आम तौर पर, हम पर लोगों का धर्म-परिवर्तन करने का जो इलज़ाम लगाया जाता है उसका हम कैसे जवाब दे सकते हैं?
हम कह सकते हैं:
◼ “आपकी इस बात से मुझे लगता है कि आप एक धार्मिक इंसान हैं। हम आपकी भावनाओं की कदर करते हैं और उम्मीद है कि आप भी हमारी भावनाओं की कदर करते हैं। दरअसल, परमेश्वर को माननेवाले आप जैसे लोगों से मिलकर हमें बहुत खुशी होती है। लोगों से हम इसलिए मिलना चाहते हैं क्योंकि हम परमेश्वर पर उनके विश्वास को मज़बूत करना और उन्हें यह समझने में मदद देना चाहते हैं कि परमेश्वर ने इंसान के लिए एक मकसद रखा है।”
◼ “दरअसल, जहाँ तक हम जानते हैं, कोई भी किसी का धर्म-परिवर्तन नहीं कर सकता। एक व्यक्ति को खुद अपने आप में परिवर्तन लाना पड़ता है। क्या कोई भी इंसान सिगरेट पीनेवाले किसी व्यक्ति का परिवर्तन करके उसकी सिगरेट की आदत छुड़ा सकता है या किसी शराबी का परिवर्तन करके उसे शराब से नफरत करनेवाला बना सकता है? ऐसे लोगों को अपनी गंदी आदतें खुद छोड़नी होती हैं। हम तो सिर्फ उन्हें खबरदार कर सकते हैं कि सिगरेट या शराब पीना उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है।”
◼ “असल में, हम जिन आदर्शों पर चलते हैं वे बहुत ऊँचे हैं। हमारे संगठन का सदस्य बनने के लिए एक व्यक्ति से माँग की जाती है कि वह ईमानदार और मेहनती हो, अपने सारे टैक्स चुकाए, झूठ न बोले और धोखेबाज़ी न करे, गंदी बोली न बोले, अपने परिवार की देखभाल करे वगैरह वगैरह। आपके हिसाब से कितने लोग ये सब परिवर्तन करना चाहेंगे? सच तो यह है कि बार-बार मदद दिए जाने के बाद भी जो लोग इन ऊँचे आदर्शों पर नहीं चलते, वे इस संगठन से निकाल दिए जाते हैं।”
◼ “कुछ लोग ऐसा महसूस करते हैं लेकिन आपकी राय में ऐसा करने से हमें क्या फायदा होगा? हम घर-घर जाकर लोगों से इसलिए मिलते हैं क्योंकि हम उन्हें यह समझाना चाहते हैं कि आज दुनिया में इतना भ्रष्टाचार क्यों है। असल में, इस सारी भ्रष्ट दुनिया का परिवर्तन होना और एक बेहतर दुनिया का आना बहुत ज़रूरी है क्या आप भी ऐसा ही नहीं चाहते? लेकिन क्या आपको लगता है कि ऐसा होना मुमकिन है?”