और २
गीत क्र. १७०
क्र. १: विलापगीत की प्रस्तावना (si पृ. १३०-१ अनु. १-७)
क्र. २: विलापगीत २:१३-२२
क्र. ३: *td ३९क मरियम “परमेश्वर की माता” नहीं थी
क्र. ४: यीशु ने मूसा की व्यवस्था को “आनुष्ठानिक” और “नैतिक” भागों में विभाजित नहीं किया (rs पृ. ३४७ अनु. ३-पृ. ३४८ अनु. १)
अप्रैल ८ बाइबल पठन: विलापगीत ३ से ५
गीत क्र. १४०
क्र. १: विलापगीत—क्यों लाभदायक (si पृ. १३२ अनु. १३-१५)
क्र. २: विलापगीत ५:१-२२
क्र. ३: *td ३९ग बाइबल दिखाती है कि मरियम “हमेशा कुंवारी” नहीं थी
क्र. ४: दस आज्ञाएँ मूसा की व्यवस्था के साथ मिट गईं (rs पृ. ३४८ अनु. २, ३)
अप्रैल १५ बाइबल पठन: यहेजकेल १ से ४
गीत क्र. ११२
क्र. १: यहेजकेल की प्रस्तावना (si पृ. १३२-३ अनु. १-६)
क्र. २: यहेजकेल ३:१६-२७
क्र. ३: *td ४०क शास्त्र स्मारक के बारे में क्या कहता है
क्र. ४: दस आज्ञाओं के मिट जाने पर नैतिक प्रतिबन्ध क्यों नहीं हटा (rs पृ. ३४९ अनु. १, २)
अप्रैल २२ बाइबल पठन: यहेजकेल ५ से ८
गीत क्र. १८०
क्र. १: बाइबल के विषय और शास्त्र के संदर्भ पर ग़ौर कीजिए (uw पृ. २६ अनु. १२[२] और १२[३])
क्र. २: यहेजकेल ५:१-१५
क्र. ३: *td ४०ख ख्रीस्तयाग का मनाना अशास्त्रीय है
क्र. ४: मसीहियों के लिए सब्त का क्या अर्थ है (rs पृ. ३४९ अनु. ३-पृ. ३५१ अनु. २)
अप्रैल २९ लिखित पुनर्विचार। सम्पूर्ण यिर्मयाह १३ से यहेजकेल ८
गीत क्र. ११३
मई ६ बाइबल पठन: यहेजकेल ९ से ११
गीत क्र. १२४
क्र. १: व्यक्तिगत अनुप्रयोग कीजिए और आप जो सीखते हैं उसे दूसरों के साथ बाँटिए (uw पृ. २६-८ अनु. १२[४] से १३)
क्र. २: यहेजकेल ९:१-११
क्र. ३: परमेश्वर चाहता है कि आपका भविष्य सुखी हो (kl पृ. ६-७ अनु. १-५)
क्र. ४: बाइबल सन्तों के तौर पर किन व्यक्तियों का उल्लेख करती है (rs पृ. ३५२ अनु. १-पृ. ३५३ अनु. १)
मई १३ बाइबल पठन: यहेजकेल १२ से १४
गीत क्र. १०५
क्र. १: भविष्यवक्ता यीशु के बारे में क्या कहते हैं (uw पृ. २९-३१ अनु. १-६)
क्र. २: यहेजकेल १४:१-१४
क्र. ३: परादीस में अनन्तजीवन—एक सपना नहीं (kl पृ. ७-९ अनु. ६-१०)
क्र. ४: हम “सन्तों” से प्रार्थना क्यों नहीं करते (rs पृ. ३५३ अनु. २-४)
मई २० बाइबल पठन: यहेजकेल १५ और १६
गीत क्र. १४९
क्र. १: भविष्यसूचक नमूनों पर ध्यान दीजिए (uw पृ. ३२-३ अनु. ७ से ८[२])
क्र. २: यहेजकेल १६:४६-६३
क्र. ३: परादीस में जीवन किस प्रकार का होगा (kl पृ. ९-१० अनु. ११-१६)
क्र. ४: “सन्तों” के स्मृतिचिन्हों और प्रतिमाओं की आराधना करने के बारे में सच्चाई (rs पृ. ३५४ अनु. १-पृ. ३५५ अनु. १)
मई २७ बाइबल पठन: यहेजकेल १७ से १९
गीत क्र. १२०
क्र. १: हमारे महायाजक का पूर्वसंकेत दिया गया (uw पृ. ३३ अनु. ८[३] और ८[४])
