ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल पुनर्विचार
ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल की कार्य-नियुक्तियों में जनवरी १ से अप्रैल २२, १९९६ के सप्ताहों में चर्चा किए गए विषय का बंद-पुस्तक पुनर्विचार। नियत समय में जितने सवालों के जवाब आप दे सकते हैं, उनको लिखने के लिए एक अलग काग़ज़ का प्रयोग कीजिए।
[सूचना: लिखित पुनर्विचार के दौरान, किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए, सिर्फ़ बाइबल इस्तेमाल की जा सकती है। सवालों के बाद दिए गए हवाले आपकी व्यक्तिगत खोज के लिए हैं। द वॉचटावर और प्रहरीदुर्ग के हवालों में शायद हर जगह पृष्ठ और अनुच्छेद क्रमांक नहीं दिए गए हों।]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन को सही या ग़लत चिन्हित कीजिए:
१. जब तक एक मसीही महसूस करता है कि वह सही कार्य कर रहा है, उसके निर्णय उचित होंगे। (नीति. १४:१२) [uw पृ. ८ अनु. ८(२)]
२. त्रियेक की शिक्षा का उद्गम मसीहीजगत से हुआ। [uw पृ. १५, अनु. ८]
३. हालाँकि मूसा की व्यवस्था मिट गयी, बाइबल ऐसा कोई संकेत नहीं करती कि दस आज्ञाओं को मूसा की बाक़ी की व्यवस्था के साथ समाप्त किया गया था। [rs पृ. ३४८ अनु. २]
४. रोमियों ८:१६ की तुलना रोमियों १:७ से करने पर, यह देखा जा सकता है कि “परमेश्वर की सन्तान” के तौर पर पौलुस सारी मनुष्यजाति का उल्लेख कर रहा था। [uw पृ. २६ अनु. १२(३)]
५. यिर्मयाह ३१:३१, ३३ में उल्लिखित वाचा राज्य की उस वाचा को सूचित करती है जो यीशु अपने अभिषिक्त अनुयायियों के साथ बान्धता है। [si पृ. १२९ अनु. ३८]
६. विलापगीत की पुस्तक पाँच गीतिकाव्यों से बनी है, जिनमें से चार परिवर्णी काव्य हैं। [si पृ. १३० अनु. ६]
७. अपने पुनरुत्थान के बाद यीशु कई बार प्रकट हुआ—किन्तु केवल अपने शिष्यों की उपस्थिति में। [rs पृ. ३३४ अनु. २]
८. सच्चे मसीही परमेश्वर के विश्राम में मसीह के बलिदान पर विश्वास करने के द्वारा और उन कार्यों से दूर रहने के द्वारा प्रवेश करते हैं जिनसे वे ख़ुद को धार्मिक साबित करने की कोशिश करते। (इब्रा. ४:१०) [rs पृ. ३५० अनु. १]
९. प्रकाशितवाक्य २०:५ में ‘शेष मरे हुओं’ के जीवित होने के बारे में निक्षिप्त वक्तव्य, अन्य भेड़ के पार्थिव पुनरुत्थान को सूचित करता है। [rs पृ. ३३८ अनु. २-पृ. ३३९ अनु. २]
१०. जब यीशु ने उस प्रश्न का जवाब दिया कि व्यवस्था में कौन-सी आज्ञा सबसे बड़ी थी, उसने दस आज्ञाओं में से किसी भी आज्ञा को उद्धृत नहीं किया। (मत्ती २२:३५-४०) [rs पृ. ३४८ अनु. १]
निम्नलिखित सवालों के जवाब दीजिए:
११. चूँकि यहोवा के महान प्रेम ने उसे प्रेरित किया कि वह हमारे लिए अपनी जान देने के लिए अपने पुत्र को भेजे, तो परमेश्वर के लिए हमारे प्रेम को हमें क्या करने के लिए प्रेरित करना चाहिए? (२ कुरि. ५:१४, १५) [uw पृ. १४ अनु. ६]
