ट्रैक्ट-सुसमाचार पेश करने का एक सरल और असरदार तरीका
१ सन् १८८१ से ही यहोवा के लोग अपने प्रचार के काम में ट्रैक्टों का इस्तेमाल करते आए हैं। भाई चार्ल्स् टेज़ रसल ने इनकी अहमियत समझी और इसलिए उन्होंने हमारी पहली मान्यता-प्राप्त संस्था का नाम ज़ायन्स वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी रखा। लेकिन हमारे बारे में क्या? क्या हम अपनी सेवकाई में ट्रैक्टों का अच्छा इस्तेमाल करते हैं?
२ संस्था ने खासकर, १९८७ से ट्रैक्ट इस्तेमाल करने की अहमियत पर ज़ोर दिया है और अलग-अलग विषयों पर ऐसे कई ट्रैक्ट छापे हैं जिनसे लोगों को ज़िंदगी के हालात का सामना करने में मदद मिल सके। मिसाल के तौर पर, हमारे पास ऐसे विषयों पर ट्रैक्ट हैं जैसे बाइबल, परिवार, हम जिस समय में जी रहे हैं उसका मतलब, मृत्यु और पुनरुत्थान, मानवजाति का भविष्य, वगैरह वगैरह।
३ हम में से कई लोग ट्रैक्टों में दी गई जानकारी से वाकिफ हैं और इनका इस्तेमाल करके हमने अच्छे नतीजे भी पाए हैं। हम जानते हैं कि गृहस्वामी को उसकी ज़रूरत के मुताबिक एक ट्रैक्ट देकर उससे बातचीत शुरू करना कितना आसान है। खासकर वे लोग ऐसा करना आसान पाते हैं जिन्होंने अभी-अभी प्रचार का काम करना शुरू किया है। छोटे बच्चे भी अपने माता-पिता के साथ प्रचार करते वक्त ट्रैक्ट देने में खुश होते हैं।
४ आज ट्रैक्ट कई भाषाओं में मिलते हैं जिसकी वज़ह से हम लाखों लोगों तक सुसमाचार पहुँचाने में कामयाब हो रहे हैं। कितना अच्छा होगा अगर हमारे देश के हरेक पढ़नेवाले व्यक्ति के पास उसकी अपनी भाषा में हमारा एक ट्रैक्ट हो। गरीब लोग भी ट्रैक्ट से फायदा उठा सकते हैं क्योंकि ये मुफ्त दिए जाते हैं। अगर हम हमेशा अपने साथ अलग-अलग भाषाओं में कई किस्म के ट्रैक्ट रखें तो अच्छा होगा।
मई - ट्रैक्ट देने का महीना
५ इस महीने पूरे देश में ट्रैक्ट देने के एक खास अभियान का इंतज़ाम किया गया है। भारत में हर साल मई महीने की दो खासियतें होती हैं: १) यह स्कूल पढ़नेवाले बच्चों के लिए गर्मी की छुट्टियों का महीना होता है और २) इस महीने में बहुत-से प्रकाशक ऑक्ज़लरी पायनियरिंग करते हैं। इस अभियान से न सिर्फ हमें कई तरीकों से मदद मिलेगी बल्कि इससे हमारे पड़ोसियों को भी आध्यात्मिक फायदे होंगे। ‘विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास’ की हिदायतों के मुताबिक, पूरी दुनिया में हमारे भाई-बहन जहाँ कहीं भी लोग मिल सकते हैं उन जगहों तक पहुँचने की पूरी कोशिश करते हैं। (मत्ती २४:४५-४७) यह कितनी खुशी की बात है कि हम भारत जैसे इलाके में सेवा कर रहे हैं क्योंकि यहाँ लोग हर जगह मिल जाते हैं। इसलिए अगर हम हर वक्त ट्रैक्ट देने के मौकों की तलाश में रहते हैं तो हम इनका अच्छा इस्तेमाल कर रहे होंगे। इसके लिए ज़रूरी है कि हम अपने साथ कई भाषाओं में अलग-अलग विषयों के ट्रैक्ट रखें और लोगों से अलग-अलग मुद्दों पर बात करने के लिए तैयार रहें।
