हम बार-बार वापस क्यों जाते हैं?
क्या आपने ख़ुद से कभी यह सवाल पूछा है, शायद जब आप सेवा में एक दिन बिताने की तैयारी कर रहे थे? अब भारत में कलीसियाओं को संस्था से सिर्फ़ उतने क्षेत्र का ही निवेदन करने को कहा गया है, जितना वे एक साल में पूरा कर सकती हैं। इसलिए हममें से कुछ लोगों को जो लगातार नए क्षेत्रों में कार्य करने के आदी थे, हर साल उसी क्षेत्र में वापस जाना कुछ अजीब-सा लगता है। कुछ इलाक़ों में जहाँ हमारा क्षेत्र कई बार पूरा किया जाता है, गृहस्वामी शायद हमें पहचान लें कि हम कौन हैं, और हमें तुरंत लौटा दें। केवल कुछ ही शायद अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाएँ। फिर भी, ऐसे कई ठोस कारण हैं कि हम बार-बार वापस क्यों जाते हैं।
२ सबसे पहले, हमें अंत आने तक राज्य संदेश का प्रचार करते रहने की आज्ञा मिली है। (मत्ती २४:१४; २८:१९, २०) भविष्यवक्ता यशायाह ने सवाल किया कि उसे अपना प्रचार कार्य कितने समय तक जारी रखना होगा। जो जवाब उसे मिला, वह यशायाह ६:११ में अभिलिखित है। इसमें कोई शक नहीं—उसे परमेश्वर का संदेश लेकर लोगों के पास बार-बार वापस जाने के लिए कहा गया था। इसी प्रकार आज, हालाँकि लोग हमें लौटा दें, यहोवा अपेक्षा करता है कि हम अपने क्षेत्र में रहनेवाले लोगों से भेंट करते रहें। (यहे. ३:१०, ११) यह एक पवित्र ज़िम्मेदारी है जो हमें सौंपी गई है।—१ कुरि. ९:१७.
३ हमारे बार-बार वापस जाने का एक और कारण है कि यह हमें यहोवा के प्रति अपनी भक्ति की गहराई दिखाने का मौक़ा देता है। (१ यूह. ५:३) इसके अलावा, जब हम विचार करते हैं कि निकट भविष्य में मानवजाति के लिए क्या रखा है, तो हम अपने पड़ोसियों को सावधान करने के लिए प्रेमपूर्वक कोशिश करने से कैसे पीछे हट सकते हैं? (२ तीमु. ४:२; याकू. २:८) हमारी नियुक्ति को पूरा करने में हमारा वफ़ादार होना उन्हें परमेश्वर के उद्धार के संदेश के प्रति अनुक्रिया दिखाने के बार-बार मौक़े देता है, ताकि वे यह न कह सकें कि उन्हें सावधान नहीं किया गया था।—यहे. ५:१३.
४ इसके अतिरिक्त, हम नहीं जानते कि कब कुछ लोगों का हृदय बदल जाए। यह उनकी व्यक्तिगत परिस्थितियों में एक बदलाव, उनके परिवार में एक हादसे, या संसार के हालात के कारण हो सकता है, जो उन्हें भविष्य के बारे में गंभीरता से सोचने के लिए बाध्य करते हैं। और फिर, उनके दरवाज़े पर हमारे द्वारा कही गई कोई बात से शायद एक अनुकूल प्रतिक्रिया मिले। (सभो. ९:११; १ कुरि. ७:३१) इसके अलावा, लोग घर बदलते हैं। हम शायद अपने क्षेत्र में नए निवासियों को पाएँ जो सुसमाचार की ओर प्रतिक्रिया दिखाएँगे—शायद जवान वयस्क जो अब अपने पैरों पर खड़े हैं और जीवन में अपने उद्देश्य के बारे में गंभीरतापूर्वक सोच रहे हैं।
५ हालाँकि भारत में क्षेत्र कभी-कभी असीमित लगता है, लेकिन यहाँ भी ऐसा पाया गया है कि अच्छे परिणाम तब प्राप्त होते हैं जब एक क्षेत्र में अच्छी तरह से हर साल कार्य किया जाता है, और पुनःभेंट करने पर उचित ध्यान दिया जाता है। यह इससे अच्छा होता है जब प्रकाशक नए-नए क्षेत्रों को जाते रहते हैं जो शायद उनके घरों से दूर हों और इसलिए वे वहाँ आसानी से पुनःभेंट नहीं कर सकते। जब लोग हमें नियमित रूप से साल में कम-से-कम एक बार भेंट करते देखते हैं, तो उन पर उस प्रभाव की तुलना में एक अलग और अच्छा प्रभाव पड़ता है, जो पूरे जीवन में उनसे एक ही बार मुलाक़ात करने से पड़ेगा। कुछ समय बाद, जैसे-जैसे उसके प्रकाशकों की संख्या बढ़ती है, एक कलीसिया संस्था से और अधिक क्षेत्र की माँग कर सकती है, लेकिन तब भी सिर्फ़ उतना ही जितना वह एक साल में पूरा कर सके।
६ क्या हम बार-बार वापस जाएँगे? जी हाँ! शास्त्रवचन हमें लोगों के पास बार-बार लौटने की भरपूर प्रेरणा देते हैं। अंत में, जब प्रचार कार्य ख़त्म होगा, तब सेवकाई में अपने लगातार प्रयास के लिए यहोवा हमें आशीष देगा, और वह उन्हें आशीष देगा जिन्होंने राज्य सुसमाचार की ओर आभारपूर्ण प्रतिक्रिया दिखाई है।—१ तीमु. ४:१६.