किंगडम हॉल लोन
भारत के कई इलाकों में यहोवा के लोगों की एक सबसे बड़ी समस्या है, सभाओं के लिए सही जगह का इंतज़ाम करना। हालाँकि कई कलीसियाओं के अपने किंगडम हॉल हैं, पर फिर भी ऐसी कई कलीसियाएँ हैं जिन्हें किराए के मकानों में सभाएँ चलानी पड़ती हैं। इतना ही नहीं, कई भाई-बहन बहुत गरीब हैं। अपने परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने में ही उनकी ज़्यादातर कमाई चली जाती है इसलिए वे अपना एक किंगडम हॉल बनाने की बात तो सोच भी नहीं सकते।
इसलिए किंगडम हॉल बनाने के लिए ज़रूरी पैसा जुटाने के लिए कुछ भाइयों ने विदेश के भाइयों को चिट्ठियाँ लिखी हैं और उनसे पैसों की मदद माँगी है। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। ऐसा शायद नेक इरादे से किया गया हो लेकिन यह बाइबल के मुताबिक या संगठन के इंतज़ामों के मुताबिक नहीं है। दूसरा कुरिन्थियों ८:१०-१५ में दी गई हिदायत, अपनी कलीसिया की ज़रूरत को पूरा करने के लिए किसी एक व्यक्ति द्वारा चंदा माँगने की बात नहीं थी। इसके बजाय यह कई ज़रूरतमंद भाइयों की मदद करने के लिए शासी निकाय द्वारा दी गई एक हिदायत थी।
आज, भारत में संस्था के पास एक “किंगडम हॉल म्यूचुअल एसिस्टेंस फंड” (किंगडम हॉल के लिए आपसी सहायता कोष) है जिसके ज़रिए बाइबल की यह हिदायत मानी जाती है। जिन कलीसियाओं को ज़मीन खरीदने या किंगडम हॉल बनाने के लिए मदद की ज़रूरत है उन्हें सलाह-मशविरे के लिए संस्था को लिखना चाहिए। मदद के लिए विदेश के भाइयों को लिखना ठीक नहीं है। शायद हम सोचें कि उनके पास हमारी मदद करने को काफी पैसा है, लेकिन अगर वे प्रभु के काम के लिए पैसा देना चाहते हैं तो उनके अपने देश में ही संस्था के विश्वव्यापी काम के लिए या किंगडम हॉल फंड के लिए चंदा देने का इंतज़ाम है।—२ कुरिन्थियों ९:७.
संस्था ने सभी कलीसियाओं के प्राचीनों को इस बारे में साफ-साफ निर्देश दे दिए हैं कि वे किस तरह संस्था से बाकायदा मदद माँग सकते हैं। आइए हम सब मिलकर परमेश्वर के संगठन के इस निर्देश को मानें ताकि “सारी बातें सभ्यता और क्रमानुसार की जाएं।”—१ कुरिन्थियों १४:४०.