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हमारी राज-सेवा—1997
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जून के लिए सेवा सभाएँ

जून २ से आरंभ होनेवाला सप्ताह

गीत १८१

८ मि:स्थानीय घोषणाएँ। हमारी राज्य सेवकाई से चुनी हुई घोषणाएँ। देश और स्थानीय कलीसिया की फरवरी सेवा रिपोर्ट पर टिप्पणी कीजिए।

१५ मि:“अपना भरसक करो।” सवाल और जवाब।—अप्रैल १५, १९९३ की प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी), पृष्ठ २८-३० भी देखिए।

२२ मि:“परमेश्‍वर से प्राप्त ज्ञान कई सवालों के जवाब देता है।” अध्यक्ष दो या तीन प्रकाशकों के साथ, जिनमें से एक युवा है, लेख पर चर्चा करता है। इस बात पर ज़ोर देते हुए अनुच्छेद १ पर टिप्पणी कीजिए कि ज्ञान पुस्तक हमें सवालों के जवाब देने में मदद करने में इतनी प्रभावकारी क्यों है। एक अभ्यास सत्र का प्रदर्शन कीजिए, और प्रत्येक प्रस्तुति के बाद सुधार के लिए सुझाव दीजिए।

गीत २०० और समाप्ति प्रार्थना

जून ९ से आरंभ होनेवाला सप्ताह

गीत १८९

१० मि:स्थानीय घोषणाएँ। लेखा रिपोर्ट।

१५ मि:मानसून के लिए याद रखनेवाली बातें। भाषण और श्रोतागण के साथ चर्चा। कई बार देश के अनेक हिस्सों में भारी वर्षा से सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। हम किस प्रकार प्रबंध कर सकते हैं ताकि ईश्‍वरशासनिक गतिविधियों की उपेक्षा न हो? निम्नलिखित पर चर्चा कीजिए: (१) सभाओं में नियमित उपस्थिति बनाए रखना। (२) सेवकाई में नियमित रूप से हिस्सा लेने का प्रबंध करना, महीने में जल्दी शुरू करना यदि बाद में मौसम ख़राब हो। (३) बरसात के लिए उचित पहनावा और एक उपयुक्‍त बैग रखना, जो हमारी बाइबल, साहित्य, और पत्रिकाओं को बारिश से बचाए। (४) यदि संभव हो, तो उपयुक्‍त क्षेत्र चुनना जैसे ऊँची इमारतें, या ऐसे इलाक़े जहाँ पानी न भरता हो। (५) ऐसे सार्वजनिक स्थान खोजना जहाँ अनौपचारिक गवाही करने के लिए बारिश से बचाव हो। (६) प्राचीनों द्वारा कलीसिया की गतिविधियों का अच्छा प्रबंध करना, ताकि रिपोर्ट की जानेवाली गतिविधि में कोई गिरावट न हो।

२० मि:दूसरों को सिखाना—बहुत बड़ी ज़रूरत। प्राचीन द्वारा भाषण। १९९७ वार्षिकी (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ ३३ पर दी गई १९९६ की विश्‍वव्यापी रिपोर्ट पर पुनर्विचार कीजिए। लोग जहाँ कहीं भी मिलें, उन्हें साक्षी देने के ज़ोरदार प्रयास फल ला रहे हैं। अभी जो बहुत बड़ी ज़रूरत है, वह है प्रकाशन लेनेवालों से पुनःभेंट करना और लोगों को सच्चाई सिखाना। जब सार्वजनिक स्थानों पर लोगों से मुलाक़ात होती है, तो कुशलता से उनका नाम-पता पूछिए ताकि एक पुनःभेंट की जा सके। हमें राज्य बीज को बोना ही नहीं बल्कि और भी कुछ करने की ज़रूरत है; हमें उसकी सिंचाई भी करनी चाहिए। (१ कुरि. ३:६-८) जब बीज अच्छी मिट्टी में बोया जाता है, तब प्रभावकारी शिक्षण व्यक्‍ति को उसका अर्थ समझने में मदद दे सकता है। (मत्ती १३:२३) शिक्षण कार्य में हमें ज़्यादा से ज़्यादा और पूरी कुशलता से हिस्सा लेना चाहिए। (इब्रा. ५:१२क) जून १९९६ की हमारी राज्य सेवकाई के अंतःपत्र, अनुच्छेद २५-६ के मुद्दों को शामिल कीजिए। माँग ब्रोशर या ज्ञान पुस्तक से अध्ययन शुरू करने की कोशिश करने पर ज़ोर दीजिए।

