बच्चो, तुम्हारे लिए यह सुनहरा मौका है
आप में से कुछ माता-पिताओं ने शायद बचपन से ही सच्चाई सीखी है। आपको याद होगा कि बचपन में आपको सबसे ज़्यादा पत्रिका दिन का इंतज़ार रहता था। पत्रिका दिन का इंतज़ाम 1949 से शुरू हुआ। दुनिया भर में हर कलीसिया को बताया गया था कि हफ्ते में एक दिन पत्रिका दिन होगा और उस दिन उन्हें सड़कों पर, घरों में, दुकानों में और बाकी सभी जगहों में सिर्फ प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ बाँटनी हैं। खासकर हमारे नन्हे प्रकाशक इस काम में हिस्सा लेने के लिए बड़े बेताब रहते थे क्योंकि उन्हें भी बड़ों की तरह पत्रिकाएँ बाँटने का मौका मिलता था। क्या बचपन में आप भी इस काम में हिस्सा लेते थे?
2 बच्चों को नज़रअंदाज़ मत कीजिए: हमारे ऐसे नन्हे-मुन्ने भी पत्रिका दिन में हिस्सा ले सकते हैं जिन्हें अभी बाइबल से चर्चा करना नहीं आता। वे मुँहज़बानी याद किए हुए सिर्फ एक-दो वाक्य कहकर भी पत्रिका पेश कर सकते हैं। या फिर वे पत्रिका के मुख्य पेज पर दी गई तस्वीर के बारे में ही कुछ बताकर उसे पेश कर सकते हैं। जब बच्चे पत्रिकाएँ देते हैं तो लोग अकसर खुशी से ले लेते हैं और बच्चों की तारीफ भी करते हैं। क्योंकि उनकी मासूमियत और अदब से पेश आना लोगों के दिल को भा जाता है। बच्चों को बस थोड़ी मदद की ज़रूरत होती है और देखिए वे कितनी अच्छी तरह पत्रिकाएँ बाँट लेते हैं। इस तरह प्रचार काम को आगे बढ़ाने में उनका भी बहुत बड़ा हाथ होगा। बेशक जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, तो माँ-बाप उन्हें और भी कुशलता से प्रचार करना सिखा सकते हैं।
3 अब मानवेल की ही बात लीजिए। उसने तीन साल की उम्र से ही घर-घर जाकर प्रचार करना शुरू कर दिया था। उसके मम्मी-पापा ने उसे चंद शब्दों में साक्षी देना सिखाया। वह उनके साथ बड़े उत्साह से प्रचार करता है और लोगों को पत्रिकाएँ, ब्रोशर और ट्रैक्ट देता है। वह हर मौके पर गवाही देने के लिए तैयार रहता है। एक बार जब उसके मम्मी-पापा उसे पार्क में घुमाने ले गए तो वहाँ उसने खुद जाकर दूसरों को ट्रैक्ट दिए। बहुत छोटा होने के बावजूद मानवेल में प्रचार करने का जोश है। उसे देखकर न सिर्फ उसके मम्मी-पापा का बल्कि पूरी कलीसिया का जोश बढ़ जाता है।—नीति. 22:6.
4 यहोवा के साक्षियों के 2000 के कैलेंडर में, हर शनिवार “पत्रिका दिन” है। माता-पिताओ, आपसे गुज़ारिश है कि इस काम में आप भी एक बार फिर से जोश दिखाएँ और बच्चों की भी मदद करें।