६ कुछ भाई-बहन घर-घर में, सड़क पर और बस स्टॉप पर गवाही देते वक्त ट्रैक्टों का अच्छा इस्तेमाल कर रहे हैं। सफर करते समय वे न सिर्फ अपने साथ सफर करनेवालों को बल्कि बस ड्राइवरों, ऑटो और टैक्सी ड्राइवरों को भी ट्रैक्ट देते हैं। हाल ही में, भारत में एक बहन ने बस में सफर करते वक्त अपने साथ सफर करनेवाली एक स्त्री से दोस्ताना बातचीत शुरू की। इस स्त्री ने बहन से अन्याय के बारे में बात की। इससे बहन को मौका मिला और उसने उस स्त्री को एक शांतिपूर्ण नए संसार में जीवन ट्रैक्ट दिया और उसमें दिया गया प्रकाशितवाक्य २१:३-५ दिखाया। उस स्त्री ने संदेश में काफी दिलचस्पी दिखाई, बहन को अपना नाम और पता दिया और उससे दोबारा मिलने को कहा। कई प्रचारकों ने देखा है कि अपने साथ नौकरी करनेवालों को संक्षेप में गवाही देने के लिए ट्रैक्ट बहुत ही फायदेमंद हैं। जी हाँ, हालाँकि ट्रैक्ट देखने में छोटे लगते हैं पर उनमें दिया गया छोटा-सा संदेश उन लोगों को ढूँढने के लिए बहुत बड़ा काम कर रहा है जो सच्चाई जानना चाहते हैं और अनंत जीवन के योग्य हैं।
ट्रैक्टों के इस्तेमाल से और अच्छी तरह सच्चाई पेश करना
७ अलग-अलग तरह के ट्रैक्टों का इस तरह इस्तेमाल करने से न सिर्फ हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों से मिल पाते हैं बल्कि इससे हम यह भी सीख पाते हैं कि अलग-अलग विषयों पर बात करते हुए सुसमाचार को संक्षिप्त, सरल, साफ और दोस्ताना तरीके से कैसे सुनाएँ। इसलिए जब हम मई महीने में ट्रैक्टों के ज़रिये ज़्यादा लोगों तक सुसमाचार पहुँचाने की कोशिश करेंगे तब आइए हम यह भी सीखने की खास कोशिश करें कि लोगों से किस तरीके से बातचीत करें। सुननेवाले के दिल को छूने के लिए खुद हमें, दिल से बात करने की कला सीखने की ज़रूरत है। हम कई किस्म के लोगों से मिलते हैं जिनके धार्मिक विश्वास बहुत ही अलग हैं। इसलिए हमें यह जानने की ज़रूरत है कि “सुन्दर वचन” इस्तेमाल करके हम उनसे कैसे बात करें। (लूका ४:२२, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) हम इन वचनों को लोगों पर थोपना नहीं चाहते पर दिलचस्पी दिखानेवालों में उम्मीद जगाने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। जैसे प्रेरित पौलुस ने कहा, हम “सब मनुष्यों के लिये सब कुछ” बनना चाहते हैं।—१ कुरिन्थियों ९:२२.
८ अगर हमने एक ही रटा-रटाया संदेश सुनाने की आदत डाल ली है तो हम दिल से सुसमाचार नहीं सुना रहे होंगे। अगर लोग सभी प्रचारकों से बार-बार वही संदेश सुनते रहें तो रटी-रटायी बातें सुन-सुनकर शायद वे परेशान हो जाएँ और उन्हें गुस्सा भी आ जाए और इसलिए वे शायद हमारे साथ रूखा व्यवहार करें। अगर हमारे परिवार का कोई सदस्य दिन-भर एक ही गीत की धुन गुनगुनाता रहे या कोई पड़ोसी एक ही किस्म का संगीत बार-बार बजाता रहे तो हमें कैसा लगेगा? या कोई दोस्त हमें एक ही कहानी बार-बार बताता रहे तो हम उसके बारे में क्या सोचेंगे? अगर हम अपने इलाके के लोगों को हमेशा रटी-रटायी बातें बताते रहें तो वे यहोवा परमेश्वर और उसके वचन बाइबल के बारे में क्या सोचेंगे?