१२. यहोवा के नाम से चलना क्या सूचित करता है? [uw पृ. १८ अनु. १४]
१३. विलापगीत की पुस्तक पढ़ने से हम यहोवा के गुणों के बारे में क्या सीखते हैं? (विला. ३:२२, २३, ३२) [si पृ. १३२ अनु. १३, १५]
१४. यहेजकेल और यीशु मसीह, दोनों के सम्बन्ध में कौन-सा पद बार-बार प्रयोग किया गया है? [si पृ. १३३ अनु. २]
१५. यह विश्वास करना क्यों तर्कसंगत है कि जिन व्यक्तियों को पृथ्वी पर जीवन के लिए पुनरुत्थित किया जाता है, उनका न्याय उनके भावी कार्यों के आधार पर किया जाएगा? (रोमि. ६:७) [rs पृ. ३३८ अनु. १]
१६. वे चार प्रमुख तत्व क्या हैं जो उस एकता में योग देते हैं जिसका आनन्द आज यहोवा के लोग उठाते हैं? [uw पृ. ८-९ अनु. ८, ९)
१७. हम क्यों यह उचित रूप से कह सकते हैं कि मसीह की उपस्थिति से सम्बन्धित घटनाएँ सालों की अवधि में पूरी होती हैं? (मत्ती २४:३७-३९) [rs पृ. ३४१ अनु. १]
१८. यहोवा के प्रेम, न्याय, बुद्धि, और शक्ति के उल्लेखनीय गुणों के अतिरिक्त, हम निर्गमन ३४:६, भजन ८६:५, और प्रेरितों १०:३४, ३५ से उसके आकर्षक व्यक्तित्व के बारे में क्या सीख सकते हैं? [uw पृ. १३ अनु. ३]
१९. लूका ५:१२, १३ के साथ यूहन्ना १४:९, १० की तुलना करने के पश्चात्, हम यह निष्कर्ष क्यों निकाल सकते हैं कि यहोवा पीड़ित मनुष्यजाति के प्रति कोमल करुणामयी है? [uw पृ. २५ अनु. १२(१)]
२०. मसीही जन साप्ताहिक सब्त रखने की बाध्यता के अधीन क्यों नहीं हैं? (रोमि. १०:४) [rs पृ. ३४५ अनु. २, ३]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन को पूरा करने के लिए आवश्यक शब्द या वाक्यांश दीजिए:
२१. एबेदमेलेक ने _________________________ का पूर्वसंकेत किया, जो _________________________ में सुरक्षित रखी जाएगी क्योंकि उन्होंने मसीह के भाइयों के _________________________ को मित्र बनाया और उनकी सहायता की। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-E८२ १०/१ पृ. २७ अनु. ११ देखिए।]
२२. हालाँकि यीशु को “एक ईश्वर” (NW) कहा गया है, यूहन्ना १७:३ में उसने यहोवा को “ _________________________ सच्चा परमेश्वर” (NHT) कहा, और यूहन्ना २०:१७ में उसने यहोवा का उल्लेख ‘ _________________________ परमेश्वर और _________________________ परमेश्वर’ के रूप में किया। [uw पृ. १८ अनु. १२]
२३. यिर्मयाह ५२:५-११ में वर्णित घटनाएँ सा.यु.पू. _________________________ में घटित हुईं। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI८८ ५/१ पृ. २५ अनु. १८ देखिए।]
२४. जब प्रकाशितवाक्य १:७ कहती है कि मसीह के लौटने के पश्चात् “हर एक आंख उसे देखेगी,” तब _________________________ दृष्टि की नहीं, परन्तु मानसिक _________________________ की बात की गयी है। [rs पृ. ३४३ अनु. २]