गीत २०४ और समाप्ति प्रार्थना।

जून १६ से आरंभ होनेवाला सप्ताह

गीत १९२

१० मि:स्थानीय घोषणाएँ। हाल की पत्रिकाओं से बातचीत के मुद्दे बताइए।

१५ मि:स्थानीय ज़रूरतें।

२० मि:अपने धर्म की सही या ग़लत के रूप में पहचान करना। एक प्राचीन दो या तीन योग्य प्रकाशकों के साथ, दिसंबर २२, १९८९, सजग होइए! (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ १८ पर आधारित एक चर्चा करता है। ऐसे अनेक लोगों से बार-बार भेंट की जाती है जो सत्हृदयी जान पड़ते हैं। लेकिन, वे बाइबल अध्ययन स्वीकार नहीं करते। चर्चा कीजिए कि किस प्रकार यथार्थ ज्ञान के सामंजस्य में कार्य करने की ज़रूरत के बारे में उन्हें अवगत करने के लिए सजग होइए! के इस लेख के मुद्दों का इस्तेमाल किया जा सकता है। ज्ञान पुस्तक, अध्याय ५, “परमेश्‍वर किसकी उपासना को स्वीकार करता है?” के ख़ास मुद्दों का हवाला दीजिए। अनुच्छेद २० पढ़िए। ऐसे व्यक्‍तियों से पुनःभेंट की जा सकती है कि उन्हें अध्ययन स्वीकार करने और सभाओं में उपस्थित होने के लिए स्नेहपूर्वक और कुशलता से प्रोत्साहित किया जा सके।

गीत २०१ और समाप्ति प्रार्थना।

जून २३ से आरंभ होनेवाला सप्ताह

गीत १९३

१० मि:स्थानीय घोषणाएँ।

१५ मि:वे हमारे बारे में क्या कह रहे हैं? प्रहरीदुर्ग प्रकाशन अनुक्रमणिका १९८६-१९९५ (अंग्रेज़ी), पृष्ठ ३४१-३ (या १९८६-९० अनुक्रमणिका के पृष्ठ २६८-९) में मिलनेवाली जानकारी पर आधारित एक भाषण। यहोवा के साक्षी—हमारे आचरण और हमारे कार्य—के बारे में “दूसरों की टिप्पणियाँ” में से कुछ प्रमुख टिप्पणियों को चुनिए। बताइए कि दूसरे लोग हम में जो देखते हैं, उससे उन पर कैसा प्रभाव पड़ा है। समझाइए कि हमेशा उचित चाल-चलन रखने और अपने काम में लगे रहने के लिए, हमें इस बात से क्यों प्रोत्साहित होना चाहिए। दिखाइए कि किस प्रकार ऐसी अनुकूल टिप्पणियों को अपने परिचित और दिलचस्पी रखनेवाले लोगों से, जो हमारे बारे में और ज़्यादा जानना चाहते हैं, बात करते समय इस्तेमाल किया जाए।

२० मि:“माता-पिताओ—अपने बच्चों को प्रचार करने के लिए प्रशिक्षित कीजिए।” सवाल और जवाब। हमारी सेवकाई (अंग्रेज़ी) पुस्तक, पृष्ठ ९९-१०० के उप-शीर्षक “युवाओं की मदद करना,” के निर्देशन को शामिल कीजिए।

गीत २११ और समाप्ति प्रार्थना।

जून ३० से आरंभ होनेवाला सप्ताह

गीत १९७

१० मि:स्थानीय घोषणाएँ। सभी को जून की क्षेत्र सेवा रिपोर्ट देने की याद दिलाइए।

२० मि:“युवाओ—आपके आध्यात्मिक लक्ष्य क्या हैं?” दो पिता इस लेख की एकसाथ मिलकर चर्चा करते हैं। वे विचार करते हैं कि कैसे उनके बच्चों को इस बात का महत्त्व समझने में मदद दें कि ईश्‍वरशासित लक्ष्य रखना क्यों ज़रूरी है, जो कि आध्यात्मिक आशीषें लाएगा, बजाय इसके कि भौतिकवादी हितों के पीछे भागें।—हमारी सेवकाई पुस्तक के पृष्ठ ११६-१८ भी देखिए।

१५ मि:जुलाई की साहित्य भेंट के लिए तैयारी करना। एक-दो ऐसे ब्रोशर चुनिए जिन्होंने स्थानीय क्षेत्र में दिलचस्पी जगाई है, और प्रत्येक के कुछ ख़ास मुद्दों के बारे में बात कीजिए। कुछ ऐसे तरीक़े सुझाइए जिनके द्वारा इन्हें प्रस्तुति में शामिल किया जा सकता है। सभी को वितरणों का रिकॉर्ड रखने, और लौटने तथा दिलचस्पी को बढ़ाने की याद दिलाइए।

गीत १०९ और समाप्ति प्रार्थना।

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