क्र. २: यहेजकेल १८:२१-३२
क्र. ३: परमेश्वर का ज्ञान क्यों अत्यावश्यक है (kl पृ. १०-११ अनु. १७-१९)
क्र. ४: सच्चे मसीही सन्त पाप से मुक्त नहीं हैं (rs पृ. ३५५ अनु. २)
जून ३ बाइबल पठन: यहेजकेल २० और २१
गीत क्र. १४४
क्र. १: हम मसीह में अपना विश्वास कैसे दिखा सकते हैं (uw पृ. ३३-७ अनु. ९-१४)
क्र. २: यहेजकेल २१:१८-३२
क्र. ३: वह पुस्तक जो परमेश्वर का ज्ञान प्रकट करती है (kl पृ. १२-१३ अनु. १-६)
क्र. ४: विश्व-व्यापी उद्धार बाइबलीय नहीं है (rs पृ. ३५६ अनु. ३)
जून १० बाइबल पठन: यहेजकेल २२ और २३
गीत क्र. २२२
क्र. १: परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता सच्ची स्वतंत्रता लाती है (uw पृ. ३८-४० अनु. १-५)
क्र. २: यहेजकेल २२:१७-३१
क्र. ३: बाइबल परमेश्वर के बारे में जो प्रकट करती है (kl पृ. १४-१५ अनु. ७-९)
क्र. ४: क्या सभी मनुष्यों का अन्ततः उद्धार होगा (rs पृ. ३५७ अनु. १)
जून १७ बाइबल पठन: यहेजकेल २४ से २६
गीत क्र. १६०
क्र. १: आज सच्ची स्वतंत्रता कहाँ पायी जा सकती है (uw पृ. ४०-२ अनु. ६-९)
क्र. २: यहेजकेल २६:१-१४
क्र. ३: आप बाइबल पर भरोसा क्यों कर सकते हैं (kl पृ. १५-१६ अनु. १०-१३)
क्र. ४: ‘सभी प्रकार के मनुष्यों’ का उद्धार होगा (rs पृ. ३५७ अनु. २)
जून २४ बाइबल पठन: यहेजकेल २७ से २९
गीत क्र. १५९
क्र. १: सांसारिक स्वतंत्रता असलियत में दासत्व है (uw पृ. ४२-३ अनु. १०-१२)
क्र. २: यहेजकेल २९:१-१६
क्र. ३: बाइबल यथार्थ और विश्वसनीय है (kl पृ. १७ अनु. १४, १५)
क्र. ४: बाइबल कहती है कि कुछ लोगों का उद्धार कभी नहीं होगा (rs पृ. ३५८ अनु. १-३)
जुलाई १ बाइबल पठन: यहेजकेल ३० से ३२
गीत क्र. १३२
क्र. १: बुरे साथियों की पहचान कैसे करें (uw पृ. ४४-५ अनु. १३, १४)
क्र. २: यहेजकेल ३१:१-१४
क्र. ३: बाइबल भविष्यवाणी की एक पुस्तक है (kl पृ. १७-१८ अनु. १६-१८)
क्र. ४: एक बार उद्धार पाने का अर्थ हमेशा के लिए उद्धार पाना नहीं है (rs पृ. ३५८ अनु. ४-पृ. ३५९ अनु. १)
जुलाई ८ बाइबल पठन: यहेजकेल ३३ और ३४
गीत क्र. ८४
क्र. १: बड़ा वाद-विषय जिसका हरेक को सामना करना है (uw पृ. ४६-७ अनु. १-३)
क्र. २: यहेजकेल ३४:१७-३०
क्र. ३: यीशु के बारे में बाइबल भविष्यवाणियाँ (kl पृ. १९-२१ अनु. १९, २०)
क्र. ४: विश्वास के साथ कार्य क्यों होने चाहिए (rs पृ. ३५९ अनु. २-५)
जुलाई १५ बाइबल पठन: यहेजकेल ३५ से ३७
गीत क्र. ३८
क्र. १: निष्ठावान लोगों के विश्वास का अनुकरण कीजिए (uw पृ. ४७-५२ अनु. ४-११)
क्र. २: यहेजकेल ३५:१-१५
क्र. ३: परमेश्वर के ज्ञान के लिए लालसा विकसित कीजिए (kl पृ. २१-२ अनु. २१-३)