२५. अपने पुनरुत्थान के पश्चात् यीशु हमेशा उसी _________________________ में प्रकट नहीं हुआ, शायद शिष्यों के मन में यह तथ्य बिठाने के लिए कि वह उस समय एक _________________________ था, और इसलिए उसे उसके निकटतम साथियों ने भी फ़ौरन नहीं _________________________ । [rs पृ. ३३४ अनु. ५]
निम्नलिखित प्रत्येक कथन में सही जवाब चुनिए:
२६. बाइबल परमेश्वर का वचन है क्योंकि (अनुवादकों ने इस पर यह ठप्पा लगाया; भक्त लोगों ने इसे लिखा; परमेश्वर ने इसके लिखने को सक्रिय रूप से निर्देशित किया)। [uw पृ. २० अनु. २]
२७. अगर आप हर रोज़ बाइबल के केवल (एक; दो; चार) पन्ने पढ़ेंगे, तो आप उसे लगभग (छः महीने; नौ महीने; एक साल) में पूरी करेंगे। [uw पृ. २४ अनु. ९]
२८. मूसा की व्यवस्था, जिसमें दस आज्ञाएँ भी शामिल थीं, के अन्त के साथ नैतिक प्रतिबन्ध मिट नहीं गए, क्योंकि मसीही व्यवस्था के अधीन (हर समाज स्वयं अपने नैतिक स्तर विकसित करता; मनुष्यों को केवल अपने अंतःकरण से मार्गदर्शित होना चाहिए; दस आज्ञाओं के अनेक नैतिक स्तरों को मसीही यूनानी शास्त्र में फिर से वर्णित किया गया था)। [rs पृ. ३४९ अनु. १]
२९. यहोवा ने यिर्मयाह को इस प्रकार “मूर्ख बनाया” कि (उसने उसके द्वारा चतुराई से दण्डाज्ञा का संदेश प्रचार करवाया; उसने उसे वह कार्य पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जो वह अपनी सामर्थ से नहीं कर सका होता; वह उस विनाश को नहीं लाया जिसकी भविष्यवाणी यिर्मयाह ने की थी)। (यिर्म. २०:७, NW) [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-E८९ ५/१ पृ. ३१ देखिए।]
३०. यूहन्ना ५:२८ (NW) में पायी जानेवाली अभिव्यक्ति “स्मारकीय क़ब्र” (व्यक्तिगत क़ब्र; मनुष्यजाति की सामान्य क़ब्र; परमेश्वर द्वारा मृत व्यक्ति की याद) को सूचित करती है। [rs पृ. ३३९ अनु. ३]
निम्नलिखित शास्त्रवचनों का नीचे सूचीबद्ध कथनों के साथ सुमेल कीजिए: नीति. ३:५, ६; यिर्म. २३:३३; ३२:९, १०; विला. ३:४४; प्रका. १५:३, ४
३१. उपासना की सच्ची एकता का आधार है यहोवा को जानना और उसके धर्मी मार्गों के सामंजस्य में जीना। [uw पृ. ५ अनु. १]
३२. हमारे सम्पूर्ण जीवन-मार्ग से—चाहे हम कही भी क्यों न हों, चाहे हम कुछ भी क्यों न कर रहे हों—यह प्रमाण मिलना चाहिए कि हमारा सोच-विचार और हमारे अभिप्राय परमेश्वर-निर्देशित हैं। [uw पृ. १० अनु. ११]
३३. यहोवा दुष्टों की प्रार्थनाओं को नहीं सुनता। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-E८७ ७/१५ पृ. १५ देखिए।]
३४. परमेश्वर के वचन का वज़नदार भविष्यसूचक संदेश, न्याय से भारी है, जो मसीहीजगत की निकट विनाश की घोषणा करता है। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९४ ३/१ पृ. १२ अनु. १८, २० देखिए।]
३५. यहोवा के संगी उपासकों के साथ व्यावसायिक सौदे करते समय, एक लिखित समझौता उन ग़लतफ़हमियों को रोक सकता है जो शायद बाद में उत्पन्न हों। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९५ ५/१ पृ. ३० देखिए।]