९ इस महीने ट्रैक्ट देने के अभियान में पूरा-पूरा हिस्सा लेने से हर किसी को इस मामले में बहुत मदद मिलेगी। अगर आप एक नए प्रचारक हैं, तो आप अपने बाइबल अध्ययन चलानेवाले के साथ इन ट्रैक्टों का अध्ययन करने का वक्त निकालिए। इस अध्ययन में यह चर्चा कीजिए कि इन ट्रैक्टों में दी गई जानकारी का आपके इलाके के लोगों के लिए कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। ‘पायनियरों द्वारा सहायता’ कार्यक्रम के तहत अगर कोई पायनियर आपकी मदद कर रहा है तो क्यों न आप ट्रैक्टों का इस्तेमाल करने में उसकी मदद लें? जो पायनियर आपकी मदद कर रहा है, उसके साथ आप रिहर्सल कर सकते हैं कि कैसे सुसमाचार सुनाते वक्त ट्रैक्ट का असरदार तरीके से इस्तेमाल करें। माता-पिताओ, आप शायद चाहें कि पूरा परिवार मिलकर रिहर्सल करे ताकि आप और आपके बच्चे सीख सकें कि प्रचार करते वक्त ट्रैक्ट का इस्तेमाल कैसे करें। दरअसल, सभी प्रचारक खास कोशिश कर सकते हैं ताकि असरदार तरीके से ट्रैक्ट पेश कर सकें। हमारे इलाके के लिए जो सही होंगी ऐसी प्रस्तुतियाँ बनाने में रीज़निंग किताब हमारी बहुत मदद करेगी। साथ ही, हम हमारी राज्य सेवकाई के उन पुराने अंकों को पढ़ सकते हैं जिनमें ट्रैक्टों के इस्तेमाल के बारे में बताया गया है। अगस्त १९९३ पेज ३-४; फरवरी १९९१ पेज ४; फरवरी १९९० पेज ४ देखिए।
१० इनमें से कुछ ट्रैक्ट आप इस तरह पेश कर सकते हैं
क्यों आप बाइबल पर विश्वास कर सकते हैं
अभिवादन करने के बाद आप कह सकते हैं, “आपकी राय में ऐसा क्यों है कि बहुत ही कम लोग बाइबल में दिलचस्पी लेते हैं जबकि यह आज दो हज़ार से भी ज़्यादा भाषाओं में उपलब्ध है?” [जवाब के लिए रुकिये] फिर आगे कहिए “बाइबल का अध्ययन करके हमने जाना है कि यह एक ऐसी किताब है जिसे पूरे इतिहास में अकसर बदनाम किया गया है। क्या मैं आपको दिखाऊँ कि यह बिलकुल ही सरल तरीके से सब लोगों के लिए क्या संदेश देती है?” फिर आप गृहस्वामी को ट्रैक्ट के पाँचवे पेज पर दिया गया उपशीर्षक ‘भविष्य को पूर्व बतलाना’ दिखा सकते हैं। ट्रैक्ट के पेज ५ और ६ पर दिए गए आखिरी चार पैराग्राफों पर चर्चा कीजिए। कुछ देर बातचीत करने के बाद आप एक पत्रिका या माँग ब्रोशर दे सकते हैं।
यहोवा के साक्षी क्या विश्वास करते हैं?
अभिवादन के बाद, इस ट्रैक्ट का इस्तेमाल करते हुए आप यह कहकर बात शुरू कर सकते हैं, “आपके हिसाब से समाज में एक-दूसरे के साथ शांति से रहने में कौन-सी बात सभी लोगों की मदद कर सकती है?” [जवाब के लिए रुकिये] फिर आप कह सकते हैं, “यहोवा के साक्षियों के नाते हमें लगता है कि एक-दूसरे के धार्मिक विश्वास और जीने के तरीके से वाकिफ होकर हम एक-दूसरे को ज़्यादा अच्छी तरह समझ सकते हैं। आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगे?” [जवाब के लिए रुकिये] बात को आगे बढ़ाते हुए आप कह सकते हैं, “हम यहोवा के साक्षी भी इसी समाज का एक हिस्सा हैं लेकिन बहुत कम लोग हमारे बारे में जानते हैं इसलिए हमने यह ट्रैक्ट तैयार किया है ताकि आपको यह जानने में मदद मिल सके कि हम कौन हैं और हम क्या विश्वास करते हैं।” आप ट्रैक्ट की किसी खास बात पर ज़ोर दे सकते हैं या दोबारा मिलने का समय तय कर सकते हैं ताकि उन्हें और ज़्यादा समझा सकें।
एक शांतिपूर्ण नए संसार में जीवन
अभिवादन से शुरूआत करने के बाद आप शायद कहें, “आज हम इस इलाके में रहनेवाले सभी लोगों से मिलने की कोशिश कर रहे हैं और आपको घर पर पाकर हमें अच्छा लगा। अगर आप एक सवाल पर अपनी राय बताएँगे तो हमें खुशी होगी। भारत में, कई लोग अलग-अलग देवताओं को पूजते हैं फिर भी उनमें से कई लोगों का मानना है कि सभी जीवित प्राणियों में जीवन-शक्ति डालनेवाला एक परम ईश्वर है। क्या आप भी ऐसा ही सोचते हैं?” [जवाब के लिए रुकिये] फिर आप कह सकते हैं, “इस परम ईश्वर ने जब पृथ्वी और इस पर की सभी चीज़ों को बनाया तो उसका मकसद क्या था, इसके बारे में आप क्या कहेंगे?” इस बातचीत के ज़रिये आप ट्रैक्ट में दी गई जानकारी पर चर्चा शुरू कर सकते हैं और दिखा सकते हैं कि पृथ्वी इंसान के लिए और इंसान पृथ्वी के लिए बनाया गया था ताकि वह इसमें हमेशा तक जी सके। शुरू के तीन पैराग्राफों पर चर्चा करने के बाद, दोबारा आने और बातचीत जारी रखने के लिए पक्का इंतज़ाम कीजिए।
मृत प्रिय जनों के लिए कौन-सी आशा?