क्र. ४: हम कैसे जानते हैं कि इब्लीस हक़ीक़त में है (rs पृ. ३६१ अनु. २-पृ. ३६२ अनु. २)
जुलाई २२ बाइबल पठन: यहेजकेल ३८ और ३९
गीत क्र. २६
क्र. १: अपने आचरण के द्वारा यहोवा का सम्मान करना (uw पृ. ५२-४ अनु. १२-१५)
क्र. २: यहेजकेल ३८:१-४, १०-१२, १८-२३
क्र. ३: सच्चा परमेश्वर और उसका नाम (kl पृ. २३-४ अनु. १-५)
क्र. ४: शैतान केवल लोगों के अन्दर की दुष्टता नहीं है (rs पृ. ३६२ अनु. ३-पृ. ३६३ अनु. १)
जुलाई २९ बाइबल पठन: यहेजकेल ४० से ४४
गीत क्र. ६७
क्र. १: दुष्टता के लिए परमेश्वर की अनुमति हमें क्या सिखाती है (uw पृ. ५५-७ अनु. १-७)
क्र. २: यहेजकेल ४०:१-१५
क्र. ३: आपको परमेश्वर के नाम का इस्तेमाल क्यों करना चाहिए (kl पृ. २४-५ अनु. ६-८)
क्र. ४: परमेश्वर ने इब्लीस की सृष्टि नहीं की (rs पृ. ३६३ अनु. २)
अग. ५ बाइबल पठन: यहेजकेल ४५ से ४८
गीत क्र. ६३
क्र. १: यहेजकेल—क्यों लाभदायक (si पृ. १३७ अनु. २९-३३)
क्र. २: यहेजकेल ४७:१-१२
क्र. ३: यहोवा ने अपना नाम महान कैसे किया (kl पृ. २५-७ अनु. ९-१३)
क्र. ४: परमेश्वर ने शैतान को उसके विद्रोह करने के तुरन्त बाद नाश क्यों नहीं किया (rs पृ. ३६३ अनु. ३-पृ. ३६४ अनु. १)
अग. १२ बाइबल पठन: दानिय्येल १ और २
गीत क्र. १०२
क्र. १: दानिय्येल की प्रस्तावना (si पृ. १३८-९ अनु. १-६)
क्र. २: दानिय्येल २:३१-४५
क्र. ३: सच्चे परमेश्वर के गुण (kl पृ. २७-८ अनु. १४-१६)
क्र. ४: इब्लीस की शक्ति को कम न समझिए (rs पृ. ३६४ अनु. २-पृ. ३६५ अनु. २)
अग. १९ बाइबल पठन: दानिय्येल ३ और ४
गीत क्र. ४१
क्र. १: परमेश्वर कभी अन्याय नहीं करता (uw पृ. ५८-६१ अनु. ८-१६)
क्र. २: दानिय्येल ३:१६-३०
क्र. ३: यहोवा परमेश्वर दयालु और अनुग्रहकारी है (kl पृ. २८-९ अनु. १७-१९)
क्र. ४: शैतान के दुष्ट प्रभाव से राहत निकट है (rs पृ. ३६५ अनु. ४-पृ. ३६६ अनु. ३)
अग. २६ लिखित पुनर्विचार। सम्पूर्ण यहेजकेल ९ से दानिय्येल ४
गीत क्र. ११४
सित. २ बाइबल पठन: दानिय्येल ५ और ६
गीत क्र. ५६
क्र. १: दुष्ट आत्मिक शक्तियों का विरोध कीजिए (uw पृ. ६२-४ अनु. १-५)
क्र. २: दानिय्येल ६:४-११, १६, १९-२३
क्र. ३: यहोवा कोप करने में धीमा, निष्पक्ष, और धर्मी है (kl पृ. ३० अनु. २०, २१)
क्र. ४: क्या सभी लैंगिक सम्बन्ध पापपूर्ण हैं? (rs पृ. ३६७ अनु. १-पृ. ३६८ अनु. २)
सित. ९ बाइबल पठन: दानिय्येल ७ और ८
गीत क्र. १३८
क्र. १: इब्लीस की धूर्त युक्तियों से सतर्क रहिए (uw पृ. ६४-७ अनु. ६-१२)
क्र. २: दानिय्येल ७:२-१४
क्र. ३: यहोवा परमेश्वर एक ही है (kl पृ. ३०-१ अनु. २२, २३)
क्र. ४: बाइबल समलिंगकामुकता के बारे में क्या कहती है (rs पृ. ३६८ अनु. ४-पृ. ३६९ अनु. २)
सित. १६ बाइबल पठन: दानिय्येल ९ और १०
