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  • जुलाई १ से आरम्भ होनेवाला सप्ताह
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हमारी राज-सेवा—1996
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जुलाई के लिए सेवा सभाएँ

जुलाई १ से आरम्भ होनेवाला सप्ताह

गीत ९० (३२)

१२ मि: स्थानीय घोषणाएँ। हमारी राज्य सेवकाई से चुनी हुई घोषणाएँ। देश और स्थानीय कलीसिया के लिए अप्रैल क्षेत्र सेवा रिपोर्ट पर टिप्पणी कीजिए।

१५ मि: “हर दिन अपनी मन्‍नतें पूरी करना।” सवाल और जवाब। यह दिखाते हुए कि मन्‍नत मानना क्यों एक गम्भीर बाध्यता है, अन्तर्दृष्टि, (अंग्रेज़ी) खण्ड २, पृष्ठ ११६२, अनुच्छेद ६-७ से टिप्पणियाँ शामिल कीजिए।

१८ मि: “दूसरों की निष्कपट रूप से परवाह करने के द्वारा यहोवा की नक़ल कीजिए।” (अनुच्छेद १-३) लेख के शीर्षक को विकसित करने के लिए पहला अनुच्छेद का इस्तेमाल कीजिए। निर्धारित कीजिए कि कलीसिया के स्टाक में फ़िलहाल कौन-से ब्रोशर हैं जिनसे आपके क्षेत्र में दिलचस्पी जग सकती है। उल्लेख कीजिए कि ये किन भाषाओं में उपलब्ध हैं और सभी को कई भाषाओं में विभिन्‍न ब्रोशर साथ ले जाने के लिए प्रोत्साहित कीजिए। फिर केवल अनुच्छेद २-३ का पुनर्विचार कीजिए, और प्रदर्शित कीजिए कि किस प्रकार ब्रोशर क्या परमेश्‍वर वास्तव में हमारी परवाह करता है? का इस्तेमाल करते हुए दोनों आरम्भिक भेंट और पुनःभेंट की जा सकती हैं। दिखाइए कि किस प्रकार प्रकाशक किसी दूसरे ब्रोशर के लिए, जो स्थानीय क्षेत्र के लिए उपयुक्‍त होगा, अपनी प्रस्तुति बना सकते हैं।

गीत ११२ (५९) और समाप्ति प्रार्थना।

जुलाई ८ से आरम्भ होनेवाला सप्ताह

गीत ४३ (११)

१० मि: स्थानीय घोषणाएँ। लेखा रिपोर्ट।

१५ मि: “दूसरों की निष्कपट रूप से परवाह करने के द्वारा यहोवा की नक़ल कीजिए।” (अनुच्छेद ४-५) केवल अनुच्छेद ४-५ और जब आपके किसी प्रियजन की मृत्यु हो जाती है (अंग्रेज़ी) ब्रोशर से कुछ विशेषताओं की चर्चा कीजिए। फिर आरम्भिक भेंट और पुनःभेंट के लिए सुझायी गयी प्रस्तुतियों को प्रदर्शित कीजिए।

२० मि: “नियमित पायनियर सेवा में और भाइयों की ज़रूरत है।” सवाल और जवाब। जैसे समय अनुमति दे, आर्थिक ज़रूरतों की किस प्रकार देखभाल करनी है, इस पर दिए गए सुझावों का पुनर्विचार कीजिए, जैसे सितम्बर १५, १९९३, प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी), पृष्ठ २८-३१ में चर्चा की गयी है।

गीत १६ (१०१) और समाप्ति प्रार्थना।

जुलाई १५ से आरम्भ होनेवाला सप्ताह

गीत १६२ (८९)

१० मि: स्थानीय घोषणाएँ।

२० मि: “क्या आपने संध्या गवाही कार्य करने की कोशिश की है?” श्रोतागण की सहभागिता और कुछ साक्षात्कारों के साथ भाषण। दिन के आख़री भाग में क्षेत्र में कार्य करते वक़्त स्थानीय रूप से जो देखा गया है उसे बताइए। संध्या गवाही कार्य से मिले सकारात्मक परिणामों को दिखानेवाले अनुभव शामिल कीजिए। सेवा के लिए सभाओं की स्थानीय साप्ताहिक सारणी की रूपरेखा दीजिए।

१५ मि: “दूसरों की निष्कपट रूप से परवाह करने के द्वारा यहोवा की नक़ल कीजिए।” (अनुच्छेद ६-८) सभी को उन लोगों से, जिन्हें ब्रोशर दिया गया है, तत्परता से पुनःभेंट करने को प्रोत्साहित करने के लिए लेख के अन्तिम अनुच्छेद का इस्तेमाल कीजिए। अनुच्छेद ६-७ का इस्तेमाल करते हुए, आरम्भिक भेंट में किस प्रकार जीवन का उद्देश्‍य ब्रोशर प्रस्तुत करना है और पुनःभेंट में ज्ञान पुस्तक के पहले अध्याय से किस प्रकार अध्ययन शुरू करना है इसे प्रदर्शित कीजिए। प्रकाशकों को याद दिलाइए कि दूसरे ब्रोशरों के लिए हमारी राज्य सेवकाई में सुझायी गयी प्रस्तुतियों के उदाहरण का पालन करते हुए वे अपनी प्रस्तुतियाँ बना सकते हैं।