आप कुछ ऐसा कह सकते हैं, “हालाँकि हम सब मौत को एक हकीकत मान लेते हैं पर क्या आप सोचते हैं कि हम मरने के लिए ही बने हैं?” [जवाब के लिए रुकिये] फिर शायद आप कहें, “हमें मरने के लिए नहीं बनाया गया था इसलिए हम मरना नहीं चाहते। लोग मरे हुओं के लिए न सिर्फ शोक करते हैं बल्कि उनको यह उम्मीद रहती है कि वे कहीं-न-कहीं अब भी ज़िंदा हैं। इस बारे में कई अलग-अलग बातें सिखाई जाती हैं। क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया है कि हमारे जो प्रियजन मर चुके हैं उनसे हम दोबारा कभी मिल सकेंगे भी या नहीं? फिर उन्हें पेज २ पर दिए गए पैराग्राफ १-३ दिखाइए। आखिर में पुनरुत्थान की आशा के बारे में बताइए। पुनरुत्थान की आशा के बारे में अगली बार चर्चा करने का समय तय कीजिए।
आप चाहें तो किसी भी ट्रैक्ट का इस्तेमाल करके दिखा सकते हैं कि घर पर ही बाइबल अध्ययन कैसे करते हैं और गृहस्वामी के सामने इस अध्ययन की पेशकश रख सकते हैं।
जीवन बचानेवाली बातचीत
११ बेशक इस अभियान से और भी बहुत-से लोगों को जीवन के मार्ग पर आने में मदद मिलेगी। हमें कई लोगों से मिलने और उनसे दिलचस्प बातचीत करने का मौका मिलेगा। हमें याद रखने की ज़रूरत है कि वे हमारे लिए गृहस्वामी हैं। लेकिन हम उनके लिए बिलकुल अजनबी हैं। इसलिए हमें सावधान रहना चाहिए कि हम ऐसी कोई बात न कहें जिससे वे नाराज़ हो जाएँ। इसलिए हमें अपनी प्रस्तावनाओं के बारे में बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है और इन्हें न सिर्फ अपने इलाके के लोगों की ज़रूरतों के मुताबिक बल्कि मौजूदा हालात के मुताबिक भी बदलना चाहिए। उदाहरण के लिए, क्या हम अपनी बातचीत और व्यवहार से यह छाप छोड़ रहे हैं कि हममें और ईसाईजगत के लोगों में कोई फर्क नहीं या हम यहोवा के साक्षियों के नाते बिलकुल अलग नज़र आते हैं? क्या हमारी प्रस्तावनाओं से ऐसा लगता है कि हम किसी-न-किसी राजनैतिक पार्टी को पसंद करते हैं? या लोगों को साफ पता चलता है कि हम किसी भी पार्टी की तरफदारी नहीं करते और ऐसे किसी भी उच्च अधिकार को उचित अधीनता दिखाते हैं जिसे यहोवा ने रहने की अनुमति दी है?
१२ पूरी दुनिया में यहोवा के लोग बाइबल के उसूलों पर चलने, ईमानदार होने, मेहनती होने और बढ़िया चालचलन कायम रखने के लिए जाने जाते हैं। कभी-कभी, गलतफहमियों की वज़ह से, हमारे कुछ भाई-बहनों पर गलत इलज़ाम लगाए जाते हैं क्योंकि सच जानने के बजाय हमारे बारे में लोगों की आम राय को ही सही मान लिया जाता है। ऐसे गलत विचारों को ठीक करने के लिए हमें लोगों से बातचीत करने, उनके साथ प्यार से पेश आने और कुशलता से व्यवहार करने की ज़रूरत है, ठीक वैसे ही जैसे यीशु मसीह ने पहली सदी के लोगों के साथ किया था। इस महीने लोगों से बात करते वक्त ट्रैक्टों का इस्तेमाल करके हम उनकी गलतफहमियाँ दूर कर सकते हैं।