गीत क्र. १२३
क्र. १: परमेश्वर की ओर से सारे हथियार बान्ध लो (uw पृ. ६७-९ अनु. १३-१५)
क्र. २: दानिय्येल ९:२०-२७
क्र. ३: यीशु मसीह परमेश्वर के ज्ञान की कुंजी है (kl पृ. ३२-३ अनु. १-३)
क्र. ४: परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए जो परिवर्तन करने ज़रूरी हैं (rs पृ. ३६९ अनु. ३-पृ. ३७० अनु. १)
सित. २३ बाइबल पठन: दानिय्येल ११ और १२
गीत क्र. ८८
क्र. १: दानिय्येल—क्यों लाभदायक (si पृ. १४१-२ अनु. १९-२३)
क्र. २: दानिय्येल १२:१-१३
क्र. ३: प्रतिज्ञात मसीहा (kl पृ. ३३ अनु. ४, ५)
क्र. ४: एक परिपूर्ण व्यक्ति पाप क्यों कर सका (rs पृ. ३७१ अनु. २-पृ. ३७२ अनु. ३)
सित. ३० बाइबल पठन: होशे १ से ५
गीत क्र. ५०
क्र. १: होशे की प्रस्तावना (si पृ. १४३-४ अनु. १-८)
क्र. २: होशे ५:१-१५
क्र. ३: यीशु की वंशावली प्रतिज्ञात मसीहा के रूप में उसकी पहचान कराती है (kl पृ. ३४ अनु. ६)
क्र. ४: हम पाप को उसके सही रूप में क्यों स्वीकार करते हैं (rs पृ. ३७३ अनु. १-पृ. ३७४ अनु. १)
अक्तू. ७ बाइबल पठन: होशे ६ से १०
गीत क्र. १८५
क्र. १: ज्ञान, विश्वास, और पुनरुत्थान (uw पृ. ७०-३ अनु. १-७)
क्र. २: होशे ८:१-१४
क्र. ३: पूरित भविष्यवाणी यीशु की पहचान मसीहा के रूप में कराती है (kl पृ. ३४-६ अनु. ७, ८)
क्र. ४: परमेश्वर के साथ हमारे रिश्ते पर पाप का असर (rs पृ. ३७४ अनु. २-पृ. ३७५ अनु. २)
अक्तू. १४ बाइबल पठन: होशे ११ से १४
गीत क्र. १४६
क्र. १: होशे—क्यों लाभदायक (si पृ. १४५ अनु. १४-१७)
क्र. २: होशे ११:१-१२
क्र. ३: अतिरिक्त सबूत कि यीशु ही मसीहा था (kl पृ. ३६ अनु. ९)
क्र. ४: बाइबल प्राण के बारे में क्या कहती है (rs पृ. ३७५ अनु. ४-पृ. ३७६ अनु. ४)
अक्तू. २१ बाइबल पठन: योएल १ से ३
गीत क्र. १४३
क्र. १: योएल की प्रस्तावना और क्यों लाभदायक (si पृ. १४६-८ अनु. १-५, १२-१४)
क्र. २: योएल २:१-११, २८-३२
क्र. ३: यहोवा अपने पुत्र के बारे में साक्ष्य देता है (kl पृ. ३८ अनु. १०, ११)
क्र. ४: बाइबल कहती है कि पशु प्राण हैं (rs पृ. ३७६ अनु. ५-पृ. ३७७ अनु. ३)
अक्तू. २८ बाइबल पठन: आमोस १ से ५
गीत क्र. १५१
क्र. १: आमोस की प्रस्तावना (si पृ. १४८-९ अनु. १-६)
क्र. २: आमोस ३:१-१५
क्र. ३: यीशु का मानवपूर्व अस्तित्व (kl पृ. ३९ अनु. १२-१४)
क्र. ४: मृत्यु होने पर न तो प्राण ना ही आत्मा सचेत जीवन जीती है (rs पृ. ३७७ अनु. ४-पृ. ३७९ अनु. ६)
नव. ४ बाइबल पठन: आमोस ६ से ९
गीत क्र. २१२
क्र. १: आमोस—क्यों लाभदायक (si पृ. १५० अनु. १३-१७)
क्र. २: आमोस ८:१-१४
क्र. ३: पृथ्वी पर यीशु की जीवन-रीति (kl पृ. ४०-१ अनु. १५-१७)
क्र. ४: बाइबल पवित्र आत्मा का वर्णन कैसे करती है (rs पृ. ३८० अनु. २-पृ. ३८१ अनु. १)
