सभाएँ भले कामों के लिए उकसाती हैं
हमारी उपासना के दो ज़रूरी पहलू हैं, कलीसिया सभाओं में उपस्थित होना और क्षेत्र सेवकाई में भाग लेना। इन दोनों में गहरा संबंध है। एक का असर दूसरे पर होता है। मसीही सभाएँ भले कामों के लिए उकसाती हैं जिनमें राज्य-प्रचार और शिष्य बनाने का कार्य सबसे उत्तम है। (इब्रा. १०:२४) अगर हम सभाओं में उपस्थित होना छोड़ दें तो शायद जल्द ही हम प्रचार करना भी छोड़ देंगे क्योंकि हम ऐसा करने के लिए उकसाए नहीं जाएँगे।
२ साप्ताहिक सभाओं में हमें ऐसी आध्यात्मिक हिदायतें मिलती हैं जिनका उद्देश्य प्रचार कार्य के लिए हमें प्रेरित करना है। समय की पुकार पर बार-बार ज़ोर दिया जाता है, जो दूसरों तक बाइबल का जीवनदायक संदेश ले जाने के लिए हमें उत्साहित करता है। हमें प्रचार कार्य में लगे रहने के लिए प्रोत्साहित और दृढ़ किया जाता है। (मत्ती २४:१३, १४) जब सभाओं में टिप्पणी करने के मौक़ों का फ़ायदा उठाया जाता हैं तब दूसरों के सामने अपने विश्वास को व्यक्त करना आसान हो जाता है। (इब्रा. १०:२३) ईश्वरशासनिक सेवकाई स्कूल में भरती होने के द्वारा हमें ज़्यादा प्रभावकारी प्रचारक बनने और हमारे सिखाने के कौशल को सुधारने के लिए प्रशिक्षण मिलता है।—२ तीमु. ४:२.
३ सेवा सभाएँ हमें प्रचार के लिए कैसे उकसाती हैं: हमारी राज्य सेवकाई में दिए गए विषय की पहले ही से जाँच करने के लिए हम सभी को प्रोत्साहित किया जाता है। जब हम सेवा सभा में उपस्थित होते हैं और मंच पर प्रदर्शित प्रस्तुतियों को देखते हैं तब यह जानकारी हमारे दिमाग़ में बैठ जाती है। जब हम क्षेत्र सेवकाई में होते हैं तब हमारी राज्य सेवकाई में दिए गए विषय पर हम विचार कर सकते हैं और जिन प्रस्तुतियों को प्रदर्शित किया गया था, उन्हें याद कर सकते हैं। इस प्रकार हम एक ज़्यादा प्रभावकारी साक्षी दे सकते हैं। बहुत प्रकाशकों का यही अनुभव रहा है।
४ सेवा सभा में सीखी बातों को अमल में लाने के लिए कुछ लोग दूसरों के साथ सेवकाई करने के लिए इंतज़ाम करते हैं। सेवकाई में लागू होनेवाली बातें प्रकाशकों के मन में ताज़ी हैं और वे इन्हें आज़माने के लिए उत्सुक हैं क्योंकि इन सभाओं ने उन्हें हर हफ़्ते प्रचार कार्य में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया है।
५ हमारी मसीही सभाओं के लिए, जहाँ हम संगी उपासकों के साथ इकट्ठे होते हैं और भले कामों के लिए उकसाए जाते हैं, और कोई विकल्प नहीं है। अगर हमारी सेवकाई को सफल बनाना है तो हमें नियमित रूप से कलीसिया सभाओं में उपस्थित होना चाहिए। ऐसा हो कि ‘एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें’ और इस प्रकार हम यहोवा के इस बढ़िया इंतज़ाम के लिए क़दर दिखाएँ।—इब्रा. १०:२५.