सांत्वना पाने में दूसरों की मदद कीजिए
अनेक लोग विपत्तियों, युद्धों, अपराध और दुःखों के बारे में सुन-सुनकर तंग आ चुके हैं। हालाँकि, आज की समाचार रिपोर्टों से सांत्वना स्पष्ट रूप से ग़ायब है, लेकिन इसी की मानवजाति को सचमुच ज़रूरत है। सांत्वना देने का अर्थ है दूसरों को “बल और आशा प्रदान करना” और दूसरों के “दुःख या परेशानी को कम करना।” यहोवा के साक्षी होने के नाते हम इस तरह लोगों की मदद करने के लिए सुसज्जित हैं। (२ कुरि. १:३, ४) हमारे बाइबल-आधारित ब्रोशरों में, जिन्हें हम जुलाई और अगस्त में पेश करेंगे, सच्चाई के सांत्वनादायक संदेश पाए जाते हैं। (रोमि. १५:४) उन्हें विभिन्न परिस्थितियों में पेश करने के लिए यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:
२ समाचार-पत्र में दी गई एक त्रासदीपूर्ण कहानी साक्षी देने और दूसरों को सांत्वना प्रदान करने का अवसर पैदा कर सकती है, और संभवतः आप कुछ ऐसा कह सकते हैं:
▪ “जब ऐसी घटनाएँ घटती हैं, तो कुछ लोग सोचते हैं कि क्या परमेश्वर सचमुच मनुष्यों की परवाह करता है। आप क्या सोचते हैं? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] ध्यान दीजिए कि बाइबल कहती है कि पृथ्वी को बनाने में परमेश्वर का एक उद्देश्य था।” यशायाह ४५:१८ पढ़िए। फिर आगे कहिए: “यदि वह चाहता है कि पृथ्वी बसी रहे, तो क्या यह विश्वास करना तर्कसंगत नहीं होगा कि परमेश्वर यह निश्चित करने के लिए कुछ करेगा जिससे मनुष्य शांतिपूर्ण रूप से इसमें रह सकें? मेरे पास एक ब्रोशर है और मुझे यक़ीन है कि आप उसे सांत्वनादायक पाएँगे। इसका शीर्षक है क्या परमेश्वर हमारी परवाह करता है? [मुख-पृष्ठ पर दिए गए सवाल पढ़िए।] इसमें विश्वासोत्पादक प्रमाण दिया गया है कि जिन अन्यायपूर्ण परिस्थितियों का आज हम सामना करते हैं उन्हें परमेश्वर जल्द ही समाप्त कर देगा। क्या आप इसे पढ़ना चाहेंगे?” ब्रोशर पेश कीजिए और वापस आने का प्रबंध कीजिए।
३ पुनःभेंट पर, आप कह सकते हैं:
▪ “जब मैंने ब्रोशर क्या परमेश्वर वास्तव में हमारी परवाह करता है? आपको दिया था तब हम परमेश्वर की परवाह के प्रमाण के बारे में बात कर रहे थे। शायद आपने पृष्ठ ७ पर इस मुद्दे पर ध्यान दिया होगा। [चित्र दिखाइए और अनुच्छेद १५ का सार दीजिए।] परमेश्वर ने मानवजाति की सृष्टि में कैसी सावधानी बरती इसे दिखाने का यह मात्र एक उदाहरण है। [पृष्ठ ८ पर अनुच्छेद २७ पढ़िए।] बाइबल के व्यक्तिगत अध्ययन ने रोजमर्रा की समस्याओं का सामना करने में मेरी मदद की है क्योंकि यह मामलों में परमेश्वर का दृष्टिकोण बताती है।” अध्ययन के तरीक़े को प्रदर्शित करने की पेशकश कीजिए।
४ ब्रोशर “जीवन का उद्देश्य क्या है—आप इसे कैसे पा सकते हैं?” का इस्तेमाल करते हुए एक संक्षिप्त साक्षी दी जा सकती है। आप अपना परिचय दे सकते हैं और कह सकते हैं:
▪ “मैं आपसे और आपके पड़ोसियों से एक महत्त्वपूर्ण विषय के बारे में मिल रहा हूँ।” ब्रोशर के पृष्ठ ४ का पहला अनुच्छेद पढ़िए और फिर गृहस्वामी से पूछिए कि वह क्या सोचता है, और प्रतिक्रिया के लिए रुकिए। अपनी बाइबल में यशायाह ४५:१८ निकालिए। उस आयत को पढ़िए और कहिए: “यह आयत दिखाती है कि हमें ध्यान में रखते हुए पृथ्वी की सृष्टि की गई है। लेकिन हमें यहाँ क्या करना था? हमारा भविष्य क्या है?” ब्रोशर का उद्देश्य बताइए और उसे पेश कीजिए। दोबारा मिलने का निश्चित प्रबंध कीजिए।
५ अगली भेंट पर, आप अध्ययन शुरू करने के लिए यह कह सकते हैं:
▪ “यह समझाने के द्वारा कि कौन हमें जीवन का उद्देश्य बता सकता है मैं हमारी पिछली बातचीत को आगे बढ़ाना चाहूँगा। [जीवन का उद्देश्य ब्रोशर में पृष्ठ ६ के अनुच्छेद १ और २ का भावानुवाद कीजिए।] प्रकाशितवाक्य ४:११ समझाता है कि यहोवा हमारा सृष्टिकर्ता है। [पढ़िए।] हमारी सृष्टि करने में उसका ज़रूर कोई कारण रहा होगा। जो लोग यह जानना चाहते थे कि यह क्या है, उन्होंने परमेश्वर के लिखित वचन, बाइबल का अध्ययन किया है। मैं आपको ऐसा करने का अवसर पेश करना चाहूँगा।” समझाइए कि हमारा मुफ़्त गृह बाइबल अध्ययन कैसे संचालित किया जाता है, और अध्ययन पाठयक्रम शुरू करने के लिए प्रबंध कीजिए।
६ जिन लोगों ने किसी प्रियजन की मृत्यु का अनुभव किया है उन्हें ऐसी सकारात्मक पहुँच शायद सांत्वना दे:
▪ “उन सभी लोगों के लिए मैं एक सार्वजनिक कार्य कर रहा हूँ जिन्होंने किसी प्रियजन को मृत्यु में खोया है। क्योंकि शायद यह उन कठिनतम बातों में से हो सकती है जिसका हममें से किसी को कभी सामना करना पड़े, सो इसी बात को ध्यान में रखते हुए यह ब्रोशर, जब आपके किसी प्रियजन की मृत्यु हो जाती है (अंग्रेज़ी) तैयार किया गया है। इसने लाखों लोगों की सहायता की है। मैं आपको दिखाना चाहूँगा कि यीशु मसीह द्वारा की गई एक अद्भुत प्रतिज्ञा के बारे में यह क्या कहता है। [पृष्ठ २६ पर पाँचवाँ अनुच्छेद पढ़िए, यूहन्ना ५:२१, २८, २९ भी।] पृष्ठ २९ पर दिए गए इस चित्र पर ग़ौर कीजिए जो यीशु के लाजर को मरे हुओं में से सचमुच जिलाने के बाइबल वृत्तांत को चित्रित करता है। इस सांत्वनादायक ब्रोशर को लेने के लिए मैं आपको प्रोत्साहित करना चाहूँगा, और मुझे वापस आकर आपके साथ इस पर चर्चा करने में ख़ुशी होगी।”
७ जब आप वापस लौटें, तो आप ब्रोशर “जब आपके किसी प्रियजन की मृत्यु हो जाती है” में पृष्ठ २९ में दिए गए चित्र को दोबारा दिखा सकते हैं और कह सकते हैं:
▪ “यीशु द्वारा लाजर को जिलाए जाने के बारे में हमारी बातचीत को याद कीजिए। [पृष्ठ २८ पर दिए गए चित्रशीर्षक को पढ़िए, और उपशीर्षक “क्या यह वास्तव में हुआ?” के अंतर्गत विषय पर विचार कीजिए।] यदि आपका हृदय यह विश्वास करने के लिए लालायित होता है कि आप एक मृत प्रियजन को दोबारा देख सकते हैं, तो आइए पुनरुत्थान की आशा पर विश्वास करने में, मैं आपकी मदद करूँ।” एक गृह बाइबल अध्ययन पेश कीजिए।
८ ‘सब विलाप करनेवालों को शान्ति [“सांत्वना,” NW] देने’ के द्वारा आइए हम आनेवाले महीनों में यीशु का अनुकरण करने में अपना भरसक करें।—यशा. ६१:२.