गीत ६४ (३५) और समाप्ति प्रार्थना।

जुलाई २२ से आरम्भ होनेवाला सप्ताह

गीत १०८ (६९)

१० मि: स्थानीय घोषणाएँ। पत्रिकाओं के नवीनतम अंकों पर संक्षिप्त में पुनर्विचार कीजिए, और दिलचस्प विशेषताओं को बताइए जिन्हें दरवाज़े पर इन पत्रिकाओं को प्रस्तुत करने में इस्तेमाल किया जा सकता है।

१५ मि: पूर्ण-समय सेवा के लक्ष्य में लगे रहिए। दिसम्बर १५, १९८८, प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी), पृष्ठ २५-७ पर आधारित एक प्राचीन और एक या दो किशोरों के बीच चर्चा। युवजन यह निर्णय करने की कोशिश कर रहे हैं कि वे उच्च विद्यालय समाप्त करने के बाद कौन-से लक्ष्य में लगेंगे। वे सांसारिक जीवन-वृत्तियों द्वारा पेश किए गए भौतिक लाभों में दिलचस्पी दिखाते हैं। प्राचीन अच्छे कारण देता है कि नियमित पायनियर सेवा के लिए आगे बढ़ना क्यों ज़्यादा बेहतर होगा। किशोर सहमत होते हैं लेकिन संदेह करते हैं कि वे नियमित पायनियर होते हुए अपने लिए भौतिक रूप से प्रबन्ध कर सकेंगे या नहीं। प्राचीन प्रहरीदुर्ग लेख से अनुभव बाँटता है, और दिखाता है कि नियमित पायनियर सेवा एक तर्कसंगत, प्राप्य लक्ष्य है जिससे अनेकों को आनन्द मिलता है। किशोरों द्वारा प्राचीन की टिप्पणियों के लिए मूल्यांकन और राज्य सेवा में पूरा-पूरा हिस्सा लेने के लक्ष्य में लगने के प्रति गम्भीर विचार देने का अपना संकल्प व्यक्‍त करते हुए चर्चा समाप्त होती है।

२० मि: “ज्ञान पुस्तक से शिष्य कैसे बनाएँ।” जून १९९६, हमारी राज्य सेवकाई, अंतःपत्र के अनुच्छेद १२-१६ पर भाषण। चल रहे बाइबल अध्ययन के दो प्रदर्शनों को शामिल कीजिए। पहला प्रदर्शन दिखाता है कि विद्यार्थी को ऐसे महत्त्वपूर्ण शब्दों और वाक्यांशों को विशिष्ट या रेखांकित करते हुए पाठ की तैयारी करने में कैसे प्रशिक्षित करना है जो मुद्रित सवालों के सबसे सीधे-सीधे जवाब देते हैं। दूसरा प्रदर्शन दिखाता है कि आम सभा और प्रहरीदुर्ग अध्ययन में उपस्थित होने के लिए बाइबल विद्यार्थी को प्रोत्साहित करने के लिए आप क्या कह सकते हैं।

गीत ११६ (३७) और समाप्ति प्रार्थना।

जुलाई २९ से आरम्भ होनेवाला सप्ताह

गीत २१२ (११०)

१० मि: स्थानीय घोषणाएँ। “उपलब्ध साहित्य” का पुनर्विचार कीजिए।

२० मि: एक बाइबल अध्ययन पाने के लिए किस चीज़ की ज़रूरत है? एक प्राचीन दो या तीन ऐसे लोगों के बीच चर्चा संचालित करता है जिन्होंने बाइबल अध्ययन कार्य में क़ामयाबी पायी है, और अध्ययन शुरू करने में ज़्यादा क़ामयाब होने के तरीक़ों पर पुनर्विचार करता है: (१) यहोवा की मदद के लिए प्रार्थना कीजिए। (२) दिलचस्पी दिखानेवालों को ढूढ़ने के लिए नियमित रूप से सेवकाई के विभिन्‍न पहलुओं में हिस्सा लीजिए। (३) दिखायी गयी सभी दिलचस्पी का रिकार्ड रखिए, और तत्परता से पुनःभेंट कीजिए। (४) जहाँ भी दिलचस्पी दिखायी जाती है, वहाँ हमेशा एक अध्ययन पेश कीजिए। (फरवरी १५, १९९६, प्रहरीदुर्ग के पृष्ठ २० पर उपशीर्षक “बाइबल अध्ययन आरम्भ करना” देखिए।) (५) मई १, १९८५, प्रहरीदुर्ग के पृष्ठ ९-१४ पर दिए गए चार सुझावों का इस्तेमाल करने के द्वारा सिखाने की अपनी क्षमता में विश्‍वास बढ़ाइए।

१५ मि: स्थानीय ज़रूरतें। या एक प्राचीन जनवरी १५, १९९६, प्रहरीदुर्ग, पृष्ठ २१-३ से “सांत्वना और प्रोत्साहन—अनेक पहलुओं वाले रत्न” पर एक भाषण देता है।

गीत १६५ (८१) और समाप्ति प्रार्थना।

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