नव. ११ बाइबल पठन: ओबद्याह से योना ४
गीत क्र. २१५
क्र. १: ओबद्याह और योना की प्रस्तावना और क्यों लाभदायक (si पृ. १५१-३ अनु. १-५, १०-१४; पृ. १५३-५ अनु. १-४, ९-१२)
क्र. २: योना ३:१०; ४:१-११
क्र. ३: यीशु जीवित है और राजा के रूप में राज्य कर रहा है (kl पृ. ४१-२ अनु. १८-२०)
क्र. ४: प्रमाण कि एक व्यक्ति के पास पवित्र आत्मा है (rs पृ. ३८१ अनु. ३-पृ. ३८२ अनु. १)
नव. १८ बाइबल पठन: मीका १ से ४
गीत क्र. १३९
क्र. १: मीका की प्रस्तावना (si पृ. १५५-६ अनु. १-८)
क्र. २: मीका ४:१-१२
क्र. ३: उपासना जो परमेश्वर स्वीकार करता है (kl पृ. ४३-५ अनु. १-५)
क्र. ४: मनुष्य का कोई आत्मिक भाग नहीं जो शरीर की मृत्यु के बाद जीवित बच जाता है (rs पृ. ३८२ अनु. ५-पृ. ३८३ अनु. २)
नव. २५ बाइबल पठन: मीका ५ से ७
गीत क्र. १६२
क्र. १: मीका—क्यों लाभदायक (si पृ. १५७-८ अनु. १६-१९)
क्र. २: मीका ६:१-१६
क्र. ३: परमेश्वर की इच्छा पूरी करना (kl पृ. ४६-७ अनु. ६-१०)
क्र. ४: मरे हुए व्यक्ति की “आत्मा” के साथ कोई संचार नहीं होता (rs पृ. ३८४ अनु. ३-पृ. ३८५ अनु. ४)
दिस. २ बाइबल पठन: नहूम १ से ३
गीत क्र. १६८
क्र. १: नहूम की प्रस्तावना और क्यों लाभदायक (si पृ. १५८-६० अनु. १-७, ११, १२)
क्र. २: नहूम १:२-१४
क्र. ३: परमेश्वर की उपासना उसके तरीक़े से कीजिए (kl पृ. ४८ अनु. ११-१३)
क्र. ४: सच्चे मसीही सभी प्रेतात्मवादी अभ्यासों को क्यों अस्वीकार करते हैं (rs पृ. ३८५ अनु. ५)
दिस. ९ बाइबल पठन: हबक्कूक १ से ३
गीत क्र. ४७
क्र. १: हबक्कूक की प्रस्तावना और क्यों लाभदायक (si पृ. १६१-३ अनु. १-५, १२-१४)
क्र. २: हबक्कूक १:१२–२:८
क्र. ३: परमेश्वर को अप्रसन्न करने से बचिए (kl पृ. ४९-५० अनु. १४-१७)
क्र. ४: प्रेतात्मवादी अभ्यासों से दूर रहिए (rs पृ. ३८६ अनु. १-पृ. ३८७ अनु. ३)
दिस. १६ बाइबल पठन: सपन्याह १ से ३
गीत क्र. १७२
क्र. १: सपन्याह की प्रस्तावना और क्यों लाभदायक (si पृ. १६३-६ अनु. १-६, १०-१२)
क्र. २: सपन्याह १:७-१८
क्र. ३: परमेश्वर के उच्च स्तरों का पालन कीजिए (kl पृ. ५०-१ अनु. १८, १९)
क्र. ४: पैशाचिक शक्तियों के बारे में जिज्ञासु मत होइए (rs पृ. ३८७ अनु. ४-पृ. ३८८ अनु. २)
दिस. २३ बाइबल पठन: हाग्गै १ और २
गीत क्र. १५२
क्र. १: हाग्गै की प्रस्तावना और क्यों लाभदायक (si पृ. १६६-८ अनु. १-७, १३-१६)
क्र. २: हाग्गै २:६-१९
क्र. ३: यहोवा को पूरे हृदय से की गयी उपासना दीजिए (kl पृ. ५१-२ अनु. २०-२)
क्र. ४: प्रेतात्मवादी प्रभाव से कैसे मुक्त हों (rs पृ. ३८८ अनु. ३-पृ. ३८९ अनु. ४)
दिस. ३० लिखित पुनर्विचार। सम्पूर्ण दानिय्येल ५ से हाग्गै २
गीत क्र. ३४